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Monday, 20 February 2017

The Ghazi Attack (2017) Review

Directed by     Sankalp Reddyy
Produced by     Anvesh Reddy,
Written by     Azad Alam (Hindi dialogues),
Screenplay by     Sankalp Reddy,Gangaraju Gunnam,Niranjan Reddy
Starring    
Rana Daggubati
Taapsee Pannu
Kay Kay Menon
Rahul Singh
Satyadev Kancharana
Atul Kulkarni
Narrated by     Vijay (Tamil)
Chiranjeevi (Telugu),
Amitabh Bachchan (Hindi)
Music by     K
Cinematography     Madhi
Edited by     A. Sreekar Prasad
Release date 17 February 2017
Running time 2h 03m
Country     India
Language Tamil,Telugu,Hindi


The Ghazi Attack (2017)
War Action Drama

Ratings- 9/10

Plot- 1971 के इंडो-पाक वार से कुछ दिन पहले सेट करी गई कहानी में पाकिस्तान अपने नापाक मंसूबे पूरा करने के लिए कमांडर रज्जाक खान (राहुल सिंह) की टीम के साथ PNS गाजी को अरब सागर के रास्ते बंगाल की खाड़ी में भेजता है,ताकि वो INS विक्रांत को बर्बाद करके पाकिस्तान के लिए रास्ते साफ़ कर सके!
भारतीय नेवी को खबर मिलती है तो वो S-21 नाम की पनडुब्बी को कैप्टन रणविजय सिंह ( केके मेनन), लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा (राणा डग्गुबती) और नेवल ऑफिसर देवराज (अतुल कुलकर्णी) के साथ खोजबीन पर भेज देती है!
केके और राणा के बीच पटरी सही से बैठ नहीं रही, एक गरम दिमाग दूसरा ठंडा दिमाग! इन दोनों के बीच में पिस रहे हैं अतुल भाई!
PNS गाजी में बैठे रज्जाक खान का दिमाग बहुत तेज़ है! खुरापात पर खुरापात! Mines - Torpedo सब चलाये जा रहा है!
2 घंटे की फिल्म में 1 घंटा 50 मिनट तक गाजी का पलड़ा भारी दिखाया जाता है, यह इस फिल्म की खूबसूरती है! सारे पाकिस्तानी सैनिक हर वक़्त खुश और जीतते हुए नज़र आएँगे वहीँ भारतीय सैनिक हर वक़्त घबराए और पसीने पसीने! एक दबी हुई कॉमेडी उभरी हुई मिलेगी!
लेकिन अंत में जीत S-21 की होती है!
सौ सुनार की और एक लोहार की टाइप इस फिल्म का अंत है!

यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित है,जिसको भारत आधिकारिक रिकॉर्ड में नहीं रखता है और पाकिस्तान मानने से ही इनकार कर देता है!
1971 में आयरन लेडी इंदिरा गाँधी के निर्देशों पर भारत की आर्मी उस वक़्त के पूर्वी पाकिस्तान और आज के बांग्लादेश को आज़ाद करवाने की लड़ाई में बांग्ला जनता का साथ दे रही थी...पाकिस्तान इससे बौखलाया हुआ था! वहां मौजूद जनता पर भारी पाकिस्तानी आर्मी का भारी अत्याचार चल रहा था!
पाकिस्तान की सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि बंगलादेश तीन तरफ से भारत से घिरा हुआ था और एक तरफ से बंगाल की खाड़ी थी! इस वज़ह से वो पूरी ताकत के साथ वहां सैनिक और अन्य मदद भेज नहीं पा रहा था!
पाकिस्तान के पास अमेरिका का दिया हुआ PNS गाजी मौजूद था, जिसने 1965 में भी अपना रुतबा कायम किया था! वहीँ भारत वाले ब्रिटेन के दिए INS विक्रांत पर रुके हुए थे!

फिल्म में राहुल सिंह और तापसी पन्नू के रोल ज्यादा बड़े नहीं हैं!
आधी फिल्म केके मेनन के कंधो पर रहती है और आधी फिल्म राणा के कंधो पर है! अतुल पूरी फिल्म में नज़र आयेंगे!
क्यूंकि पूरी फिल्म पानी के नीचे पनडुब्बी के अन्दर ही शूट हुई है, इसलिए तू डाल डाल मैं पात पात वाली थ्योरी पर कहानी नज़र आती है! हर वक़्त कोई ना कोई नया दांव लगाया जा रहा है, इधर से और उधर से भी! पुराने समय के हिसाब से देखिएगा तो यह कहानी बताती है कि हर लड़ाई दिमाग और दिलेरी दोनों की जरूरत है!

भारत में ऐसी फिल्में ज्यादा से ज्यादा बननी जरूरी हैं! हॉलीवुड वाले हर साल ही कोई ना कोई ऐसी फिल्म बनाकर अपने दुश्मन देशो को डराते रहते हैं! 

फिल्म में रज्जाक खान का गुस्से में भरा एक डायलाग- "ऊपर-नीचे-ऊपर-नीचे....साला कमांडर है कि लिफ्ट मैन?"  

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