सर्वयुगम के द्वारा सर्वनायक की मुख्य शुरुआत आपके हाथो में पहुँच चुकी
है! युगांधर के बाद सर्वयुगम को पाने का ज्यादा इंतज़ार तो नहीं करना पड़ा
लेकिन इस छोटे से समय में ही मन निरंतर उद्देलित बना रहा कि कैसी होगी
सर्वयुगम?कौन कौन किरदार होंगे?कैसे कहानी की शुरुआत होगी? भूत-वर्तमान
काल के नायकों का आमना-सामना किस प्रकार होगा? युगम कौन है? क्या पाठकों
के सबसे पसंदीदा नायक को कहानी में वज़नदार काम मिला होगा? सवालों की लिस्ट
बहुत लम्बी है..तो अब वक़्त है जवाबो को पाने का! इतनी बड़ी श्रंखला के अंत
तक पहुंचना अभी किसी पाठक के लिए मुमकिन नहीं है..कहानी को चलने दिया जाना
चाहिए और ध्यान कहानी में हो रही घटनाओं और हलचलों पर केन्द्रित करिए!
इसमें लेखक ने भी सहायता करी है-सभी भागों को अलग-अलग खण्डों में विभाजित
करके! जिससे समीक्षा करना आसान बन गया है!
*प्रस्तावना-उत्
पत्ति सूत्रधार
यह सर्वयुगम का पहला और छोटा सा खंड है! इसमें ज्यादा कुछ नहीं है..सिर्फ इतना पता चलता है कि कॉमिक्स में “अडिग” भी मौजूद है!
*प्रथम अध्याय –गर्भ ग्रह
कहानी की मुख्य शुरुआत इस अध्याय से हुई है! वर्तमान में धरती पर अन्तरिक्ष से एस्टेरोइड बेल्ट्स का आक्रमण हो गया है! वज़ह और किसकी कारस्तानी है..यह अभी किसी को नहीं पता...पता सिर्फ इतना है कि 8 घंटे में धरती का नामो निशाँ मिल जाएगा!
ब्रह्माण्ड रक्षको को तब गर्भ गृह के बारे में वैज्ञानिक बताते हैं...जो कुछ ऐसा है- कि पृथ्वी के “आंतरिक कोर” के ऊपर एक ऐसा गर्भ गृह बना दिया गया है..जिसमे पूरी पृथ्वी की जनसँख्या समा सकती है!
सवाल उठा- किसने बनाई ? जवाब आया- अकेले परमाणु और शक्ति ने प्रोबोट और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर!
प्रोबोट एक रोबोट है...उसके अन्दर जितना ज्ञान है...वो प्रोफेसर कमल कुमार वर्मा का तब का ज्ञान है...जब वो कोमा में चले गए थे..रोबोट में तर्क शक्ति नहीं होती है..कमांड्स पर काम करता है....पर प्रोबोट के मामले में सब उल्टा चलाया जा रहा है!
अनुपम सिन्हा जी ने “कोलाहल” में एक चीज़ दिखाई थी कि परमाणु ने एक ऐसा एंटी लावा सूट पहना जो 30 मिनट तक लावे की गर्मी को सहने के बाद गल जाएगा! पॉवर दी गई मगर conditions apply* के टैग के साथ! यह चीज़ मुमकिन भी थी और मानी भी जा सकती है!
मगर सर्वयुगम में लेखक ने परमाणु को एक ऐसा सूट दिया है..जिसपर कोई conditions apply* नहीं करती हैं...यह “विशेष सूट” कुछ नहीं मांगता है..ना कोई कूलिंग डिवाइस,ना कोई ऐसा प्रतिरोध जिससे यह दिनों..महीनो तक बिना जले या गले टिक गया है!
RC में पहले वैज्ञानिक सिद्धांतो का आदर होता था...बच्चे कॉमिक्स पढ़कर विज्ञान के करीब आते थे...लेकिन अब रोहित शेट्टी की फिल्मों की तरह विज्ञान का मखौल उड़ाया जा रहा है! पृथ्वी के “आंतरिक कोर” तक जाने के लिए क्या तकनीक चाहिए इसके लिए सभी पाठको को एक फिल्म THE CORE जरूर देखनी चाहिए! वरना सर्वयुगम वाली तकनीक उन्हें भ्रमित कर देगी!
शायद यही तक लेखक रुक जाते तो बात संभल जाती...मगर अगले ही पैनल में एक नयी पॉवर बताई गई...Ultra Cold Atoms ! इनकी विशेषता है कि यह लावे तक को ठंडा करने की ताकत रखते हैं! ख़ास बात यह कि इन atoms की सक्रियता को लेकर भी कोई समय सीमा या condition नहीं है...एक बार शक्ति के बनाये धातु के गर्डर पर चढ़ा दिए तो ज़िन्दगी भर चलते रहेंगे!
तो यह थी गर्भ गृह के साथ इस कहानी की खोखली नींव!
इधर सुपर कमांडो ध्रुव दिल्ली से हिमालय की कंदराओं में बैठे समाधी लगाये किरीगी को मानसिक संपर्क कर रहा है?????
नयी पॉवर वाला ध्रुव?
आज मानसिक संपर्क कर रहा है...कल मानसिक विस्फोट करेगा? सीरियसली परमाणु कि जग प्रसिद्ध बर्बादी के बाद अब ध्रुव का ही नंबर लगा दिख रहा है....specials और showstopper की छिछालेदार के बाद अब लगने लगा है अनुपम जी के हाथो में ही ध्रुव सुरक्षित है...वही उसको पुराना रूप दे सकते हैं!
मसीहा पागलखाने से भागकर तो आ गया..पर दण्ड कहाँ से लाया? कृपया आगे के भागो में जरूर बताएं!
उपरोक्त बातों को कॉमिक्स में पढ़कर जिन पाठको को भरपूर मनोरंजन प्राप्त हुआ हो...वो आनंद लें...बाकी आइये द्वितीय अध्याय पर
* द्वितीय अध्याय-पूर्वजों की धरती (प्रथम भाग)
विशेषता-इस भाग में स्वर्ग हेतु वाला मुद्दा ही चल रहा है...योध्धा को धकमानघन की प्राप्ति कैसे हुई और शुक्राल के साथ कैसे युगम ने उसको उठाया!
* द्वितीय अध्याय-पूर्वजों की धरती (द्वितीय भाग)
विशेषता-इस भाग में भेड़िया और गरुडा के साथ अतिक्रूर और शूतान का अधूरा और अनसुलझा टकराव है...और भेड़िया का युगम द्वारा अपहरण!
*तृतीय अध्याय-क्षुद्र ग्रहों का आक्रमण
विशेषता- इस भाग में ध्रुव अपने साथियों के साथ कुछ अच्छे रणनीति पूर्ण कार्य करता नज़र आया है...तिरंगा को भी एक मैनेज़र का रोल मिला है...जो रणनीतिकार बना हुआ है!
कहानी अच्छी भली चल रही थी..कि अचानक से परमाणु ने दोबारा नयी पॉवर निकाल ली-मॉलिक्यूलर एक्सपेंशन ----इसका काम है परमाणु को वामन अवतार दे देना!
यह कब मिली..क्यूँ मिली और कैसे मिली? यह उल्लेखित नहीं करा गया है...परमाणु को नागराज के बड़े शरीर की बराबरी करनी थी तो कर ली!
परमाणु के इस झटके से पाठक अभी उबर भी नहीं पाए थे...कि नागराज बोल पड़ा “मैं अपनी इच्छाशक्ति से ब्लैक होल” बनाऊंगा!
क्या कहा जाए? शायद अगले भाग में यह दोनों परमाणु और नागराज नया ब्रह्माण्ड ही बना देंगे!
तो यहाँ तक इन “असंभव”,”एवें ही”,”कुछ भी” जैसे कारनामो से अपने प्रिय सुपर हीरोज़ को जीतते देखकर अपना सिर धुन रहे पाठको को अंतिम अध्याय अपने पास बुला लेता है!
*चतुर्थ अध्याय- युगम क्षेत्र
यह अंतिम अध्याय ना होता तो यह कॉमिक्स कंपकंपा कर बिखर गई होती..यही एकमात्र हिस्सा ऐसा है...जो कहानी को वापस ट्रैक पर लाकर पाठको को राहत देगा!
युगम का किरदार बहुत प्रभावशाली है! वो सुसंस्कृत है...महान ज्ञाता और अपराजित भी!
इस भाग में सभी नायको और युगम के बीच में बहुत अच्छे तर्क और सवाल होते हैं!
सर्वयुगम का अंत होता है...भोकाल और नागराज के बीच प्रतिस्पर्धा की शुरुआत के साथ!
युगम धरित्री अस्य:
आप सभी ने सर्वयुगम का एक संछिप्त सारांश पढ़ लिया..अब बात लेखन की! नितिन मिश्रा जी ने जो काम “तक्षक” नाम की महत्वहीन कॉमिक्स में किया था वही सर्वयुगम में भी दोहराया है! एक्शन सीक्वेंस में किसको,कैसे जीतना है,कैसे काम करवाने हैं...इसपर मेहनत और जोर नज़र नहीं आता है! कागज़ी बातों में सभी किरदार बहुत अच्छे संवाद बोल रहे हैं....लेकिन ज़मीनी लड़ाई में उल जलूल प्रयोग हो रहे हैं...कौन कैसे जीत रहा है..कैसे हार रहा है.. कौन कब आया...पिटकर कहाँ गया...जिंदा है की मर गया..इसके बीच में ना सामंजस्य है..और ना ठोस आधार!
इस बात को दृष्टिगत रखते हुए राज कॉमिक्स से निवेदन है कि सर्वनायक सीरीज की वृहद और विस्तृत कथावस्तु को देखते हुए आगे के भागों में श्री अनुपम सिन्हा,तरुण कुमार वाही,विवेक मोहन,और खुद संजय गुप्ता जी एक्शन सीक्वेंस में रचनात्मक सहयोग दें जिससे ऊपर लिखी गई कमियों को यथासंभव दूर करके सर्वनायक को सफल बनाया जाए!
सर्वयुगम की गति ऐसी है-शुरूआती 4 पन्ने बहुत तेज़ी से चलते हैं...फिर संवाद...उसके बाद पेज 19 से ज़मीनी कार्य आरम्भ जो भागा दौड़ी में इस युग से उस युग तक चलते जा रहे हैं...पूरी तरह से एक्शन! अंत में पेज 70 से एक बार फिर संवाद जो अंत तक चलता है!
कहानी-2.5/5
आर्टवर्क-2.5/5
धीरज वर्मा जी का आर्टवर्क सर्वयुगम में है! लेकिन वो धीरज जी नहीं..जो कभी लड़ाके,तुरुपचाल, मैं
हूँ भेडिया या मर्द और मुर्दा के लिए जाने जाते थे! यह बात सच है...कि
सर्वयुगम के आर्टवर्क का स्तर वैसा कतई नहीं है..जैसी हर पाठक उम्मीद कर
रहा था!
आर्टवर्क का सारा कमाल इसके कलर इफेक्ट्स में छुपा हुआ है...
वरना गौर से देखेंगे तो इसमें rough out lining work के अलावा कुछ नहीं है! पेंसिल की detailngs तो दूर फिनिशिंग तक नहीं हुयी है!
उदहारण के तौर पर देखिये नागराज को जिसके शरीर से जालीदार शल्क गायब हैं...सतयुग में आइये योध्धा के आर्ट पर-सूखी घास के तिनको के समान आर्ट में से कई लाइन्स बाहर निकलती जा रही हैं! परमाणु के ऊपर तो इतने पेंसिल स्ट्रोक्स किये गए हैं...कि उसकी पीली पोशाक मकड़ी के जालों से ढकी नज़र आ रही है!
ऐसा आर्टवर्क इंकिंग के बिना कहीं भी नहीं ठहरने वाला! अब यह राज कॉमिक्स के ऊपर है कि वो कितना वक़्त लगाएगी इस चीज़ पर ध्यान देने में..क्यूंकि धीरज जी के साथ उसका भी नाम खराब हो रहा है!
सर्वयुगम के आर्टवर्क को इसके इफेक्ट्स ने बचा लिया है..जिस स्तर का आर्ट बना है....उसके लिए इफ़ेक्ट आर्टिस्ट्स को पूरे अंक दिए जा सकते हैं..उनकी मेहनत के बिना यह कॉमिक्स पार नहीं लग पाती!
शब्दांकन नीरू जी का है!
कॉमिक्स के मजबूत पक्ष-
*सिर्फ कॉमिक्स का चतुर्थ अध्याय
कॉमिक्स के कमजोर पक्ष-
*अनगिनत (उपरोक्त लिखित हैं)टिप्पणी- अति सुधार व उपचारात्मक सोच और काम की आवश्यकता!
overall सर्वयुगम अपने पिछले भाग युगांधर की आधी प्रतिष्ठा भी बचा नहीं पाई है! यह दुःख का विषय है कि इतनी बड़ी और इंतज़ार वाली कॉमिक्स के अन्दर ऐसा हुआ! राज कॉमिक्स आगे के भागो में ज्यादा सूक्ष्म दृष्टि से मेहनत करे!
*प्रस्तावना-उत्
यह सर्वयुगम का पहला और छोटा सा खंड है! इसमें ज्यादा कुछ नहीं है..सिर्फ इतना पता चलता है कि कॉमिक्स में “अडिग” भी मौजूद है!
*प्रथम अध्याय –गर्भ ग्रह
कहानी की मुख्य शुरुआत इस अध्याय से हुई है! वर्तमान में धरती पर अन्तरिक्ष से एस्टेरोइड बेल्ट्स का आक्रमण हो गया है! वज़ह और किसकी कारस्तानी है..यह अभी किसी को नहीं पता...पता सिर्फ इतना है कि 8 घंटे में धरती का नामो निशाँ मिल जाएगा!
ब्रह्माण्ड रक्षको को तब गर्भ गृह के बारे में वैज्ञानिक बताते हैं...जो कुछ ऐसा है- कि पृथ्वी के “आंतरिक कोर” के ऊपर एक ऐसा गर्भ गृह बना दिया गया है..जिसमे पूरी पृथ्वी की जनसँख्या समा सकती है!
सवाल उठा- किसने बनाई ? जवाब आया- अकेले परमाणु और शक्ति ने प्रोबोट और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर!
प्रोबोट एक रोबोट है...उसके अन्दर जितना ज्ञान है...वो प्रोफेसर कमल कुमार वर्मा का तब का ज्ञान है...जब वो कोमा में चले गए थे..रोबोट में तर्क शक्ति नहीं होती है..कमांड्स पर काम करता है....पर प्रोबोट के मामले में सब उल्टा चलाया जा रहा है!
अनुपम सिन्हा जी ने “कोलाहल” में एक चीज़ दिखाई थी कि परमाणु ने एक ऐसा एंटी लावा सूट पहना जो 30 मिनट तक लावे की गर्मी को सहने के बाद गल जाएगा! पॉवर दी गई मगर conditions apply* के टैग के साथ! यह चीज़ मुमकिन भी थी और मानी भी जा सकती है!
मगर सर्वयुगम में लेखक ने परमाणु को एक ऐसा सूट दिया है..जिसपर कोई conditions apply* नहीं करती हैं...यह “विशेष सूट” कुछ नहीं मांगता है..ना कोई कूलिंग डिवाइस,ना कोई ऐसा प्रतिरोध जिससे यह दिनों..महीनो तक बिना जले या गले टिक गया है!
RC में पहले वैज्ञानिक सिद्धांतो का आदर होता था...बच्चे कॉमिक्स पढ़कर विज्ञान के करीब आते थे...लेकिन अब रोहित शेट्टी की फिल्मों की तरह विज्ञान का मखौल उड़ाया जा रहा है! पृथ्वी के “आंतरिक कोर” तक जाने के लिए क्या तकनीक चाहिए इसके लिए सभी पाठको को एक फिल्म THE CORE जरूर देखनी चाहिए! वरना सर्वयुगम वाली तकनीक उन्हें भ्रमित कर देगी!
शायद यही तक लेखक रुक जाते तो बात संभल जाती...मगर अगले ही पैनल में एक नयी पॉवर बताई गई...Ultra Cold Atoms ! इनकी विशेषता है कि यह लावे तक को ठंडा करने की ताकत रखते हैं! ख़ास बात यह कि इन atoms की सक्रियता को लेकर भी कोई समय सीमा या condition नहीं है...एक बार शक्ति के बनाये धातु के गर्डर पर चढ़ा दिए तो ज़िन्दगी भर चलते रहेंगे!
तो यह थी गर्भ गृह के साथ इस कहानी की खोखली नींव!
इधर सुपर कमांडो ध्रुव दिल्ली से हिमालय की कंदराओं में बैठे समाधी लगाये किरीगी को मानसिक संपर्क कर रहा है?????
नयी पॉवर वाला ध्रुव?
आज मानसिक संपर्क कर रहा है...कल मानसिक विस्फोट करेगा? सीरियसली परमाणु कि जग प्रसिद्ध बर्बादी के बाद अब ध्रुव का ही नंबर लगा दिख रहा है....specials और showstopper की छिछालेदार के बाद अब लगने लगा है अनुपम जी के हाथो में ही ध्रुव सुरक्षित है...वही उसको पुराना रूप दे सकते हैं!
मसीहा पागलखाने से भागकर तो आ गया..पर दण्ड कहाँ से लाया? कृपया आगे के भागो में जरूर बताएं!
उपरोक्त बातों को कॉमिक्स में पढ़कर जिन पाठको को भरपूर मनोरंजन प्राप्त हुआ हो...वो आनंद लें...बाकी आइये द्वितीय अध्याय पर
* द्वितीय अध्याय-पूर्वजों
विशेषता-इस भाग में स्वर्ग हेतु वाला मुद्दा ही चल रहा है...योध्धा को धकमानघन की प्राप्ति कैसे हुई और शुक्राल के साथ कैसे युगम ने उसको उठाया!
* द्वितीय अध्याय-पूर्वजों
विशेषता-इस भाग में भेड़िया और गरुडा के साथ अतिक्रूर और शूतान का अधूरा और अनसुलझा टकराव है...और भेड़िया का युगम द्वारा अपहरण!
*तृतीय अध्याय-क्षुद्र ग्रहों का आक्रमण
विशेषता- इस भाग में ध्रुव अपने साथियों के साथ कुछ अच्छे रणनीति पूर्ण कार्य करता नज़र आया है...तिरंगा को भी एक मैनेज़र का रोल मिला है...जो रणनीतिकार बना हुआ है!
कहानी अच्छी भली चल रही थी..कि अचानक से परमाणु ने दोबारा नयी पॉवर निकाल ली-मॉलिक्यूलर एक्सपेंशन ----इसका काम है परमाणु को वामन अवतार दे देना!
यह कब मिली..क्यूँ मिली और कैसे मिली? यह उल्लेखित नहीं करा गया है...परमाणु को नागराज के बड़े शरीर की बराबरी करनी थी तो कर ली!
परमाणु के इस झटके से पाठक अभी उबर भी नहीं पाए थे...कि नागराज बोल पड़ा “मैं अपनी इच्छाशक्ति से ब्लैक होल” बनाऊंगा!
क्या कहा जाए? शायद अगले भाग में यह दोनों परमाणु और नागराज नया ब्रह्माण्ड ही बना देंगे!
तो यहाँ तक इन “असंभव”,”एवें ही”,”कुछ भी” जैसे कारनामो से अपने प्रिय सुपर हीरोज़ को जीतते देखकर अपना सिर धुन रहे पाठको को अंतिम अध्याय अपने पास बुला लेता है!
*चतुर्थ अध्याय- युगम क्षेत्र
यह अंतिम अध्याय ना होता तो यह कॉमिक्स कंपकंपा कर बिखर गई होती..यही एकमात्र हिस्सा ऐसा है...जो कहानी को वापस ट्रैक पर लाकर पाठको को राहत देगा!
युगम का किरदार बहुत प्रभावशाली है! वो सुसंस्कृत है...महान ज्ञाता और अपराजित भी!
इस भाग में सभी नायको और युगम के बीच में बहुत अच्छे तर्क और सवाल होते हैं!
सर्वयुगम का अंत होता है...भोकाल और नागराज के बीच प्रतिस्पर्धा की शुरुआत के साथ!
युगम धरित्री अस्य:
आप सभी ने सर्वयुगम का एक संछिप्त सारांश पढ़ लिया..अब बात लेखन की! नितिन मिश्रा जी ने जो काम “तक्षक” नाम की महत्वहीन कॉमिक्स में किया था वही सर्वयुगम में भी दोहराया है! एक्शन सीक्वेंस में किसको,कैसे जीतना है,कैसे काम करवाने हैं...इसपर मेहनत और जोर नज़र नहीं आता है! कागज़ी बातों में सभी किरदार बहुत अच्छे संवाद बोल रहे हैं....लेकिन ज़मीनी लड़ाई में उल जलूल प्रयोग हो रहे हैं...कौन कैसे जीत रहा है..कैसे हार रहा है.. कौन कब आया...पिटकर कहाँ गया...जिंदा है की मर गया..इसके बीच में ना सामंजस्य है..और ना ठोस आधार!
इस बात को दृष्टिगत रखते हुए राज कॉमिक्स से निवेदन है कि सर्वनायक सीरीज की वृहद और विस्तृत कथावस्तु को देखते हुए आगे के भागों में श्री अनुपम सिन्हा,तरुण कुमार वाही,विवेक मोहन,और खुद संजय गुप्ता जी एक्शन सीक्वेंस में रचनात्मक सहयोग दें जिससे ऊपर लिखी गई कमियों को यथासंभव दूर करके सर्वनायक को सफल बनाया जाए!
सर्वयुगम की गति ऐसी है-शुरूआती 4 पन्ने बहुत तेज़ी से चलते हैं...फिर संवाद...उसके बाद पेज 19 से ज़मीनी कार्य आरम्भ जो भागा दौड़ी में इस युग से उस युग तक चलते जा रहे हैं...पूरी तरह से एक्शन! अंत में पेज 70 से एक बार फिर संवाद जो अंत तक चलता है!
कहानी-2.5/5
आर्टवर्क-2.5/5
धीरज वर्मा जी का आर्टवर्क सर्वयुगम में है! लेकिन वो धीरज जी नहीं..जो कभी लड़ाके,तुरुपचाल,
आर्टवर्क का सारा कमाल इसके कलर इफेक्ट्स में छुपा हुआ है...
वरना गौर से देखेंगे तो इसमें rough out lining work के अलावा कुछ नहीं है! पेंसिल की detailngs तो दूर फिनिशिंग तक नहीं हुयी है!
उदहारण के तौर पर देखिये नागराज को जिसके शरीर से जालीदार शल्क गायब हैं...सतयुग में आइये योध्धा के आर्ट पर-सूखी घास के तिनको के समान आर्ट में से कई लाइन्स बाहर निकलती जा रही हैं! परमाणु के ऊपर तो इतने पेंसिल स्ट्रोक्स किये गए हैं...कि उसकी पीली पोशाक मकड़ी के जालों से ढकी नज़र आ रही है!
ऐसा आर्टवर्क इंकिंग के बिना कहीं भी नहीं ठहरने वाला! अब यह राज कॉमिक्स के ऊपर है कि वो कितना वक़्त लगाएगी इस चीज़ पर ध्यान देने में..क्यूंकि धीरज जी के साथ उसका भी नाम खराब हो रहा है!
सर्वयुगम के आर्टवर्क को इसके इफेक्ट्स ने बचा लिया है..जिस स्तर का आर्ट बना है....उसके लिए इफ़ेक्ट आर्टिस्ट्स को पूरे अंक दिए जा सकते हैं..उनकी मेहनत के बिना यह कॉमिक्स पार नहीं लग पाती!
शब्दांकन नीरू जी का है!
कॉमिक्स के मजबूत पक्ष-
*सिर्फ कॉमिक्स का चतुर्थ अध्याय
कॉमिक्स के कमजोर पक्ष-
*अनगिनत (उपरोक्त लिखित हैं)टिप्पणी- अति सुधार व उपचारात्मक सोच और काम की आवश्यकता!
overall सर्वयुगम अपने पिछले भाग युगांधर की आधी प्रतिष्ठा भी बचा नहीं पाई है! यह दुःख का विषय है कि इतनी बड़ी और इंतज़ार वाली कॉमिक्स के अन्दर ऐसा हुआ! राज कॉमिक्स आगे के भागो में ज्यादा सूक्ष्म दृष्टि से मेहनत करे!