कॉमिक समीक्षा - दर्शन दो यमराज
Genre-Comedy-Dr
ama
Plot-शुरुआत होती है बांकेलाल के षड़यंत्र में इस बार यमराज को भी शामिल करने से...जिससे विक्रम सिंह के ऊपर आ जाते हैं...संकट के बादल...शुरू के 42 पन्ने इस संकट के निवारण की जद्दोजहद में गुजर जाते हैं...इस भाग में 3 बार विक्रम मौत से बचते हैं! बांकेलाल मरखप के हाथो अपनी पोल खुलवाते हुए बड़ी मुश्किल से बचता है!
इसके बाद विक्रम सिंह को जाना पड़ता है...वन में अपने ऊपर आये संकट को दूर करने का लम्बा उपाय करने...और राजा बनता है सेनापति मरखप! आगे के 42 पन्ने बांकेलाल के मरखप का जीना हराम करने को समर्पित हैं! जान बची तो लाखो पाए...लौट के बुध्धू घर को आये..की तर्ज़ पर...मरखप को अक्ल आ जाती हैं...और उसके बाद नए राजा के तौर पर दूसरे मंत्री अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं..कौन कौन मंत्री हैं..और उनके साथ बांके क्या क्या गुल खिलाता है....यह तो आप कॉमिक्स पढ़कर जानियेगा!
अंतिम भाग को पढने से पहले आप "कर बुरा हो भला" और "लाश की तलाश" नमक बांके की शुरूआती कॉमिक्स जरूर पढ़ें...क्यूंकि एक भूला भटका खलनायक वापसी करता है...जिसका गेटअप आजके मशहूर विलेन रोबो जैसा है...हीहीही
Story View-विवेक मोहन जी की परिकल्पना यानी कुछ अच्छा मिलेगा..यह तय था...तरुण कुमार वाही-अनुराग कुमार सिंह ने 128 शानदार पन्नो की रचना करी है! हास्य सहयोग में सुशांत जी का भी योगदान सराहनीय है!
इसको एक ड्रामा-जर्नी कहा जा सकता है...तीन कहानियां जो एक दूसरे से अलग हैं...लेकिन एक के बाद एक आती हैं...राज कॉमिक्स ने यह बेहतरीन निर्णय लिया कि इनको एक साथ पब्लिश करवाया...एक मोटी किताब के रूप में! तीनो कहानियां अच्छी लिखी गई हैं...हास्य भी काफी डाला गया है...और विक्रम सिंह के ना होने से कहानी भी दूसरे किरदारों की तरफ चली जाती है...जिससे नयापन मिलता है! मरखप सिंह का किरदार बहुत मजेदार लगता है! और बांकेलाल के बारे में कुछ कहना बेकार है...वो तो एक आंधी की तरह है...जो सामने मिला..उसको ही उड़ा देगा! बाकी लगभग सभी दरबारियों को कहानी में हिस्सेदारी मिली है! राजमार भी एक अहम् विलेन साबित हो सकता है!
आर्टवर्क- बेहतरीन! सुशांत जी द्वारा चित्रित और बसंत जी द्वारा रंग संयोजन हुआ है!
इंकिंग फ्रेंको,आनंद तिर्की
शब्दांकन-नीरू और सुखबीर
हमारा मत है...कि सभी बांके प्रेमियों को यह सुपर विशेषांक जरूर खरीदना चाहिए!
Genre-Comedy-Dr
Plot-शुरुआत होती है बांकेलाल के षड़यंत्र में इस बार यमराज को भी शामिल करने से...जिससे विक्रम सिंह के ऊपर आ जाते हैं...संकट के बादल...शुरू के 42 पन्ने इस संकट के निवारण की जद्दोजहद में गुजर जाते हैं...इस भाग में 3 बार विक्रम मौत से बचते हैं! बांकेलाल मरखप के हाथो अपनी पोल खुलवाते हुए बड़ी मुश्किल से बचता है!
इसके बाद विक्रम सिंह को जाना पड़ता है...वन में अपने ऊपर आये संकट को दूर करने का लम्बा उपाय करने...और राजा बनता है सेनापति मरखप! आगे के 42 पन्ने बांकेलाल के मरखप का जीना हराम करने को समर्पित हैं! जान बची तो लाखो पाए...लौट के बुध्धू घर को आये..की तर्ज़ पर...मरखप को अक्ल आ जाती हैं...और उसके बाद नए राजा के तौर पर दूसरे मंत्री अपनी किस्मत आजमाना चाहते हैं..कौन कौन मंत्री हैं..और उनके साथ बांके क्या क्या गुल खिलाता है....यह तो आप कॉमिक्स पढ़कर जानियेगा!
अंतिम भाग को पढने से पहले आप "कर बुरा हो भला" और "लाश की तलाश" नमक बांके की शुरूआती कॉमिक्स जरूर पढ़ें...क्यूंकि एक भूला भटका खलनायक वापसी करता है...जिसका गेटअप आजके मशहूर विलेन रोबो जैसा है...हीहीही
Story View-विवेक मोहन जी की परिकल्पना यानी कुछ अच्छा मिलेगा..यह तय था...तरुण कुमार वाही-अनुराग कुमार सिंह ने 128 शानदार पन्नो की रचना करी है! हास्य सहयोग में सुशांत जी का भी योगदान सराहनीय है!
इसको एक ड्रामा-जर्नी कहा जा सकता है...तीन कहानियां जो एक दूसरे से अलग हैं...लेकिन एक के बाद एक आती हैं...राज कॉमिक्स ने यह बेहतरीन निर्णय लिया कि इनको एक साथ पब्लिश करवाया...एक मोटी किताब के रूप में! तीनो कहानियां अच्छी लिखी गई हैं...हास्य भी काफी डाला गया है...और विक्रम सिंह के ना होने से कहानी भी दूसरे किरदारों की तरफ चली जाती है...जिससे नयापन मिलता है! मरखप सिंह का किरदार बहुत मजेदार लगता है! और बांकेलाल के बारे में कुछ कहना बेकार है...वो तो एक आंधी की तरह है...जो सामने मिला..उसको ही उड़ा देगा! बाकी लगभग सभी दरबारियों को कहानी में हिस्सेदारी मिली है! राजमार भी एक अहम् विलेन साबित हो सकता है!
आर्टवर्क- बेहतरीन! सुशांत जी द्वारा चित्रित और बसंत जी द्वारा रंग संयोजन हुआ है!
इंकिंग फ्रेंको,आनंद तिर्की
शब्दांकन-नीरू और सुखबीर
हमारा मत है...कि सभी बांके प्रेमियों को यह सुपर विशेषांक जरूर खरीदना चाहिए!
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