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Thursday 26 June 2014

NARAK NIYATI


कॉमिक रिव्यूः नरक नियति
मुख्य पात्र: नरक नाशक नागराज,नागमणि,न
गीना,कालदूत,नियति
राइटर-आर्टिस्ट- नितिन मिश्रा/हेमंत कुमार
लम्बाई : 75 पन्ने 
कहानी:3/5
आर्टवर्क-4.5/5

नरक नियति के कथानक की शुरुआत “बाल नागराज” के कारनामो के चर्चे चहुँ ओर फैलने से होती है..जहाँ वो एक तरफ अपने पिता को ईमानदारों का मुखिया समझता है..वहीँ दूसरी ओर उनके धंधे को नुक्सान भी पहुंचता रहता है! इस सबके बीच वो "नियति" नाम की लड़की की तरफ आकर्षित भी है..जो इस अपनी ही थाली में छेद करने वाले बेटे के पापा नागमणि को पसंद नहीं! इधर नागरत्न को पाने के लिए उसका सामना हो चुका है तक्षिका के साथ!
पूर्व में आई तक्षक कॉमिक्स से एक कड़ी आगे बढाते हुए वर्तमान में नागराज और कालदूत का एक युद्ध छिड चुका है..कारण अभी भी गुप्त है!
खैर यह कहानी की बात थी..मुख्य मुद्दा है...कि नरक नाशक की उत्पत्ति की यह श्रंखला किस रास्ते पर है.
पिछले भाग में आपने जाना था कि कैसे नागराज का बचपन बीता और उसने नागमणि को अपना पिता माना! लेकिन जब वो किशोरावस्था में आ चुका है..तब आपको पता चलता है कि वो बुलडॉग से लड़ता है..इस भाग में शंकर शहंशाह से उसका सामना होने वाला है..जो रेबीज वाले कुत्तों से काटे गए बुलडॉग तक को वापस ठीक करने की ताकत रखता है!
“स्नोकी” का नाम भी आपने सुना होगा..यह सभी आतंक हर्ता नागराज से जुड़े किरदार और विषय हैं! तो बात यह है....कि कुल मिलाकर नए पैकेट में पुरानी चीज़ जैसा मामला बन रहा है...आपकी मांग थी..कि पुराने किरदार वापस आने चाहिए..लेकिन राज कॉमिक्स ने आपकी यह मांग एक parallel हीरो के Origin में इस्तेमाल कर ली है...आपने यह सोचा था..कि नरक नाशक का Origin मुख्य नागराज से अलग होगा..तो आप गलत थे! जिस रास्ते पर नरक नाशक को डाल दिया गया है वो महानगर नागराज और आत्तंक हर्ता नागराज का एक Hybrid Model बन गया है!
अगर आपको याद होगा तो कुछ वक़्त पहले आई जर्मनी सीरीज की कॉमिक्स “वर्ल्ड वार” में भी आपने नागमणि द्वीप देखा है! वहां की कहानी अधूरी छोड़ दी गई थी...वहीँ नरक नाशक पढ़ते हुए आपको वापस वही नागमणि द्वीप मिलता है..लेकिन बिलकुल अलग!
कुल मिलाकर कुछ नया मिलने की सोचना गलत चीज़ हो रही है! नरक नाशक नागराज की जब शुरुआत हुई थी..तो लगा था कि यह एक डार्क वर्ल्ड से उभरा हुआ हीरो है....इसके किरदार का एक स्याह पक्ष सामने आएगा..जो बाकी दोनों नागराज से अलग होगा! लेकिन अभी तक ऐसा कुछ नज़र नहीं आया है...लेखक अपने बनाये नए खलनायक दिखाने के जगह पर Parallel Earth से विलेन ले रहे हैं!
अगर उनसे एक प्रश्न किया जाए कि अगर नागमणि को मिलने से पहले यह नागराज कहाँ था..तो उनका उत्तर निसंदेह महाराज मणिराज और रानी ललिता होगा..और उस स्थिती में खजाना-द्वितीय के लिए तैयार रहना चाहिए!
यहाँ होता यह है...कि आप एक्शन को एन्जॉय नहीं कर पाते...क्यूंकि अगर नागराज और कालदूत की दोबारा हुई लड़ाई में नागराज यह कह रहा है..कि "आपकी दुम पर प्रहार करने से आपकी रीढ़ को सुन्न करके मैं आपको हरा चुका हूँ"...तो आपको ध्यान आ जाना चाहिए कि यही ट्रिक तो "त्रिफना" में इस्तेमाल करी जा चुकी है! अगर वो यह कहता है कि "नगीना के गले की मणि को छीन लेने से जीत होगी"..तो आपको याद आ जाएगा कि यही तो “खजाना” कॉमिक्स में किया गया था! आखिर के पन्नो में बीन सुनते ही नाचने वाला सीन खजाना खोजते "महानगर नागराज" से ही मिलता जुलता बना है!
और अगर कल को नागमणि नागराज को मारने के लिए किसी नागदंत नुमा चीज़ को पेश कर दे..तो अचरज कैसा....शायद ही कोई कहे की उसको कुछ याद नहीं आ रहा..यह सब तो पढ़ा-पढाया है!

पेज-58 पर अपने जीवन में प्रथम बार नरक नाशक के सामने एक देवता प्रकट होते हैं...और उस 15 साल के बच्चे को कोई आश्चर्य नहीं होता...गोया वो रोज ही देवताओं के दर्शन करता रहा हो! अपराध रोकना एक अलग क्षेत्र होता है..और चमत्कार होते देखना एक अलग बात! महानगर नागराज जब पहली बार देव कालजयी से मिला था तो वो भी आश्चर्यचकित रह गया था..पर यहाँ तो वो भी नहीं हुआ!

अब मसला यह कि हमें क्यूँ नहीं लगता कि कहानी का ओरिजिन नयापन नहीं लिए हुए है! यह बात सबको पता है कि parallel Earths का कांसेप्ट RC में अनुपम जी ने शुरू किया था! उन्होंने फुंकार बनाई! उसके बाद हेड्रोन सीरीज में जब कई parallel Earths पर मौजूद कई नागराज दिखाए गए थे..तो उसमे से एक नागराज के ओरिजिन के बारे में भी बताया गया था! जो कि हमारे नागराज से थोडा मिलता जुलता होने के बाद भी काफी अलग था! इस हिसाब से नरक नाशक नागराज भी ऐसी ही किसी दूसरी Earth का हीरो है...अगर उसका ओरिजिन अलग नहीं होगा..तो मजबूरी में उसके सहायक पात्र भी वैसे के वैसे दिखाने पड़ेंगे जैसे वो Original series में हैं...जैसे की महात्मा कालदूत! यानी 3 सीरीज और 3 नागद्वीप! लेखक के पास भी मौका है कि वो अपने original Ideas कहानी को देंगे! वरना अभी तक तो यह सिर्फ नागराज की WTS एवं अनुपम जी के लिखे हुए पुराने खजाने का ही रूपांतरण नज़र आ रहा है!

हमें व्यक्तिगत तौर पर नरक नियति से निराशा हुई है! हमें लगा था कि यह एक नयी कहानी से निकला नया अनुभव साबित होगी..पर ऐसा नहीं दिखता!
कहानी ऐसा नहीं है कि बेतरतीब हो....नियति और नागराज के बीच के सभी सीन उम्दा लिखे गए हैं....लेकिन वहां भी नयेपन की कोई गुंजाइश नहीं थी! सिर्फ एक बात की उत्सुकता यह कहानी बनाती है..वो है नागमणि के साथ मौजूद गुप्त व्यक्ति कौन है?
आर्टवर्क-
 पिछले भाग की तरह ही प्रशंसनीय है! हेमंत जी अब नागराज सीरीज में घुलमिल से गए हैं!

आप इस कहानी का आनंद पूर्व के स्वर्णिम कॉमिक युग को दोबारा याद करते हुए ले सकते हैं! लेकिन नए हीरो की नयी कहानी के तौर पर निराशा मिलती है!

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