PK (2014)
http://warriorsstrike.blogspot.in/2015/01/pk-review.html
Genre- Religious Comedy Drama
Cast- Aamir Khan,Anushka Sharma,Sushant Singh Rajput,Saurabh Shukla,Boman Irani.
इस फिल्म को देखने से पहले इतना कुछ सुन चुके थे..कि समझ में नहीं आया कि फिल्म की कहानी का मज़ा लिया जाए..या फिल्म पर विवादों की छाया जो पड़ी हुई है..उसपर नज़र रखें! जिन लोगों को भी पहली दफा PK देखनी हो...हमारी राय है कि खुले दिल और खुली सोच के साथ देखें! अगर ऐसा मुमकिन ना हो तो अच्छा है इस फिल्म को दूर से नमस्कार कर दें!
फिल्म की कहानी दूर ग्रह से पृथ्वी पर आकर फंस गए एक परग्रही PK "आमिर खान"के बारे में है! जिसका एक चाबी रुपी लॉकेट खो गया है! जिसकी वज़ह से वो वापस अपने ग्रह जाने में असमर्थ हो जाता है! उसको पता चलता है कि उसका लॉकेट दिल्ली में रहने वाले एक बहुत बड़े आधुनिक सन्यासी/गुरु/बाबा और फ़िल्मी भाषा में "भगवान् के मेनेजर" सौरभ शुक्ला जी के पास है...जो दुनिया को लॉकेट का परिचय भगवान् शिव के डमरू का टूटा हुआ मनका बताकर कर रहा है! फिर PK कैसे अपना लॉकेट वापस पाता है..यह फिल्म की बची कहानी है! इसमें उसकी मदद एक रिपोर्टर लड़की अनुष्का शर्मा करती है!
तो इतनी से सीधी सपाट कहानी में विवादों की छाया क्यूँ और कैसे पड़ी हुई है और उनमे कितनी सच्चाई और झूठ फैला है..इसपर ध्यान दिलवाना जरूरी है!
इसमें सबसे बड़ा विवाद यह बताया जाता रहा है कि फिल्म हिन्दुओ की धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओ पर घाव कर रही है!इस मामले में हमारा भी यही मत है कि यह बात बिलकुल सही है! इसमें कई मान्यताओ पर प्रहार किया गया है!
जैसे- PK कहता है कि उसने अपने दोनों गालो पर ईश्वर की तस्वीर इसलिए लगाईं है क्यूंकि कोई उसको मार ना सके! जैसे भारत के कई इलाको में भगवान् का चित्र दीवार पर लगा दिया जाता है कि कोई वहां पेशाब ना करे! भगवान् की तस्वीर का सीधा सम्बन्ध डर और अपने काम को निकालने की इच्छा से है! भगवान् को लोग पूजते हैं..इसलिए दिमाग में उनका डर भी रहता है कि उनके सामने कोई भी बुरा काम नहीं करना चाहिए! इसलिए अबोध मस्तिष्क वाले PK ने लोगों के इस तस्वीर वाले क्रियाकलाप का जो मतलब निकला..वही फिल्म में बोलता है!
PK ने कुछ जगह कहा कि भगवान् अगर अपने भक्तो की कामना पूरी करना चाहेंगे तो वो उन्हें कई हज़ारो किलोमीटर दूर अपने पास क्यूँ बुलायेंगे..वो तो घर में ही आपकी पुकार सुन सकते हैं! यह एक बहस का मुद्दा हो सकता है कि हिन्दू धर्म में कर्मकांड को क्यूँ इतना अधिक महत्त्व दिया जाता रहा है! जिसमे आस्था से ज्यादा व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है!
हिन्दुओ का कहना है कि फिल्म में सिर्फ उन्हें ही निशाना बनाया गया है! जबकि ऐसा नहीं है...फिल्म के एक दृश्य में PK चर्च में जाकर नारियल फोड़ता और एक मस्जिद में अल्लाह को शराब पिलाने भी निकला है! लेकिन इन बातों को फिल्म के अन्दर देखने पर पता चलता है कि यह फिल्म के किरदार द्वारा कहानी में जिज्ञासावश करी गई चीज़ें हैं...जिनका प्रतिउत्तर भी PK को मिलता है...जिसमे चर्च और मस्जिद से उसको जान बचाकर भागना पड़ता है! ऐसे ही उसको गुरूद्वारे और मंदिरों से भी दुत्कार मिलती है!
कोई भी धर्म कभी भी व्यक्ति को गलत रास्ता नहीं दिखाता है! लेकिन वहीँ व्यक्ति का कर्त्तव्य यह है कि वो धर्म को गलत रास्ते पर ना धकेल दे! लगभग सभी धर्मो में कहीं ना कहीं कुछ ऐसे तत्व अन्दर तक घुसे हुए हैं..जो धर्म को व्यापार बनाकर अपने हितो को साधते हैं! यह कोई बाबा हो सकता है...कोई मौलवी या पादरी भी हो सकता है! किसी भी संभावना से कभी इनकार नहीं किया जा सकता है!
इस चीज़ को सही से समझने के लिए यह देखना जरूरी है कि भारत एक हिन्दू बाहुल्य देश है! और यहाँ की 70 फीसदी से अधिक आबादी हिन्दू धर्म में आस्था रखती है! इसलिए धर्म के नाम पर झूठ का व्यापार भी एक बड़े पैमाने पर चल रहा है..जिससे आम गरीब आदमी को रूबरू कराया जाना जरूरी है! बात यह जरूर सही है कि मुस्लिम,ईसाई धर्मो में जो कमियां हैं तो उन्हें क्यूँ नहीं दिखाया जाता है! इनपर भी जरूर फिल्में बनाई जानी चाहिए! कोई ना कोई निर्देशक अगर आगे इनपर भी फिल्म बनाये तो समाज के लिए अच्छा ही होगा! वैसे इसकी संभावना कम है...क्यूंकि हिन्दुओ में यह भावना घर कर गई है कि पूरी दुनिया में उनका अपना धर्म ही सबसे ज्यादा बुरा है! यह सोच बहुत दुखद है!
वैसे फिल्म में एक बात बहुत अच्छी बताई गई है कि भगवान् 2 तरह के हैं..पहले जिन्होंने हमको बनाया है...और दूसरे जिन्हें हमने बनाया है!
जिस ईश्वर ने इस अखंड ब्रह्माण्ड के एक सुई की नोक जितने बड़े ग्रह पर रहने वाले हम इंसानों को बनाया,बड़ा किया..और हम इंसान... मंदिर,मस्जिद या किसी ज़मीन के टुकड़े के नाम पर उसी अनश्वर भगवान् की रक्षा करने का ढोंग करते हुए सिर्फ नफरत और हिंसा फैलाते हैं! यह वो भगवान् होते हैं...जिन्हें हम बनाते हैं! तो आप ही बताइए कि आपके लिए असली भगवान् कौन है?
ऊपर लिखे यह फिल्म के वो हिस्से हैं..जिनकी वज़ह से इसका समर्थन हो रहा है! अब देखते हैं वो हिस्से जो इसको विरोध लायक बना रहे हैं!
फिल्म में एक मुद्दा है कि फिल्म में लव जेहाद है! क्यूंकि फिल्म की हिन्दू नायिका एक पाकिस्तानी लड़के से प्यार करती है! यहाँ मुद्दा बहस का है कि अलग राष्ट्रों में रहने वाले 2 बालिग़ और सक्षम नागरिक अपने जीवन का फैसला कर सकते हैं या नहीं? प्रेम सामने वाले का धर्म/जाति/पंथ/समाज देखकर किया जाना चाहिए या नहीं? इस मामले पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है! क्यूंकि अगर फिल्म में हीरो पाकिस्तानी ना होकर अगर अमेरिका,इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया का होता तो शायद किसी को आपत्ति नहीं होती...मगर पाकिस्तान से दिलो में दुश्मनी और नफरत इतनी भरी हुई है..कि कोई कुछ नहीं सुनेगा! दुनिया में शान्ति के लिए नफरत की नहीं मोहब्बत की ज्यादा जरूरत है!
लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी जरूर हैं...जिनको जबरदस्ती दर्शको पर थोपा गया है! अगर सुशांत को इस दुनिया के 200+ देशो में से किसी भी अन्य देश का दिखाया गया होता...या कहीं और क्यूँ भारतीय मुस्लिम युवक बनाया जाता तो कुछ हद तक विवाद से बचा जा सकता था! फिल्म में एक तरफ़ा चीज़ें बहुत ज्यादा हैं...जैसे सुशांत का किरदार positive दिखाया गया...अगर मान लिया जाए कि वो नेगेटिव होता...तब तो हिन्दू लड़की बर्बाद ही हो जाती....फिल्म जैसे माध्यम से चीज़ों को दोनों तरफ से दिखाया जाना चाहिए! लेकिन यह फिल्म हिन्दू लड़कियों को विधर्मी युवको की तरफ आकर्षित कराये जाने की प्रवृति को बढ़ावा देती प्रतीत होती है...जिसकी कड़े शब्दों में निंदा करी जानी चाहिए!
इसके अलावा आमिर खान ने alien के सहारे बहुत सहजता से सभी धर्मो पर फिल्म में ऊँगली उठा दी है..लेकिन पूरी तरह से कहानी को खोला ही नहीं! अब सोचिये कि जिस गोले से Pk आया है..वहां के लोग नंगे रहते हैं! इसका मतलब यह निकला कि वहां का वातावरण एक रूप है...ना गर्मी ना ठण्ड!
तो ऐसी स्थिति में क्या लोगों में सेक्स को लेकर भी वहां कुछ अलग अजूबी सोच रहती होगी.. इसपर क्यूँ नहीं आमिर खान ने कुछ कहा?
इसी हिसाब से Pk ने अपने गोले पर धर्म का स्वरुप किस तरह का है...इस बात को भी फिल्म में कहीं नहीं दिखाया..जिससे माना जा सके कि पृथ्वी वासी ही इस ब्रह्माण्ड में अकेले ऐसे हैं जो धर्म पर अनर्गल विश्वास कर रहे हैं! या यह मान लिया जाए कि pk के गोले पर कोई धर्म अस्तित्व में ही नहीं है!
Pk के हिसाब से भगवान् सिर्फ कोई भौतिक चीज़ थी...क्यूंकि Pk के गोले पर धर्म के कोई चिन्ह नहीं दिखाए गए..इसलिए Pk शुरू से ही एक नास्तिक किरदार है! जब उसने पृथ्वी पर परम शक्ति के हजारो रूप देखे तो उसने धार्मिक मान्यताओं पर भी अपने वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने शुरू कर दिए! इसमें जैसा कि सभी ने देखा है कि PK को धरती पर सिर्फ यही एक मुद्दा आकर्षक लगा! इससे प्रतीत होता है कि इस फिल्म का उद्देश्य सिर्फ धर्म पर ऊँगली उठाना है...ना की किसी आडम्बर को दूर करने का उपाय देना! क्यूंकि कहानी के अंत में कहीं भी यह नहीं दिखाया गया है कि Pk के अन्दर कोई आस्तिक परिवर्तन आया हो! Pk में परग्रही सबकुछ करने के बाद वापस अपनी दुनिया में भाग जाता है...जैसे कोई आतंकवादी सबकुछ अव्यवस्थित करने के बाद करता है! इस लिए यह फिल्म विवाद में है!
लेकिन इतना सब होने के बाद भी चीज़ें नज़रंदाज़ कर जा सकती थी...अगर फिल्म में सीधे सीधे महादेव शिव शंकर पर निशाना लगाकर उनका उपहास ना उड़ाया जाता! यहाँ पर लोग कह सकते हैं कि वो भगवान् शिव नहीं उनका रूप धरे एक इंसान था! ऐसे लोगों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए जो उस सीन को जायज़ ठहरा रहे हैं!
हमारे देश में हर साल राम लीला का मंचन होता है...जिसमे काम करने वाले कलाकारों के लिए दर्शको में श्रद्धा का भाव जन्म ले लेता है! और यह मान्यता मानी जाती है कि ऐसे किसी भी कथा मंचन में भाग लेने वाले कलाकार के अन्दर स्वयं भगवान् अपना वास करते हैं! जिसके कारण मंचन को देखने वाले भक्तो को ईश्वर का दर्शन होता है! और वातावरण शुद्ध होता है! राजकुमार हिरानी और आमिर खान जाने कैसे यह बात भूल गए कि अरुण गोविल(श्री राम) और नितीश भारद्वाज(श्री कृष्णा) के किरदारों में भक्तो के बीच इतने प्रसिद्ध हुए हैं कि लोग उनका आशीर्वाद तक लेने लगते थे! यह लोगों के बीच श्रध्दा की बात होती है! साफ़ शब्दों में कहा जाए कि ईश्वरीय कथा मंचन करने वाला कलाकार भी आदर का पात्र होता है! जिसका मजाक उडाना गलत है! सेंसर बोर्ड को कम से कम शिवजी के उपहास वाला हिस्सा काटना चाहिए था! क्यूंकि बोर्ड के पास फिल्म को बार-बार देखकर लोगों की राय लेकर चीज़ें सही करने का अधिखार है..इस बड़ी चूक के लिए सेंसर बोर्ड के सभी सदस्यों को निलंबित कर दिया जाना चाहिए!
रोल के मामले में ऐसा है कि आमिर खान पूरी फिल्म में छाए रहे...मगर यह उनका बेस्ट रोल नहीं कहा जा सकता है! और ना उनकी एक्टिंग में कोई अनोखापन दिखा! एलियन के रूप में उन्होंने जिस देसी भाषा में संवाद बोले हैं वो भी पूरी तरह से शुद्ध रूप में नहीं थी...इसलिए कोई ख़ास असर नहीं छोड़ पाई! सोचने पर भी ऐसा कुछ नज़र नहीं आया कि क्या खासियत बताई जाए! सिर्फ आप आमिर के फैन हैं तो ही आपको कुछ अलग दिख जाए..वरना कुछ नहीं!
अनुष्का शर्मा का रोल जरूर उम्मीद से काफी लम्बा रहा..और अपने सपाट अभिनय से वो इस फिल्म में भी बाहर नहीं आ सकीं! असल में अनुष्का एक्टिंग के मामले में आज भी अपनी पहली फिल्म पर ही अटकी हुई हैं! फिर भी शायद उनके करियर को कुछ फायदा हो जाए! लेकिन फिल्म में जिस तरह के सीन विवाद हैं...उसको देखते हुए अनुष्का जैसी ब्राह्मण लड़की को फिल्म नहीं करनी चाहिए थी! लेकिन पैसे के लिए ऐसी हीरोइन सबकुछ बेच सकती है!
ऐसा ही फिल्म के दूसरे उच्च कुलीन एक्टर्स के साथ कहा जाएगा! जिन्होंने अपनी संस्कृति को कुछ पैसो के लिए बेच दिया!
संजय दत्त और सुशांत सिंह राजपूत के रोल छोटे छोटे से थे...संजय जहाँ अपने सीन्स में थोडा गुदगुदा गए..वहीँ सुशांत को एक गाने,एक किस और चंद संवादों के अलावा कुछ करने का मौका नहीं मिला! यही हाल बोमन ईरानी का रहा...जो हमेशा राजकुमार हिरानी की फिल्म में सबसे अच्छे रोल करते हैं..इस बार निराश कर गए! सौरभ शुक्ला के पास करने को कुछ था नहीं!
कुल मिलाकर आमिर खान के सामने दूसरे सभी किरदार धुंधले दिखाई दिए!
तकनीकी रूप से PK राजकुमार हिरानी की पिछली फिल्म 3 इडियट्स से कमतर है..और जिस धर्म के मुद्दे पर बनी है वो भी "ओह माय गॉड" की तुलना में उन्नीस ही साबित हुआ है!
अगर टिकट खिड़की पर इस फिल्म को आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पा रही है तो उसकी वज़ह यही है कि इस plot को लोग पहले ही देख चुके हैं..इसलिए इसमें ताजगी नहीं दिखाई दी!
आमिर खान की स्टार पॉवर और रोज होते विवादों से ही यह फिल्म चल गई..वरना शायद 100 करोड़ मुश्किल होते!
फिल्म देखते हुए एक बात दिखाई दी...कि इसमें मनोरंजन के पल बहुत कम आये...हिरानी की फिल्मो में जो कॉमेडी सीन होते हैं...वो भी नज़र नहीं आते...कुछ डबल मीनिंग सीन जरूर थे..पर वो फिल्म की असल कहानी से मैच नहीं करते...जगह-जगह पर फिल्म बिखरी हुई लगती है! जहाँ निर्देशक समझा नहीं पाते..कि कहानी धर्म पर केन्द्रित है..या एलियन पर! यह हिरानी के करियर की अब तक की सबसे कमजोर स्क्रिप्ट थी!
हमारा इस फिल्म से तजुर्बा यही रहा है कि कम से कम उम्मीद लेकर देखिये! वैसे भी यह एक भयावह सपने सरीखी है! इसको "ओह माय गॉड" से तुलना मत करिए जबकि यह उस फिल्म के 1% के बराबर भी नहीं है..वो फिल्म एक साहसिक कदम था..जिसमे व्यक्ति और भगवान् के बीच के रिश्ते को सामने रखकर धर्म के सही रूप को दिखाया गया था! उसमे कोई परग्रही नहीं था..इसी दुनिया में रहने वाला एक आम आदमी था!
इस फिल्म का जो विरोध सडको पर हो रहा है...उसमे भी हिन्दू संगठन धर्म की रक्षा कम और राजनीति ही ज्यादा करते नज़र आ रहे हैं! जैसा कि हमेशा होता है...सभी अपने शहरो के सिनेमाघरों में तोड़ फोड़ कर रहे हैं...फिल्म देखने गए लोगों से हिंसक हो रहे हैं...आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद कर रहे हैं....सभ्य समाज में यह विरोध का कोई तरीका नहीं है..सिर्फ पाश्विकता और घटिया चलन है! अरे फिल्म बनाई है राजू हिरानी और आमिर खान ने....हिम्मत है तो जाओ मुंबई और फूंक दो दोनों के घर! मुंबई में बैठी शिव सेना अब क्या कर रही है? या वो मनसे कहाँ है...जिसको लड़ने का जोश रहता है! यह संगठन भी सिर्फ अपनी राजनीति चमका रहे हैं! यही आज के समय में सबसे बड़ा विद्रूप है कि आम लोग फेसबुक/ट्वीटर पर फिल्म के boycott वाले हैश टैग्स पर अपनी धार्मिकता से प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं....Pk के पक्ष और विपक्ष वाले लोग आपस में एक दूसरे को गालियाँ दे रहे हैं...और अपने बीच नफरत फैला रहे हैं! यह सब कुछ विरोध की सही दिशा के अभाव में हो रहा है!
इन सभी बातों को सन्दर्भ में लेते हुए भारत सरकार को इस फिल्म के TV पर दिखाए जाने पर हमेशा के लिए प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए! क्यूंकि अपनी लागत से कई गुणा अधिक यह फिल्म कमा चुकी है..इसलिए किसी आर्थिक नुक्सान के होने का कोई अंदेशा नहीं बचता है! और निर्माता/निर्देशक/कलाकारों को लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिए!
My Rating- ★★★★☆☆☆☆☆☆
http://warriorsstrike.blogspot.in/2015/01/pk-review.html
Genre- Religious Comedy Drama
Cast- Aamir Khan,Anushka Sharma,Sushant Singh Rajput,Saurabh Shukla,Boman Irani.
इस फिल्म को देखने से पहले इतना कुछ सुन चुके थे..कि समझ में नहीं आया कि फिल्म की कहानी का मज़ा लिया जाए..या फिल्म पर विवादों की छाया जो पड़ी हुई है..उसपर नज़र रखें! जिन लोगों को भी पहली दफा PK देखनी हो...हमारी राय है कि खुले दिल और खुली सोच के साथ देखें! अगर ऐसा मुमकिन ना हो तो अच्छा है इस फिल्म को दूर से नमस्कार कर दें!
फिल्म की कहानी दूर ग्रह से पृथ्वी पर आकर फंस गए एक परग्रही PK "आमिर खान"के बारे में है! जिसका एक चाबी रुपी लॉकेट खो गया है! जिसकी वज़ह से वो वापस अपने ग्रह जाने में असमर्थ हो जाता है! उसको पता चलता है कि उसका लॉकेट दिल्ली में रहने वाले एक बहुत बड़े आधुनिक सन्यासी/गुरु/बाबा और फ़िल्मी भाषा में "भगवान् के मेनेजर" सौरभ शुक्ला जी के पास है...जो दुनिया को लॉकेट का परिचय भगवान् शिव के डमरू का टूटा हुआ मनका बताकर कर रहा है! फिर PK कैसे अपना लॉकेट वापस पाता है..यह फिल्म की बची कहानी है! इसमें उसकी मदद एक रिपोर्टर लड़की अनुष्का शर्मा करती है!
तो इतनी से सीधी सपाट कहानी में विवादों की छाया क्यूँ और कैसे पड़ी हुई है और उनमे कितनी सच्चाई और झूठ फैला है..इसपर ध्यान दिलवाना जरूरी है!
इसमें सबसे बड़ा विवाद यह बताया जाता रहा है कि फिल्म हिन्दुओ की धार्मिक आस्थाओं और मान्यताओ पर घाव कर रही है!इस मामले में हमारा भी यही मत है कि यह बात बिलकुल सही है! इसमें कई मान्यताओ पर प्रहार किया गया है!
जैसे- PK कहता है कि उसने अपने दोनों गालो पर ईश्वर की तस्वीर इसलिए लगाईं है क्यूंकि कोई उसको मार ना सके! जैसे भारत के कई इलाको में भगवान् का चित्र दीवार पर लगा दिया जाता है कि कोई वहां पेशाब ना करे! भगवान् की तस्वीर का सीधा सम्बन्ध डर और अपने काम को निकालने की इच्छा से है! भगवान् को लोग पूजते हैं..इसलिए दिमाग में उनका डर भी रहता है कि उनके सामने कोई भी बुरा काम नहीं करना चाहिए! इसलिए अबोध मस्तिष्क वाले PK ने लोगों के इस तस्वीर वाले क्रियाकलाप का जो मतलब निकला..वही फिल्म में बोलता है!
PK ने कुछ जगह कहा कि भगवान् अगर अपने भक्तो की कामना पूरी करना चाहेंगे तो वो उन्हें कई हज़ारो किलोमीटर दूर अपने पास क्यूँ बुलायेंगे..वो तो घर में ही आपकी पुकार सुन सकते हैं! यह एक बहस का मुद्दा हो सकता है कि हिन्दू धर्म में कर्मकांड को क्यूँ इतना अधिक महत्त्व दिया जाता रहा है! जिसमे आस्था से ज्यादा व्यापार को बढ़ावा मिल रहा है!
हिन्दुओ का कहना है कि फिल्म में सिर्फ उन्हें ही निशाना बनाया गया है! जबकि ऐसा नहीं है...फिल्म के एक दृश्य में PK चर्च में जाकर नारियल फोड़ता और एक मस्जिद में अल्लाह को शराब पिलाने भी निकला है! लेकिन इन बातों को फिल्म के अन्दर देखने पर पता चलता है कि यह फिल्म के किरदार द्वारा कहानी में जिज्ञासावश करी गई चीज़ें हैं...जिनका प्रतिउत्तर भी PK को मिलता है...जिसमे चर्च और मस्जिद से उसको जान बचाकर भागना पड़ता है! ऐसे ही उसको गुरूद्वारे और मंदिरों से भी दुत्कार मिलती है!
कोई भी धर्म कभी भी व्यक्ति को गलत रास्ता नहीं दिखाता है! लेकिन वहीँ व्यक्ति का कर्त्तव्य यह है कि वो धर्म को गलत रास्ते पर ना धकेल दे! लगभग सभी धर्मो में कहीं ना कहीं कुछ ऐसे तत्व अन्दर तक घुसे हुए हैं..जो धर्म को व्यापार बनाकर अपने हितो को साधते हैं! यह कोई बाबा हो सकता है...कोई मौलवी या पादरी भी हो सकता है! किसी भी संभावना से कभी इनकार नहीं किया जा सकता है!
इस चीज़ को सही से समझने के लिए यह देखना जरूरी है कि भारत एक हिन्दू बाहुल्य देश है! और यहाँ की 70 फीसदी से अधिक आबादी हिन्दू धर्म में आस्था रखती है! इसलिए धर्म के नाम पर झूठ का व्यापार भी एक बड़े पैमाने पर चल रहा है..जिससे आम गरीब आदमी को रूबरू कराया जाना जरूरी है! बात यह जरूर सही है कि मुस्लिम,ईसाई धर्मो में जो कमियां हैं तो उन्हें क्यूँ नहीं दिखाया जाता है! इनपर भी जरूर फिल्में बनाई जानी चाहिए! कोई ना कोई निर्देशक अगर आगे इनपर भी फिल्म बनाये तो समाज के लिए अच्छा ही होगा! वैसे इसकी संभावना कम है...क्यूंकि हिन्दुओ में यह भावना घर कर गई है कि पूरी दुनिया में उनका अपना धर्म ही सबसे ज्यादा बुरा है! यह सोच बहुत दुखद है!
वैसे फिल्म में एक बात बहुत अच्छी बताई गई है कि भगवान् 2 तरह के हैं..पहले जिन्होंने हमको बनाया है...और दूसरे जिन्हें हमने बनाया है!
जिस ईश्वर ने इस अखंड ब्रह्माण्ड के एक सुई की नोक जितने बड़े ग्रह पर रहने वाले हम इंसानों को बनाया,बड़ा किया..और हम इंसान... मंदिर,मस्जिद या किसी ज़मीन के टुकड़े के नाम पर उसी अनश्वर भगवान् की रक्षा करने का ढोंग करते हुए सिर्फ नफरत और हिंसा फैलाते हैं! यह वो भगवान् होते हैं...जिन्हें हम बनाते हैं! तो आप ही बताइए कि आपके लिए असली भगवान् कौन है?
ऊपर लिखे यह फिल्म के वो हिस्से हैं..जिनकी वज़ह से इसका समर्थन हो रहा है! अब देखते हैं वो हिस्से जो इसको विरोध लायक बना रहे हैं!
फिल्म में एक मुद्दा है कि फिल्म में लव जेहाद है! क्यूंकि फिल्म की हिन्दू नायिका एक पाकिस्तानी लड़के से प्यार करती है! यहाँ मुद्दा बहस का है कि अलग राष्ट्रों में रहने वाले 2 बालिग़ और सक्षम नागरिक अपने जीवन का फैसला कर सकते हैं या नहीं? प्रेम सामने वाले का धर्म/जाति/पंथ/समाज देखकर किया जाना चाहिए या नहीं? इस मामले पर कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है! क्यूंकि अगर फिल्म में हीरो पाकिस्तानी ना होकर अगर अमेरिका,इंग्लैंड या ऑस्ट्रेलिया का होता तो शायद किसी को आपत्ति नहीं होती...मगर पाकिस्तान से दिलो में दुश्मनी और नफरत इतनी भरी हुई है..कि कोई कुछ नहीं सुनेगा! दुनिया में शान्ति के लिए नफरत की नहीं मोहब्बत की ज्यादा जरूरत है!
लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी जरूर हैं...जिनको जबरदस्ती दर्शको पर थोपा गया है! अगर सुशांत को इस दुनिया के 200+ देशो में से किसी भी अन्य देश का दिखाया गया होता...या कहीं और क्यूँ भारतीय मुस्लिम युवक बनाया जाता तो कुछ हद तक विवाद से बचा जा सकता था! फिल्म में एक तरफ़ा चीज़ें बहुत ज्यादा हैं...जैसे सुशांत का किरदार positive दिखाया गया...अगर मान लिया जाए कि वो नेगेटिव होता...तब तो हिन्दू लड़की बर्बाद ही हो जाती....फिल्म जैसे माध्यम से चीज़ों को दोनों तरफ से दिखाया जाना चाहिए! लेकिन यह फिल्म हिन्दू लड़कियों को विधर्मी युवको की तरफ आकर्षित कराये जाने की प्रवृति को बढ़ावा देती प्रतीत होती है...जिसकी कड़े शब्दों में निंदा करी जानी चाहिए!
इसके अलावा आमिर खान ने alien के सहारे बहुत सहजता से सभी धर्मो पर फिल्म में ऊँगली उठा दी है..लेकिन पूरी तरह से कहानी को खोला ही नहीं! अब सोचिये कि जिस गोले से Pk आया है..वहां के लोग नंगे रहते हैं! इसका मतलब यह निकला कि वहां का वातावरण एक रूप है...ना गर्मी ना ठण्ड!
तो ऐसी स्थिति में क्या लोगों में सेक्स को लेकर भी वहां कुछ अलग अजूबी सोच रहती होगी.. इसपर क्यूँ नहीं आमिर खान ने कुछ कहा?
इसी हिसाब से Pk ने अपने गोले पर धर्म का स्वरुप किस तरह का है...इस बात को भी फिल्म में कहीं नहीं दिखाया..जिससे माना जा सके कि पृथ्वी वासी ही इस ब्रह्माण्ड में अकेले ऐसे हैं जो धर्म पर अनर्गल विश्वास कर रहे हैं! या यह मान लिया जाए कि pk के गोले पर कोई धर्म अस्तित्व में ही नहीं है!
Pk के हिसाब से भगवान् सिर्फ कोई भौतिक चीज़ थी...क्यूंकि Pk के गोले पर धर्म के कोई चिन्ह नहीं दिखाए गए..इसलिए Pk शुरू से ही एक नास्तिक किरदार है! जब उसने पृथ्वी पर परम शक्ति के हजारो रूप देखे तो उसने धार्मिक मान्यताओं पर भी अपने वैज्ञानिक निष्कर्ष निकालने शुरू कर दिए! इसमें जैसा कि सभी ने देखा है कि PK को धरती पर सिर्फ यही एक मुद्दा आकर्षक लगा! इससे प्रतीत होता है कि इस फिल्म का उद्देश्य सिर्फ धर्म पर ऊँगली उठाना है...ना की किसी आडम्बर को दूर करने का उपाय देना! क्यूंकि कहानी के अंत में कहीं भी यह नहीं दिखाया गया है कि Pk के अन्दर कोई आस्तिक परिवर्तन आया हो! Pk में परग्रही सबकुछ करने के बाद वापस अपनी दुनिया में भाग जाता है...जैसे कोई आतंकवादी सबकुछ अव्यवस्थित करने के बाद करता है! इस लिए यह फिल्म विवाद में है!
लेकिन इतना सब होने के बाद भी चीज़ें नज़रंदाज़ कर जा सकती थी...अगर फिल्म में सीधे सीधे महादेव शिव शंकर पर निशाना लगाकर उनका उपहास ना उड़ाया जाता! यहाँ पर लोग कह सकते हैं कि वो भगवान् शिव नहीं उनका रूप धरे एक इंसान था! ऐसे लोगों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए जो उस सीन को जायज़ ठहरा रहे हैं!
हमारे देश में हर साल राम लीला का मंचन होता है...जिसमे काम करने वाले कलाकारों के लिए दर्शको में श्रद्धा का भाव जन्म ले लेता है! और यह मान्यता मानी जाती है कि ऐसे किसी भी कथा मंचन में भाग लेने वाले कलाकार के अन्दर स्वयं भगवान् अपना वास करते हैं! जिसके कारण मंचन को देखने वाले भक्तो को ईश्वर का दर्शन होता है! और वातावरण शुद्ध होता है! राजकुमार हिरानी और आमिर खान जाने कैसे यह बात भूल गए कि अरुण गोविल(श्री राम) और नितीश भारद्वाज(श्री कृष्णा) के किरदारों में भक्तो के बीच इतने प्रसिद्ध हुए हैं कि लोग उनका आशीर्वाद तक लेने लगते थे! यह लोगों के बीच श्रध्दा की बात होती है! साफ़ शब्दों में कहा जाए कि ईश्वरीय कथा मंचन करने वाला कलाकार भी आदर का पात्र होता है! जिसका मजाक उडाना गलत है! सेंसर बोर्ड को कम से कम शिवजी के उपहास वाला हिस्सा काटना चाहिए था! क्यूंकि बोर्ड के पास फिल्म को बार-बार देखकर लोगों की राय लेकर चीज़ें सही करने का अधिखार है..इस बड़ी चूक के लिए सेंसर बोर्ड के सभी सदस्यों को निलंबित कर दिया जाना चाहिए!
रोल के मामले में ऐसा है कि आमिर खान पूरी फिल्म में छाए रहे...मगर यह उनका बेस्ट रोल नहीं कहा जा सकता है! और ना उनकी एक्टिंग में कोई अनोखापन दिखा! एलियन के रूप में उन्होंने जिस देसी भाषा में संवाद बोले हैं वो भी पूरी तरह से शुद्ध रूप में नहीं थी...इसलिए कोई ख़ास असर नहीं छोड़ पाई! सोचने पर भी ऐसा कुछ नज़र नहीं आया कि क्या खासियत बताई जाए! सिर्फ आप आमिर के फैन हैं तो ही आपको कुछ अलग दिख जाए..वरना कुछ नहीं!
अनुष्का शर्मा का रोल जरूर उम्मीद से काफी लम्बा रहा..और अपने सपाट अभिनय से वो इस फिल्म में भी बाहर नहीं आ सकीं! असल में अनुष्का एक्टिंग के मामले में आज भी अपनी पहली फिल्म पर ही अटकी हुई हैं! फिर भी शायद उनके करियर को कुछ फायदा हो जाए! लेकिन फिल्म में जिस तरह के सीन विवाद हैं...उसको देखते हुए अनुष्का जैसी ब्राह्मण लड़की को फिल्म नहीं करनी चाहिए थी! लेकिन पैसे के लिए ऐसी हीरोइन सबकुछ बेच सकती है!
ऐसा ही फिल्म के दूसरे उच्च कुलीन एक्टर्स के साथ कहा जाएगा! जिन्होंने अपनी संस्कृति को कुछ पैसो के लिए बेच दिया!
संजय दत्त और सुशांत सिंह राजपूत के रोल छोटे छोटे से थे...संजय जहाँ अपने सीन्स में थोडा गुदगुदा गए..वहीँ सुशांत को एक गाने,एक किस और चंद संवादों के अलावा कुछ करने का मौका नहीं मिला! यही हाल बोमन ईरानी का रहा...जो हमेशा राजकुमार हिरानी की फिल्म में सबसे अच्छे रोल करते हैं..इस बार निराश कर गए! सौरभ शुक्ला के पास करने को कुछ था नहीं!
कुल मिलाकर आमिर खान के सामने दूसरे सभी किरदार धुंधले दिखाई दिए!
तकनीकी रूप से PK राजकुमार हिरानी की पिछली फिल्म 3 इडियट्स से कमतर है..और जिस धर्म के मुद्दे पर बनी है वो भी "ओह माय गॉड" की तुलना में उन्नीस ही साबित हुआ है!
अगर टिकट खिड़की पर इस फिल्म को आशा के अनुरूप सफलता नहीं मिल पा रही है तो उसकी वज़ह यही है कि इस plot को लोग पहले ही देख चुके हैं..इसलिए इसमें ताजगी नहीं दिखाई दी!
आमिर खान की स्टार पॉवर और रोज होते विवादों से ही यह फिल्म चल गई..वरना शायद 100 करोड़ मुश्किल होते!
फिल्म देखते हुए एक बात दिखाई दी...कि इसमें मनोरंजन के पल बहुत कम आये...हिरानी की फिल्मो में जो कॉमेडी सीन होते हैं...वो भी नज़र नहीं आते...कुछ डबल मीनिंग सीन जरूर थे..पर वो फिल्म की असल कहानी से मैच नहीं करते...जगह-जगह पर फिल्म बिखरी हुई लगती है! जहाँ निर्देशक समझा नहीं पाते..कि कहानी धर्म पर केन्द्रित है..या एलियन पर! यह हिरानी के करियर की अब तक की सबसे कमजोर स्क्रिप्ट थी!
हमारा इस फिल्म से तजुर्बा यही रहा है कि कम से कम उम्मीद लेकर देखिये! वैसे भी यह एक भयावह सपने सरीखी है! इसको "ओह माय गॉड" से तुलना मत करिए जबकि यह उस फिल्म के 1% के बराबर भी नहीं है..वो फिल्म एक साहसिक कदम था..जिसमे व्यक्ति और भगवान् के बीच के रिश्ते को सामने रखकर धर्म के सही रूप को दिखाया गया था! उसमे कोई परग्रही नहीं था..इसी दुनिया में रहने वाला एक आम आदमी था!
इस फिल्म का जो विरोध सडको पर हो रहा है...उसमे भी हिन्दू संगठन धर्म की रक्षा कम और राजनीति ही ज्यादा करते नज़र आ रहे हैं! जैसा कि हमेशा होता है...सभी अपने शहरो के सिनेमाघरों में तोड़ फोड़ कर रहे हैं...फिल्म देखने गए लोगों से हिंसक हो रहे हैं...आगजनी और सार्वजनिक संपत्ति को बर्बाद कर रहे हैं....सभ्य समाज में यह विरोध का कोई तरीका नहीं है..सिर्फ पाश्विकता और घटिया चलन है! अरे फिल्म बनाई है राजू हिरानी और आमिर खान ने....हिम्मत है तो जाओ मुंबई और फूंक दो दोनों के घर! मुंबई में बैठी शिव सेना अब क्या कर रही है? या वो मनसे कहाँ है...जिसको लड़ने का जोश रहता है! यह संगठन भी सिर्फ अपनी राजनीति चमका रहे हैं! यही आज के समय में सबसे बड़ा विद्रूप है कि आम लोग फेसबुक/ट्वीटर पर फिल्म के boycott वाले हैश टैग्स पर अपनी धार्मिकता से प्रेम का प्रदर्शन कर रहे हैं....Pk के पक्ष और विपक्ष वाले लोग आपस में एक दूसरे को गालियाँ दे रहे हैं...और अपने बीच नफरत फैला रहे हैं! यह सब कुछ विरोध की सही दिशा के अभाव में हो रहा है!
इन सभी बातों को सन्दर्भ में लेते हुए भारत सरकार को इस फिल्म के TV पर दिखाए जाने पर हमेशा के लिए प्रतिबन्ध लगा देना चाहिए! क्यूंकि अपनी लागत से कई गुणा अधिक यह फिल्म कमा चुकी है..इसलिए किसी आर्थिक नुक्सान के होने का कोई अंदेशा नहीं बचता है! और निर्माता/निर्देशक/कलाकारों को लोगों की भावनाएं आहत करने के लिए बिना शर्त माफ़ी मांगनी चाहिए!
My Rating- ★★★★☆☆☆☆☆☆
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