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Friday 17 April 2015

RAJNAGAR RAKSHAK (2015)




Review- राजनगर रक्षक (2015)
Genre-Action,Sc
i-Fi,Suspense
Main character(s)- इंस्पेक्टर स्टील,ध्रुव,श्वेता,अनीस,मैकेनिक!

‪#‎Creative_team‬
Writer- स्तुति मिश्रा
Penciller / Inker– सुशांत पंडा
Colorists-सदिया,भक्त रंजन,मोहन प्रभु
Calligraphers-मंदार गंगेले,नीरू

इस कॉमिक्स का इंतज़ार करने की 2 ख़ास वज़हें थी..पहली स्तुति जी के रूप में एक नई लेखिका द्वारा ध्रुव को पढना...यानी कुछ अलग मिलने की उम्मीद और दूसरी वज़ह- पहली बार ध्रुव के साथ स्टील की जुगलबंदी का आनंद उठाना! पूरी कहानी पढने के बाद महसूस हुआ कि कुछ न कुछ तो अधूरा रह ही गया!

कहानी-
कहानी की शुरुआत एक छोटी सी भूमिका बांधती है...जिसमे है...द्वीतीय विश्व युद्ध के समय बना एक अनजाना खतरनाक आविष्कार! 2 पन्ने बाद पता चलता है कि कुछ दिन पहले “कोड नेम कॉमेट” में तबाह होकर खड़ा हुआ राजनगर इतनी जल्दी दोबारा से पूरी तरह बर्बाद हो चुका है! फिर नेशनल फारेस्ट में एक लम्बा चौड़ा एक्शन पैक्ड ड्रामा खेला जाता है..जिसमे एक Alien नज़र आता है! (RC के लेखको के पास ध्रुव vs एलियन के अलावा अब कुछ ख़ास बचा हो ऐसा लगता नहीं)..कहानी के अंत में मैकेनिक अपनी झलक दिखाकर जनता को खुश कर देता है..चैप्टर क्लोज!

1-श्वेता इस वक़्त “अंखियों से लेज़र मारे” Mode पर आ चुकी है..उसकी आँखें और क्या गुल खिलाएगी..यह आगे के भाग में!
2-शरीर से तो पहले ही था पर दिमाग से भी पैदल हो चुके इंस्पेक्टर स्टील की खलनायकी आगे के भाग में दिखेगी!
3-गटर यात्रा से सुगन्धित हो चुका ध्रुव.. दब के मरेगा या जल के..यह देखिये आगे के भाग में!
4-मैकेनिक की वापसी कैसी रही...यह भी आगे के भाग में!
5-एलियन प्रोटोप्लास्ट का क्या रहस्य है...आगे के भाग में!
6-राजनगर उजड़ कर हाइबरनेशन कैसे हो गया...आगे के भाग में!
7-अनीस रजा के बनाए ड्रोन और ह्यूमनॉइड किस प्रकार बदल कर गुनाहगार हो गए...आगे के भाग में!

तो लब्बोलुआब यह रहा कि आपको सबकुछ आगे के भाग में ही मिलेगा! ( बहुत-बहुत बधाई कि 60/- आपने सिर्फ advertisements की ऐसी किताब खरीदने में खर्च कर दिए जिसमे आपको मिलेगी 61 पन्नों की उबासी लाने वाली वाली Alien Invasion+Mass Destruction+Scientific Inventions+भाई-बहन का प्यार+On ड्यूटी सरका हुआ ऑफिसर+ग्लैडिएटर गैंग की जिम्नास्टिक+जंगल में खड्डा+खड्डे में चमगादड़+सदियों से जंगल में अकेले बैठा अंडे देता परग्रही+अनीस की दोस्ती+ और रहस्यमयी स्टील का बिना डायलाग का एक पेज)!

इतने में आपको कॉमिक्स का पूरा आनंद अगर मिल जाता है तो जरूर लें...वैसे घटनाएं अगर एक sequence में चलती रहे तो एक के ख़त्म होने पर तसल्ली लगती है..कि चलो आगे कुछ नया दिखेगा...पर राज कॉमिक्स में अब एक परिपाटी चल पड़ी है...कि 10 अलग घटनाओं को 2-2 पेजेज में juggling करते हुए...कहानी में डाला जाता है..एक पर दिमाग स्थिर नहीं हो पाता...दूसरी और थमा दी जाती है! पता नहीं मनोरंजन के लिए कॉमिक्स पढ़ी जा रही है..या दिमाग की कसरत कराने के लिए!
किन्ही कारणों से चाहे लेखक के कॉलम में स्तुति जी का नाम आपको दिखे...लेकिन संवादों को पढ़कर आसानी से समझ आ जाएगा कि यह सब एक बार फिर नितिन मिश्रा जी की कलम से निकला हुआ है! सरल सी सिचुएशन में भी कठिन और घुमावदार शब्दों का प्रयोग,जिसमे आपकी हिंदी पर पकड़ बनने के साथ ही अच्छी खासी रीजनिंग की प्रैक्टिस भी हो जायेगी! हम उम्मीद यह लगाकर चल रहे थे कि स्तुति जी शायद ऐसी कहानियों को कुछ हलके फुल्के अंदाज़ में पेश करेंगी..पर

पात्र-
ध्रुव के कट्टर फैन्स लिए यह भाग कमतर लगता है...वज़ह कि वो साइड हीरो की तरह दिखता है..जिसको इंस्पेक्टर स्टील की कहानी में व्यवसायिक कारणों से फिट किया गया है! पूरी कहानी में उसकी बस श्वेता से हुई नोंक झोंक ही कुछ आकर्षक लगती है! उसके बाकी पन्ने पुरानी कहानियों जैसे हैं! आपको अगर ध्रुव के एक्शन देखने हैं तो वो भी पुरानी फॉर्म के आस-पास भी नहीं फटक पाया है! बताओ Alien को मधुमक्खियों से हरा रहा है! (alien हिमयुग के अंत से जंगल में रह रहा है..मतलब जब मधुमक्खी बर्फ में दिखती भी नहीं थी...और आज युगों बाद वो मधुमक्खी देखकर ऐसे उछाल मारकर भाग खड़ा होता है..जैसे इससे पहले उनको देखा/सुना ही नहीं) Adaptation से लेकर survival Tactics तक के नियमो को धता बता दिया गया! बहुत तेज़ी से हीरो का एक्शन दिखाने के चक्कर में ऐसा ही होता है!

श्वेता का रोल इसमें अहम् नज़र आ रहा है! फिलहाल चंडिका नज़र नहीं आई है..तो उत्सुकता जाग जाती है कि इसकी क्या वज़ह हो सकती है!

स्टील अपनी पुरानी छवि से बाहर नहीं आ पाया है! बस यह जरूर है की उसने 200 किलो का वज़न और बढ़ा लिया है..यह अलग बात है कि लोखंडवाला काम्प्लेक्स अपनी movements की बढाई ऐसे करता है जैसे Matrix को भी पछाड़ देगा (हाँ भाई कई साल खाली बैठेगा तो शरीर और दिमाग पर मोटापा तो चढ़ ही जाना है)!
फिलहाल जैसी कहानी चल रही है..ग्लैडिएटर गैंग से भिडंत जैसी उसकी कई ऐसी आपराधिक गतिविधियाँ रोकने वाले स्टंट्स लोगों ने पढ़े हैं...यहाँ भी लगभग रिपीट टेलीकास्ट जैसा ही एक्शन शो है! यह उन्हें अच्छा लगेगा जो इंस्पेक्टर स्टील की सीरीज को जानते ही नहीं है!

कॉमिक्स का एकमात्र आकर्षक बंदा लगता है प्रोटोप्लास्ट नाम का Alien जो थोडा गुदगुदाता है..और थोडा रहस्य बनाता है! कहानी के अंत में बस वही याद रहता है!

अनीस रजा का रोल फिलहाल तो साधारण है! श्वेता का गुरु (काफी देर लगा दी श्वेता ने गुरु चुनने में..कई साल बाहर पढने के बाद उसको अक्ल आ गई..अपने शहर की प्रतिभा पर विश्वास करने की) ‪#‎Crazy_Girl‬

चित्रांकन- सुशांत जी ने पेंसिल+इंकिंग दोनों करी है..ध्रुव को उन्होंने ठीक ठाक बनाया है...ना ज्यादा अच्छा लगता है..ना ज्यादा खराब! स्टील उम्दा बना है...लेकिन सबसे ख़ास बनाई है श्वेता...जो काफी अलग नज़र आ रही है! पिछली कॉमिक्स कोड नेम कॉमेट में जिस तरह से श्वेता बहनजी लग रही थी..उसकी तुलना में इस कॉमिक्स में वो बहुत सुंदर दिखी है! प्रोटोप्लास्ट भी अभी तक ठीक ठाक बना है! आर्टिस्ट ने नेशनल फारेस्ट का बैकग्राउंड वर्क काफी अच्छा किया है! जिससे पन्ने काफी भरे-भरे लगते हैं!
कवर आर्ट एक दम बेमज़ा और अस्वीकार्य है...श्वेता और ध्रुव बहुत बचकाने बने हैं! अंदर शुरूआती 30-35 पन्ने आकर्षक ढंग से बनाये गए हैं..लेकिन 40-50 तक pages में आर्टवर्क का स्तर गिर जाता है...फिर अंतिम पेजेज में संभल जाता है! यानी उतार-चढ़ाव मौजूद हैं!

सदिया,भक्त रंजन और मोहन प्रभु...तीन लोगों ने कॉमिक के इफेक्ट्स करे हैं....और पूरी कॉमिक्स काफी रंगबिरंगी लगती है! शुरूआती पन्ने जहाँ बर्बादी,आग, धुंए से भरे हैं...वहीँ बीच में जंगल के द्वारा काफी हरियाली नज़र आई है! अंत में लैब्स के नीले रंग से चित्रांकन सुकून देता है!

शब्दांकन- नीरू/मंदार जी द्वारा हुआ है...स्टील, ह्यूमनॉइड के लिए ख़ास मशीनी boxes में संवाद नज़र आये हैं! इसी तरह से प्रोटोप्लास्ट (alien) के लिए भी एक नए तरह का bubble बनाया गया है! कुल मिलाकर दोनों ने कम पेजेज में एक बड़ी कहानी को खूबसूरती से पिरोया है!

डायलॉग्स के मामले में कहानी इस बार थोड़ी हल्की और शान्ति से आगे बढती है (सिर्फ पुरानी कुछ कहानियों की तुलना में)..हमेशा की तरह दिखने वाले बोझिल संवाद थोड़े कम हैं...लेकिन क्यूंकि हमेशा की तरह ही narration गायब है..इसलिए कहानी बहुत तेज़ी से भागती है! कॉमिक्स के एक्शन सीक्वेंस भी चलताऊ किस्म के बनाये गए हैं..जिसमे किसी नवीनता के होने का कोई प्रमाण नहीं मिलता! ध्रुव की एक्शन ट्रिक्स अब predictable हो गई हैं..वो जैसे ही कुछ सोचता है..पाठक समझ जाते हैं कि वो आगे क्या करने वाला है...इन छोटी कमियों को दूर करना चाहिए!

लेखिका के लिए यह एक बड़ी चुनौती उभरी है कि वो कहानी में पाठक की उत्सुकता को बनाये नहीं रख पाई हैं! बेहतर होता यह कहानी 60 की जगह 90 पन्नो में दी जाती जिससे मैकेनिक को 30 पन्नो की अच्छी खासी फुटेज मिल जाती..जिससे कॉमिक्स का अंत थोडा बेहतर बन जाता!
वैसे ऐसा नहीं है कि यह कहानी बोरियत से भरी है...लेकिन इतना जरूर है कि यह कुछ खासा मनोरंजन भी नहीं देती है! यह कुछ इस तरह से बनाई गई है जैसे आप ना पूरा मज़ा ले पाते हैं..और ना कहानी में कुछ समझ पाते हैं! तो कुछ और महीने इंतज़ार करने के सिवा आपके पास कोई चारा नहीं है! शायद पूरी सीरीज को एक साथ पढने के बाद ही इस कहानी में कुछ आनंद जाग जाए!

Ratings :
Story...★★★★★★☆☆☆☆
Art......★★★★★★★☆☆☆
Entertainment……★★☆☆☆☆☆☆☆☆

2 comments:

  1. Bhai bahut sahi review dete ho. Bahut hi ghatiya comic thi. Kabhi life me nahi socha tha ki raj comics padh ke aisi boriyat hogi.

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  2. Bhai bahut sahi review dete ho. Bahut hi ghatiya comic thi. Kabhi life me nahi socha tha ki raj comics padh ke aisi boriyat hogi.

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