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Friday 27 June 2014

SARVDAMAN

कॉमिक रिव्यूः सर्वदमन
मुख्य पात्र: परमाणु,प्रचंडा,
युगम,अडिग
राइटर-आर्टिस्ट- नितिन मिश्रा/धीरज वर्मा
लम्बाई : 94 पन्ने

कहानी:4/5
आर्टवर्क-3/5

जैसा कि हमने सर्वयुगम की समीक्षा में कहा था..कि कहानी शुरूआती हिचकोले खाती हुई अपने अंतिम अध्याय पर जाकर स्थिर हुयी है...तो कहानी वही से आगे बढती है...जिसका पहला पन्ना है-

प्रस्तावना-मुर्दों का मसीहा-
इस अध्याय में दिखते है....प्रेत अंकल वाले इरी के "डिस्ट्रीक्ट की गुफा में हुल्लड़" मचाते सधम...जिसको रोकने में लगे एंथोनी पर पड़ती है, "काउंट" ड्रेकुला की लात!(जो की ताज़ा ताज़ा आया है सभी सिग्नल तोड़-ताड़ के...नर्क वाली गर्लफ्रेंड छोड़ छाड़ के) 2 पन्ने शुरू में 2 पन्ने अंत में.. अध्याय खत्म

प्रथम अध्याय-प्रथम पराजय-

कहानी सर्वयुगम में जहाँ भोकाल-नागराज के द्वंद पर रुकी थी..वहीँ से आगे बढती है...क्यूंकि
"भोकाल का कवच गुलाबी...नागराज की चड्डी गुलाबी!
मैं भी गुलाबी....तू भी गुलाबी...ग्रह भी गुलाबी..गुलाबी यह कहर!!
ऊपर से एक-दूसरे को कूटने और दिल से मोहब्बत के नगमे गुनगुना रहे और एक दूसरे को पटका-पटकी में हराने की जद्दोजहद में एक नायक को विजय मिल ही गयी!
यह भाग पूर्वकाल और पश्चात काल के वीरों के बीच के आपसी मतभेदों को खुलकर सामने लाता है!सभी एक दूसरे से असहमत दिखते हैं!(मैं परेशान..परेशान...परेशान...रंजिशे हैं जवां)
इसी भाग में परमाणु और प्रचंडा के बीच 5 चरण लम्बी प्रतियोगिता भी शुरू होती है!

द्वितीय अध्याय-मृत्यु से परे(भाग-1)
20 पन्नो का यह अध्याय अडिग पर केन्द्रित है....जिसमे वो पिछले भाग का अपना काम यानी..पाषाण राक्षसों से लड़ रहा है...जिसके बाद विस्तृत ब्रह्माण्ड रक्षक उससे द्वंद करते हैं!
कुछ नए सुपर विलेन भी इस भाग से कहानी में जुड़ते हैं!(जो की जीने लगे हैं पहले से ज्यादा)

द्वितीय अध्याय-मृत्यु से परे(भाग-2)
3 पन्नो का यह अध्याय महामानव के लिए है...जो बहुत रहस्यमयी वातावरण में नज़र आया है!
तृतीय अध्याय-पंच तत्व परमाणु-
30 पन्नो के इस अध्याय में परमाणु और प्रचंडा के बीच 3 प्रतियोगिता होती हैं...और विजेता के बारे में जानने के लिए यह भी कम पड़ गया है...अब इन दोनों में "धतिंग नाच" करने का मौका किसको मिलेगा इसके लिए आपको अगले अंक का इंतज़ार करना पड़ेगा!

परिशिष्ट अध्याय-
1 पन्ने के इस अध्याय में पता चलता है..कि भोकाल के मित्रो और भेड़िया के दुश्मनों के बीच लड़ाई शुरू होने वाली है! (क्यूंकि बरबादियाँ...मीठी लगे आज़ादियाँ)

इस पूरी कॉमिक्स में मुख्य बात परमाणु और प्रचंडा के बीच लड़ाई को दिखाना है...लेखक द्वारा दोनों को यथासंभव बराबर का मौका दिया गया...दोनों की कमियां और खूबियाँ सामने रखी गई! कई जगह युगम के असली मकसद की झलक दिखती महसूस होती है...कि यह सभी प्रतियोगिताएं सिर्फ अपना युग बचाने के लिए नहीं अपितु इनका मकसद कुछ और भी है! ध्रुव,नागराज और बाकी नायको के हिस्से में थोडा बहुत ही काम आया है...जो काफी था!

इसके बावजूद यह अभी से नज़र आने लगा है कि पूरी सर्वनायक प्रतियोगिता पहले से फिक्स है...जैसा कि शुक्राल और ध्रुव को अंदेशा है!(लोचा ऐ उल्फत हो गया)..पर यह फ़िक्सर है कौन यह अभी धुंधला है(खुदा खैर है)...जहाँ इस कहानी को पूर्णतया ईमानदार और सिरियस तरह से दिखाया जाना चाहिए...वहां पेज-28 जैसे दृश्य मिलते है...जो कि हास्य हिंडोला स्टाइल में कहानी का मज़ा किरकिरा करते हैं! यह विश्वास के काबिल बात नहीं है कि परमाणु और शक्ति जो की लगभग 15 से ऊपर 2 इन 1 और मल्टीस्टारर में नज़र आ चुके हैं....वो एक दूसरे को अपनी शक्तियों से प्रहार करके अवगत करना चाहते हैं!(खामखाँ) Sugar Daddy बना नागराज अपना एकल निर्णय सुना देता है...और टीम का सबसे कमजोर हीरो तिरंगा सबसे पहले सहमत हो जाता है! (जबरदस्त कॉमेडी)
कहने का तात्पर्य यह है कि सभी हीरोज़ के आपसी व्यवहार में पहले आई कहानियों को देखते हुए सरलीकृत दिखाए...ना की बनावटीपन!

कहानी कुछ प्रश्न छोड़ जाती है...जो शायद आगे पता चले इसलिए फिलहाल उनपर बात करना बेकार है! बात दोबारा कहानी के पात्रो पर लाई जाए!
परमाणु को आयरन मैन की तरह voice Activated Perforater-16 सूट मिलना..और body एक्सपेंशन पॉवर का दोबारा प्रयोग सिद्ध करता है..कि नितिन जी ने पहले पावर्स दे दी हैं..वो भी परमाणु की उन् कहानियों में जो कभी पब्लिश नहीं हुयी और बताया पाठको को बाद में है...यह उनकी लेखन शैली की एक नकारात्मक बात है! अगर देखा जाए तो आयरन मैन की तर्ज़ पर परमाणु को शक्तियां बांटी जा रही हैं...लेकिन यह भुलाया जा रहा है कि "परमाणु" विज्ञान की शक्तियों पर आधारित हीरो है..और विज्ञान की एक सीमा रेखा तय होती है..जिसको पार करा जाए तो वो पराविज्ञान कहलाता है...और कमोबेश परमाणु उसी रास्ते पर चलता नज़र आ रहा है!
आप कैसे इस बात पर भरोसा दिला सकते हैं...कि परमाणु एक छोटी सी पुडिया में पहले Perforater-16 जैसा ऐसा सूट रखे हुए आया है...जो expand करने पर पूरे शरीर को इतनी मोटी परतों में घेर लेता है..जो धरती के कठोर घर्षण के साथ-साथ उस गुरुत्व बल का वेग भी झेल जाएगा जो सतह से नीचे जाने पर लगता है!
इसके बाद दोबारा परमाणु ऐसी ही एक और पुडिया में से Anti-Lava Suit भी निकालता है...जो दोबारा expand करने पर लावे की गर्मी झेल जाता है...वो भी तब जबकि परमाणु ने अपने सिर,पेट और जांघो को नहीं ढका है!
कुल मिलाकर कहा जा सकता है...कि प्रचंडा के सामने परमाणु तिनके के समान ही था...मगर बेईमानी भरी शक्तियों का दोहन करके वो मुकाबले में खड़ा नज़र आता है!(क्यूंकि मम्मी को नहीं है पता)

महामानव को 2 पन्ने इस भाग में देना कहानी में कोई प्रभाव नहीं छोड़ता..(वो यही कह पाया कि इस 2 पन्नो की सुनसान रात में हम...हवन भी कैसे करेंगे)
उसको आगे के भाग में बड़े स्तर पर लाया जाना चाहिए था!

कहानी में एक्शन काफी है..इसलिए इवेंट्स कम हैं! जिस वज़ह से शायद लेखक में कई किरदारों को बीच बीच में फिट किया है! लेकिन इसकी वज़ह से कहानी की रफ़्तार पर बहुत असर पड़ता है...आप पढ़ते हुए हर चीज़ का पूरा मज़ा नहीं ले पाते...क्यूंकि जैसे ही एक जगह पर मज़ा आने लगता है..वहां पर दूसरे इवेंट को शुरू कर दिया जाता है.
उदाहरण के लिए-
1-परमाणु-प्रचंडा की प्रथम लड़ाई जो 38वे पन्ने पर ख़त्म होती है...उसका निष्कर्ष आपको 63वे पन्ने पर मिलता है..बीच में बड़ा लम्बा गैप है!
2-अडिग और किरीगी की लड़ाई भी एक USP बन सकती थी..जो अधूरी रह गई!

वैसे कहानी के Dialogues बहुत शानदार लिखे गये हैं...युगम ने माहौल को हल्का फुल्का बनाये रखा...वहीँ परमाणु ने भी उसके साथ अच्छे शब्द बांटें!...कहानी अब रफ़्तार पकड़ चुकी है...लेकिन अच्छा होता कि प्रचंडा-परमाणु संग्राम का पटाछेप इसी भाग में कर दिया जाता!
4 प्रतियोगिताएं जो अब तक हुई हैं...वो काफी असरकारक थी..बेहतरीन जगहों का चुनाव लेखक ने किया...शानदार तरह से दोनों ने अपनी जोर आजमाइश करी!
 
आर्टवर्क-

सर्वयुगम की तुलना में सर्वदमन का आर्ट थोडा सुधरा जरूर है...लेकिन इसमें धीरज जी का कोई विशेष प्रयास नहीं है...उनका काम पहले की तरह ही है!.. इसको विश्व स्तरीय आर्ट नहीं कहा जा सकता जिसकी उम्मीद हर कोई कर रहा था! सिर्फ किरदारों और बैकग्राउंड की आउटलाइनिंग करी गयी है..बाकी काम और मेहनत करी है...colorist भक्त रंजन जी ने...जिन्होंने यथा संभव पेंसिलिंग को संभाला है...खैर इतना तय हो गया कि बिना इंकिंग का आर्ट धीरज जी को सूट नहीं करता है! उम्मीद है आगे सुशांत जी शायद इस सीरीज को नयी ऊर्जा देंगे !
अगर इस कॉमिक्स का कोई चित्रकार है तो वो भक्त रंजन हैं! नीरू जी का शब्दांकन है!
सर्वदमन में आपको दमनकारी आर्ट तो नहीं मिलेगा..और ना ही कहानी में कोई असाधारण चीज़ मौजूद है...सिवाय परमाणु और प्रचंडा की लड़ाई और कुछ भूले-बिसरे किरदारों की मुहं दिखाई के अलावा! इस बीच के हिस्से को कहानी के साथ चलने दीजिये!
अगले अंक के इंतज़ार में इतिश्री!

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