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Wednesday 26 March 2014

BELMUNDA KA KHAJANA


कॉमिक समीक्षा - बेलमुंडा का खजाना

Genre- Comedy-Action-F
antasy

Plot- पिछले भाग समुद्री लुटेरे में आपने पढ़ा था..कि हम्मा-हम्मा आयाम में पहुंचे नागराज,ध्रुव और फाइटर टोड्स 7 में से 2 पड़ाव पार कर चुके हैं! इस भाग में वे बचे हुए 5 पड़ाव पार करके एक बार फिर दुनिया पर आया संकट दूर करेंगे!

Story view- 74 पन्नों की यह कॉमिक्स पूरी तरह से एक्शन पैक्ड है...लेखक ने कहानी की गति को तेज़ रफ़्तार से बढाया है...जिसमे 5 पड़ाव पार करने के लिए सभी अपनी पूरी जोर आजमाइश करते नज़र आते हैं!
किरदारों की बात करी जाए...तो कहानी में सबको अपने हिस्से में पर्याप्त जगह मिली है...फाइटर टोड्स पूरी कॉमिक्स में छाए नज़र आते हैं...वहीँ ध्रुव से भी हर सही जगह पर अपनी चतुरता का प्रदर्शन लेखक करवाते दिखे हैं! नागराज ने अपने हिस्से के काम सबके सहयोग से पूरे करे हैं!
लेकिन कहानी में जहाँ भी "बलमा पोपट" को संवाद मिलते हैं...वो कहानी का मुख्य आकर्षण बन जाता है! एक हास्य कहानी में ऐसे किरदार होना बहुत जरूरी हैं...जिनके लिए पढने वाले को उत्सुकता बनी रहे! बलमा पोपट इस सीरीज की खोज कहा जा सकता है!
2 आयामों में चलती इस कहानी में कई प्रश्न खड़े मिलते हैं...लेखक ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश करी है...सबके उत्तर यथासंभव देने की...लेकिन कहानी को अंत में 1-2 अतिरिक्त पन्ने मिलने चाहिए थे! क्यूंकि 2 महत्वपूर्ण कथा प्रसंग
* बेलमुंडा का अविजित हम्मा-हम्मा का त्रिशूल चुराना !
* कैटरपिलर का पहली बार में देवों द्वारा हार होने पर पृथ्वी के आयाम में प्रवेश व् अपनी जान बलमा पोपट के अन्दर स्थानांतरित करने वाला प्रसंग दिखाया जाना चाहिए था...क्यूंकि बेलमुंडा और उसकी सेना की जान निर्जीव खजाने में हो सकती है...जो सदा रक्षित बना रहा...लेकिन "बलमा पोपट" एक जीवित प्राणी है....कैटरपिलर को यह आशंका बनी रहनी चाहिए थी..कि बलमा को बेलमुंडा या हम्मा-हम्मा की काली शक्तियों से सदियों तक खतरा था!

नितिन जी के एक्शन और कॉमेडी पर काफी बढ़िया पकड़ है...खासकर ध्रुव ने इस कॉमिक्स में कई जगह बेहतरीन दिमाग लगाया है! द्विअर्थी संवाद आज की सच्चाई हैं...और इनका प्रयोग भी कहानी को कई अच्छे हास्य के पल देता है! फाइटर टोड्स ने जगह जगह अपनी भोली बातों से बलमा के साथ एक अच्छी कॉमेडी पेयरिंग बनाये रखी!

Story-4/5
Artwork-3/5

Artwork View- स्तुति मिश्रा जी ने इस कॉमिक्स का चित्रांकन किया है! वस्तुतः कॉमिक्स अच्छी बनी है...परन्तु "समुद्री लुटेरे" की तुलना में 19 है! नागराज और ध्रुव के शरीर अच्छे नहीं बन पाए हैं...अनुपातिक रूप से कई जगह टेढ़े मेढ़े बने हैं...पेज-12,18-19,26 और बाद में 50वे पेज से अंत तक चित्रों का स्तर नीचे ही जाता रहा है! तुलनात्मक रूप से फाइटर टोड्स का आर्ट ठीक लगता है!
फिर भी कॉमिक्स आँखों को सुकून देती है.
अभिषेक सिंह द्वारा रंग संयोजन किया गया है...जो सामान्य है...उन्हें कुछ और नए आइडिया इस्तेमाल करने चाहिए...जिससे अलग आयामों में होने का एहसास दिखाई दे! इसके अलावा कॉमिक्स ठीक है..रंग खिले-खिले लगते हैं!
शब्दांकन- नीरू और सुखबीर जी द्वारा है.

नितिन मिश्रा जी ने इस बार Narration dialogues का भी इस्तेमाल कहानी में किया है...जो सामान्यतः वो उपयोग नहीं करते हैं....और यकीन मानिए यह बहुत सकारात्मक पक्ष रहा है! इससे कहानी को पढने में अधिक मज़ा आता है और तेज़ी से हो रहे बदलाव समझना ज्यादा आसान हो गया है! वो आगे भी इसको कहानियों में बनाये रखें!

यह कॉमिक्स इस सेट में सबसे अच्छी कॉमिक्स थी...और यादगार फंतासी जर्नी थी...समुद्री लुटेरों और हमारे हीरोज़ के बीच में दमदार टक्कर का मज़ा चुटीले हास्य संवादो के साथ लीजिये!

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