Release date: 23 March 2018 (India)
Director: Siddharth Malhotra
Production company: Yash Raj Films
Music director: Jasleen Royal, Hitesh Sonik
Producers: Aditya Chopra, Maneesh Sharma
हिचकी Tourette's syndrome से पीड़ित एक लड़की नैना माथुर (रानी मुखर्जी) की कहानी है, Tourette's syndrome में, पीड़ित व्यक्ति को बोलते समय या किसी आवेग/भावनात्मक पलों में हिचकी की ऐसी तेज़ आवाज़ निकलती हैं, जिसको वो रोक नहीं पाता और जो सुनने वाले को थोडा असहज कर देती है.
इस syndrome की वज़ह से रानी को बचपन से बड़े होने तक तमाम परेशानियों से जूझना पड़ रहा है! दर्जनों स्कूलों में कोशिश के बाद आखिर कुछ शर्तों के साथ एक स्कूल में रानी को पढ़ाने का मौका मिलता है!
ज्यादातर स्कूलों की तरह इस स्कूल में भी अलग-अलग तरह के छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धायें हैं, जिसमे गरीब और अमीर बच्चे अलग-अलग पढाये जाते हैं. इस भेदभावपूर्ण माहौल में बच्चो के साथ शिक्षक भी हिस्सेदार बने हुए हैं, ऐसे में जब रानी को पता चलता है कि उस जिस क्लास को पढाने का मौका दिया गया है, यह उसको अब तक ज़िन्दगी में मिलती चुनौतियों से ज्यादा चुनौतीपूर्ण होने वाला है, तो वो इस चुनौती को सहर्ष स्वीकार करती है!
फिल्म भारत में अमीरी-गरीबी के बीच ऊपरी तौर पर नकारात्मक माहौल की जो एक परत सी बनी हुई है, उसमे से सकारात्मक ऊर्जा को निकालने की एक अच्छी कोशिश करती है. बेशक यह शिक्षा व्यवस्था में मौजूद कमियों के साथ उन्हें कैसे दूर किया जा सकता है, इस तरफ भी कई सारे अच्छे उत्तर देती है.
लम्बी वापसी के बाद भी रानी मुखर्जी ने अपने किरदार को बहुत अच्छे से निभाया है. फिल्म पूरी तरह उनके ही कंधो पर है, फिल्म के कई हिस्से भावनात्मक रूप से अच्छे बन पड़े हैं, और बेशक इस फिल्म को रानी की सबसे अच्छी फिल्मो में एक रखा जा सकता है. एक आध गाने फिल्म की कहानी के साथ ही साथ चलते हैं, तो उससे फिल्म की रफ़्तार पर कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता है. फिल्म के निर्देशक और लेखक ने उम्दा काम यहाँ पर किया है.
4/5
#Hichki , #Rani Mukerji , #YashRajFilms
पता नहीं दोस्त तुम कहां और कैसे हो। फेसबुक, ब्लॉग बाकी किसी जगह से तुम्हारी कोई गतिविधि देखे या मैसेज मिले लगभग चार साल हो चुके हैं...शायद धीरे-धीरे ये साल दशकों में बीत जाएं। उम्मीद ये है कि तुम अपने मन के काम में सेट होकर घर-परिवार वाले आदमी बन गए हो या इंटरनेट की बहसबाज़ी से बचकर आराम का जीवन जी रहे हो, लेकिन झूठ नहीं बोलूंगा किसी अनहोनी का भी डर है कि आखिर कुछ गलत तो नहीं हो गया। जिसका जवाब शायद कभी न मिल पाए। 2010 में जब तुम्हारी पोस्ट्स को फोरम पर देखा, तो तुम थोड़े पागल टाइप, एक अड़ियल से बंदे लगते थे। तुमने अपने लेख, पोस्ट आदि से बताया कि तुम पागल नहीं बस एक अलग सोच वाले इंसान थे जो दूसरों के नज़रिये का भी सम्मान करता था। लेख, रिव्यू आदि की बात करें तो तुमने काम भी काफी किया, लेकिन दुनिया की एक रीत है, काम को उस जगह करो जहाँ लोगों को पता चले...नहीं तो कितना भी, कहीं भी कर लो कोई कीमत नहीं। अच्छा लगा तुम्हारे साथ कई विषयों पर बात करके और तुमने बहुत प्रोत्साहित किया मेरे लेखन को चाहे किसी छोटी ईबुक की समीक्षा हो या पेपरबैक की बधाई। खैर, खुश रहना भाई। #mohit_trendster
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