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Tuesday, 28 January 2014

DO KATORA KHOON

बीस सालों के बाद अपने स्पेशल एडिशन नंबर 4- “एक कटोरा खून” के नाम को विस्तारित करके जब राज कॉमिक्स ने “2 कटोरा खून” की उदघोषणा करी, तो हर THS प्रेमी प्रफुल्लित हो उठा था! क्यूंकि यह genre हमेशा विवादस्पद बनी रहती है,जिसकी वज़ह से सालों तक बंद रहने को मजबूर भी! लेकिन आज तक राज कॉमिक्स की THS में ऐसा कोई भी बिंदु एक भी व्यक्ति निकाल नहीं सका,जिससे इसको बंद रखने का कोई औचित्य मिले! हम तो चाहेंगे राज कॉमिक्स इस genre को बांकेलाल की तरह प्रोत्साहित करे! ताकि हर सेट में एक दिल देहलाऊ कहानी पाठको को मिलती रहे!
“2 कटोरा खून” के बारे में पहली चीज़- कि यह “एक कटोरा खून” से 99% अलग है! ना तो उसके आगे की कहानी है ना ही पीछे की! 1% समानता सिर्फ कनपटीमार चुड़ैल के काम करने के तरीके की है!
चुडैलों की कहानियां मुख्यतः राजे रजवाड़ों से ही जुडी मिलती रही है! यहाँ का प्लाट भी वही है! कहानी के शुरूआती 2 पेज ऐसे मिलते हैं...जो पाठको को पहले ही कहानी का सारांश बिना कुछ कहे ही दिखा देंगे! यानी यहाँ रक्तपिशाचों और नरभेडियों के बीच जानी दुश्मनी पर कहानी लिखी गई है! इसमें कनपटीमार चुड़ैल कैसे फिट बैठती है..यही कहानी में पाठको के पढने योग्य है!

THS की कहानी का सबसे मजबूत फैक्टर होता है- “डर”!
“रोमांच” का पता पाठक को सबसे अंत में लगता है कि क्या वो अगली रात दोबारा कहानी पढना चाहेगा? ऐसा वो तब करेगा जब उसे लगेगा कि कहानी में “सस्पेंस” अच्छा डाला गया हो! यानी अगर रोमांच+सस्पेंस मिल गया तो हॉरर अपने आप निकल आएगा!

इस THS की कहानी में है प्रेम की कोपलें,रंजिश,धो
खा और जन्मों का विछोह! ऐसे में एक पूर्ण कथानक के स्तर पर “2 कटोरा खून” सफल कही जा सकती है! कहानी की केन्द्रीय नायिका के रूप में “अलंकृता” नाम की मासूम लड़की का किरदार एक चुड़ैल के रूप में वीभत्स बन जाना आकर्षित करता है! पाठक यह सोच सकते हैं...कि चुड़ैल के रूप में यही लड़की क्यूँ? तो इसका जवाब उन्हें कहानी के अंतिम पन्नो में मिलता है! गहराई से लिखी गई इस कहानी में हिमालय क्षेत्र में बसे एक छोटे से राज्य स्यालगढ़ को दिखाया गया है जहाँ रक्तपिशाचों और नरभेडियों का आतंक फैला हुआ है!
कहानी का कालखंड बताता है कि यह कहानी आज की नहीं बल्कि सदियों पहले इसका बीज बोया जा चुका था! आज तो सिर्फ अंत होना है! पर यह अंत भी अधूरा है..शायद 3 कटोरा खून के लिए कुछ बचाया गया हो!
*कौन है इसके पीछे?
*कौन रोकेगा इन् दोनों खूनी जातियों को?
*क्या है 2 कटोरे खून का रहस्य?
*क्या विछोह को अपनी परिणीती मिल पाई?

कहानी की गति कुछ यूँ है-पेज 4 से ही रहस्य के साए दिखने शुरू हो जाते हैं...जो पेज 17 तक कहानी को चुड़ैल वाले ट्रैक पर ले आते हैं...40वे पेज तक षड्यंत्रकारी सामने होते हैं...50वे पेज तक कहानी का पूर्वाध दिखाया जाता है...70वे पेज तक कहानी आर-पार की बन जाती है...जो आखिर में क्लाइमेक्स पर खून-खराबे से समाप्त होती है!

बहरहाल राजे रजवाड़ों की दन्त कथाओं से उत्पन्न हुई इस कहानी को आप जरूर पढ़िए! बहुत ज्यादा innovative आईडिया पर तो कहानी नहीं है..लेकिन One Shot THS स्टोरी के लिहाज़ से परफेक्ट और मनोरंजक है!

कहानी-4/5
आर्टवर्क-4.5/5

THS का आर्ट वो भी विनोद कुमार जी का...इससे ज्यादा और ठोस वज़ह नहीं हो सकती कि यह कॉमिक्स हम सभी को खरीदने के लिए कह सकते हैं! एक कटोरा खून उन्होंने ही बनाई थी! विनोद जी के काम से सभी वाकिफ हैं! वो जितने अच्छे इंकर हैं उससे कहीं ज्यादा अच्छे चित्रकार हैं!
पेज 64 से अंतिम पेज तक का आर्टवर्क हेमंत कुमार जी ने बनाया है! जो ठीक ठाक है!
विनोद जी द्वारा बनाई गई कनपटीमार चुड़ैल के हौलकनाक, वीभत्स खून निकालते दृश्य पुरानी कॉमिक्स की याद ताज़ा करा देते हैं! इस कॉमिक्स में बहुत ही डिटेल्ड आर्टवर्क दिया गया है! आपके पूरे पैसे वसूल हो जाते हैं!
कैलीग्राफी- वैसे तो शब्दांकन अच्छा हुआ है...लेकिन एक शिकायत भी है...कि कई जगहों पर डायलाग बलून्स को आर्टवर्क को पूरी तरह से कवर करने के लिए इस्तेमाल किया गया है! जबकि आसपास खाली जगह बची थी! वज़ह जो रही हो...पर यदि एक THS की कॉमिक्स में ही कुछ Mature artwork नहीं दिखाया जा सकता..तो बाकी सुपर हीरोज़ में तो यह 100 साल दूर की कौड़ी नज़र आ रही है! बहरहाल राज कॉमिक्स से निवेदन है...जिस तरह से कवर आर्ट को नितिन मिश्रा जी ने बहुत उम्दा बनाया है,नए क्रिएटिव आज के समय के साथ काफी कुछ नया करना चाहते हैं..उन्हें प्रोत्साहन मिलना चाहिए जिससे THS को एक अलग स्पेशल केटेगरी मानकर इस Mature artwork के विषय में थोडा लचीला रुख अपनाएं...जिससे आर्टिस्ट्स के विज़न को एक रचनात्मक पहलु मिले...और पाठको को भी कॉमिक्स में आधुनिक युग के साथ चलने में आसानी हो!
अब्दुल मोईन और शबनम जी ने इफेक्ट्स दिए हैं...हिमालयी वातावरण में आद्रता को मद्देनज़र रखते हुए...काफी हरियाली और धुंध मौजूद है! रात में माहौल में कुछ अतिरिक्त लाइटिंग इफेक्ट्स मिल सकते थे..आसमान के दृश्य साधारण ही रखे गए हैं...उनमे काफी स्कोप था...जो अनदेखा किया गया...आजकल भक्त रंजन जी के काम को देखते हुए...2 कटोरा खून आधा ही लग रहा है! अनुभव के साथ आगे निरंतर सुधार करें!

कॉमिक्स के मजबूत पक्ष-
*नितिन मिश्रा जी की लेखनी,विनोद जी का आर्ट,कहानी में प्रेम और रंजिश का सही तालमेल,कहानी का नायिका प्रधान होना,
कॉमिक्स के कमजोर पक्ष-
*रंग संयोजन में एकसरता,2014 के समय में भी आर्ट की maturity को लेकर विरोधाभास!

अंत में सभी कॉमिक प्रेमी और जो इस genre से अभी तक अनछुए हैं..वो भी THS की इस वापसी को प्रोत्साहित करें..और 2 कटोरा खून का आनंद लें!


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