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Saturday 31 January 2015

SARVSANHAAR (2014)


Review-सर्वसंहार (2014)
Genre-Sci-Fi-Action,Mythology,Comedy
Main character(s)- तिरंगा,शुक्राल,गगन,विनाशदूत,महामानव,युगम,ध्रुविष्य
‪#‎Creative_team‬
Writer-नितिन मिश्रा
Penciller-सुशांत पंडा
Inker-विनोद कुमार
Colorists-शादाब सिद्दीकी,बसंत पंडा
Calligraphers-मंदार गंगेले,नीरू

Ratings :
Story...★★★★★★★☆☆☆

Art......★★★★★★★☆☆☆
Entertainment……★★★★★★☆☆☆☆

कॉमिक्स पढ़कर उठने के बाद एक बात दिमाग में सबसे पहले आई कि राज कॉमिक्स ने सर्वनायक की शुरुआत ना जाने कौन मुहूर्त में करी थी..कि शुरू से ही इसमें सिर्फ विघ्न ही पड़ते जा रहे हैं! पहले के 2 भाग में कहानी के साथ आर्टवर्क भी दर्द दे रहा था..किसी तरह आर्टवर्क में सुधार आ रहा है तो कहानी मंल मौजूद Sub-stories दगाबाजी कर रही है! पिछले भाग में बड़ी मुश्किल से हालात संभले लग रहे थे...लेकिन ज्यादातर पाठकों ने इस भाग की कड़ी आलोचना करी है! उसमे कितनी सच्चाई है और कितने विरोधाभास हैं...चलिए देखते हैं-

>प्रस्तावना : आकाशगंगाओं के खलीफा (1-14)
यह भाग पिछले खंड में चाँद पर हो रही लड़ाई को आगे बढाता है! इसमें Action ज्यादा है! अगर आप गगन,विनाशदूत और ग्रहणों के फैन हैं..तो यह आपके लिए ही लिखा गया है! फिलहाल यह Sub-story अल्पविराम पर पहुँच गयी है! इस भाग में सबसे अच्छी चीज़ लगती है, लेखक के द्वारा पृष्ठ-10 पर लिखी गई बातें कि दिखाई जा रही यह सभी Sub-stories अत्यंत महत्वपूर्ण हैं और आगे जाकर सर्वनायक प्रतियोगिताओं का अभिन्न हिस्सा बनेंगी! अर्थात् जो पाठक यह कहते और सोचते हैं कि यह सभी कहानियां बेकार है या इन्हें पढना फिजूल है..उन्हें अपनी सोच पर दोबारा विचार करना चाहिए!

>प्रथम अध्याय : काल्किन का आगमन (15-40)
यह अध्याय तिरंगा और शुक्राल के बीच एक प्रतियोगिता को दिखाता है...जिसमे दोनों को कलयुग के अंत में जाकर भगवान् विष्णु के जन्म लेते दशम अवतार “कल्कि” की खोज करके उसको दुश्मनों से बचाना है! यहाँ पर आसानी से पता चलता है कि इन प्रतियोगितों का उद्देश्य साफ़ सुथरा और बिगड़ रहे ब्रह्माण्डीय कारको को सही करने का है! जिन पाठको की यह सोच हैं कि उन्हें WWE की कुश्ती देखनी थी...जो बिना उद्देश्य सिर्फ हार-जीत तय करे...उनके लिए ही यह कहानी खराब हो सकती है! जिन पाठको को उद्देश्यपूर्ण द्वन्द पसंद हैं..वो इस भाग का आनंद ले सकते हैं!
रही बात इस भाग के प्रसिद्ध हॉलीवुड फिल्म The Matrix से प्रेरित होने की..तो यह बात सही है कि इसका BASIC IDEA वहीँ से प्रेरित है! जो सिर्फ इतना है कि मानवो को असली दुनिया की जगह पर एक आभासीय दुनिया दिखाना..जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास अवरुद्ध करके गुलाम बना लिया जाता है! लेकिन यह समानता सिर्फ बाहरी आवरण तक सीमित है....बालक ”कल्कि” की खोज,उसको पाने और वहां से निकलने का पूरा प्रकरण नया है!...सिर्फ कुछ पन्नो में निपटा दिया जाने से इसका मुख्य कहानी पर कोई प्रभाव नहीं होता है! इतनी सी समानता कोई बड़ा अपराध नहीं है! यहाँ लेखक का सरल सा उद्देश्य उस आईडिया का एक नवीन इस्तेमाल करके दिखाना है!

>द्वितीय अध्याय : डार्केस्ट ऑवर (41-56)
पिछले खंड में पाठको की शिकायत थी कि उन्हें गर्भ ग्रह में होने वाली बातों,घटनाओं और परेशानियों की जानकारी चाहिए...लीजिये यह अध्याय हाज़िर है! आनंद लें यह देखकर कि नीचे गर्भ ग्रह में किस तरह से सुपरविलेन हंगामा करने की तैयारिओं में जुटे हैं और कैसे उनको रोकने की मुहीम जारी है! चीता के साथ कई सुपर हीरोइनों व नक्षत्र को एक ज़िम्मेदार रूप और पद पर देखना सुखद लगता है! इस अध्याय में 50% Action और 50% Conversation से कुछ जटिलताओं पर से पर्दा उठाया गया है! जिनमे शामिल है- WAR की संस्थापना,उसके क्रियान्वयन में लिप्त सुरक्षा समितियां, WAR को ध्वस्त करने में लगे खलनायकों की फ़ौज का आगमन और अंत में विदूषक को कहानी में जुड़ता देखकर मज़ा आ जाता है! आगे उसकी नक्षत्र से मुठभेड़ का इंतज़ार रहेगा!
यह तो सकारात्मक पक्ष थे....नकारात्मक चीज़ यह है कि गर्भ गृह की हर तरह की सुरक्षा सिर्फ भारतीय किरदार कैसे कर रहे हैं?...वर्ल्ड लेवल की जिस सुरक्षा परिषद् को दिखाया गया है उसमें भी राजन मेहरा और इतिहास जैसे छोटे शहरो के दोयम दर्जे के पुलिस वाले भरे हुए हैं और वो भी जाने किसने उन्हें सारे अधिकार दे दिए हैं ! जब सुपरपावर अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशो के पास ज्यादा उच्च तकनीक मौजूद हैं तो अरबों की आबादी की रक्षा करने वाले सभी लोग अकेले भारत से ही क्यूँ लड़ाए जा रहे हैं!...मसलन आप बताते हैं कि हथियार बनाने का ज़िम्मा अनीस रजा के हाथ में है...क्या बाकी दुनिया में कोई दूसरा वैज्ञानिक या मिलिट्री वाला इस लायक नहीं था? आप सबकी टीम बनाकर भी दिखा सकते थे! दूसरी चीज़ कि Sector Aus-054 जैसे विदेशी लोगों वाले इलाके में भी चीता जैसा आदमी,जो अब पुलिस में भी नहीं है और दूसरी छोटी-मोटी क्राइम फाइटर हीरोइने कैसे इतनी ज़िम्मेदारी से भेज दी गई? इन सभी के साथ कैसे संपर्क किये गए..कैसे किसको राज़ी किया गया...आखिर इतनी सी बात को भी गुप्त रखकर लेखक क्या रहस्य बनाये रखना चाह्रते हैं? यह भगवान् ही जाने!
अरबों की जनसंख्या वाले भारत और चीन की सुरक्षा की जगह ऑस्ट्रेलिया के सेक्टर्स की सुरक्षा कर रहे मुच्चछड चीता को देखकर लगता है कि यह चीता भी कुछ ना कुछ जरूर पीता है! वो चीज़ दूध है या डीज़ल.... यह लेखक को पता होगा...पर 5-6 हीरोईंस के साथ कुलांचे मारते हुए बुढ़ाते चीता को देखकर अच्छे-अच्छे जवान सुपर हीरोज जलभुन का राख हो जायेंगे!

>तृतीय अध्याय : देवगुरु कृता (57-67)
इसमें तिरंगा और शुक्राल के मध्य “कल्कि” के लिए योग्य गुरु का चुनाव करने की एक प्रतिस्पर्धा दिखाई गई है! छोटा और ठीक ठाक भाग है...कहानी में अश्वथामा और त्रिशंकु जुड गए हैं!

>चतुर्थ अध्याय : शत्रु संधि,भाग एक (68-75)
महामानव के हाथो हरुओं की हार और गलालागीचा की वापसी दिखाने तक सीमित यह छोटा सा भाग है!

>चतुर्थ अध्याय : शत्रु संधि,भाग दो (76-81)
सुदूर भविष्य में ध्रुव वंश और देव वंश के बीच किसी अनजानी कहानी की साक्षात दिखती दुश्मनी पर है...इसमें ज्यादा दिमाग मत लगाइए..आगे के खंडो में ही पता चलेगा कि क्या मामला है!

>पंचम अध्याय : मिथ्याकार (82-90)
कवर पर जो नागराज के वेश में भोकाल और भोकाल के वेश में नागराज हैं...अंत में इसी अध्याय में दिखाए गए हैं....यहाँ फिर से तिरंगा और शुक्राल के मध्य प्रतिस्पर्धा हो रही है..जो जीता वही सिकंदर बनेगा....लेकिन अगले भाग में!

>परिशिष्ट अध्याय : जंगल का देवता (91-94)
4 पन्नो में वही पुरानी असम के जंगल में चल रही उठापटक को याद दिलाया गया है! जो आधे लोग भुला भी चुके थे..इसमें सिर्फ इतनी सी progress और हुई है कि भेडाक्ष और जुड गया है! यह भी अगले खंडो में सुलझेगा!

संवाद - पिछले भागो की तुलना में डायलॉग्स काफी सरल और हल्के शब्दों से लिखे गए हैं! उनमे गैरजरूरी मुश्किल शब्दों को शामिल करने की कोशिश नहीं हुई है! सभी Sub-Stories आसानी से समझने लायक है!

आर्टवर्क-
हमने पहले भी कहा था कि लोगों को संसाधनों पर गौर रखते हुए चीज़ें सोचनी चाहिए! RC ने इस सीरीज के आर्ट को पहले विश्वस्तरीय आर्टिस्ट्स को दिया था..लेकिन काम संतोषजनक नहीं मिल पाया! हेमंत जी NNN और अनुपम जी अपने दूसरे प्रोजेक्ट्स पर व्यस्त हैं! सुशांत जी के द्वारा पहले Multistarer एक्शन कॉमिक्स बहुत कम बनवाई गई हैं! ऐसे में उनका सर्वनायक पर पर अब तक किया गया काम प्रशंसनीय है! सर्वनायक के लिए सुशांत पंडा जी का चुनाव पाठकों की मांग पर उनके द्वारा बनाई गई “अंगारे” के शानदार काम के बाद किया गया था! पिछले भाग “सर्व संग्राम” की तरह इस भाग में भी उनका काम अच्छा है! कम से कम विनोद कुमार जी की इंकिंग के होने के बाद आर्ट में एक साफ़ सुथरा प्रयास दिखता है! आपको अनावश्यक रूप से काले किये गए चेहरे नहीं दिखेंगे! विनोद जी की इसी वज़ह से प्रशंसा होती है..कि उनके नाम के साथ जुड़ा भरोसा वो हमेशा बरकरार रखते हैं!
लेकिन जो लोग सुशांत जी के काम की हमेशा सिर्फ आलोचना ही करते रहते हैं.... उन्हें बताना चाहिए कि वर्तमान में दूसरे Option क्या हो सकते हैं? क्या बार-बार जबरदस्ती penciller बदलना सीरीज के लिए सही होगा? हमें ऐसा कोई कदम सही नहीं लगता है!
इस सीरीज का रंग संयोजन पहली बार इतना उम्दा नज़र आ रहा है और इसमें हाथ है शादाब जी का! उनकी वापसी से आर्ट में उल्लखेनीय प्रगति हुई है! इस सीरीज को जिस तरह की Hard Coloring की जरूरत थी..वो इस भाग में नज़र आती है! पेज 10,15,25,36,56,60,68,75,82 के फुल पेज आर्ट्स पर किये गए इफेक्ट्स शानदार हैं! और किसी को आर्ट चाहे जैसा लगा हो...व्यक्तिगत रूप से हम संतुष्ट हैं! यह 100% ना सही पर 75% देखने योग्य है!
सर्वनायक में कई दूसरे आर्टिस्ट्स के द्वारा भी पन्ने बनवाये गए हैं....इसलिए यह एक संयुक्त और सम्पूर्ण आर्टवर्क देती हुयी श्रृंखला है! राज कॉमिक्स को इसको ऐसे ही आगे बढ़ाना चाहिए, वरन सुधार की गुंजाइश अभी भी मौजूद है!

हमने कॉमिक्स को पढना कम से कम उम्मीद से शुरू किया था..पर अंत तक आते आते यह उतनी खराब नहीं लगी जितनी इसके बारे में बातें कहीजा रही थी! असल में गलती पाठको की भी नहीं है...आज तक पाठक सिर्फ अनुपम सिन्हा जी के बनाये Multistarer से ही परिचित थे..जिनमे सभी हीरो एक साथ होते थे..और कहानी एक ही बार में निपट जाती थी...पहली बार उन्हें ऐसी सीरीज पढने को मिल रही है..जिसमे किरदार सिर्फ आते और जाते दिख रहे हैं...कहानी एक इंच भी आगे नहीं बढ़ रही!
देखा जाए तो यह बात सही भी है..कि अब तक पांच मोटे खंड पढने के बाद भी सबकुछ वहीँ का वहीँ दिख रहा है! और परेशानी की बात यही है कि आगे भी इसमें कोई बदलाव होने की संभावना लगभग शून्य है...अरे भाई अभी तो सर्वनायक प्रतियोगिताओं में सिर्फ 3 द्वन्द हो पाए हैं...4-5 द्वन्द बाकी हैं! तो कहानी तो वहीँ रहनी है..युगम के कालरण में सीमित!
कहानी जिस दिशा में बढती जा रही है..हम भी काफी सोचने के बाद कोई आशा की किरण नहीं दे सकते हैं कि आगे सुधार होगा..क्यूंकि कहानी की संरचना ही “ढाक के तीन पात” वाली है!
हाँ बस एक बात कहेंगे कि “सर्वनायक विस्तार” का इंतज़ार करिए! उसके आने के बाद कम से कम इस रुकी हुई कहानी में गायब दिख रहा मनोरंजन जरूर जुड़ेगा!
सर्वनायक का असल में मज़ा लेना चाहते है तो आप कहानी के पूर्वानुमान लगाकर मत पढ़िए! ज्यादातर पाठक यह सोचकर कहानी पढ़ रहे हैं कि उनके पसंदीदा किरदार हर खंड में नज़र आयें...या उनकी कहानी को जल्दी से ख़त्म कर उन्हें साइडबार कर दिया जाए! जैसे एंथोनी के ना दिखने पर रोष व्याप्त है...मगर हमें नहीं लगता है कि यह एक सही रास्ता होगा कि हर हीरो के दिखाए जा रहे प्रकरण को तुरंत के तुरंत निपटा दिया जाए! ऐसी जल्दबाजी अंत में सीरीज के लिए ही हानिकारक होगी!
लेकिन अगर ऐसा हो रहा है कि पाठको को कहानी से शिकायत है तो उनपर ध्यान दिया जाना चाहिए! आखिर कॉमिक्स पाठको के लिए ही लिखी जाती है...उन्ही को पसंद नहीं आएगी तो कॉमिक्स का फायदा आखिर क्या होगा? लेकिन पाठको की बात सुनी जाए इसके लिए कुछ चीज़ें पाठको को भी करनी चाहिए! जिनमे सबसे पहली बात है कि अपनी व्यक्तिगत कटुता और पूर्वाग्रहों को सस्ती आलोचना का जरिया ना बनाएं! कॉमिक्स किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं लिखी जाती है..इसलिए उसपर टिप्पणी भी सभी के बारे में ध्यान रखकर करी जानी चाहिए!
जो हो रहा है उसको देखकर लगता है कि पाठको का एक वर्ग नहीं चाहता है कि सर्वनायक सीरीज किसी भी हालत में सफलता पाए...इसके लिए झूठी अफवाहें और दुष्प्रचार का सहारा लेकर छोटी से छोटी बातों को भी बढ़ा चढ़ाकर प्रदर्शित किया जा रहा है जैसे वो अपराध हो!
आर्टवर्क में जब हमने कॉमिक्स उठाई और सुप्रीमा के आर्ट पर नज़र डाली तो देखकर अचम्भा हुआ कि कैसे 2 पैनल की आर्ट को सामने रखकर पूरी कॉमिक्स के आर्ट पर बिना वज़ह ऊँगली उठाई गई!
राज कॉमिक्स से हमें कहना है कि बहुतेरे पाठक कॉमिक्स खरीदने की जगह पायरेसी के द्वारा पढ़ते हैं और फिर हर बात पर हल्ला मचाते हैं....ऐसे फैन सिर्फ नकारात्मकता से भरे हैं और उन पर ध्यान देना ही नहीं चाहिए!
वैसे कॉमिक्स की प्राथमिक समीक्षा यही पर समाप्त होती है! पर हम कुछ बातों का जवाब देने से खुद को रोक नहीं पाए....आगे मन हो तो पढ़ें... ना हो तो ना पढ़ें!
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कहानी पर करी गई कुछ आपतियों पर विस्तृत तथ्य प्रस्तुत हैं...अगर उनपर ईमानदारीपूर्वक विचार करेंगे तो ऊपर की समीक्षा पढने के बाद भी कहानी को लेकर बची खुची छाई धुंध से जरूर पार पा लेंगे!

1- कहानी की शुरुआत में चाँद पर हो रही गगन-विनाशदूत के साथ ग्रहणों की 40 घंटे की मुठभेड़ पर सवाल उठाये गए हैं..कि इतनी लम्बी लड़ाई possible नहीं है! हमारा सवाल है कि क्यूँ Possible नहीं है?
Sci-Fi पढ़ रहे राज कॉमिक्स के पाठक अगर Lunar Calendar and Standard Time (LST) के बारे में नहीं जानते हैं तो इसमें गलती कहानी के लेखक की नहीं है! LST के अनुसार चाँद पर समय पृथ्वी के समय से भिन्न होता है! पृथ्वी पर 12-12 "घंटे" में दिन और रात बंटे होते हैं,वहीँ चाँद पर 15-15 "दिनों" के बराबर एक दिन/रात होता है! 15 दिनों में घंटे हुए 15 X 12 = 180 घंटे का एक दिन और 180 की ही एक रात!
आपके 12 घंटे = चाँद के 180 घंटे!
आपका 1 घंटा- चाँद के 15 घंटे!
चाँद के 45 घंटे हुए आपके 3 घंटे!
यानी 40 घंटे की लड़ाई का मतलब 3 घंटे से भी कम का समय! गगन-विनाशदूत के साथ ग्रहणों की इतनी देर की लड़ाई तो आराम से possible है!

2- गगन और विनाशदूत आकाशगंगाओं के खलीफा होने के साथ ही दूसरे खलीफाओ की तुलना में कमजोर है! यह बात खुद विनाशदूत ने दूसरे खलीफाओ को सर्वश्रेठ बताते हुए कही थी (Page-6)! समझने वाली बात यह है कि विभिन्न आकाशगंगाओं का मतलब है, विभिन्न सभ्यताएं और उनमे रहने वाले अनगिनत गूड रहस्य! अगर खलीफा “स्वघोषित” सर्वश्रेठ योध्दा हैं तो इसके पीछे उनकी जानकारियों में कमी है! और यह कमी इसलिए है क्यूंकि उन्हें हर सभ्यता में मौजूद सभी शक्तियों का पता नहीं है! इस बात को तूल देना कि कौन अधिक बड़ा योध्दा है..वाजिब नहीं लगता! यह वही बात हो गई जैसे पृथ्वी पर रहने वाले खुद को ब्रहमांड में सबसे शक्तिशाली घोषित कर दें! लेकिन यह सब बचकाना है! कुछ किरदारों के मुहं से निकली बातों को पूर्ण सत्य की तरह नहीं पढ़ा जाना चाहिए!

3- निगहबानो ने किन परिस्थितियों में खलीफाओं को पृथ्वी की तरफ भेजा है यह अभी दिखाया नहीं गया है..इसलिए इस पर अटकलें लगाना बेकार है! असल में यह पूरा आकाशगंगाओं के खलीफा का concept ही पहली बार नज़र आया है! इसलिए किस आकाशगंगा के बीच कितने प्रकाश वर्ष की दूरी है..यह निर्धारित करना पृथ्वी के नियमो के अनुसार गलत है! हो सकता है कि कुछ आकाशगंगाएं पास हो कुछ दूर...और इनके बीच आवागमन के लिए भी अधिक तेज़ साधन मौजूद हो! ब्रह्माण्ड की हर चीज़ को पृथ्वी के नियमो से जोड़कर नहीं देखा जा सकता! क्यूंकि हमारे वैज्ञानिक भी उतना ही पता कर पाए हैं...जितना उनके telescope की रेंज में आता है! जैसा कि यह सबको पता है कि युगम के द्वारा हर जगह का समय निर्धारित और नियंत्रित रखा जा रहा है...ऐसे में वो किसी को भी एक जगह से दूसरी जगह चुटकी बजाते पहुंचा सकता है....इसलिए इस मुद्दे को आगे के खंडो के लिए छोड़ देना ही श्रेयस्कर है!

4- स्याह समुद्र के अन्दर ऑक्सीजन कितनी थी...यह मापना उस आधार पर गलत है जब आपको पता है कि स्याह समुद्र वर्चुअलाइजेशन वर्ल्ड में बना था! यानी असली नहीं था! लेकिन तिरंगा और शुक्राल के फेफड़ो में ऑक्सीजन का लेवल किस तेज़ी से घटना/बढ़ना चाहिए,यह पृथ्वी पर मौजूद समुद्र के नियमो से नहीं जोड़ा जा सकता..क्यूंकि अगर ऐसा करेंगे तो 10 मिनट से अधिक का समय किसी मनुष्य के पास जीवित रहने हेतु नहीं होगा! जबकि तिरंगा और शुक्राल ने काफी समय तक Combots का मुकाबला किया था! यह बात अभी भी जाने क्यूँ पाठक समझ नहीं पाए कि जो कुछ हो रहा है वो युगम करवा रहा है..सिर्फ उसके माध्यम यह सभी सुपर हीरो बने हुए हैं! वो जहाँ पर चाहे समय को कम ज्यादा करके चीज़ें बदल देता है!
दूसरा कारण यह भी है कि Combots जो कि रक्ष जाति से ही जुड़े हुए थे..उन्हें भी ऑक्सीजन की जरूरत होती...इसलिए स्याह समुद्र में ऑक्सीजन के लिए कोई ना कोई यन्त्र मौजूद रहा होगा..जिसने तिरंगा और शुक्राल को लम्बी सांस लेने में मदद करी! अब वो अगर लड़ाई के दरमियाँ निष्क्रिय हो गया हो..तो हवा की कमी होना स्वाभाविक हो सकता है! लेकिन Sci-fi में हर बारीक चीज़ का विवरण कहानी को बेवज़ह और लम्बा खींच देता है!

5- गर्भ ग्रह में हो रही हलचल अभी सिर्फ शुरूआती दौर में है! अरबों -खरबों की आबादी के साथ कौन सा विलेन किस तरह से अन्दर आया यह बात फिजूल है,वो सभी सुपर विलेन हैं... छिपना और “पकड़ा ना जाना” उनकी एक खूबी में शुमार बात है! महत्वपूर्ण बात सिर्फ इतनी है कि गर्भ ग्रह में उनकी भी मौजूदगी है! ऐसा नहीं है कि हर खंड में हर किरदार को दिखाया ही जाए...पिछले खंड में जहाँ कमांडो फ़ोर्स किसी एक Sector की रक्षा कर रही थी..इस बार "चीता और टीम" किसी दूसरे Sector की! यह चेहरा दिखाओ और भाग जाओ नहीं कहा जायेगा...अगर हर किरदार को Full Length रोल दिया जाने लगेगा तो शायद यह कहानी 100 साल में भी पूरी ना हो!

6- शुक्राल सतयुग का अवश्य है..लेकिन वो एक युग तक सीमित नहीं है...हर युग में पैदा हुआ है और कलियुग के अंत तक भी जिंदा रहेगा! ऐसे में उसको अपने आगे के युगों की जानकारी तो होगी ही...यह बात भी नहीं भूली जानी चाहिए कि वो शुक्र शिष्य है..वही शुक्राचार्य जो कि कलियुग में भी शम्भुक के साथ हैं...शुक्राल के पास ज्ञान की कोई कमी नहीं है! इसलिए उसके गुरु द्रोणाचार्य के बारे में जानकारी होने पर कोई आश्चर्य नहीं किया जा सकता!

7- गुरु द्रोणाचार्य की आत्मा Present में क्यूँ आई..भविष्य में क्यूँ नहीं?
इसका जवाब यह है कि भविष्य में क्या होगा यह किसी ने नहीं देखा है...गुरु द्रोण ने भी नहीं! वो अपनी मानसिक ऊर्जा में वहीँ तक सीमित रह सकते थे..जहाँ तक समय अपनी चाल पर चल रहा है..यानी वर्तमान! अश्वथामा भी वर्तमान में किसी अनजान जगह पर ही है...उसका भविष्य क्या होगा यह निर्धारित करना सही नहीं था...क्यूंकि वो एक पौराणिक पात्र है! यहाँ पर लेखक ने समझ बूझ से सही निर्णय लिया है! आगे वो अश्वथामा को कैसे दिखाते हैं यह आगे की बात है!
दूसरी बात मोक्ष और मोह के बीच सम्बन्ध का है...मोक्ष तो गुरु परशुराम को भी मिल गया..लेकिन वो मोह के बंधन में नहीं पड़े...यह कमजोरी द्रोण में थी और वही दिखाई गई है...कि मोक्ष के बाद भी उनमे मन में मोह के बीज जाग्रत रह गए! यह भी ना समझी जाने वाली कोई बड़ी बात नहीं है!

8- हरु सभ्यता देव सभ्यता से बिलकुल अलग है...वो बडबोले हैं...लेकिन एक बात से इनकार नहीं करा जा सकता है कि वो देव सभ्यता से विपरीत शक्तियों वाले हैं....ऐसे में महामानव से उनका जीत ना पाना कोई बड़ी बात नहीं है...क्यूंकि महामानव भी एक बड़ी शक्ति है जो ज़मीन पर खड़े होकर अन्तरिक्ष की चीजों को हिला सकता है!

9-हजारो साल के बाद में ध्रुव वंश में पानी के अन्दर सांस लेने की शक्ति होना कोई बड़ा अजूबा नहीं है...देव जाति ने यदि ध्रुव के गले में यन्त्र लगाया था...तो उसकी प्रतिकृति बनाकर उसकी आने वाली पीढ़ी भी इस सुविधा को पाने की अधिकारी है! अचरज कैसा?

10- अंतिम पन्ने में भेड़िया पुत्र "भेडाक्ष" की झलक दिखी है..वो कौन है? क्या है? किस समय काल का प्राणी है? सच्चा है या झूठा है? अभी कुछ भी बताया नहीं गया है....ऐसे में सिर्फ "भेडाक्ष" नाम से उसको आलोचना का पात्र बना दिया जाना अभी सही नहीं है! "भेडाक्ष" कॉमिक्स में इस नाम का एक बहरूपिया जरूर था....पर इसका मतलब यह नहीं है कि यह "भेडाक्ष" वही है! भेड़िया वंश में आगे बहुत सारे भेड़िया के पोते के पडपोते पैदा होंगे.... अगर उसमे से यह कोई एक है तो बात ख़त्म हो जानी चाहिए...वैसे भी नाम में क्या रखा है..XYZ कुछ भी मान लें...आगे की कहानी में उसके origin पर ध्यान दें!

सर्वनायक के साथ पाठक जुड नहीं पा रहे हैं तो इसमें कमियां दोनों तरफ से हैं!
सबसे पहले कि ना तो एक कॉमिक्स को लिखने में जल्दबाजी करी जाती है..और ना उसके बारे में विचार रखने में जल्दबाजी करी जानी चाहिए! ऐसा कई दफा देखा गया है कि पहले जो विचार दे दिया जाता है..समय के साथ उसमे बदलाव हो जाते हैं! ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि पहले जो जानकारी और तथ्य सही लगते हैं..वो बाद में गलत निकलते हैं!
राज कॉमिक्स अति आत्मविश्वास में इसका प्रचार करती रही हीरो vs हीरो के रूप में! पाठक इसी सोच में डूबे रहे पर कहानी में कई Sub-stories जोड़ दिए जाने से पाठक कहानी के साथ तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं! लेखक यहाँ पर एक गलती कर रहे है सस्पेंस को जरूरत से ज्यादा लम्बा खींचकर! यह बात पाठको को डरा रही है कि कहीं आगे जाकर उनके सवालों के जवाब नहीं मिले तो इस सीरीज का कोई औचित्य नहीं बचेगा! इस डर में वो छोटी-छोटी बातों को भी शंका की नज़र से देखते जा रहे हैं...कि फलां कहानी क्यूँ जोड़ दी गई या पहले भाग में जो हीरो दिखाया था इस भाग में क्यूँ गायब है?
लेखक को हमारा सुझाव है कि सबसे पहले तो हर खंड के हर अध्याय में जो कुछ घटित हो रहा है उसका समय, काल और जगह को भी mention करें! गैरजरूरी रहस्य बनाने से कोई लाभ अब तक तो मिला नहीं! दूसरी चीज़ कहानी में जो किरदार जुड जाते हैं..वो कैसे जुड़े?... यह भी विस्तार से उसी समय बता दिया जाए...जैसे एंथोनी और सधम का इरी की गुफा में आना,पहले महामानव फिर हरु और अब इस भाग में गलालागीचा का अचानक से ना जाने कैसे प्रकट होना!
इन बातों पर ध्यान देकर लेखक काफी हद तक सर्वनायक सीरीज के हो रहे विरोध को कम कर सकते हैं! असली चीज़ है ईमानदारीपूर्वक अपना काम करते जाना!
सर्वनायक श्रृंखला अपने पांचवे पड़ाव पर पहुँच चुकी है! सभी ने पढ़ भी ली है और अब वक़्त है..विचारोत्तेजक दृष्टिकोण को अपनाने का! यह सिर्फ पाठको के लिए नहीं राज कॉमिक्स के लिए भी जरूरी है..कि वो इस संभावनाशील कृति के साथ पूरा न्याय करें!

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