Review- “युगांधर”
“सर्वनायक” श्रृंखला का “आधार खंड” “युगांधर” आपके समक्ष प्रस्तुत है! एक कालजयी रचना की यात्रा के प्रथम पड़ाव को पढना अपने आप में जरूरी भी होता है और रोमांचक भी! आगे के चाहे कितने ही खंड क्यूँ न पढने को मिलें,लेकिन प्रथम और अंतिम खंडो का महत्त्व अलग ही होता है!
नाम से जाहिर है कि यह युगों की सीमाएं लांघ कर लिखी गई कहानी है! युग साल की तरह नहीं होते हैं,जो पृथ्वी के सूर्य का एक चक्कर, एक बार में लगाने पर पूरा हो जाता है,युग होते हैं,अनंत सालो का एक मिश्रण,जिसमे एक बार में एक सभ्यता,संस्कृति बनतीहै,बिगडती है,बदलती है और याद रखी जाती हैं! इसलिए कहानी को अगर पढना है,तो सोचना भी उसी तरह से होगा,ताकि कहानी में डूबा जा सके!
कथा-
“युगांधर” को लिखा है नितिन मिश्रा और तरुण कुमार वाही जी की कलमों ने! शुरुआत एक अच्छे और सही अंदाज़ में प्रस्तावना पृष्ठों से हुई है,जिसमे इस भाग के 4 पात्रों युगम,योध्धा,भोकाल एवं अडिग का संक्षिप्त परिचय मिलता है! इसके बाद का एक पृष्ठ भूतकाल v भविष्यकाल के महा योध्धाओ को दिखाया गया है!
युगांधर की कथा मुख्यतः दो राह पर चलती है!
प्रथम है-दिति पुत्र योध्धा की कहानी जो स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता के आरम्भ पर ठहरी हुई थी! वहीँ से आगे बढती है!
दूसरी-महाबली भोकाल की,जो अपने असली पिता की खोज में एक दुर्गम यात्रा पर निकला है! यानी पहले पाठको को “धिक्कार” व “अंतर्द्वंद” पढनी बहुत जरूरी है!
इसके बाद कुछ दूसरे महानायकों को थोडा स्थान कहानी में मिला है!
*भोकाल-
शवमित्र को साथ लिए हुए “भोकाल-शक्ति” का असली अधिकारी साबित होने के बाद भोकाल टकरा गया है साक्षात मौत के परकालो से! यहाँ जीतते ही वो युगम के चंगुल में खुद को घिरा पायेगा! परन्तु यह तो होना ही था ,इसलिए यह महत्वपूर्ण नहीं है!
पाठको के लिए महत्वपूर्ण है भोकाल की उत्पत्ति के पीछे का सच उजागर होना,जो उन्हें आश्चर्यचकित और भौचक्का करके रख देगा! जो कई नए रहस्योदघाटन खुद में समेटे हुए है! लेखको के द्वारा भोकाल की उत्पत्ति के घटनाक्रम बदलने के साथ कई नए तथ्य जोड़े गए हैं!पाठको को भोकाल के जीवन से जुडी कई जरूरी जानकारियाँ यह कॉमिक्स देती है!
*योध्धा-
मुख्यतः “युगांधर” में कहानी स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता में दैत्यों और देवताओं के अपनी-अपनी तरह से प्रतियोगिता की शर्तें पूरी करके जीतने की लालसा पर केन्द्रित है,जिससे स्वर्ग की स्थापना के योग्य उम्मीदवार का चयन हो सके! यह भाग अपने पिछले भागों (आरम्भ,सूर्यांश,सृष्टि,स्व र्ग पात्र) से जुडा होने के कारण तभी समझ आएगा जब पहले घटित हो चुके घटनाक्रम का पूरा ज्ञान पाठक को हो,वरना नहीं!
स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता में भाग ना लेने पाने की मजबूरी के चलते योध्धा को कॉमिक्स में मुश्किल से सिर्फ 7-8 पन्नों की जगह मिली है! युगांधर में उसका होना फिलहाल नगण्य था! कहानी उसके चारो ओर नहीं घूमती! परन्तु पाठको को दैत्य-देवताओं के बीच आँख मिचोली लगातार होते षड़यंत्र पढने में मज़ा आएगा,खासकर “राहू प्रकरण” उन्हें आनंदित करने की क्षमता रखता है!
यहाँ एक चीज़ रेखांकित कर दें कि योध्धा अभी भी युगम के चंगुल से बाहर है!
पेज-68 शुक्राल को समर्पित किया गया है! उसका रोल छोटा सा होने के बावजूद भी रहस्यों की आंधियां छोड़कर चला गया है!
पेज-70-77 तक तिलिस्मदेव,अश्वराज,गोजो,प् रचंडा अपने समय में लड़ते लड़ते युगम के सामने पहुँच चुके हैं!
तो पाठक समझ सकते हैं कि कहानी में कम जगह में ज्यादा से ज्यादा चीज़ें दिखाई गयी हैं!
कहानी यहाँ पर ठहरी सी लगती है..पर यह तूफ़ान से पहले की शान्ति जैसा था! कॉमिक्स का तीसरा हीरो और राज कॉमिक्स में पर्दापर्ण कर रहे श्राहू दानव “कुमार अडिग” एक स्त्री की अस्मिता की रक्षा करते हुए अवतरित होते हैं! अडिग एक तूफ़ान की तरह लगता है,ऐसी एंट्री शायद कम ही हीरो कर पाए हैं!
फिलहाल कहानी रुक चुकी है एक ऐसे मोड़ पर,जो अगले भाग का लम्बा इंतज़ार और ज्यादा कष्टकारी बना देती है!
कहानी में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है,जो कि लेखक के द्वारा खोला नहीं गया है, खासकर भोकाल वाली कहानी अभी भी काफी रहस्य खुद में बचाए हुए है!इसलिए आगे के अंको का इंतज़ार सभी को करना ही पड़ेगा! योध्धा वाली कहानी तो शायद अभी काफी लम्बा समय और ले सकती है,और यही कुछ अडिग के लिए लग रहा है!
“युगांधर” के बारे में पाठकों को यह ध्यान देना बहुत जरूरी है,कि यह कॉमिक्स बहुत लम्बे समय और मेहनत के बाद बनी है! पहले यह जहाँ सिर्फ भोकाल प्रकरण तक सीमित थी,जिसमे बाद में “स्वर्ग हेतु” नामक कहानी को जोड़ा गया,फिर समावेश हुआ अडिग का और तब यह सर्वनायक का आधार बनकर आपके हाथो में पहुंची है!
“युगांधर” बाकी मल्टी स्टारर की तरह नार्मल कहानी नहीं है,जिसमे एक ही कहानी में कई हीरो किसी एक लक्ष्य के लिए साथ होते है! बल्कि फिलहाल यहाँ हाल-फिलहाल कोई भी नायक एक दूसरे के बारे में जानता ही नहीं है!
“पाठको को सिर्फ यह ध्यान रखना है, कि कई अलग अलग कालों के अलग घटनाक्रमों को खलनायक के द्वारा एक ही साथ दिखाना इसका मुख्य सूत्र है!”
कथा-4.5/5
चित्रांकन-4/5
ललित सिंह और नितिन मिश्रा जी “युगांधर” के चित्रकार हैं! मुख्यतः काम नितिन जी का है!
प्राचीन,पौराणिक कहानियां होने के कारण नितिन जी को साधारण पेंसिलिंग के बाद भी 2 चीज़ों का फायदा मिल गया है!
पहली चीज़ कॉमिक्स में कलरिस्टों द्वारा दिए गए उम्दा कलरिंग इफेक्ट्स! जिन्होंने आर्ट की कमियां छुपाने में मदद करी!
दूसरी चीज़ कहानी की मांग ही चूँकि बदसूरत चेहरे और भद्दे शरीर वाले दैत्य,दानव थे, इसलिए उनके भावहीन चेहरे और शरीर, जैसे भी बने, कहानी में फिट आ गए! बचे खुचे पहाड़,अंतरिक्ष आदि इफेक्ट्स पर निर्भर होने के कारण ज्यादातर चीज़ें संयोग से सही बैठ गयीं हैं! नितिन जी को आर्टवर्क पर थोडा और ध्यान देना चाहिए! आर्ट में जहाँ भी मूर्ती जैसे भावहीन और पत्थर की तरह शरीर के आकार नज़र आते हैं,वो नितिन जी का काम है! कॉमिक्स के अंत के लगभग सभी पन्ने जिसमे अडिग प्रकरण के अलावा तिलिस्मदेव,अश्वराज,गोजो,प् रचंडा
जुड़े हैं वो सभी नितिन जी के हैं! वहीँ भोकाल प्रकरण के शुरूआती पन्ने
ललित जी के हैं! बीच में कहानी की जरूरत के अनुसार आर्टवर्क स्विच करता
रहता है! इसलिए अंतिम तथ्य यही है की आर्टवर्क एक जैसा नहीं मिलता है!
ललित सिंह भी अपने “गुरु भोकाल” जैसे स्मरणीय काम की छटा दोबारा पाठको को नहीं दे पाए! उनके द्वारा भी सिर्फ संतोषजनक और इफेक्ट्स पर निर्भर आर्टवर्क मिला है! फिर भी दिलीप कदम जी के बाद वो भोकाल के आर्टवर्क के लिए अब भी सबसे बेहतर चुनाव हैं!
कलरिंग इफेक्ट्स-
अपनी कहानी के बाद यह कॉमिक्स अगर याद किये जाने लायक है तो वो है इसके कलरिंग इफेक्ट्स! जो की भक्त रंजन व अभिषेक सिंह के द्वारा किये गए हैं!
प्राचीन,पौराणिक कथाओ के आर्टवर्क को जीवित बना देना आसान काम नहीं है! जिस तरह से दोनों ने हर फ्रेम में मेहनत करी है,वो अभिभूत करने वाली है!
पेज-10,14 के आकाश व अंतरिक्ष देखिये या पेज-67! हर जगह जीवंतता का एहसास नज़र हटने नहीं देता है! यह पाठको को पूरी कॉमिक्स में देखने को मिलेगा!
नीरू जी के शब्दांकन के बिना बात अधूरी रह जायेगी! शब्द ही कहानी को समझाते हैं और जहाँ बात नहीं होती,वहां वातावरण में मौजूद दूसरी आवाज़ें सहायक बनती हैं! यहाँ पर कैलिग्राफर की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि कैसे वोह हर दृश्य को पढने वाले को समझा पायेगा! पेज-9,10 इस चीज़ का सटीक उदाहरण दिखाते हैं!
पूरी कहानी बहुत सुंदर तरीकों से शब्दांकित हुई है!
टिप्पणी- “युगांधर” एक उत्कृष्ट कॉमिक्स है! इसमें एक जानदार कहानी है,चित्रांकन साधारण है,लेकिन उसको असाधारण बनाने की ताकत रखने वाले कलरिंग इफेक्ट्स हैं,जिन्हें शब्दांकन का भरपूर सहारा मिला है! यह प्राचीन कथा प्रेमियों के लिए संकलित करने योग्य विशेषांक है! कुल मिलाकर सर्वनायक की शुभ शुरुआत हुई है!
“सर्वनायक” श्रृंखला का “आधार खंड” “युगांधर” आपके समक्ष प्रस्तुत है! एक कालजयी रचना की यात्रा के प्रथम पड़ाव को पढना अपने आप में जरूरी भी होता है और रोमांचक भी! आगे के चाहे कितने ही खंड क्यूँ न पढने को मिलें,लेकिन प्रथम और अंतिम खंडो का महत्त्व अलग ही होता है!
नाम से जाहिर है कि यह युगों की सीमाएं लांघ कर लिखी गई कहानी है! युग साल की तरह नहीं होते हैं,जो पृथ्वी के सूर्य का एक चक्कर, एक बार में लगाने पर पूरा हो जाता है,युग होते हैं,अनंत सालो का एक मिश्रण,जिसमे एक बार में एक सभ्यता,संस्कृति बनतीहै,बिगडती है,बदलती है और याद रखी जाती हैं! इसलिए कहानी को अगर पढना है,तो सोचना भी उसी तरह से होगा,ताकि कहानी में डूबा जा सके!
कथा-
“युगांधर” को लिखा है नितिन मिश्रा और तरुण कुमार वाही जी की कलमों ने! शुरुआत एक अच्छे और सही अंदाज़ में प्रस्तावना पृष्ठों से हुई है,जिसमे इस भाग के 4 पात्रों युगम,योध्धा,भोकाल एवं अडिग का संक्षिप्त परिचय मिलता है! इसके बाद का एक पृष्ठ भूतकाल v भविष्यकाल के महा योध्धाओ को दिखाया गया है!
युगांधर की कथा मुख्यतः दो राह पर चलती है!
प्रथम है-दिति पुत्र योध्धा की कहानी जो स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता के आरम्भ पर ठहरी हुई थी! वहीँ से आगे बढती है!
दूसरी-महाबली भोकाल की,जो अपने असली पिता की खोज में एक दुर्गम यात्रा पर निकला है! यानी पहले पाठको को “धिक्कार” व “अंतर्द्वंद” पढनी बहुत जरूरी है!
इसके बाद कुछ दूसरे महानायकों को थोडा स्थान कहानी में मिला है!
*भोकाल-
शवमित्र को साथ लिए हुए “भोकाल-शक्ति” का असली अधिकारी साबित होने के बाद भोकाल टकरा गया है साक्षात मौत के परकालो से! यहाँ जीतते ही वो युगम के चंगुल में खुद को घिरा पायेगा! परन्तु यह तो होना ही था ,इसलिए यह महत्वपूर्ण नहीं है!
पाठको के लिए महत्वपूर्ण है भोकाल की उत्पत्ति के पीछे का सच उजागर होना,जो उन्हें आश्चर्यचकित और भौचक्का करके रख देगा! जो कई नए रहस्योदघाटन खुद में समेटे हुए है! लेखको के द्वारा भोकाल की उत्पत्ति के घटनाक्रम बदलने के साथ कई नए तथ्य जोड़े गए हैं!पाठको को भोकाल के जीवन से जुडी कई जरूरी जानकारियाँ यह कॉमिक्स देती है!
*योध्धा-
मुख्यतः “युगांधर” में कहानी स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता में दैत्यों और देवताओं के अपनी-अपनी तरह से प्रतियोगिता की शर्तें पूरी करके जीतने की लालसा पर केन्द्रित है,जिससे स्वर्ग की स्थापना के योग्य उम्मीदवार का चयन हो सके! यह भाग अपने पिछले भागों (आरम्भ,सूर्यांश,सृष्टि,स्व
स्वर्ग हेतु प्रतियोगिता में भाग ना लेने पाने की मजबूरी के चलते योध्धा को कॉमिक्स में मुश्किल से सिर्फ 7-8 पन्नों की जगह मिली है! युगांधर में उसका होना फिलहाल नगण्य था! कहानी उसके चारो ओर नहीं घूमती! परन्तु पाठको को दैत्य-देवताओं के बीच आँख मिचोली लगातार होते षड़यंत्र पढने में मज़ा आएगा,खासकर “राहू प्रकरण” उन्हें आनंदित करने की क्षमता रखता है!
यहाँ एक चीज़ रेखांकित कर दें कि योध्धा अभी भी युगम के चंगुल से बाहर है!
पेज-68 शुक्राल को समर्पित किया गया है! उसका रोल छोटा सा होने के बावजूद भी रहस्यों की आंधियां छोड़कर चला गया है!
पेज-70-77 तक तिलिस्मदेव,अश्वराज,गोजो,प्
तो पाठक समझ सकते हैं कि कहानी में कम जगह में ज्यादा से ज्यादा चीज़ें दिखाई गयी हैं!
कहानी यहाँ पर ठहरी सी लगती है..पर यह तूफ़ान से पहले की शान्ति जैसा था! कॉमिक्स का तीसरा हीरो और राज कॉमिक्स में पर्दापर्ण कर रहे श्राहू दानव “कुमार अडिग” एक स्त्री की अस्मिता की रक्षा करते हुए अवतरित होते हैं! अडिग एक तूफ़ान की तरह लगता है,ऐसी एंट्री शायद कम ही हीरो कर पाए हैं!
फिलहाल कहानी रुक चुकी है एक ऐसे मोड़ पर,जो अगले भाग का लम्बा इंतज़ार और ज्यादा कष्टकारी बना देती है!
कहानी में अभी भी बहुत कुछ ऐसा है,जो कि लेखक के द्वारा खोला नहीं गया है, खासकर भोकाल वाली कहानी अभी भी काफी रहस्य खुद में बचाए हुए है!इसलिए आगे के अंको का इंतज़ार सभी को करना ही पड़ेगा! योध्धा वाली कहानी तो शायद अभी काफी लम्बा समय और ले सकती है,और यही कुछ अडिग के लिए लग रहा है!
“युगांधर” के बारे में पाठकों को यह ध्यान देना बहुत जरूरी है,कि यह कॉमिक्स बहुत लम्बे समय और मेहनत के बाद बनी है! पहले यह जहाँ सिर्फ भोकाल प्रकरण तक सीमित थी,जिसमे बाद में “स्वर्ग हेतु” नामक कहानी को जोड़ा गया,फिर समावेश हुआ अडिग का और तब यह सर्वनायक का आधार बनकर आपके हाथो में पहुंची है!
“युगांधर” बाकी मल्टी स्टारर की तरह नार्मल कहानी नहीं है,जिसमे एक ही कहानी में कई हीरो किसी एक लक्ष्य के लिए साथ होते है! बल्कि फिलहाल यहाँ हाल-फिलहाल कोई भी नायक एक दूसरे के बारे में जानता ही नहीं है!
“पाठको को सिर्फ यह ध्यान रखना है, कि कई अलग अलग कालों के अलग घटनाक्रमों को खलनायक के द्वारा एक ही साथ दिखाना इसका मुख्य सूत्र है!”
कथा-4.5/5
चित्रांकन-4/5
ललित सिंह और नितिन मिश्रा जी “युगांधर” के चित्रकार हैं! मुख्यतः काम नितिन जी का है!
प्राचीन,पौराणिक कहानियां होने के कारण नितिन जी को साधारण पेंसिलिंग के बाद भी 2 चीज़ों का फायदा मिल गया है!
पहली चीज़ कॉमिक्स में कलरिस्टों द्वारा दिए गए उम्दा कलरिंग इफेक्ट्स! जिन्होंने आर्ट की कमियां छुपाने में मदद करी!
दूसरी चीज़ कहानी की मांग ही चूँकि बदसूरत चेहरे और भद्दे शरीर वाले दैत्य,दानव थे, इसलिए उनके भावहीन चेहरे और शरीर, जैसे भी बने, कहानी में फिट आ गए! बचे खुचे पहाड़,अंतरिक्ष आदि इफेक्ट्स पर निर्भर होने के कारण ज्यादातर चीज़ें संयोग से सही बैठ गयीं हैं! नितिन जी को आर्टवर्क पर थोडा और ध्यान देना चाहिए! आर्ट में जहाँ भी मूर्ती जैसे भावहीन और पत्थर की तरह शरीर के आकार नज़र आते हैं,वो नितिन जी का काम है! कॉमिक्स के अंत के लगभग सभी पन्ने जिसमे अडिग प्रकरण के अलावा तिलिस्मदेव,अश्वराज,गोजो,प्
ललित सिंह भी अपने “गुरु भोकाल” जैसे स्मरणीय काम की छटा दोबारा पाठको को नहीं दे पाए! उनके द्वारा भी सिर्फ संतोषजनक और इफेक्ट्स पर निर्भर आर्टवर्क मिला है! फिर भी दिलीप कदम जी के बाद वो भोकाल के आर्टवर्क के लिए अब भी सबसे बेहतर चुनाव हैं!
कलरिंग इफेक्ट्स-
अपनी कहानी के बाद यह कॉमिक्स अगर याद किये जाने लायक है तो वो है इसके कलरिंग इफेक्ट्स! जो की भक्त रंजन व अभिषेक सिंह के द्वारा किये गए हैं!
प्राचीन,पौराणिक कथाओ के आर्टवर्क को जीवित बना देना आसान काम नहीं है! जिस तरह से दोनों ने हर फ्रेम में मेहनत करी है,वो अभिभूत करने वाली है!
पेज-10,14 के आकाश व अंतरिक्ष देखिये या पेज-67! हर जगह जीवंतता का एहसास नज़र हटने नहीं देता है! यह पाठको को पूरी कॉमिक्स में देखने को मिलेगा!
नीरू जी के शब्दांकन के बिना बात अधूरी रह जायेगी! शब्द ही कहानी को समझाते हैं और जहाँ बात नहीं होती,वहां वातावरण में मौजूद दूसरी आवाज़ें सहायक बनती हैं! यहाँ पर कैलिग्राफर की ज़िम्मेदारी बढ़ जाती है कि कैसे वोह हर दृश्य को पढने वाले को समझा पायेगा! पेज-9,10 इस चीज़ का सटीक उदाहरण दिखाते हैं!
पूरी कहानी बहुत सुंदर तरीकों से शब्दांकित हुई है!
टिप्पणी- “युगांधर” एक उत्कृष्ट कॉमिक्स है! इसमें एक जानदार कहानी है,चित्रांकन साधारण है,लेकिन उसको असाधारण बनाने की ताकत रखने वाले कलरिंग इफेक्ट्स हैं,जिन्हें शब्दांकन का भरपूर सहारा मिला है! यह प्राचीन कथा प्रेमियों के लिए संकलित करने योग्य विशेषांक है! कुल मिलाकर सर्वनायक की शुभ शुरुआत हुई है!
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