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Thursday 15 October 2015

SARVSANDHI

Review- सर्व संधि  (2015) छठा खंड/आठवा पड़ाव
91 Pages/281 Panels (Avg. 3 Panels per page)
Genre-Action-Adventure,comedy
Main character(s)- डोगा,योद्धा,युगम,भेड़ाक्ष,तुरीन,गगन,विनाशदूत,लोरी,कपाल कुण्डला,शुक्राचार्य!

Short Synopsis-

>प्रस्तावना- शक्ति परिक्षण (पेज 2-8)
इस भाग में देवासुर संग्राम शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता है!

>प्रथम अध्याय आरम्भ- भेड़ाक्ष का आगमन (पेज 9-18)
असम के जंगल में तुरीन और पार्टी के सामने भेड़ाक्ष-भाटिकी है! हल्की सी लड़ाई,जान-पहचान और फिर 2 नई टीम बनाकर अल्पविराम! 

>द्वितीय अध्याय आरम्भ- सर्वबल पराक्रमी (पेज 19-44)
इस भाग का मुख्य हिस्सा जिसमे डोगा और योद्धा की जंग शुरू होती है!

>तृतीय अध्याय आरम्भ- हरुनीति (भाग एक) (पेज 45-48)
असुरों और हरुओं के बीच गोलमेज़ बैठक होती है और दोनों ही पार्टियाँ ऊपर से गठबंधन करके अन्दर से एक दूसरे की पीठ में वक़्त आने पर छुरा मारने की खलनायकी करती हैं!

>तृतीय अध्याय आरम्भ- हरुनीति (भाग दो) (पेज 49-53)
महामानव-गलालागीचा-हरुओं वाला प्रसंग और थोडा आगे घिसट जाता है!

>चतुर्थ अध्याय आरम्भ- लघुघातियों का ग्रह  (पेज 54-63)
डोगा-योद्धा के मध्य एक और द्वन्द तक सीमित भाग!

>पंचम अध्याय आरम्भ- पाप क्षेत्र (पेज-64-72)
इरी की गुफा वाला हिस्सा आगे बढ़ता है..कहानी में पहले दिखे कुछ किरदार गायब करके  लोरी,कपाल कुंडला जोड़ दिए गए हैं! निशाचर की एंट्री हो गई है!

>षष्ठम अध्याय आरम्भ- शस्त्र शिरोमणि (पेज 73-87)
डोगा और योद्धा के मध्य पांच ने से तीसरा द्वन्द इस भाग में है! दोनों अब बेहोश हैं और इन्हें होश में लाने की दवाई लेने भेड़िया और अश्वराज को भेजा जा चुका है!

>परिशिष्ट अध्याय आरम्भ- अंतिम अवसर (पेज 88-91)
चंद्रमा की धरती पर ग्रहणों,गगन,विनाशदूत “मियां” के साथ आकाशगंगाओं के “खलीफा” एक नई फिल्म बना रहे हैं! पर ग्रहणों को यह मंजूर नहीं!

षष्ठम खंड समाप्त

Self-realization Points-
1- पाठकों को कॉमिक्स पर वार्तालाप करते रहना चाहिए..क्यूंकि ऐसे ही कुछ कमियां उजागर होती हैं..जिनका उत्तर आगे देना संभव भी हो जाता है! प्रश्न उठा था कि तिरंगा को कालमूर्तियाँ तुरंत ले गई..तिलिस्मदेव को तुरंत क्यूँ नहीं ले गई.. आदरणीय लेखक जी का ध्यान इसपर गया और इस भाग में तुरंत तिलिस्मदेव को भी  कालमूर्तियाँ पकड़ कर ले गई!

2- डोगा और योद्धा के मध्य पठारों वाली लड़ाई जबरदस्त है! डोगा की चीटिंग लात बढ़िया लगेगी! लड़ाई के दरमियाँ पठारों के टूटते टुकड़े और दोनों के हवा में उड़ते शरीर अच्छे लगते हैं! लेकिन हमें यही लगा कि यह लड़ाई neutral नहीं रही..क्यूंकि अंतिम पठार तोड़ने पर इसका निर्णय रखा गया..बजाय इसके कि कौन ज्यादा पठार तोड़ेगा...मान लीजिये कि पूरी लड़ाई के दौरान एक हीरो ने 100 में से 50 पठार तोड़े और दूसरे ने 49 तोड़े...तो अंत में अगर 49 वाला 50वा भी पठार तोड़ देता है..तो वो विजयी बन जाएगा! लेकिन यह विजय नहीं हुई! विजय तभी होती जब अंतिम पठार तोड़ने से पहले दोनों के मध्य एक बराबर संख्या रहे और टाइब्रेकर किया जाए! अभी कोई कहेगा कि योद्धा ने ज्यादा पठार तोड़े तो कोई कहेगा डोगा ने तोड़े..पर अंकतालिका ना होने की वज़ह से संदेह बना रहा! खैर!

3-हरुओं और दैत्यों के मध्य हुई संधि रोचक लग रही है! इसका परिणाम देखने लायक होगा!

4-चलिए यह पता चल गया कि महामानव जिस काल में मौजूद है..वो धरती का आरंभिक चरण है! वो कैद से रिहा कैसे हुआ यह दिखाया गया लेकिन उस ख़ास जगह कैसे पहुंचा यह नहीं दिखाया गया! यह 2 खंड आगे बताया जाएगा! 

5-लघु घातियों के साथ दोनों हीरो का द्वन्द वाला पूरा प्रसंग रोचक ढंग से लिखा गया है! यह वाला द्वन्द 100%  neutral तरह से पूरा हुआ है!

6-इरी की गुफा वाला अध्याय पढ़ते हुए हमें अजब गज़ब एहसास हुआ! पवन (परालौकिक विज्ञान नायकगण)..चलिए सर्वनायक विस्तार के लिए एक और ऐसा विषय मिल गया..जिसपर आराम से 5 कॉमिक्स और खींची जा सकती हैं!

7-पेज 75 पढ़कर बहुत आनंद आया ..जो कॉमेडी हुई है..वो समयानुकूल थी...यहाँ पर टपोरी संवाद अच्छे लगे..क्यूंकि वो थोपे नहीं गए हैं...ऐसे ही परमाणु का शक्ति पर तंज कसना भी बिल्कुल सही लगा! जो युद्ध हुआ वो बढ़िया लिखा गया है..पेज-77 मज़ेदार था! बस यह लगा कि लड़ाई थोड़ी छोटी थी...अगर थोड़ी और बढाकर डोगा से तलवार,भाले और योद्धा कई दूसरे बम,गन्स,मोर्टार और इस्तेमाल करता..तो अधिक आनदं आता...खैर कहानी को अल्पविराम दिया गया है!

8-अंतिम जो चंद्रमा पर ग्रहणों वाला भाग है..उसमे कहने लायक कुछ नहीं है..वो सिर्फ एक कदम और आगे बढ़ा है..ना पॉजिटिव है ना नेगेटिव!
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जैसा कि हम हमेशा कहते हैं...जिन भाइयों को पॉजिटिव रिव्यु चाहिए..वो यहीं रुक जाएँ...आगे ना पढ़ें!
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Logical Reasoning Points-

1-    हम इसको गलती नहीं कहेंगे...क्यूंकि गलती छोटी होती है!
प्रश्न- युगम क्या है? 
उत्तर - युगम एक काल्पनिक पात्र है जिसको हिन्दू माइथोलॉजी के लचीलेपन की आड़ लेकर इस सीरीज के लिए आदरणीय लेखक जी द्वारा मनोरंजन परोसने के उद्देश्य से गडा गया है! पुराणों में आदि-शक्ति माता अम्बिका और उनके बाद त्रिदेवों को ही सर्वशक्तिमान माना गया है और ब्रह्मा द्वारा रचित समस्त कालों के स्थायित्व पूर्ण संचालन तक ही आपका बनाया यह युगम सीमित रहना चाहिए था! इसको आपने कालों को खत्म करने की शक्ति दे दी..मान लिया! यह बात हमने इसलिए नहीं मानी थी कि यह बात सर्वनायक के आदरणीय लेखक जी ने लिखी थी...इसको मानने के पीछे यह तर्क था कि तीनों कालों को समाप्त कर भी दिया जाए तो क्यूंकि त्रिदेव और देवतागण मौजूद रहेंगे..इसलिए कालों को दोबारा से सृजित भी किया जा सकता है! लेकिन आदरणीय लेखक जी और राज कॉमिक्स द्वारा काल्पनिक पात्र “युगम” से देवताओं को ही ख़त्म कर देने लायक श्रेष्ठता दिखाना अनुचित है!
हिन्दू माइथोलॉजी में सृष्टिसंहारक शक्ति भगवान् शिव के पास है! क्या युगम कल को त्रिदेव को चुनौती दे देगा कि समय उसके नीचे हैं इसलिए वो सबसे ऊपर है?? यदि ब्रह्मा ने सबकुछ तय कर दिया है...विष्णु उसका पालन करवा रहे हैं..तो संहार के लिए शिवजी मौजूद हैं!...कहने का तात्पर्य यह है कि सृष्टि को चलाने के लिए सबके अपने-अपने विभाग हैं..और सबका काम बाँटा गया है! ब्रह्मा को अगर किसी पापी को मरवाना होगा..तो वो विष्णु या शिव से कहेंगे...खुद धनुष लेकर नहीं चल देंगे! देवताओं का जोर अगर किसी प्राणी पर नहीं चलता है..तो वो त्रिदेव के पास उपाय करने जाते हैं..कि नहीं जाते? पूरा काम एक नीति और नियम से होता है! तो अगर युगम को देवताओं को मारना ही है..तो वो अपने ऊपर मौजूद त्रिदेवों या फिर आदि-शक्ति माता अम्बिका से अनुरोध करेगा..ना कि खुद मैदान में कूद पड़ेगा! कई अज्ञानी अब भी कहेंगे कि आदि-शक्ति माता अम्बिका कौन हैं?... कॉमिक्स कलियुग देखो..कि नागराज और ध्रुव किसके सामने अंतिम पन्नों में खड़े सिर झुका रहे हैं! युगम यह कह रहा है कि तीनों युगों में जो अस्थिरता आई है..उसको सही करने का आदेश ऊपर वाले ने दिया है..और वो सिर्फ निमित्त मात्र है..जो इस काम को सही दिशा दे रहा है! ऐसे में देवताओं का सफाया करने का मतलब है...33 कोटि देवी-देवों का सफाया कर देना..जिसके बाद धरा पर पाप-पुण्य कुछ बचेगा ही नहीं...जब पाप-पुण्य ही नहीं बचेगा...तो यह युगम प्रतियोगिता पूरी करवाकर अंत  में कौन सा मनोरथ सिध्द कर लेगा...जिससे चाहे पूर्वकाल बचे या पश्चातकाल...देवताओं के बिना सृष्टि आगे बढ़ेगी ही नहीं....स्वर्ग की स्थापना के पीछे ब्रह्मा का उद्देश्य आदरणीय लेखक जी भूल गए???? अगर पाठको ने महारावण पढ़ी होगी...भोकाल के पास सारे देवताओं की शक्ति थी...लेकिन उसका सिर हमेशा देवताओं के सामने झुका रहा! क्यूंकि तब लेखक जानते थे कि भोकाल एक काल्पनिक पात्र है...जितना चाहे शक्तिशाली दिखाया जाए...रहेगा देवताओं से नीचे ही! मगर आजकल ठीक इसका उल्टा दिखाया जा रहा है कि काल्पनिक पात्र देवताओं को साफ़ करने की धमकी दे रहे हैं! सर्वसंधि का यह प्रथम प्रस्तावना भाग घोर निराशाजनक है! इसपर ज्यादा से ज्यादा जनता का ध्यान आकर्षित किया जाना चाहिए!
उपरोक्त बातें हमने हिन्दू माइथोलॉजी के अनुसार पाठको को इस बात के बारे में  बताया है! अब एक दूसरी तरह से आदरणीय लेखक जी के क्रियाकलाप पर सबकी दृष्टि डलवाते हैं! नारद मुनि पेज-6 पर युगम से कहते हैं कि क्या आप देवों और असुरों का अस्तित्व सच में मिटा देंगे? युगम बड़े आत्मविश्वास से कहता  है- “निसंदेह”
आदरणीय लेखक जी की काल्पनिक रचना श्रीमान युगम...कृपया यह बताने का कष्ट करेंगे कि जिन देवताओं को समुद्र मंथन के बाद भगवान् विष्णु ने मोहिनी रूप लेकर अमृत पिलाकर सदैव के लिए अमरता प्रदान करी हुई है...उनको आप कैसे मारेंगे??? तात्पर्य यह है कि युगम के प्रेम में आदरणीय लेखक जी यह भी भूल गए हैं कि देवता “अमर” हैं! आगे ऐसे ही पेज-84 पैनल 3 पर रावण की जगह मेघनाद का नाम होता!  अब आप खुद समझ सकते हैं कि आदरणीय लेखक जी कितनी मेहनत करके माइथोलॉजी का उपयोग..सॉरी “उपभोग” कर रहे हैं!

आम पाठको से हमारा कहना है कि आपके लिए कुछ दिन बाद दिवाली आने वाली है...इस तरह अपने आराध्यों का अपमान ना करिए कि अगले साल घर में सुख-समृद्ध  आने के लाले पड़ जाएँ! “संभलिये!” लेकिन इतना समझाने के बाद भी किसी को इस मुद्दे की गंभीरता समझ नहीं आई तो हम एक सुझाव देंगे...दीपावली की रात को जब आपके पिताजी कहें कि लक्ष्मी पूजन की व्यवस्था करो...तो वहां से सारे देवी-देवताओं की तस्वीर/मूर्तियाँ हटाकर आपके चहेते लेखक की सर्वसंधि रख देना...और युगम की पूजा शुरू कर देना....पिताजी पूछें तो कहना...कि पिताजी यह युगम तो इन छोटे-मोटे देवताओं से भी कहीं बड़ा शक्तिशाली है...असल पूजा के लायक यही है! उसके बाद आपके पिताजी की चप्पल के प्रसाद से बचकर अगले दिन आप किसी लायक रहे..तो कृपया यहाँ आकर हमें बताइयेगा! हम आपका अभिनन्दन जरूर करेंगे!

2-    हमने पहले भी कहा था कि इतनी बड़ी कहानी और एक अकेला लेखक बहुत नाइंसाफी है! आधी बातें याद, आधी भूल जाना चलता रहेगा! यह बातें हम 3 खंड पहले बताते...लेकिन सोचा लेखक को मौका दें कि शायद वो खुद इसका उत्तर दें...शुरू से बताते हैं!-
A-“धिक्कार” कॉमिक्स में एक रात भोकाल और तुरीन बैठे होते हैं! तुरीन ने लाल रंग की बहुत सुंदर सी ड्रेस पहनी हुई थी (पेज-10) वहीँ से वो गायब हो गई! उसके बाद शूतान,अतिक्रूर वगैरह अलग से गायब हुए (पेज-24)! यह लोग कहाँ और किसके द्वारा गायब हुए..यह बात तब से लेकर आज तक अनुत्तरित ही बनी हुई है! हमारी जानकारी में इस बीच यह लोग किसी कॉमिक्स में नज़र नहीं आये! (अगर ऐसा हो तो कोई याद दिलाकर हमें दुरुस्त करे)! खैर इसके बाद यह सभी लोग एक साथ सर्वयुगम में दिखाई दिए..जहाँ यह सब असम में पूर्वजों की धरती पर आये हैं! इनका उद्देश्य कुछ “शक्तिपुंज तिलिस्म” भेदना है! लेकिन सर्वसंधि के पेज-13 पर तुरीन की बात समझ नहीं आई कि उसको पता है कि “भोकाल और अन्य महानायक कहीं गायब हो चुके हैं!” और बाकी लोगों को भी पता है! हमारा सवाल यह है कि यह लोग तो खुद लापता थे..इन्हें कब पता चला कि भोकाल के साथ क्या हुआ? या बाकी महानायकों के साथ क्या हुआ...और यह नया “शक्तिपुंज तिलिस्म” खोजू प्रसंग कहाँ से जोड़ दिया गया है! वहीँ भेड़ाक्ष वाली बातें भी सिर के ऊपर से निकल गई!

B-सर्वयुगम में दिखाया गया था कि भेड़िया के साथ अतिक्रूर ने लड़ाई शुरू करी..और भेड़िया का साथ गरुडा दे रहा था! यानी तब तक भेड़िया सही सलामत था! लेकिन सर्वसंधि के पेज-14 पर अतिक्रूर अपनी धूर्तता से यह बोलता है कि उसके आते ही भेड़िया गायब हो गया और इसी वज़ह से गरुडा ने उनपर हमला शुरू कर दिया! अतिक्रूर-तुरीन-शूतान  अगर भेड़िया को खोजने वहां एमरजेंसी में आये थे तो बजाय लड़ाई शुरू करके समय बर्बाद करके के सीधे पूछ भी तो सकते थे कि भेड़िया भैया यहाँ कोबी कौन हैं? और तुरीन तो कोबी को पहचानती भी थी!

3- आपको याद होगा तो सर्वनायक प्रतियोगिता शुरू होने से पहले सर्वयुगम के पेज-76 पर सभी हीरोज़ के दिमाग में दूसरे हीरो की सारी जानकारी भरी गई थी! अगर डोगा को पहले से पता है कि योद्धा एक देवपुत्र है तो डोगा के अन्दर संस्कार होने चाहिए कि वो योद्धा को आदरपूर्वक संबोधित करे! लेखक महोदय से यही कहना है कि यह एक गंभीर वातावरण में युगों की बचाने की स्पर्धा चल रही है...इसमें मर्यादाविहीन संवादों से आप अगर कॉमेडी प्रभाव लाने की कोशिश कर रहे हैं तो आपकी सोच गलत दिशा में बढ़ रही है! डोगा और योद्धा के मध्य अगर आप “बेटा” शब्द हटा दीजिये..फिर संवाद पढ़िए..तो पढने में ज्यादा अच्छे लग रहे हैं! योद्धा डोगा के द्वारा बेटा कहे जाने के प्रतिउत्तर में श्वानमुख बोल रहा है... हमें नहीं लगता कि योद्धा जीवन में कभी अशिष्ट शब्द बोलेगा! अगर सामने डोगा है तो वो डोगा ही बोलेगा! जो बोलने में आसान भी है!
संवादों में एक और त्रुटी थी...जब डोगा और योद्धा के बीच तीसरी लड़ाई हो रही थी तब डोगा अचानक से शुद्ध हिंदी के शब्द बोलना शुरू कर देता है..जैसे- पेज-80 का आखिरी संवाद- प्रत्यंचा,प्रस्फुटित,पेज-82-परावर्तित! डोगा के लिए यही बहुत बड़ी बात है कि मुंबई में रहकर वो हिंदी बोल लेता है..लेकिन देवताओं वाली भाषा उसके सिर के ऊपर की बात है! अगर योद्धा और उसके बीच भाषा का फर्क बना रहेगा तो ज्यादा बेहतर लगेगा! लघु घातियों से जीतने के बाद अंतिम पैराग्राफ में योद्धा द्वारा नतमस्तक होकर अभिवादन का जो घटिया जवाब डोगा देता है...वो डोगा प्रेमियों को शर्मिंदा कर गया है! कभी बेटा,कभी पुत्तर...यह डोगा नहीं कह रहा था...लेखक की डोगा पर कमजोर पकड़ करवा रही है! लेखक डोगा को समझ ही नहीं पाए!

4- 5 राउंड वाली लड़ाई बोलने के बाद तिल्सिमदेव-शक्ति वाला युद्ध पूरा नहीं दिखाया गया...तिरंगा-शुक्राल वाला पूरा नहीं किया गया..और अब 3 राउंड्स पर डोगा-योद्धा को रोक दिया गया! क्या हम समझें कि जब दोनों में से किसी एक को ही होश आएगा..तो मतलब यह द्वन्द यहीं पर समाप्त हो चुका है...बाकी बचे 2 राउंड्स की उम्मीद ना रखें!

5- इसके अलावा एक और कमी सर्वयुगम से अब तक चली आ रही है....वो है 2 हीरोज़ जो पहले आपस में मिल चुके हैं..उनको इस सीरीज में लगभग एक दूसरे से अनजान दिखाना..पेज-37 पर परमाणु इस तरह से बात कर रहा है..जैसे उसको योद्धा की शक्तियों के बारे में जानकारी ही नहीं है...जबकि यह दोनों “टक्कर” में आ चुके हैं! ऐसा ही कुछ परमाणु-शक्ति के साथ वाली बातें तो पहले भी बताई जा चुकी हैं! कई दफा यह सभी इस मजबूरी में हो रही प्रतियोगिता को जीतने के नाम पर खलनायकों की तरह बर्ताव करने लगते हैं....जैसे खोज पर जाने से पहले भेड़िया और अश्वराज..के बीच वार्ता! इस पूरी सीरीज में जानबूझकर दूसरी,तीसरी कतार के सुपरहीरोज़ को दंभी,निर्लज्ज,संवेदनारहित दिखाया जा रहा है! इसके उलट ध्रुव,नागराज,भोकाल,गोजो जैसे अपने समय के हिट हीरो का व्यवहार ज्यादा संयमित है! एक नायक हर परिस्थिति में नायक ही होता है! चाहे जीत-हार का उत्साह ही रहे..लेकिन दोनों ही तरफ के हीरो यह जानते हैं कि जीत किसी एक की चाहे हो...दूसरे के पूरे काल को युगम साफ़ कर देने वाला है! इसलिए युग्म प्रतियोगिता को और ज्यादा गंभीर वातावरण में होना चाहिए! जहाँ सभी हीरो आपस में बात करते हुए ऐसे लगें कि वो प्रतियोगिता के साथ-साथ भविष्य के लिए भी आशावादी हैं! 

6-महामानव और गलालागीचा वाला प्रसंग सिर्फ एक सवाल का जवाब देता है..लेकिन कई नए सवाल फिर से बना देता है..जैसे वो कौन 3 लोग थे..जिनका जिक्र हुआ है! इसलिए बात वहीँ की वहीँ रुक गई!

7-लेखक इससे पहले सर्व मंथन के पेज 8-9 पर प्रोबोट से यह बुलवा चुके थे कि क्षुद्र ग्रहों से धरती का काफी हिस्सा क्षतिग्रस्त हुआ है...और कुछ हिस्सा बच गया है! इसके अलावा क्षुद्र ग्रहों से धरती की गर्मी बढ़ रही थी...जिसका उपाय करने नेचर डॉटर को लाने की कोशिश हो रही है! यानी पिछले भाग तक कहीं भी पाप उर्जा का कथन कहानी में मौजूद नहीं था..जिसके लिए पवन का गठन हुआ था! और अब सर्व संधि के पेज 68 पैनल 2 में लिखा गया है कि क्षुद्र ग्रहों से धरती को कोई ख़ास नुकसान पहुंचा ही नहीं है! यहाँ तक कि उसमे से पहले तीव्र ऊष्मा निकल रही थी..अब वो पाप ऊर्जा बताई जा रही है! क्या ऐसा हो सकता है...कि नास्त्रेदमस जैसा वैज्ञानिक इसरिक के साथ टच में नहीं था? वो तो ध्रुव को पहले ही सब बता चुका था! तो लेखक के हिसाब से कहानी में सबसे बड़ा बेवकूफ कौन?
*पहले वो प्रोबोट और इसरिक के अनपढ़ वैज्ञानिक जो कहते हैं ऊपरी धरती तबाह हो गई!
*दूसरे वो पवन के अधनंगे रहने वाले तांत्रिक-मांत्रिक जो कहते हैं कि ऊपरी धरती बच गई!
*या तीसरे वो पाठक जो कहानी को 2 ½  साल से पढ़ रहे हैं!
यहाँ पर लेखक ने कहानी को U-turn दे दिया है! पहले जहाँ 5 अध्याय तक कहा जा रहा था कि धरती की ऊपरी परत तबाह होने वाली है...हो भी चुकी थी...अब कहा गया है कि वैज्ञानिको और पवन के खगोलशास्त्रियों की सारी रिसर्च और भविष्यवाणियाँ गलत थी, यानी धरती सुरक्षित है! पूरा गर्भ गृह बनाना ही बेमतलब बन गया! अब सारी लड़ाई बस पाप ऊर्जा और पुण्य ऊर्जा के बैलेंस को बनाने पर टिक चुकी है! पाठकों को नागायण याद होगी...same यही कांसेप्ट उसमे था...ब्लैक एनर्जी और वाइट एनर्जी के बीच इंसानों को तारतम्य कैसे बैठाया जाए! लेखक द्वारा इस  U-turn के चक्कर में बेचारे पाठक 2 साल अटके रहे...क्यूंकि जो यह बात आज बताई गई है कि क्षुद्र ग्रहों के टकराने पर पृथ्वी का ऊपरी भाग सुरक्षित बना रहेगा...यह पाठको को आराम से सर्वयुगम के पेज-69 के दौरान ही बताया जा सकता था! पर जैसा हमेशा होता हैं कि कहानी को लंबा खींचे जाने के उद्देश्य से 5 मोटे खंड निकालकर U-turn मार दिया गया है! मजे की बात यह है कि पाठक इस चीज़ को महसूस तक नहीं कर पा रहे..कि यह उनके साथ चमत्कार हो चुका है! दरअसल हुआ यह है कि लेखक यहाँ पर एक ही चीज़ के 2 अलग हिस्से करके पाठको को दिखा रहे हैं...वो एक चीज़ थी- क्षुद्र ग्रहों का धरती पर गिरना! और 2 हिस्से हैं...इसरिक और पवन के बीच अलग-अलग जानकारी होना! और मज़े की बात यह कि दोनों ही इससे अनजान हैं!
A-इसरिक के अनुसार धरती की उपरी परत को काफी नुक्सान हुआ है..और क्षुद्र ग्रहों से तीव्र ऊष्मा निकल रही है! जिसको अगर कण्ट्रोल कर लिया जाए तो पृथ्वी के बचे हिस्सों पर मानव बसाए जा सकते हैं!
B-पवन के अनुसार धरती की ऊपरी परत को कोई नुक्सान नहीं हुआ है.. क्षुद्र ग्रहों से पाप ऊर्जा निकल रही है..जिसको कण्ट्रोल कर लिया जाए तो सब ठीक हो जाये!
अब पाठको आप सोचते रहिये कि क्षुद्र ग्रहों से क्या निकल रहा है..या कुछ निकल भी रहा है कि एवें ही खंड पर खंड छपते जा रहे हैं!

8- 48 घंटे वाली घडी का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए था... इससे पहले पाठक सोच रहे थे कि जो 72 घंटे में से 24 घंटे का समय समस्त आबादी को गर्भ गृह में ले जाने में लगा था..वो नाकाफी था...पर इस बार पेज-67 पर लिखा गया है..कि विस्तृत ब्रह्माण्ड रक्षक उस काम के अलावा एक काम और कर रहे थे..वो था आतंकियों और अपराधियों के साथ जंग लड़ना! पहली जंग शायद कश्मीर में लड़ी थी..जहाँ आतंकी पाए जाते हैं..और कुछ जंगे जाने दुनिया में कहाँ..पर हाँ समय खूब इसमें लगाया गया था! विस्तृत रक्षको ने 24 घंटे में आबादी गर्भ गृह में डालने के अलावा और कई लड़ाइयाँ भी लड़ दी! सर्वयुगम में यही दिखाया गया था कि यही सब लोग उस पहले दिन दिल्ली में मौजूद थे...आज दिखाया जा रहा है कि यह सब देश के अलग-अलग राज्यों में भी घूम रहे थे! इन सबके कितने डुप्लीकेट बनाये गए हैं..जो एक ही वक़्त पर सब जगह दिख रहे हैं?

9- सुना कि पुराने सवालों के जवाब मिल गए हैं...देखिये-
A-क्षुद्र ग्रहों के धरती पर आने की घटना का सिर्फ यही सीन बार-बार दोहराया जा रहा है कि वर्तमान पृथ्वी सुरक्षित बता दी गई...बाकी 2 कालों,3 युगो  और अन्य आयामों में जो क्षुद्र ग्रहों की बरसात हो रही है..उसपर तो एक पैनल नहीं दिखाया गया! मिला जवाब?
B-सुना कि पता चल गया कि चंडकाल भविष्य में कैसे पहुंचा...आपको कॉमिक्स पढ़कर ऐसा कहाँ दिखा कि बेहोश चंडकाल को कौन ले गया?कौन उसको होश में लाया? और क्या यह वही चंडकाल है जो भविष्य में था...या यह वर्तमान का चंडकाल है! जिसको भरोसा ना हो सर्व संधि का पेज 52 का अंतिम पैनल पढ़ ले..जिसमे महामानव और गलालागीचा कह रहे हैं..कि उन्हें नहीं मालुम कि स्वर्ण नगरी से आज़ाद होने के बाद क्या हुआ..! तो अभी आगे के भागों का इंतज़ार करना जरूरी है!
C-सुना, कि क्षुद्र ग्रहों से पाप ऊर्जा निकली (जो पहले ऊष्मा ऊर्जा थी) उससे धरती पर पाप शक्तियां निकल निकल कर आ रही है! अगर ऐसी ऊर्जा हुई तो निशाचर जैसे प्राणी निकल सकते हैं...लेकिन अब तक यह कहाँ बताया गया कि सधम को किसने ईरी की गुफा में लाकर पटका था? उसके अलावा ड्राकुला भी ईरी की गुफा में ही कैसे प्रकट हुआ...ऐसी कौन सी बात है कि सभी पाप शक्तियां सिर्फ ईरी के पास ही आ रही हैं! निशाचर भी जागा तो वहीँ पर आया? अभी इससे जुडी एक बड़ी loophole और मौजूद है...जिसको हम आगे आने वाले भागों में खोलेंगे!

उपरोक्त सभी तथ्य आपके सामने मौजूद हैं..जिससे आपको सीरीज समझने में आसानी होगी!

आर्टवर्क-

इस बार कॉमिक्स में 2 पेंसिलर हैं...सुशांत जी के अलावा हेमंत जी! पेंसिल ठीक ठाक हुई है...डोगा-योद्धा के बीच लड़ाइयों वाले सीन अच्छे लगते हैं! पठारों वाली लड़ाई में काफी योगदान colorist का भी रहा है..जिन्होंने हीरों पर अच्छे इफेक्ट्स दिए हैं!

आर्टवर्क में त्रुटी- हमने कलियुग कॉमिक्स खोली..उसमे देखने पर पता चला कि गुरु शुक्राचार्य की बाईं आँख सलामत है और दाई फूटी हुई है! लेकिन सर्वसंधि में इसका उल्टा दिखाया गया है! बाई फूटी और दाई सलामत! इस गलती को आगे दुरुस्त करिए!

इंकिंग- विनोद कुमार जी का काम हमेशा की तरह अच्छा है..लेकिन उन्हें इस भाग में बहुत कम पेज मिले हैं..ज्यादातर काम ईश्वर आर्ट्स का है..और उनके बाद स्वाति जी का! स्वाति जी का काम विनोद जी का 25% भी नहीं है! शुरुआत में सारा आर्टवर्क सिर्फ देखने में एवरेज लगेगा...लेकिन एक्शन सीन अच्छे बने हैं..इफेक्ट्स भी सही लग रहे हैं!
पेज-54-64 की इंकिंग काफी खराब है! पेज-66-67 down!
68-73 Up! उसके बाद अंत तक इंकिंग एवरेज है!

रंग संयोजन- हेमन्त जी के काफी पन्ने बैकग्राउंड वर्क्स के बिना हैं...लेकिन उनपर इफेक्ट्स इतने अच्छे हैं..कि एक बारगी ध्यान ही नहीं जाता कि सिर्फ foreground बनाया गया है! हम भक्त रंजन जी को पूरे अंक देंगे! उनके बिना लड़ाइयाँ दर्शनीय ना बन पाती!
ओवरआल सर्व संधि का आर्टवर्क above average है! वज़ह 3 inker!

टिप्पणी-

पिछले भाग सर्वमंथन की तुलना में सर्वसंधि थोड़ी सी ही बेहतर होकर उभरी है...लेकिन इतनी बेहतर भी नहीं है कि इसको अब तक आये सभी खंडो में सर्वश्रेष्ठ बता दिया जाए...क्यूंकि अब तक युगांधर की टक्कर की स्टोरीलाइन बाद के एक भी खंड में नहीं आई...इसमें जो अच्छाई हैं..वो इसलिए महसूस हो रही हैं..क्यूंकि 90 में से 45 पेज सिर्फ डोगा-योद्धा की लड़ाई पर केन्द्रित हैं! इसलिए कहानी पढ़ते हुए..आप सिर्फ इन्ही पर फोकस कर रहे होते हैं! इसके बाद 9 पन्ने असम वाले हैं..जो बहुत ही ज्यादा अजीबोगरीब हैं...उनका सर्वनायक से कोई पुराना लिंक नज़र नहीं आ रहा है! उन्हें पढ़कर भी आप सिर्फ यही कहेंगे कि यह तो कोई नई सीरीज शुरू होने वाली है! बचे 35 पन्ने Neutral हैं! ना इधर बढे ना उधर!

अति विश्वास में डूबी RC  द्वारा किसी भी पाठक की पिछली समीक्षाओं में दिए गए सुझाव तो इस बार भी कहीं इस्तेमाल नहीं हुए तो दोबारा देकर क्या फायदा! यही सोचकर हम खुद को तसल्ली देते हुए आपको भी अगला पार्ट सर्वक्रान्ति लेने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं!

जैसे ही सर्वक्रान्ति उपलब्ध हो..भारी मात्र में कॉमिक्स खरीदकर लेखक और RC को मालामाल बना दीजिये!

Ratings :
Story...★★★★★☆☆☆☆☆
Art......★★★★★☆☆☆☆☆
Pencil....★★★★★★★☆☆☆
Inking....★★★★★☆☆☆☆☆
Entertainment……★★★★★★☆☆☆☆

‪#‎Rajcomics‬,‪#‎Sushantpanda‬,‪#‎Nitinmishra‬,‪#‎Sarvsandhi‬,‪#‎Scd‬,‪#‎Nagraj‬,#Doga,#Yodhdha,#Hemantkumar

VISHPUTRON KA AAGMAN

Review- विषपुत्रों का आगमन  (2015)
Containing Spoilers (जिनको रिव्यु देखना नहीं पसंद हैं..वो कृपया अपना समय इसको पढ़कर नष्ट ना करें!)
61 Pages/224 Panels (Approx. 3 ½  Panels per page).
Genre-Action
Main character(s)-अश्वराज,नागरानी,नागमणि,नागदंत!

>Short Synopsis –

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि यह सर्वनायक के टूटे हुए हिस्सों को जोड़ने के लिए बनाई गई सीरीज है....तो उसमे जो “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता शुरू हुई थी..इसमें आगे बढती है और जैसा कि पूर्वानुमान था..चारों टीम अपना-अपना टास्क पूरा करके विजयी होती हैं! इधर नागदंत और नागमणि दूसरे आयाम पर कब्ज़ा करने की मंशा में है..जो कहलाता है नागरानी का आयाम! अश्वराज को कुदुम की खोज में गोजो का साथ मिलता है..जिसकी बिजलिका भी अपह्रत हो गई है! और अंत में “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता के बाद “नाग निरंजनी” बचाओ प्रतियोगिता का शुभारम्भ हो चुका है!

>किरदारों पर नज़र- “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता से जुड़े सभी किरदार यहाँ थोड़ी-थोड़ी जगह भरते हैं! वो सभी विलेन भी नज़र आते हैं..जिनका शिकार चारों टीम को करना है!
अश्वराज-गोजो- दोनों सिर्फ एक्शन तक सीमित रहे हैं!
नागराज-ध्रुव का छोटा सा रोल इस भाग में है!
नागदंत और नागमणि के साथ नागरानी ज्यादा रोल में है!
और बहुत सारे छोटे-बड़े लोग इसमें नज़र आते हैं...कहा जा सकता है कि बहुत भारी-भरकम किरदारों की फ़ौज इस कहानी में दिखाई गई है!

>“मौत का मैराथन” के टास्कों पर नज़र-
A-अदृश्य मानव और मैडम एक्स का टास्क 100% परफेक्ट है! उसमे कोई लॉजिकल त्रुटी नहीं है! मैडम एक्स के अतीत से जुड़ा एक पुराना घटनाक्रम भी दिखाया जाता है!

B-शीना और काली विधवा ने टास्क को 100% परफेक्शन के साथ पूरा किया! बेहतरीन तरह से लिखा और अंत किया गया! काली और शीना के बीच नोंक-झोंक अच्छी थी! वहीँ चुम्बा आज भी बेवकूफ ही रहा..हंसी आ गई! शीना-काली-चुम्बा वाला टास्क सम्पूर्ण मनोरंजन करता है!

C- लेकिन लोमड़ी और कीर्तिमान का टास्क जबरदस्ती पूरा दिखाया गया है! एक तो यह भी नहीं दिखाया कि दोनों ने हैमर का अड्डा कैसे खोजा...दूसरे सिर्फ 3 पेज में जल्दी-जल्दी से इस टास्क को पूरा करवा दिया गया! ना तो हैमर समझ पाया कि 5 मिनट की लड़ाई में आखिर हुआ क्या..ना हम समझ पाए कि यह था क्या? सिर्फ जितवाना था इसलिए जितवा दिया! दोनों के बीच अगर ज्यादा अच्छी तरह से टास्क पूरा करने की प्लानिंग दिखाई जाती..जैसी बाकी के साथ करी थी..तो बहुत अच्छा होता! (निराशाजनक)

नागदंत और नागरानी वाले पेज अच्छे लिखे गए हैं...दोनों के बीच काफी बढ़िया लड़ाई हुई! नागमणि का रोल बढ़िया था...उसके संवाद चुटीले भी थे..और हिंसक भी!

लेकिन हमारा सबसे पर्सनल फेवरेट भाग है...नताशा-रोबो वाला! लेखक को हम बधाई देते हैं कि उन्होंने नताशा को पूर्ण खलनायिका के खांचे में फिट कर दिया है! उसका बाद में सभी विलेन्स के साथ आना..और हारकर दुम दबाकर भाग जाने वाले सीन देखकर दिल खुश हो गया! 10,000 करोड़ रुपये चुराने वाली गंभीर अपराधिनी मिस “नताशा रोबर्ट शीन” को देखकर बहुत मज़ा आया! उन लोगों के मुहं पर करार तमाचा लगा है जो उसको एक हीरोइन की तरह मानते थे! ऐसी अपराधिनी की असल जगह जेल की काली कोठरी होनी चाहिए!

लेखक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरणों पर नज़र-
1-रोबो और नताशा ने 10,000 करोड़ रुपये रिज़र्व बैंक से चुराए थे!
रिज़र्व बैंक की ट्रेज़री राजनगर में नहीं है और जहाँ है वहां सेंधमारी करना असंभव है..वो गली कूचे की बैंक शाखा नहीं है! पूरे देश के बैकिंग सिस्टम का संचालनालय है!  10,000 करोड़ रुपये कैश में चुराना और उसको राजनगर लाना और जिस लूट को होते तक दिखाया नहीं गया...सिर्फ कहने से उसपर विश्वास कर लेना असंभव है! रिज़र्व बैंक की कुछ चुनिन्दा शाखायें होती हैं...जहाँ 200-300 करोड़ मुश्किल से ही होता है! इसमें भी ज्यादातर Cash+Gold रखा जाता है! यानी अगर ऐसा कुछ होना भी है..तो रोबो को कम से कम 50 रिज़र्व बैंक treasuries एक साथ लूटनी पड़ेंगी! RBT में रोबो आर्मी द्वारा 10,000 करोड़ की लूट होने का मतलब है...नेशनल सिक्यूरिटी threat! सेंसेक्स का एकदम से धडाम हो जाना...अर्थव्यवस्था का चरमरा जाना...इतने पैसे को वापस पाने के लिए पुलिस/आर्मी और इंटेलिजेंस तुरंत हाई अलर्ट पर हो जाती है! वहीँ दिखाया गया है कि रोबो ने इतना कैश अपने एक छोटे से hideout  में भरकर रखा है..जिसकी दीवारें टूटी हुई हैं.....पलस्तर उखड़ा हुआ है......जिस पैसे को कोई नहीं खोज पा रहा था..उसकी रिकवरी का ज़िम्मा राजनगर के प्रशासन को दिया गया है! यह पूरा मामला कहीं से नहीं सुलझ पाया! आपका कथन कुछ ऐसा है कि RBI और कानून के दूसरे आला अधिकारियों को पता है कि उनकी अरबों की रकम राजनगर में है...लेकिन वो अपने तरीकों से रकम वापस लाने की जगह ध्रुव की आयोजित “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता का इंतज़ार ज्यादा जरूरी समझते हैं! यानी 10000 करोड़ की सरकारी संपत्ति की वापसी जिसपर सरकार/मीडिया/जनता/विपक्ष सबने हल्ला मचाया होगा..वो एक खेल को पूरा करने का जरिया मात्र है!

2-लेखक का यह स्पष्टीकरण था कि गुप्त आइडेंटिटी वाले सभी किरदारों का पता CNN ने लगाया है! इसको गहराई से समझने के लिए तिरंगा सीरीज की CNN और बेनकाब पढ़िए! CNN उर्फ़ लेखराज भंडारी जो तिरंगा का राज़ जानता था...लेकिन जेल पहुंचा दिया गया! ऐसा विलेन सबसे पहले तिरंगा का राज़ फ्री में खोल देता..पर क्यूंकि अभय खुद भारत बन गया था..इसलिए CNN ऐसा कर नहीं पाया! खैर, वो पहले दिल्ली का गवर्नर हुआ करता था..इसलिए उसके पास दिल्ली के ऊँचे ओहदे पर रहकर सबकी जानकारी लेने लायक ताकत और पैसा मौजूद था! लेकिन जेल जाने,वहां सजा पूरी किये बिना और अपना राज़ खुलने के बाद CNN को आज जो दुनिया भर के गुप्त किरदारों के राज़ जानने वाला सबका बाप दिखाया जा रहा है..वो असंभव चीज़ है! मतलब CNN  जैसा अपराधी जेल से बाहर कब और कैसे निकला? जो आज वो वापस बिना पैसे और समय के अपना सेटअप बना चुका है! CNN का दिल्ली का पूरा नेटवर्क,उन लोगों पर निर्भर था जो उसके लिए फील्ड वर्क करते थे! यानी उसके अलावा कम से कम सैकड़ों और भी ऐसे लोग मौजूद हैं..जो इन सबकी किरदारों के राज़ जानते हैं..जो एक बार दिखाई दिए...रात की रानी एक ही बार आई और सोनिका भी कोई रोज काली काली विधवा नहीं बनती है! चलिए एक बार मान लिया कि CNN का नेटवर्क पूरी दुनिया के हर कोने में हो सकता है..लेकिन CNN इतना भी बड़ा तुर्रम खान नहीं है कि 100% लोगों का पता ठिकाना जान ले! पाठकों को याद होगा सर्वदमन कॉमिक्स का पेज-44....जिसमे CNN कहता है कि उसका सम्पर्क सूत्र सिर्फ कुछ चुनिन्दा अपराधियों को ही पता है...और प्रोबोट को कैसे उसका पता मालुम...यह बात उसवक्त से आज तक लेखक बता नहीं सके और यहाँ यह और जोड़ दिया कि इंस्पेक्टर स्टील और ध्रुव ने CNN से संपर्क बना लिया...लेखको की खराब याददाश्त का यह एक जीता जागता सुबूत है!
अगर CNN को सबका राज़ पता करना होगा..तो वो डोगा का पता सबसे पहले लगाकर अंडरवर्ल्ड में फैला देगा! और अगर वो डोगा का राज़ पता करवाएगा...तो इसके लिए सैकड़ों आदमी लगाएगा...इसलिए CNN को एक पैनल में दिखाकर उससे जुड़े सारे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया जा सकता! बहरहाल CNN को तो लेखक इतना समय भी नहीं दे पाए कि वो इतने बड़े स्तर पर जांच पड़ताल करवा पाता! सर्वसंधि के अनुसार नास्त्रेदमस को क्षुद्र ग्रहों के आने और उसके बाद ध्रुव को खबर करने में बहुत कम समय मिला था...उतने में ध्रुव ने WAR के लिए सबको इकठ्ठा भी कर दिया...फिर सभी हीरो आये..उन्होंने WAR के लिए लोगों के नाम चुने..इसमें CNN को कब और किसने सन्देश भेजा...अनुत्तरित ही है!

2-लेखक दिखाते हैं कि लॉ एंड आर्डर असल में ध्रुव और नक्षत्र है! जानकार बहुत ख़ुशी हुई....पर “काउंसिलर” क्यूँ अचानक से उस कमरे से गायब हो जाता है..वो क्यूँ नहीं सामने आया? आखिर ध्रुव के ऊपर ऐसा कौन सा आदमी है..जिसकी पूरे विश्व तक पहुँच है और ध्रुव उसको इतने बड़े सेटअप का incharge बना देता है! उसको भी उजागर कर दिया जाता तो ज्यादा बेहतर लगता!

>लेखक द्वारा जो स्पष्टीकरण नहीं दिए गए उनपर नज़र-

1-हमने मौत का मैराथन में पूछा था कि Badman तमाम गैजेट्स लेकर नारका में कैसे दाखिल हुआ....उसका लेखक ने कोई जवाब नहीं दिया! बजाय नए नाटक दिखाने के कि टास्क पूरे होने के बाद सिर्फ कुछ घंटे के समय में बौना वामन ने नारका जेल ब्रेक करी, जो चुम्बा ध्रुव ने नारका जेल पहुँचाया था...उसको भी अपने साथ छुड़ा लाया! वहां से सभी ने नताशा और हैमर को अपने साथ लिया....और आ गए लड़ने! लेखक एक तरफ लिखते हैं कि नारका जेल सबसे सुरक्षित और उन्नत जेल है..दूसरी तरफ आपके दूसरे लेखक मंदार गंगेले जी थे...एक पूरी सीरीज उस सुरक्षित और उन्नत जेल को तोड़ने पर लिख चुके हैं....और आज आप बिना ब्रेकआउट का एक भी सीन लिखे...पाठको को नारका में से 2 बड़े अपराधियों के भागने  की खबर दे रहे हैं? टास्क पूरे होने के बाद आपने जो यह सभी विलेन्स के साथ WAR वालों की लड़ाई पेल दी..उसकी कोई जरूरत नहीं थी...सिवाय पेज खींचे जाने के! वो सब लोग बर्बाद हो चुके थे..और उन्हें इतनी हिम्मत नहीं हो सकती थी..कि सीधे पुलिस-प्रशासन पर ही हमला करने चले आते! वो भी तब जब नारका वाले पीछे पड़े हो.....आज से पहले भी कई विलेनों को हीरो ने तबाह किया..वो अंडरग्राउंड होना ज्यादा बेहतर समझते थे...और चुम्बा डरपोक जाने कब से इतना दिलेर हो गया..कि खाली हाथ लड़ने चला आया! Total waste बिना किसी लॉजिक की fight!

2-तिल्सिम आयाम..क्या कमाल की बात है..कि जिस तिलिस्म में 3 लोग थे...इस कॉमिक्स में बस 2 लोग दिखाए गए हैं..लेखक तीसरे जमूरे “किंग” को गायब कर दिए! असल में राज कॉमिक्स के पाठक हमेशा मान लेने पर ज्यादा विश्वास करते हैं..मान लो ऐसा हो गया..वैसा हो गया..इसलिए लेखक भी ऐसा हो गया..जिससे वैसा हो गया करके कुछ भी लिखकर दिखा देते हैं...इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो accurate कितना है! यहाँ पर परेशानी तब हो जाती है कि जब पहले किसी और लेखक ने कुछ लिखा था...अब नए लेखक कुछ लिख देते हैं! किंग के साथ क्या हुआ..यह तो बताया नहीं...पर यह बता दिया कि नागदंत के अन्दर सारा विष खत्म हो चुका है! अगर विष खत्म हो गया है..तो उसकी नाग शक्तियां भी तो खत्म हो गई हैं! विष नहीं = नागशक्तियां नहीं! सिंपल सी बात है! अगर नागदंत में वापस नागशक्तियाँ पनपनी होंगी..तो सिर्फ उसके अपने विष में पनपेंगी..यह नहीं गली-कूचे का सांप पकड़कर उसका ज़हर पी लिया..और बन गए शक्तिमान! लेकिन RC के पाठक दिमाग कम लगाते हैं..उन्हें याद दिलाना पड़ता है..तभी मानते हैं...तो ऐसा एक बार हुआ था “कलियुग” कॉमिक्स में जब...नागराज को ऐसे ही नागमणि ने एंटीडोट दे दिया था...उसका ज़हर ख़त्म हो रहा था..तब उसने उन्ही फलों का सेवन किया..जिसमे देव कालजयी का विष था...किसी कोबरा को नहीं चबा लिया था! यहाँ नागमणि उस उजाड़ तिलिस्म में बिना किसी प्रयोगशाला के खड़े-खड़े यह सब कारनामे अंजाम दे रहा है, जिसके सिर-पैर गायब है! विषहीन नागदंत के अन्दर नागमणि अपने शरीर से एक इंजेक्शन में लेकर विष डाल देता है! नागमणि के अन्दर जो विष था..वो “नागार्जुन” का विष है..और उसमे एंटीडोट भी मिली हुई है..वरना नागमणि जिंदा नहीं बचता! अब गौर यह किया जा सकता है कि नागार्जुन जैसे एक आम इच्छाधारी सर्प के “पनियल-विष” से नागदंत को असीमित शक्तियां कैसे प्राप्त हो सकती हैं? सिर्फ प्राप्त ही नहीं हो रही..बल्कि नागदंत की विषफुंकार भी ज्यादा मारक हो गई है..इतनी ज्यादा कि नागरानी भी नहीं टिक पाई! वो नागरानी जिसकी शक्तियां नागराज तक को पानी पिलाने की कुव्वत रखती हैं!

Equation यह दिखाया गया कि नागार्जुन = नागरानी??? सच में? हज़म हुआ किसी को?

दूसरी चीज़ कि वो तिलिस्म महान तिलिस्म ज्ञाता वेदाचार्य की पोती भारती का बनाया हुआ था! जिसमे इतनी ताकत थी कि किंग क्लैन वालो को रोक सके....अगर वो इतना ही कमजोर होता कि नागदंत की नागार्जुन वाली पनियल विषफुंकार से खुल जाए..तो भारती के ज्ञान पर कलंक लगा दिया गया है! बहुत ही हल्कापन था इस आईडिया में कि तिलिस्म इतनी आसानी से खुल गया! "अंतर्द्वंद" कॉमिक्स के पेज-14 के अनुसार भी तिलिस्म हमेशा कई चरणों में बनाया जाता है..जिसमे हर एक चरण पिछले से अधिक जटिल होता है!" यहाँ कोई चरण था ही नहीं!
अनुपम जी इस प्रसंग को ज्यादा बेहतर तरीके से जरूर दिखाते! लेकिन आज की डेट में जो दिखाया गया है बस यही सत्य बन गया है...लेकिन हकीकत में बेहद कमजोर सीन लिखा गया है यह!

3-तिलिस्म तो असल पृथ्वी पर बना हुआ था...जाने क्यूँ लेखक ने यहाँ पर तिलिस्म को आयाम का नाम दे दिया है...बाद में पता चला यह गोरखधंदा इसलिए किया गया ताकि तिलिस्म को नागरानी के आयाम से जुड़ा दिखा दिया जाए! आज से पहले भी नागराज की कहानियों में कई तिलिस्म दिखाए गए थे...लेकिन वो कोई आयाम नहीं होते थे...उदाहरण अग्रज सीरीज पढ़िए...कहीं भी आयाम शब्द का जिक्र नहीं हुआ है! ना तो भारती में कोई नया आयाम खड़ा करने की शक्ति है...फिर लेखक यहाँ कैसे आयाम लिख रहे हैं..भगवान् जाने! अनुपम जी को अगर आयाम बनवाना होता तो वेनोम में वो सीधे लिखते कि आयाम में भेजा है..तिलिस्म में क्यूँ लिखते??

4-यह नागदंड वाला नाटक तो हमेशा हमारे आयाम की विसर्पी किया करती थी..लेखक ने एक दंड अब नागरानी को भी थमा दिया और exact वही काम कर दिया कि नागरानी को वैसे ही उठाकर नागराज के पास ले आये जैसे विसर्पी आ जाती है! कमाल की नई सोच है! मतलब अब जब भी नागरानी या नागीश पर कोई संकट parallel earth पर आएगा...नागदंड के पास एक ही उपाय होगा..आयाम खोला और नागरानी को स्नेक आईज के दफ्तर में पटक दिया! याद रखियेगा सभी पाठक! यह एक महत्वपूर्ण सूचना है! अगर सिर्फ नागदंडों से आयाम खुल जाया करते..तो नागराज....फुंकार,अवशेष,नागायण सब जगह बस दंड पकड़ा घूम आता! अभी जो लेखक नितिन मिश्रा आखिरी सीरीज में सबको आयाम-छायाम की छैयां-छैयां करवा रहे हैं...उसमे कहीं ना कहीं नागरानी और विसर्पी होंगी...दोनों से कहिये...दंड घुमाए..और सबको अपने अपने आयाम में भेज दें!

5-टिक-टोक..टिक-टोक..टिक-टोक..करणवशी त्रिनाग पठार पर मोर्निंग वाक पर निकलता है....चलता-चलता पहुँच जाता है एक भवन के अन्दर संदूक में रखी “नागनिरंजनी” को खोल देता है! अच्छा...हमें लगा था शायद यह होगी कुछ 20-22 लाख की कोई सोने की मूर्ती! उजाड़ वन में भिखारी के हाथ लग गई होगी! थोड़ी देर में पता चला कि अरे यह  “नागनिरंजनी” तो बड़ी शक्तिशाली बला है...इसके चोरी के बारे में नागराज को बता कौन रहे हैं...सुदूर कहीं ब्रह्माण्ड में विचरण करने वाले विष-अमृत नाम के खेलकूद प्रेमियों का मानस रूप! (वहां पर 50 साल की जगह 95-98 साल के बीच का अंक होता)! अब चोरी होते देखने की इस हरकत को इतने करोडो प्रकाश वर्ष वाली दूरी को इनके मानस रूप ने कौन से टेलिस्कोप से पार किया..लेखक जानें! लेकिन “नागनिरंजनी” पर संकट के बारे में अगर सबसे पहली सूचना ब्रह्माण्ड में किसी को होनी चाहिए थी..तो वो महात्मा कालदूत को होनी चाहिए थी! आखिर वही नागद्वीप को संचालित करते हैं..जहाँ सभी नागों का बसेरा है! दूसरी बात “नागनिरंजनी” जैसी अतिमहत्वपूर्ण चीज़ की सुरक्षा का कोई प्रबंध ही नहीं दिखाई दिया..कि करणवशी कितनी आसानी से उस तक पहुँच गया और खोल डाला!

कहानी अभी किस दिशा में जा रही है..स्पष्ट नहीं हुआ! कुछ कहानी पूर्वकाल में चल रही है..कुछ आधुनिक काल में..कुछ दूसरे आयाम में! 60 पेजों के हिसाब से इसकी स्पीड काफी अच्छी थी...बहुत सारी बातें इसमें डाली गई हैं...जिनको बेवज़ह खींचा नहीं गया! इस हिसाब से नितिन मिश्रा जी की तुलना में अनुराग जी कहानी बेहतर हैंडल करते महसूस हो रहे हैं! लेकिन एक बड़ी कमी उनके लेखन में यह नज़र आ रही है कि वो नई कहानी को ठीक से पुरानी कहानी के साथ जुड़ाव नहीं कर पा रहे...यह कमी... मौत का मैराथन में भी थी..लेकिन विषपुत्रों का आगमन में खुलकर सतह पर आ गई है!

आर्टवर्क-

हेमंत कुमार जी का आर्टवर्क ठीक ठाक है! हेमंत जी को सब जानते हैं..कैसे बनाते हैं! कोई ख़ास बदलाव नहीं हुआ है! जैसी मौत का मैराथन का था..वहीँ रुके हुए हैं! आधे पेजों में बैकग्राउंड गायब है..और आधे में जो बनाया है..वो खानापूर्ति है! एक बात साबित हो गई है कि RC में बैकग्राउंड पर मेहनत ना करने   के मामले में हेमंत जी सबसे अव्वल हैं!

विनोद जी और ईश्वर आर्ट्स की इंकिंग है! एवरेज! विनोद जी का नाम हर कॉमिक्स में लिखा होता है लेकिन पेज उन्हें बहुत कम दिए जाते हैं!

कलरिंग- सुनील दस्तूरिया और मोहन प्रभु के द्वारा करी गई रंग सज्जा साधारण है... बहुत ज्यादा इफेक्ट्स नज़र नहीं आते...शब्दांकन MKM की तरह ही है!

टिप्पणी-

अगर आप सतही तौर पर कहानी पढने के शौक़ीन हैं...जहाँ आपको हाथ में रखी कॉमिक्स में जो दिखाया जा रहा है..सिर्फ उससे मतलब रहता है..तो यह एक शानदार,जबरदस्त,जिंदाबाद कॉमिक्स है!
लेकिन अगर आप नई कॉमिक्स को पुरानी कॉमिक्स से लिंक करके पढने वाले पाठकों में से हैं..तो इसमें काफी कमियां मौजूद हैं! जो आपके स्वाद को कसैला बना देती हैं!

इसलिए आप अपने-अपने हिसाब से तय कर सकते हैं..कि यह कॉमिक आपकी कसौटी पर खरी उतरी या नहीं!

निष्कर्ष-

राज कॉमिक्स ने बताया था कि विस्तार सीरीज का असल मकसद सर्वनायक के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाना है! WAR में कौन-कौन लोग शामिल होंगे..उनके टास्क पहले भी महत्वपूर्ण नहीं थे...लेकिन दिखाए गए...और अब अधूरी तरह से पटाक्षेप कर दिए गए हैं! और इसमें अब तक ऐसा कुछ भी महत्वपूर्ण प्रसंग नज़र नहीं आया..जो असल सर्वनायक को संभाल सके...उलटे कई नए प्रश्न पैदा होने और शुरू हो गए! अब यह “नागनिरंजनी” की चोरी रोकना कहीं से भी सर्वनायक में mention नहीं था...यह एक अलग ही कहानी लिखी जाती प्रतीत हो रही है! और यह निराशाजनक है कि पाठको को धोखे में रखकर एक नई अलहदा सीरीज शुरू कर दी गई है! इस सीरीज के भविष्य के बारे पाठक अपनी बुद्धि से सोचकर फैसला लें!

पाठकों से अनुरोध- अगला भाग विषक्षेत्र संरक्षणम भारी संख्या में खरीदें, RC  और रचनाकारों  को मालामाल बनाएं!

Ratings :
Story...★★★★☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★★★☆☆☆
Entertainment……★★★★★★☆☆☆☆

#Rajcomics,#Dhruva,#Nitinmishra,#Anuragkumarsingh,#Hemantkumar,#Vishputronkaaagman,#Nagraj

BRAHMAND YODDHA

Review- ब्रहमांड योद्धा (2015)
Containing Spoilers (जिनको रिव्यु देखना नहीं पसंद हैं..वो कृपया अपना समय इसको पढ़कर नष्ट ना करें!)
24 Pages/70 Panels (Avg.  3  Panels per page).
Genre-Action-Adventure,Sci-Fi
Main character(s)- ध्रुव,परमाणु,कारा!

Short Synopsis -

आखिरी सीरीज का तीसरा भाग आपके हाथो में है! कहानी का सार यह है कि पहले ही पेज में पूर्वसार ठोका गया है! (जैसे पिछले 2 पार्ट्स में 10 बातें दिखाई थी..कि पाठक भूल गए) इसके बाद कॉमिक्स के 23 में से 17 पेज परमाणु,ध्रुव,कारा दिखाए गए हैं! जो यहाँ से वहां भटक रहे हैं....अटैक होता है..एक्शन होता है..फिर अटैक होता है..फिर एक्शन होता है...फिर अटैक होता है..फिर नागराज की सर्प रस्सी आ जाती है! बच्चों,बजाओ तालियाँ! बाकी पेजों में कुछ खास नहीं है..डोगा-स्टील-गगन-तिरंगा-विनाशदूत शक्ल दिखाकर कल्टी मार गए!

कहानी कैसी है?
पहले ध्यान दीजिए कि अब हो गए हैं कहानी के 72 पेज! और अब तक पाठको की झोली में सिर्फ एक चीज़ गिरी है....जिसका नाम है-
कॉस्मिक इम्बैलेंस
कॉस्मिक इम्बैलेंस
कॉस्मिक इम्बैलेंस
आदरणीय लेखक साहब पहले पार्ट में ही आपके तुच्छ पाठकों को पता चल गया...कि आपके द्वारा रचित महान खोज “कॉस्मिक इम्बैलेंस” की वज़ह से सारे ग्रहों के वासी यहाँ से वहां हो रहे हैं....अब कितनी बार इस शब्द को दोहराते रहेंगे सर ???... हर दूसरे पन्ने पर यही शब्द वापस याद दिलाया जाता है...लेकिन आप आगे की बात लिखते ही नहीं...बस कॉस्मिक इम्बैलेंस  हो जाता है...और परमाणु कहीं दूसरे शहर पहुंचा दिया जाता है..वहां नई जाति के परग्रही दिखाकर फिर से कॉस्मिक इम्बैलेंस हो जाता है...फिर परमाणु नई जगह पहुँच जाता है! अरे आगे भी तो बढिए ना सर...एक छोटा सा..बस थोडा सा….हाँ!
एक परग्रही अहिंसावादी है...दूसरा हिंसक है...किसी के मियां-बीवी हैं..किसी का पूरा गाँव बाराती बना हुआ है...हमें इन सबका बायोडाटा क्यूँ रटवा रहे हैं सर...हम क्या इनके राशन कार्ड बनायेंगे यह सब जानकार! हमें पुराने लेखक यह सब सालों पहले बता चुके कि हर ग्रह पर अलग अलग तरह के जीव रहते हैं! उनकी भाषा :+रुB;’;=-=,झ/रु+--= आपको तक समझ आ नहीं रही...पर हमें समझाने में लगे हुए हैं! रुक जाइये सर...पाठक मर जायेंगे..इतनी हाई लेवल लैंग्वेज पढ़कर!

आदरणीय लेखक जी ने एक ही सिंगल लाइन हर हीरो पर फिट करी जा रही है..गगन तिरंगा और विनाशदूत कहानी में हैं..पर वही सब कर रहे हैं..जो डोगा-स्टील और भेड़िया-शक्ति ने किया था! देख मेरे भाई.... मैंने वार किया...पर असर नहीं हुआ..हाँ यार दूसरा वार कर..तीसरा कर..चौथा कर! असर होने तक करता रह! एक्शन की भी ओवरडोज़ कर दी...इन हीरोज़ का पिछली 2 कॉमिक्स में एक्शन झाड़कर मन नहीं भरा तो इस तीसरे में भी वही सब दिखा दिया!

आदरणीय लेखक जी की चमत्कारिक लेखनी देखिये...परमाणु और ध्रुव पहली कॉमिक्स में SATI पर ही होश आये....तब दोनों ने सबकुछ देखा..पर नहीं दिखा...तब परमाणु को महसूस नहीं हुआ..कि उसके अन्दर की ऊर्जा वहीँ आस-पास है...यह तो आप सब जानते ही हैं कि परमाणु की सभी शक्तियां हज़ार गुणा amplify कर गई हैं...तो जो ऊर्जा पहले उसके अन्दर थी..उसका आभास वहीँ मौजूद मशीन से चल जाना चाहिए थे..हमें तो यही लगा था कि SATI में कुछ मिला ही नहीं..पहले शायद लेखक यह कह सकते थे..कि वो मशीन कहीं अन्दर जाकर छुपी होगी..जो नज़र नहीं आई...लेकिन पेज-22 पर साफ़ दिख रहा है कि वो मशीन बिल्डिंग के बाहरी हिस्से में बिलकुल साफ़-साफ़ खुली पड़ी है! लेखक परमाणु से  पूरी दुनिया का चक्कर कटवाकर पाठको की जेब से पैसे निकाल चुके...तो अब U-Turn मारकर वापस दोनों को SATI ले आये...कि भैया असल रसगुल्ला तो यहीं छुपा था..आओ चाशनी समेत गप्प कर लो! परमाणु अन्दर घुसा पर लेखक सोचे अरे, पाठकों को इतना घुमाया है तो इतनी जल्दी कैसे सब सही कर दूँ...वो हरी मौत को भी कहानी में ठूंस देता हूँ..2-3 पार्ट्स और खींच लूँगा! जो सीरीज परमाणु-ध्रुव की 2 इन 1 बोलकर शुरू करी थी..उसको बदलकर मिनी सर्वनायक जैसी ही बना दी है!
ध्रुव के एक्शन सीन में दिखाई गई गप्प पढ़कर पाठक अपना माथा पीट सकते हैं!  मैक्ट्रायम ग्रह के जो मैक्ट्रीयम्स कोम्बटर्स परमाणु को मारने आते हैं...उनके अन्दर उड़ने की शक्ति भी मौजूद थी...इसके लिए पेज 8-12 को देखा जा सकता है..जिसमे कई मैक्ट्रीयम्स उड़ते हुए नज़र आयेंगे...लेकिन ध्रुव उन्हें एक संकरी सी पहाड़ के बीच इसलिए फंसा देता है..क्यूंकि उन्होंने बजाय उड़कर पीछा करने के ज़मीन पर कदम रखे थे! पहले तो यही बचकाना लगता है कि जिन मशीनों के अन्दर यह कमांड है कि वो किसी भी हाल में उत्तरजीवी को खत्म करें..वो अपना मशीनी दिमाग लगाकर एक दूसरे निहत्थे आम आदमी के पीछे क्यूँ भागेंगे..और ऐसा करेंगे भी तो सिर्फ एक-दो... ना कि पूरी फ़ौज! एक चींटी जैसा ध्रुव भीमकाय मैक्ट्रीयम्स का ध्यान अपनी तरफ कैसे लाया...यह दिखाया भी नहीं गया...वो सपाट पहाड़ियों के बीच में अपनी स्टार लाइन कितनी दूरी तक फंसा सकता था...और कहाँ पर..यह भी नहीं दिखाया गया! सिर्फ बाद में नौटंकी झाडी गई..कि वाह ध्रुव क्या दिमाग पाया है! अरे कारा ....ख़ाक दिमाग पाया है....ध्रुव को बर्बाद कर दिया इस सीरीज में! सिर्फ कह दिया..कि ऐसा ऐसा हो गया है! घोर निराशाजनक!
आदरणीय लेखक जी आज के समय में उच्च कोटि के व्यापारिक लेखक हैं...नए लेखकों को इनसे सीखना चाहिए कि कैसे 1 लाइन के प्लाट पर 10 पार्ट्स की सीरीज ठोकी जा सकती है! पुराने लेखकों ने गलती कर दी...90-120 पेज में पूरी मल्टीस्टारर कहानी लिख डालते थे...अगर आपकी तरह उनके अन्दर व्यापारिक सोच होती तो वो भी एक लाइन पर सीरीज लिखकर काफी पैसा उगाह सकते थे, पर उनके अन्दर आपकी तरह दूरदर्शिता नहीं थी!  पहले यही कहानी जहाँ 40 रुपये देकर 120 पेज में पूरी हो जाती...आज 240 पेज, डेढ़ साल का इन्तेज़ार और 400 रूपए देने के बाद भी गारंटी नहीं देती..कि आखिर में समाप्त लिखा दिख ही जाए! सर आपको साहित्य अवार्ड दिया जाना चाहिए! (जिसको वापस कर देना बाद में)!

आर्टवर्क- टोटल पिछले 2 भाग जैसा! नाम हमेशा की तरह धीरज जी का है..लेकिन काम किसका है..यह बस भगवान् जाने! इतने अलग-अलग चेहरे ध्रुव के बनाए हुए हैं..कि कोई नहीं कहेगा कि यह इतने अनुभवी आर्टिस्ट का काम है!

टिप्पणी-
ब्रह्माण्ड योद्धा में कहानी रत्ती भर भी आगे नहीं बढ़ी है..कहानी खींचकर बस और एक पार्ट बढ़ा दिया है!
रिव्यु जारी रहेगा विश्व रक्षक में...
पाठकों से अनुरोध - अगला भाग “विश्व रक्षक” भारी संख्या में खरीदें, RC और रचनाकारों  को मालामाल बनाएं!

Ratings :
Story...★★☆☆☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★☆☆☆☆☆☆
Entertainment……★★☆☆☆☆☆☆☆☆

#Dheerajverma,#Nitinmishra,#BrahmandYoddha,#Rajcomics,#scd,#parmanu


DOGA NYAAY

Review- डोगा न्याय (2015)
Containing Spoilers (जिनको रिव्यु देखना नहीं पसंद हैं..वो कृपया अपना समय इसको पढ़कर नष्ट ना करें!)
24 Pages/98 Panels (Approx. 4 Panels per page).
Genre-Action
Main character(s)- डोगा,लोमड़ी,निर्मूलक,इंस्पेक्टर तेजा!

Short Synopsis -

डोगा बेकाबू  के पिछले भाग से यह 23 पेज का दूसरा भाग आगे बढ़ता है! यहाँ 3 मुख्य बातें हैं-
A- पुलिस पार्टी के हाथों डोगा का बचना!
B- निर्मूलक के हाथो डोगा का पिटना!
C- लोमड़ी के हाथों निर्मूलक का पिटना!

सिर्फ 23 पेज की कॉमिक्स के बारे में सबसे बेसिक बात यह होती है कि 23 पेज की कहानी में मज़ा तभी आएगा जब आपको पढने के लिए नई-नई चीज़ें मिलें! आइये देखते हैं डोगा न्याय में क्या मिल रहा है!

1-कवर से शुरू करिए...डोगा छत पर कुलांचे मारता लोमड़ी के पीछे लगा हुआ है! अन्दर की कॉमिक्स में झाँका तो कहीं ऐसा कोई पेज नहीं है! एक अच्छी लेखक जोड़ी की यही पहचान है..कि जो बाहर दिखाओ..अन्दर बिल्कुल मत दिखाओ! शायद इससे कॉमिक्स बिकने में मुश्किल आती है!

2- अच्छी लेखक जोड़ी की दूसरी पहचान यह है कि जब आपके पास 24 पेज 40 रुपये में देने की डील हो..तो सबसे पहले First  पेज पर कथासार लिखो! क्यूंकि यहाँ सारे पाठक Long Term Memory Loss के मरीज़ हैं जिन्हें पिछले 45 पेज की कहानी याद दिलानी पड़ेगी!

3-कहानी पेज-2 से शुरू करो...जिसमे दो पुलिस वाले बैठे हो! मुझे डोगा चाहिए-जिंदा या मुर्दा...जिनके पीछे से ऊपर वालो और नीचे से TV  वालो ने फलाना-ढिमका किया हुआ हो! 18734 वी बार डोगा की कहानी में यह सीन दिखाया गया है! फिर भी पूछो तो कहा जाएगा “बिल्कुल नया-नया लिखा गया क्रांतिकारी सीन है जी!” 23 में  से  2 बहुमुल्य पन्ने और खराब!

4-डोगा एक गुंडे को टोर्चर करके जानकारी निकाल रहा है! सीन तो यह भी नया नहीं है...पर सवाल छोड़ जाता है कि निर्मूलक या युसुफ (जिसने भी इस गुंडे को मरवाया) उसको कैसे पता था कि पूरे अंडरवर्ल्ड में डोगा सवाल पूछने इसके पास ही आएगा? (डोगा की भागदौड़ को एडिटिंग खा गई)

5-आज तक यह समझ नहीं आया कि “सो जा डोगा” में मिली जबरदस्त चुम्मी के बाद आनंदमयी डोगा जब लोमड़ी को दिल से मारना नहीं चाहता तो आखिर हर बार उसपर गोली चलाकर क्या दिखाने की कोशिश होती है? काली मिर्च चाचा का अचूक निशानेबाज़ शिष्य है डोगा...और पेज- 7 पर 4 फुट दूरी पर  पीठ किये भाग रही लोमड़ी पर डोगा का निशाना नहीं लग रहा! लेखक जोड़ी, यह बताएं कि डोगा की अजीम शख्सियत की मिटटी पलीत करना कब बंद करेंगे?

6-ये तेजा-तेजा क्या है..ये तेजा-तेजा!
कोई अनजान आदमी मुंबई पुलिस को टिप देगा कि करोडो रुपये ईनामी वाला अपराधी डोगा एक ख़ास जगह पर रात में आएगा...तो आप ही बताइए पुलिस क्या इंतज़ाम करेगी? हम बताते हैं..2002 में एक कॉमिक्स आई थी “निशाने पर डोगा“ उसके अंतिम पेज देखिये कि डोगा के आने वाले इलाके को एक पूरी छावनी में तब्दील कर दिया गया था! प्रस्तुत कॉमिक्स में क्या हुआ है? एक इंस्पेक्टर(6 गोली वाले रिवाल्वर के साथ) और 6 सिपाहियों (303 वालों) की भारी-भरकम टीम लेखक ने डोगा को पकड़ने के लिए बनाई थी! लेखक साहब दुनिया आगे बढती है...आपकी पुलिसिया सोच पीछे जाती हुई लग रही है! देखिये कहीं इतनी पीछे ना पहुँच जाए कि डोगा को पकड़ने पाकिस्तान पुलिस के 1970 के रिटायर्ड ठुल्ले मुंबई आ जाएँ! आपके लेखन और डोगा पकड़ने की सोच को सलाम!

7-तो जैसी की आशा थी कि नकली डोगा वाला आईडिया बेहद बचकाना था... लेखक जोड़ी ने कोई चौंकाने वाला खुलासा किये बगैर वही दिखाया जो पहले से सब जानते थे! यही अच्छे लेखन की पहचान है....fans की सोच से पीछे चलो! जब निर्मूलक को पहली दफा ad में देखा था तो लगा था कि शायद लेखक जोड़ी इस बार एक ऐसा जांबाज़ लड़ाका लेकर आये हैं,जो डोगा पर हर कदम भारी पड़ेगा....लेकिन लोमड़ी जैसी अकुशल लडाकी ने निर्मूलक को इस भाग में जिस आसानी से पेला है...हमारी तो इस विलेन की “मर्दानगी” से जुडी सारी आशाएं ही खत्म हो गई! 2002 के पहले का दौर सुहाना था...जब लड़ने वाले बराबर के होते थे...अब तो डोगा जैसे मर्द के लिए 2 लेखक दिमाग लगाकर भी सिर्फ छक्को की फ़ौज बनाते हैं!

8-हमने डोगा को सैकड़ों कॉमिक्स में पढ़ा है...उसके अन्दर के जूनून को करीब से महसूस किया....और कभी यह नहीं लगा कि बुरी तरह घायल होकर भी वो किसी के द्वारा 2-4 वार खाकर बेहोश हो सकता है ताकि विलेन उसके मास्क को हटा सके ऐसी स्तिथी उत्पन्न होने की सम्भावना बने! डोगा इतना कमजोर नहीं था! पर इस कॉमिक्स में यही हुआ है..वो लापरवाह है...कमजोर है और बहुत ज्यादा बचकाना है! अगर लोमड़ी ना होती (जैसा हमेशा होता है यह कहानी अपवाद है) तो निर्मूलक आसानी से जान जाता कि डोगा का चेहरा किसका है! इसका कोई जवाब लेखक नहीं दे सकते! सिर्फ यह कहने के कि डोगा की कहानियां अब किस्मत के भरोसे चल रही हैं! यह समझ से बाहर है कि डोगा जिस लोमड़ी पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं करता..उसके सामने बेहोश क्यूँ हो गया...क्यूँ नहीं बुलाई उसने अपनी कुत्ता फ़ौज? जो उसके राज़ और सुरक्षा को हमेशा पुख्ता करती है! फिर अचानक से हमें याद आया...कि मियाँ अभी तो लेखक साहब ने हम सबको एक जोरदार बारिश के दर्शन करवाए थे...और जहाँ तक हमारी जानकारी कहती है...पिटे-पिटाए,दिमाग घूमते  हीरो के लिए बारिश हमेशा ही वरदान होती है..जो उसको बेहोशी से बचाकर ज्यादा चौकन्ना बना देती है! मतलब यहाँ डोगा के साथ बारिश ने उल्टा खेल दिखाया है! शायद बरसात के पानी में अफीम मिली थी...वाह हम लेखन की गहराई को मान गए! मर्दों का मर्द निर्मूलक के हाथो 4 वार खाकर बेहोश हो गया और यह बेहोशी भी ऐसी...जो गटर की गंदगी में लोट लगाने और घंटों सूंघी गई बदबूदार सुगंध से भी ना भागी!

डोगा के किरदार की ऐसी विरोधी कॉमिक्स लिखने के लिए लेखको का अभिनन्दन किया जाना चाहिए!

Positive Point-

सिर्फ एक- डोगा और निर्मूलक के बीच वाद-विवाद! जो कुछ हद्द तक सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि डोगा की शख्सियत का वजूद अगर होना चाहिए तो किस कारणों से होना चाहिए!

संवाद- पुरानी धूल झाडो और नई में फिट कर दो!...सारे किरदार सिर्फ पुरानी बातें ही रटे हुए तोते की तरह बोले जा रहे हैं...ना पुलिस द्वारा दी गई धमकी में कुछ नया था..ना डोगा के जवाब में...निर्मूलक और डोगा के बीच भी कोई गर्मागर्मी ऐसी नहीं होती जिसको देखकर जोश जागे....लोमड़ी कहती है कि सूरज पर डोगा हावी हो रहा है..लेकिन इस कहानी में बार-बार लोमड़ी पर मोनिका भी हावी होती नज़र आने लगी है!
“अरे,सूरज बेटा..तुम हो क्या...छि-छि हो गई बेटा!” अदरकेया का ऐसा कोई संवाद अंत में लिख देते तो शायद हमें हँसी आ जाती! :P

RC से बस यही कहना है कि डोगा की यह कहानी हर भाग के साथ सिर्फ नीचे और नीचे चली जा रही है और इसको जबरदस्ती खींचा जा रहा है! 72 पेज पढने के बाद भी अब तक समझ नहीं आया कि इसका मुख्य मुद्दा आखिर है क्या? कहानी आपके पास है नहीं..नए संवाद आपको सूझते नहीं...तो आप पार्ट्स निकालकर क्यूँ समय और संसाधन बर्बाद करना चाहते हैं! इस सीरीज की  बची हुई कहानी को एक महाविशेषांक में देकर fans को कृतार्थ करें!

आर्टवर्क-

दिलदीप जी ने चित्रकारी तो अच्छी करी थी..मगर जैसा हर बार होता आया है...राज कॉमिक्स ने इस बार विनोद कुमार जी की सेवाएं ना लेकर ईश्वर आर्ट्स और स्वाति जी को मौका दिया है और आर्टवर्क का जो लेवल  इस कहानी को बचा रहा था..वो भी इस बार शहीद हो गया! पहला पेज अच्छा था! फिर आगे मज़ा नहीं आया! क्यूंकि इस बार डोगा स्वाति जी की हस्तकला के नीचे आकर कराह रहा है! पूरी कॉमिक्स में बरसात हो रही है...और ना जाने क्यूँ यह बरसात हमें याद दिलाती है जब सुरेश डिगवाल और आत्माराम पुंड की जोड़ी...जो एक वक़्त परमाणु और डोगा का ऐसा ही बेमज़ा आर्ट बनाया करती थी! इंकिंग में ईश्वर आर्ट्स भी ख़ास प्रभावित नहीं कर पाते हैं....लेकिन पेज 18 के बाद तो काम का हे-राम ही हो गया है! अदरक चाचा कितने खराब लग रहे हैं!
रंगों और इफेक्ट्स का अचार डालकर कोई फायदा नहीं...इंकिंग ऐसी ही करवानी है तो एक एहसान और करिए...फ्लैट कलर में यह सीरीज निकालिए..और दाम 30 रुपये कर दीजिये!

सीरीज में जाने कब इसमें कुछ नया दिखाया जाएगा और ना जाने कब विनोद जी आयेंगे या नहीं आये तो बचा भी क्या है!

पाठकों से अनुरोध - अगला भाग डोगा उन्मत्त भारी संख्या में खरीदें, RC और रचनाकारों  को मालामाल बनाएं!

Ratings :
Story...★★☆☆☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★☆☆☆☆☆
Pencil.... ★★★★★★★★☆☆
Inking.... ★★★★☆☆☆☆☆☆
Entertainment……★★☆☆☆☆☆☆☆☆

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Monday 31 August 2015

CARAVAN (2015)




Review- कारवां (2015) Rating-TEEN
Caution- Containing Minor Spoilers..Read at your own Risk
88 Pages/320 Panels (Avg. 4 Panels per page).
Genre- Vampire-Horror,
Action,Comedy
Main character(s)- जय सिंह राठोड,आसिफ,भैरों सिंह,दुर्गा,भैरवी!

इस कहानी के बारे में बात करनी हो तो हमें पहले यह पूछना पड़ेगा कि आपकी उम्र क्या है? क्या आप पुरुष हैं या महिलाएं भी इस लेख को पढ़ रही हैं? बच्चे तो अगर 15 साल की उम्र पार कर चुके हैं तो कदाचित उन्हें इस श्रेणी में रखा जा सकता है कि कारवां के बारे में उनसे बात करी जा सके!
कारवां पर अब तक अनगिनत लोगों ने अपनी राय ज़ाहिर करी है तो किसी नए लेख में नया पढने की बात अब मुश्किल से मिलती है! कोई क्या नया बताएगा! सभी ने इसको English में भी पसंद किया था! जिसके बाद बढती डिमांड ने इसको हिंदी में भी पब्लिश करवा दिया है! बजाय इस बात को देखे कि यह भारत में सबसे अग्रणी कॉमिक्स कम्पनीज की ना होकर एक बिलकुल नए पब्लिकेशन द्वारा बनाई गई रचना है!
आपके अन्दर पहली चीज़ होती है वफादारी और भरोसा! वफादारी उस कंपनी की तरफ जिसको आप सालों से पढ़ते आ रहे हैं...कि वो कुछ भी निकाले आप लेते जरूर हैं! भरोसा आता है कि जो आपने सालों तक पढ़ा है...वैसा ही आगे भी मिलता रहे!
याली ड्रीम क्रिएशन के पास यह दोनों ही चीज़ें कारवां निकालने के लिए नहीं थी! यहाँ तक की उसके पास पाठक तक नहीं थे जिनसे वो जुड़ सके! उसके पास सिर्फ एक चीज़ रही वो थी “उम्मीद” कि वो कुछ ऐसा निकालें जो पाठको का जायका बदलकर उनका मनोरंजन कर सके और नए रास्ते खुलें!
भारत में कॉमिक मेकिंग करते हुए आम तौर पर सबसे पहले किसी सुपर हीरो को बनाया जाता था! पुराने समय में फैंटम से लेकर बाद में कई कंपनियां इसी परिपाटी पर चलते हुए आज भी काम करती जा रही हैं! एक तौर पर अगर आपके पीछे सुपर हीरो base बनाया हुआ है तभी आप General storylines पर बड़ा दांव खेलने की हालात में होते हैं! क्यूंकि अगर देखा जाए तो आज भी Horror Genre भारतीय कॉमिक्स के लिए एक दोयम दर्जे का विषय बना हुआ है! पता नहीं प्रकाशको का उदासीन रवैया रहा हो या उनका कोई पूर्वालोकन कि हॉरर का विषय उन्हें कभी इस लायक लगा ही नहीं कि रेगुलर किया जा सके! कभी मन हुआ तो एक आध भूत-प्रेत की कॉमिक्स निकाल कर इतिश्री कर ली गई! ना चलने का ठीकरा पाठको के सिर पर फोड़ा जाता है कि मांग नहीं होती! अब कोई बताये कि क्या पाठको के अलग अलग बने वर्गों के हिसाब से बाज़ार में किताबें नहीं मिलती हैं! पढने वाले हर जगह हैं..आप अपनी नज़रें दूर तक देखने के लिए इस्तेमाल करिए..आपको दिख जायेंगे!
हॉरर विषय पर पहले कई कॉमिक्स बनने का दावा किया गया है! लेकिन हमें लगता है कि “Pure Horror” की कॉमिक्स में बहुत कमी रही है! अगर THS और Dark Tales की कहानियां बनाकर/पढ़कर कोई समझे कि उसने Horror Genre को पूरी तरह से explore कर दिया है..तो यह सिवाय बेवकूफी के और कुछ नहीं है! Horror सिर्फ Main Genre होती है...लेकिन उसके अन्दर बहुत सारी Sub-Genres होती हैं!
जैसे-Zombie,Slasher,Supernatural,Zom-Com,Vampire,Cannibalism,Gothic,Monster,Teen etc etc...यहाँ तक की romantic Horror भी एक अलग केटेगरी में आती हैं! अब हमें समझ नहीं आता कि कोई यह दावा कैसे कर सकता है कि पहले जो आया वो इससे बेहतर था या नहीं भी था! क्यूंकि ऐसा दावा करने से पहले सोचना चाहिए कि आप किसकी तुलना किसके साथ करना चाहते हैं! अगर Action की तुलना Action कॉमिक्स से करी जाए तो समझ आता है...लेकिन Action की तुलना कोई अगर Comedy से करे..फिर कहे कि यार सारी कॉमिक्स में सिर्फ हंसनेवाले वाले थे..एक्शन था नहीं इसलिए बकवास लगी.. ऐसे आधे ज्ञान का कचरा पूरी बेवकूफी से ज्यादा घातक होता है!

कारवां “Pure Horror” नहीं है...भारत के ज्यादातर लोग हॉरर मतलब भूत-भूतनी से लगाते हैं...कोई साया,मंत्र-तंत्र या शैतानी शक्ल वाला भीमकाय आदमी! इसलिए यह ऐसी कॉमिक्स नहीं है..जिसको पहले बताया जाये...फिर सोचा जाए कि ऐसा सोचा था पर निकला कुछ और..जिससे धोखा हो गया!
इसलिए हम यही कहेंगे कि दूसरो के कहने पर ना जाएँ...खुद पढ़ें और निर्णय लें कि इसको हॉरर कहें या जो आपको महसूस होता है वो!
कारवां एक सम्पूर्ण कहानी है...जो सुन्दरता के साथ लिखी गई और फिर उससे अधिक सुन्दरता के साथ इसको चित्रित करा गया! हर पन्ना आपको विस्मित कर देता है और आगे की उत्सुकता बढती जाती है!
यहाँ कोई सुपर हीरो नहीं है..अपितु यह पूरी कहानी ही एक सुपर हीरो जैसी है जिसका हर किरदार सहायक पात्र जैसा नज़र आता है! जिस तरह से किसी शर्ट में लगे बटन...एक भी टूट जाए तो पूरी शर्ट को पहनकर घर से नहीं निकला जा सकता यहाँ भी अगर एक भी किरदार की बात ना करी जाए तो सबकुछ अधूरा लगेगा!

Short Synopsis -

कहानी फ्लैशबैक में शुरू होती है...जहाँ एक रेगिस्तानी इलाका है...जिसकी ग्रामीण पृष्ठभूमि में एक परिवार को दिखाया जाता है! हमें याद नहीं आ रहा है कि राजस्थान को कभी पहले इन रंग बिरंगे चित्रों में कहानी का मूल क्षेत्र मानकर हमें पढ़ा है! शायद बाकी लोगों को यह तजुर्बा रहा हो...कॉमिक्स का संसार बहुत बड़ा है! यहाँ एक मुस्लिम शौहर-बेगम और उनका छोटा सा नटखट लख्तेजिगर है! कहानी में मोड़ आता है जब भैरवी नौटंकी के कदम गाँव में पड़ते हैं! यानी आप सोचिये कि फ्लैशबैक में चलती इस कहानी का भी एक अनजाना फ्लैशबैक और भी मौजूद है! लटके झटके चाहे जेब की ना सुनें लेकिन भैरवी की खनकती हुई मादक आवाज़ के जाल में फंस चुके गाँव वाले उनको अपने यहाँ आमंत्रित कर देते हैं! लेखक यहाँ पर यह दिखाते हैं कि मौत भी आपसे पूछकर आपको अपने आगोश में लेना चाहती है! हमने हज़ारो कातिल देखे सुने..लेकिन ऐसा अंदाज़ पहले कभी महसूस नहीं हुआ! जब आप अपनी गर्दन कटवाने के लिए खुद हँसते हुए आगे आ जाते हैं..आपके ऊपर किसी का वश नहीं है! नाच गाने के बाद जब पूरे गाँव वालो के शरीरों में रक्त का संचार तेज़ हो चुका है...Adrenaline का स्तर अपने चरम को छू रहा है.. तब खून की होली खेली जाती है! एक पूरी पीढ़ी का नाश हो जाना...जीवन के हरे-भरे पेड़ का कुछ ही समय में सूखे ठूंठ में बदल जाना आपको जरूर विचलित कर देगा!
इसके बाद कहानी 15 साल आगे आ जाती है...जो एक बच्चा उस खूनी रात मौत के पंजो में आने से बच गया था.. जवान हो चुका है..और उस रात को लगभग भूलकर नई ज़िन्दगी जी रहा है! कहानी में कुछ ऐसे मोड़ आते हैं जब वापस उसका सामना अपने उस अतीत से हो जाता है जिसको उसने भुला दिया है! एक नए अनोखे अंदाज़ में भैरवी नौटंकी की वापसी होती है...और उसके सामने हैं कई नए लोग! क्या होगा इस बार?..क्या भैरवी दोबारा जीत जायेगी?...या खाएगी शिकस्त? आगे आप अपने हाथो में मौजूद कारवां के पन्नो को पलटते जाइए और खो जाएँ..इस अभूतपूर्व रक्त रंजित सफ़र में!

किरदारों पर नज़र-

कॉमिक्स का एक पात्र आसिफ जो कि मस्तमौला और हंसमुख मिजाज़ के साथ थोड़ी बेशर्मी से भरा है...आप उसको इस तरह से देख सकते हैं कि माँ-बाप को खोने के बाद भी उसने खुद को टूटने से बचाया हुआ था! ऐसा नहीं है कि आपको हमेशा उसी तरह के लोगों से मिलना पड़े जो आपके बनाए हुए खांचे में फिट आते हैं! दुनिया में हर तरह के लोग हैं! वो बचपन में एक खून-खराबे को देख चुका है...इसलिए वो जानता था कि कारवां नाम से एक खूनी टोली पूरे राजस्थान में घूमती रहती है...वो उसके दिमाग से कभी मिट नहीं सकी...इसलिए जब वो दोबारा से कारवां को अपने सामने पाता है तो उसके दिमाग में शुरू में काफी डर आता है...वो जान बचाकर भाग भी रहा है...लेकिन एक लड़की की हिम्मत देखकर उसको भी ताकत मिलती है..और किसी आम आदमी की अपेक्षा वो ज्यादा जल्दी मुसीबत का सामना करने के लिए तैयार हो जाता है!

आसिफ के उलट इंस्पेक्टर जय सिंह राठौड़ को देखिये....जो वैसे कोई बहुत सत्यवादी और ईमानदारीपूर्वक काम नहीं करता है..लेकिन उसके अन्दर भी एक बहुत अच्छा और सच्चा इंसान मौजूद है! आसिफ की कई बेवकूफियां बर्दाश्त करता है..आपे से बाहर नहीं होता! उसके चरित्र में भी सादगी और सरलता है!

दरोगा भैरों सिंह जो इस कहानी में मिस्टर Grey कहा जा सकता है...कहानी के मध्य में आप उसको लाख गालियाँ देते नज़र आये..अंत में सहानुभूति के साथ सलाम भी करेंगे! ऐसे ही होते हैं हमारे सुरक्षाकर्मी जो घर परिवारों से दूर बीहड़ो में हमारे लिए हर खतरे से जूझते हैं! आम लोग उनके व्यवहार के बारे में हमेशा कमेंट करते हैं..कि फलां अफसर बहुत तुनकमिजाज़ है..सही से बात नहीं करता..वगैरह हज़ारो शिकायतें....लेकिन आप सोचिये कि क्या कोई मुलायम दिल का आदमी खतरों से जूझने के लायक होता है? इसी कहानी में एक मुलायम दिल का आदमी और भी है..गंगादीन...आपको 2 वर्दी वालो में तुलना करने में आसानी हो जाएगी!

कहानी की हीरोइन है “दुर्गा”...जो सादगी के साथ रहती है...लेकिन मुसीबत आने पर पूरी तरह से बदल जाती है..और कहानी के कई मर्दों से ज्यादा बहादुरी का प्रदर्शन करती है! उसके बारे में आप पढके जरूर आनंद की अनुभूति करके कहेंगे कि देश की हर बेटी को ऐसा ही बहादुर होना चाहिए!
याली ने एक बार पाठको से पूछा था कि कारवां का हीरो कौन है...हमारे विचार से इस कहानी का हीरो “दुर्गा” है! क्यूंकि हीरो से हमेशा तात्पर्य होता है कि वो स्तम्भ जिसके इर्द गिर्द बाकी लोग काम करते हैं...और दुर्गा वही स्तम्भ है!

इसमें भैरवी नौटंकी के कई खल पात्र दिखाए जाते हैं...जिनका रोल ज्यादा बड़ा नहीं है! मुख्य खलनायिका के बारे में आप कॉमिक्स में ही पढियेगा! उसका Origin आपको BLOOD WAR सीरीज में मिलता है! यहाँ उसका रोल अपना जलवा दिखाने तक सीमित है! इसलिए हम अभी बता देते हैं कि यदि कोई ऐसा सोच रहा हो..कि 80-90 पेज की कारवां में उसको एक Single कहानी के अलावा हर किरदार का Origin..उसके बाप-दद्दो तक की जन्मगाथा एक साथ मिलेगी तो वो गलत है! आगे का इंतज़ार करिए!


आर्टवर्क-
बिकास सत्पथी हिंदी कॉमिक्स प्रेमियों के लिए एक नया नाम है! उनके पुराने कामो से अनभिज्ञ होने के बाद भी आपको इस कॉमिक्स में उनका काम पसंद आएगा! इस कहानी का मुख्य फोकस क्यूंकि भैरवी नौटंकी की लड़कियां हैं..इसलिए उनकी मादक अदाओं और मुक्त देह प्रदर्शन कहानी की मांग के अनुरूप है और इसमें किसी गलत तरह का चित्रांकन नहीं हुआ है! आम नौटंकियाँ और नाच-गाने वाले जिस वेशभूषा को पहनावा रखते हैं, वही दिखाई गई है! आर्टिस्ट द्वारा आर्टवर्क में नृत्यांगनाओं और पिशाचनियों के कुछ चित्र डराते भी है और मादकता भी रखते हैं! आर्टवर्क में यह दर्शाना बहुत कठिन होता है..कि आप 2 अलग तरह के भाव एक साथ उतार सकें...यहाँ पर बिकास जी प्रशंसा के पात्र हैं..कि उन्होंने सभी किरदारों की भाव-भंगिमाएं बहुत सुंदर तरह से उकेरी हैं!
कुछ एक छोटे पैनल जरूर औसत बनाए गए हैं..लेकिन वो आगे पीछे के बढ़िया आर्ट में छुप से जाते हैं!
आर्टवर्क में शुरू से अंत तक हर किरदार एक जैसा ही बनाया गया है! आसिफ,जय,दुर्गा,भैरों जो भी आपको दिखेगा..पूरी कॉमिक्स में समान ही लगेगा...ऐसा नहीं है..एक पन्ने पर कुछ दिखे..दूसरे पर कुछ अलग दिखे!
रंग सज्जा विषय के अनुरूप हुई है! कवर आर्ट जोरदार बनाया गया है...उसपर इफेक्ट्स बहुत अच्छे दिए गए हैं! अन्दर मौजूद कुछ एक्स्ट्रा आर्ट पेज भी बहुत सुंदर हैं! राजस्थान के पेज उभर कर आये हैं..वैसे ही किले के अन्दर और बाहर को चित्रण उस जगह को महसूस करवाने लायक है! बैकग्राउंड वर्क शानदार किया गया है!

अंत में कॉमिक्स से जुड़े कुछ विचार-
हम उन लोगों में से नहीं है जो किसी कॉमिक्स की तारीफ करते हैं तो 100% और अगर बुराई करते हैं तो भी 100% करते हैं! कारवां का हिंदी में आना हमारे लिए भी बहुत ख़ुशी की बात है....हमें यह पसंद भी बहुत आई....और हम भी यही चाहते हैं कि नए-नए पब्लिकेशन खुलते रहे..और सबका मनोरंजन होता रहे....लेकिन मीठे के साथ कुछ खट्टा भी हो जाए तो बैलेंस बन जाता है! आखिर एक रिव्यु का मकसद पाठको के साथ-साथ पब्लिशर को भी रायशुमारी में शामिल करना होता है! वैसे भी दुनिया में ऊपर वाले के सिवा परफेक्ट कुछ भी नहीं होता है! इसलिए हम भी ऐसा नहीं कहेंगे कि इस पूरी कॉमिक्स में सबकुछ बढ़िया है! कुछ बातें जो हमें पढ़ते वक़्त महसूस हुई उन्हें बता रहे हैं!

1- कॉमिक्स में पेज नंबर डाले जाने चाहिए थे! इसको कॉमिक्स की बेहतरी के रूप में लीजिये! अगर किसी पाठक को किसी ख़ास पेज के अन्दर कोई बात पॉइंट आउट करनी हो..तो वो कैसे करेंगे? समझाने में सबका वक़्त खराब होगा! इसलिए आगे अगर कोई कॉमिक्स निकालें तो Page No जरूर डालें! हम आगे जो पेज नंबर बता रहे हैं वो कहानी के पहले पन्ने से शुरू किये हैं! इसलिए आपको गिनने पड़ेंगे कि कौन सा पेज है..या शायद समझने में परेशानी हो! वैसे आपने कहानी लिखी है तो आसानी से समझ जायेंगे कहाँ पर की बात हो रही है!

2- पेज-15 पर एक सरदार जी कहते हैं कि “दारु ऐसे पी रहा है जैसे मछली पानी पीती हो” हमें यह बहुत अटपटा सा संवाद लगा! इसकी वज़ह है यह English का Idiom है “Drink like a fish “ मतलब जरूरत से ज्यादा दारु पीने वाला व्यक्ति! पर ढाबे पर बैठा सरदार कोई बहुत ज्यादा पढ़ा लिखा आदमी नहीं है! वैसे यह कोई गलती नहीं है..लेकिन अटपटापन महसूस करवाती है! क्यूंकि English को ही जैसे का तैसा हिंदी में उतार दिया गया और इसका मतलब ज्यादातर हिंदी भाषी समझ नहीं सकते..कि सरदारजी का असल तात्पर्य क्या रहा होगा! यहाँ हमारा कहना यह है कि हिंदी रूपांतरण में इसको बदल कर कोई ऐसा शब्द लिखा जाता जो ज्यादा दारु पीने को हिंदी लहजे में दिखाता! जैसे-“बेवड़ापन” “पियक्कड़”!

3- यह पूरा पॉइंट आपके Calligrapher के लिए है...जिन्होंने पूरी कॉमिक्स में कई जगह छोटी-छोटी गलतियाँ करी हैं...जिससे कहानी पढने की रिदम बार-बार रुक रही थी! यह बात आप लोगों ने कही थी कि आपने हिंदी के लिए 2 ट्रांसलेटर लगाए हैं...पर इसके बाद भी कमियां मौजूद होना बहुत गलत बात है!
@कई बबल्स में संवादों को इस कदर घुसाया गया है कि किन्ही 2 अलग words जिन्हें space के साथ अलग होना चाहिए था..वो भी जुड़े हुए हैं! इसको नज़र अंदाज़ कर दिया जाए लेकिन शब्दों की spelling गलत होना ठीक नही है!
@पेज-15,पैनल-3 पर “थाणे” लिखा गया है..वहां जय सिंह “थाने” बोलेगा!
@पेज-16,पैनल-7 “पर्न” नहीं होता “पोर्न” होता है! tongue emoticon इसी पेज पर आसिफ थूकता है..पर बबल में उसकी आवाज़ नहीं दिखाई गई! पता नहीं चलेगा कि वो क्या रिएक्शन दे रहा है!
@“जायदा” नहीं होता..”ज्यादा” होता है! यह शब्द कई जगह गलत लिखा हुआ है!
@ हर जगह ज के नीचे बिंदी गलत है! ऐसे ही फ के नीचे बिंदी गलत है! गलत फॉण्ट का इस्तेमाल किया गया है!
@ पेज-18 पेनल-1.. जय के संवाद में “उससे” नहीं... “उसे” होगा! पैनल 2 में “कोइ” iphone नहीं “कोई” iphone! पैनल 3 में “नैटवर्क” नहीं नेटवर्क होगा! पैनल 5 में “पुलिस के” नही “पुलिस का”
@ पेज-19 में पैनल-2 जय का संवाद “मेरा दिल में तेरे लिए बर्फ” इसमें “मेरे दिल” होगा!
@ पेज-43 चमकति नही “चमकती”...........आखिरी नही “आखिर”
@पेज-47 पैनल-2.... आवता नही आवत.........”की” नही “कि”.....”एकरे” नही एकरा!
@पेज-48...पैनल-6 “कि” नही की
@ पेज-61...रहि नही रही
@ पेज-62...मिम्ने कौन सा शब्द हुआ?
@पेज-71 पैनल-1 “दीखता” नही दिखता!

वैसे हमें भी पता है कि जो छप चुका वो बदल नहीं सकता..लेकिन आगे ऐसा दोबारा ना हो...इसलिए हमें इतना डिटेल में लिखना पड़ा..वरना आपको यही लगता कि कोई 1-2 स्पेलिंग गलत होंगी..जिनपर ध्यान नहीं देना चाहिए! बबल्स का ऐसा है कि कुछ जगह इतने ज्यादा हो गए कि आर्ट ही दब गया और कुछ जगह इतने कम थे कि पेज खाली चला गया! पहले काम में हुई इन बातों को आगे सुधारिएगा!

4- कॉमिक्स में दरोगा भैरो सिंह एक ऐसा अफसर है..जिसको मुस्लिम्स से नफरत है...जो दिख गया..समझो मरा...पर ऐसा अफसर अपने गले में अजमेर शरीफ की दरगाह का ताबीज़ क्यूँ बांधे घूम रहा था...जबकि वो गोरखपुर जैसी जगह से है..वहां कट्टर हिन्दुत्ववादी मानसिकता चलती है! क्या लेखक यहाँ पर चूक नहीं कर गए..कि उसके गले में ताबीज़ की जगह पर बजरंगबली/देवी का लॉकेट ज्यादा बेहतर लगता? आखिर क्यूँ उसकी सोच को विरोधाभासी बनाया गया है या फिर उसको मुस्लिमो से मोहब्बत होनी चाहिए थी...पेज 51 पर दुर्गा भी यही गलती कर रही है कि वो दुर्गा माँ के लॉकेट को ताबीज़ कहती है! अब हम यह सोच रहे हैं कि अगर हिन्दू आदमी और लड़कियों को उनके धर्म की ही धार्मिक आस्थाओं को आगे बढ़ानेवाली वाली चीज़ें पहनी दिखाई जाती तो क्या कहानी नहीं बनती??? हम किसी धर्म के विरोध में नहीं कह रहे लेकिन अगर किरदार हिन्दू है तो उसको उसी तरह दिखायें और मुस्लिम है तो उसको उसी तरह दिखाएं कि पढने वाले को अपने मजहब से प्रेम हो...वो अपनी धार्मिक निशानियों पर फक्र करे! हमारा सुझाव है कि लेखक किरदार को वही रहने दें जो वो असल में है...उसके अन्दर वो चीज़ें ना जोड़े...जो उसकी ideology से मेल ना खाती हो! यह सबके लिए सकारात्मक होगा..कि हर व्यक्ति अपने धर्म और परंपरा का आदर करे! इसलिए लेखक ज़िम्मेदारी के साथ इन सब बातों को हैंडल करें!

5- चुम्बन प्रसंग-
बड़े दुःख की बात है कि एक छोटे से चुम्बन को चुम्मा चाटी कहकर प्रचारित किया गया! पाठकों को हम बताना चाहेंगे कि हम भी ऐसे प्रचार से बहुत डर गए थे..जाने किरदारों द्वारा चाटने के लिए जीभ का कितना और कहाँ-कहाँ इस्तेमाल कर दिया गया होगा! असल में जबरदस्ती जब भतर्सना करनी हो तो शब्द सही से चुने नहीं जाते! Pathetic!
चलिए चुम्बन के विषय में हमारी सोच है कि वो दिखाया गया..बिल्कुल ठीक किया...लेकिन उसमे कुछ Techinal Flaw नज़र आते हैं! इसलिए कोई यह ना समझे कि हम चुम्बन का पक्ष/विपक्ष ले रहे हैं...हमारा नजरिया बिल्कुल तटस्थ है!
सिर्फ 10 मिनट पहले हुई चाचाजी की मौत के सदमे के बीच में दुर्गा के अन्दर चुम्बन की “पहल” खुद करने लायक भावना नहीं आनी चाहिए थी! चुम्बन भारतीय परिस्थिति में तभी होता है जब या तो लड़की पूरी तरह से शांत मन में अपने प्रेमी को देखे या फिर वो बिल्कुल ही राखी सावंत हो! tongue emoticon और यह दोनों बातें उस सिचुएशन में मौजूद नहीं हैं! (Technical Flaw)

यहाँ सभी ध्यान दीजिये कि हमें “सिर्फ” दुर्गा का खुद आगे बढ़कर “पहल” करना खराब लगा! यहाँ हमें किसी हॉलीवुड,बॉलीवुड फिल्म से लेना देना नहीं है....यहाँ हम UP के गोरखपुर शहर की सम्मानित परिवार से ताल्लुक रखने वाली लड़की के विचारों को देख रहे हैं! अगर आप “पहल” आसिफ से करवाते तो शायद बात समझ आ जाती कि वो पहले से बेशर्म था और दुर्गा की तरफ आकर्षित भी...वो दुर्गा को यह जताना चाहता था कि दुर्गा के चाचा के मरने के बाद वो उसको सहारा देना चाहता है! चुम्बन सीन दिखाना गलत नहीं है..4 बार दिखाइये..लेकिन उसको विरोधाभासी ना बनाएं! आसिफ अपने प्रेम का इजहार करता...जिससे द्रवित होकर दुर्गा भावावेश में चुम्बन ले लेती यह भी एक अच्छा दृश्य बन सकता था! लेकिन आपका दिखाया हुआ कि “यह कोई सपना तो नहीं”...”रुको मैं तुम्हे असलियत का यकीन दिलाती हूँ!” “लो पुच्ची”...उस पल की गंभीर सहजता को मटियामेट कर देता है! इससे अच्छा तो दुर्गा आसिफ की चुटकी काट लेती या जोरदार थप्पड़ जड़ देती उस गधे को..और खुद खिलखिलाकर हंस पड़ती...आसिफ इससे झेंप जाता..और उसका चुम्बन ले लेता! बात वही बन जाती लेकिन देखने वाले को तब आपत्ति नहीं हो पाती!
बहरहाल जो हो गया वो इतिहास बन गया..बशर्ते हम लेखक द्वारा लिखी किसी नयी कहानी में उस दिन का इंतज़ार करेंगे जब दुर्गा जैसी ही कोई उन्मुक्त और स्वछंद मुस्लिम लड़की दिखाई जायेगी...जो खुद आगे बढ़कर चुम्बन द्वारा किसी से प्रेम प्रदर्शित करेगी..वरना हमें यह बात हमेशा खटकेगी कि चीज़ें एकतरफा दिखाई जाती हैं!

अलग-अलग विचारों में असमानता हो जाती है! इसलिए इसको सकारात्मक रूप से लेना चाहिए! कारवां एक अच्छा मनोरंजन प्रदान करती है! ख़ास बात यह है कि कहानी एक पार्ट में पूरी हो गई है! आर्टवर्क भी अच्छा है! इसलिए इसको जरूर खरीदें और अपने कलेक्शन की शोभा बनाएं! उम्मीद है याली सभी बातों का ध्यान अपने आगामी हिंदी में प्रकाशित अंको में रखेगी! कारवां को आगामी संस्करणों की सफलता के लिए शुभकामनाएं!

Ratings :
Story...★★★★★★★★☆☆
Art......★★★★★★★★★☆
Entertainment……★★★★★★★★★☆
Calligraphy......★★★★★★☆☆☆☆
Translation......★★★★★★★★☆☆

‪#‎Caarvan‬,‪#‎Shamikdasgupta‬,‪#‎Yalidreamcreations‬,‪#‎Bikassatpathy‬