कहानी-5/5
आर्टवर्क-4.5/5
आर्डर ऑफ़ बेबल,न्यू वर्ल्ड
आर्डर और वर्ल्ड वार पूरी करने के बाद “आतंकहर्ता नागराज” की जर्मनी यात्रा
का अंतिम पड़ाव “वीरगति” आपके समक्ष
प्रस्तुत है!
“वर्ल्ड वार” की कहानी तक आप
सभी जान चुके है, कि विश्व युद्ध अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच चुका
है और अब आतंकवाद को अपनी भीषण प्रतिक्रिया दिखाने के लिए नागराज सिर पर कफ़न
बांधकर निकल चुका है! इस विकराल परिस्थितियों में उसके साथ कुछ जोशीले साथी भी कदम
से कदम मिलाकर आगे बढ़ रहे हैं!
हमारा मत है कि अब तक किसी भी राज कॉमिक्स सुपर हीरो की
कॉमिक्स में ऐसे मौके विरले ही देखने को मिले हैं,जबकि वो अपने
दुश्मनों के साथ-साथ अपने संगी-साथियों के अलावा खुद अपने आप से भी इस बात से
अनभिज्ञ है..कि वो जो कुछ भी करने वाला है...उसकी अंतिम परिणीती क्या रहेगी? इसका तात्पर्य यह
है कि एक महान व्यक्तित्व जब निजी संबंधो और रिश्तो से बहुत ऊपर उठ जाता है...तभी
विश्व रक्षक और विश्व प्रिय बन पाता है!
विश्व युद्ध कि जो विभीषिका पूरे संसार पर कहर बनकर टूट
चुकी है...उसको अकेले थामने का ज़िम्मा लिए “आतंक हर्ता” निकलता है-यू एस
ए,सऊदी अरब दुबई,रूस,फ्रांस,इटली,मिस्र होते हुए
बेबीलोन की धरती पर! इस लम्बे सफ़र में बिना थके और बिना रुके चलता और लड़ता हुआ
नागराज कितना भीषण शारीरिक और मानसिक दबाव एवं पीड़ा झेल रहा है..यह आसानी से दिख
जाता है!
इस खूनी सफ़र के अंत पर नागराज का सामना है उन्ही से जो उसके
अपने प्रिय हैं...यानी इच्छाधारी नाग जाति!
बुरी तरह से टूट चुके और व्यथित नागराज को इस विपरीत
परिस्थिति में जब लेखक उसकी माँ ललिता देवी के आँचल की छाँव देते हैं (पेज-52-56) तो यह चार
भावपूर्ण पृष्ठ पूरी कॉमिक्स पर भारी साबित हो जाते हैं!
खलनायको की पराजय के प्रसंग आप विशेषांक में पढ़ लीजियेगा!
लेखक ने जिस तरह से कहानी के संवाद लिखे हैं...कहानी के
अलग-अलग प्रथक हिस्सों को आपस में एडजस्ट किया है...और पाठको को दुःख के सागर में
डुबो दिया है वो अभूतपूर्व है!
(पेज-72-73) विशेष रूप से
रेखांकित किये जा सकते हैं...जहाँ मरता हुआ नागराज सौडांगी की गोद में अपनी अंतिम
उखड़ती साँसों से विसर्पी को अपने प्रेम के अधूरे शब्द ही दे पाता है ! नितिन मिश्रा जी ने हर प्रशंसक को
भाव विभोर कर दिया !
खैर यह विशेषांक एक्शन और इमोशनल Mixup है! ऊपर आपको पता
चल चुका है कि यह कहानी रुलाने में कामयाब रही है..लेकिन हम पाठको को इस बात कि भी
100 % तसल्ली दे रहे हैं..कि यह कहानी जर्मनी में पनपे आतंक के
पेड़ को उखाड़ने के अपने मूल कथानक पर भी पूरी तरह खरी उतरी है! वर्ल्ड वार के पूरे
होने तक जो कई सवाल अनसुलझे थे..वे सभी “वीरगति” में अच्छी तरह से
सुलझ चुके हैं..अब क्यूंकि कहानी पूरी हो चुकी है..तो पाठक टैली करके कहानी में जो
समझ नहीं आया..उसको जान सकते हैं...जो इस तरह हैं...
1- नागराज को जर्मनी
बुलाने के लिए “शिकाता गा नई” के अंत में जो विडियो फुटेज दिखाया गया था..वो
न्यू वर्ल्ड आर्डर ने क्यूँ दिखाया?
उत्तर- वीरगति- (पेज-39)
2- 1945 में नागांधर की
मौत का नागराज के आर्डर का मसीहा होने से क्या ताल्लुक है?
उत्तर- वीरगति- (पेज-26) और (पेज-59)
3- न्यू वर्ल्ड
आर्डर के अंतिम पेज पर नागराज और लेइत्फ़ेन्दे के बीच क्या बातें हुई?
उत्तर- वीरगति- (पेज-30-40)
4- पेड्रो की भूमिका
का खुलासा किया जाए?
उत्तर- वीरगति- (पेज-33)
5- लोला के पीछे
न्यू वर्ल्ड आर्डर क्यूँ पड़ा है?..लोला आर्डर ऑफ़ बेबल ग्रुप
से किस प्रकार जुडी है?..उसके हाथ के बर्थ मार्क
की क्या कहानी है? और अब वो कहाँ गायब है?
उत्तर- वीरगति- (पेज-68-70)
6- 1945 में सूथसेयेर के
पास 2 बच्चे थे...जिनमे एक लार्ड मोर्बिअस बना...हंटर के पास
वाला बच्चा कहाँ गया?
उत्तर- वीरगति- (पेज-69)
7- परम पिता ने जिस
निमरोद को बिजली से भस्म कर दिया..वो किस प्रकार आज भी जीवित है?
उत्तर- वीरगति- (पेज-34-35)
8- OOB में पेज-56 पर बेहोश नागराज
को लोला के घर कौन ले गया था?
उत्तर- वीरगति- (पेज-33)
9- OOB में सबसे पहले
हंटर को नागराज को मारने का आदेश किसने दिया था?
उत्तर- वीरगति- (पेज-34)
10- OOB में पेज-34 पर नागराज को
मिले मोबाइल में क्या था?
उत्तर- वीरगति- (पेज-33)
वीरगति ने हमें पूरे अंक देने पर मजबूर किया है..क्यूंकि यह
उम्मीद से कहीं ज्यादा बेहतरीन साबित हुई! जितने प्रश्न प्रस्तावित थे..उससे कहीं ज्यादा उत्तर लेखक से दिए
हैं!
हेमंत कुमार जी अब पूरी तरह से नागराज पर महारत ले चुके
हैं..जिसका सुबूत वीरगति में भी मिलता है...एक अच्छे पेंसिलर की यही खूबी होती
है..कि वो हर परिस्थिति को बराबर तरह से संभाल सकता हो...हेमंत जी ने जहाँ विश्व
युद्ध के शानदार दृश्यों को बनाया है...वही नागराज के अंतिम सफ़र के सभी side
characters के साथ emotional चेहरों के हाव भाव पर भी 100% उम्दा काम किया
है...ललिता देवी वाले चित्र तो यादगार हैं...इस सीरीज कि सफलता में हेमंत जी का
बराबर का योगदान है!
इंकिंग के स्तर से आश्वस्त रहा जा सकता है कि ईश्वर जी बहुत
मेहनती आर्टिस्ट हैं...उनका काम प्रशंसनीय है!
राज कॉमिक्स का धन्यवाद कि एक बात फिर से कलर इफेक्ट्स की
वापसी कॉमिक्स में हुई है...वीरगति में बहुत परा शक्तियों और युद्ध के दृश्य
हैं...उनको प्रभावशाली बनाने में शादाब जी की मेहनत का भी हाथ रहा है!
मंदार गंगेले जी ने शब्दांकन में हर मुख्य पात्र के अनुसार
अलग बदलाव किये हैं...जहाँ डायलॉग्स की इंटेंसिटी के हिसाब से Bubbles में भी changes हैं...निमरोद के
लिए काले bubbles का उपयोग करना एक अच्छा step था!
सीरीज और समीक्षा दोनों पूरी हुई! यह कॉमिक्स एक बार फिर
साबित करती है..कि अंत भला तो सब भला !
आर्डर ऑफ़ बेबल सीरीज पिछले कुछ सालों में आई सबसे बेहतरीन
सीरीज साबित हुई! नितिन मिश्रा जी बधाई के पात्र हैं!
इस पूरी सीरीज को खरीदकर जरूर पढ़ें!