Pages

Tuesday, 2 June 2015

MAUT KA MAIRATHAN (2015)

Review-मौत का मैराथन (2015)
Genre-Comedy,Action,Period,War-Drama
Main character(s)- अश्वराज,ध्रुव,डोगा,इंस्पेक्टर स्टील,चीता,काल पहेलिया और अन्य
सर्वनायक विस्तार श्रृंखला का प्रथम भाग “मौत का मैराथन” नाम से शुरू हुआ है! इस मैराथन में दौड़ लगाने के लिए एक लम्बी चौड़ी किरदारों की टीम assemble करी जा चुकी हैं!
पहला धावक अश्वराज घोड़ो वाली जुड़वाँ टांगो के साथ अपनी भार्या कुदुम्छुम्बी की खोज पर भाग रहा है जिसका अपहरण कर लिया गया है!
दूसरा धावक सुपर कमांडो ध्रुव है...जो अपने बिजी schedule में भी ना जाने क्यूँ कैंसर के साथ एक बाइक रेस लगा रहा है! लेखक इस भाग में बताना ही भूल गए! (जबरदस्ती का सस्पेंस)
तीसरा धावक है डोगा...जो कालू से लड़ने के बाद अब तूतन खामन से मिलने भाग चला है!
लेकिन यह कॉमिक्स है ओलंपिक्स दिखाने के लिए नहीं लिखी गई है....यह तो है सर्वनायक सीरीज में दिखाए गए W.A.R की शुरुआत दिखाने के लिए...जिसमे 8 लोगों का चयन किया गया है... जो इस वक़्त खुद को इस लायक साबित करने की मुहीम पर जुटे हैं..कि वो सच में एक टीम बनाकर दुनिया की रक्षा करने लायक हैं!
अपने आकाओ के ऑर्डर्स पर इंस्पेक्टर स्टील के निर्देशन में 2-2 के group में 4 टीम बनाई गई हैं!
बैड्मन-चीता,शीना-काली विधवा,प्रोफेसर श्रीकांत-मैडम x और अंत में कीर्तिमान-लोमड़ी!
कहानी- कहानी का सार यह है कि यह पाठको को एक बार फिर से सिर्फ इतना सा clue देती है..कि “युगम धरित्री अस्य:” वाली सर्वनायक की मुख्य श्रृंखला  में जो कुछ अव्यवस्थाओं का मकडजाल नितिन मिश्रा जी द्वारा फैलाया गया है...उसकी उत्पत्ति का कारण अनुराग सिंह जी हैं! पाषाण राक्षसों के हर युग में धरती पर आगमन से पूर्व ही यह सब शुरू हो चुका था! Anyhow लेखक कहानी में क्या बताना चाहते हैं यह तो वो समझा नहीं सके..सिर्फ इतना पता चलता है कि यह एक मिनी सर्वनायक बनने जा रही है!
कहानी में ऊपर मौजूद टीम्स को एक-एक मुश्किल टास्क दिया गया है..जो इन्हें 1 दिन में पूरा करना है!
सबसे पहले आइये देखते हैं चुनाव के मुद्दे-
1-    कहानी में दिखाया गया है कि इंस्पेक्टर स्टील चीता,शीना, प्रोफेसर श्रीकांत जैसे ऐसे लोगों को FAX करके बुलाता है..जो समाज में खुलेआम अपना पता छोड़कर रहते हैं! लेकिन अनुराग जी यह बात सिरे से गोल कर गए कि काली विधवा, कीर्तिमान,लोमड़ी,रात की रानी जैसे लोगों को स्टील ने कैसे बुलाया...जिनका पता-ठिकाना कोई जानता ही नहीं.....इन्हें कहाँ खोजकर FAX किया,चिठ्ठी भेजी,ईमेल किया,भोंपू बजाया,दुदुम्भी बजवाई..क्या किया?
कीर्तिमान तो अपने सूरज का रसोइया मोहर सिंह है जो लायन जिम की किचन में सोता  है...भगवान् के लिए कोई यह मत कह देना कि उसके पास रेफ्रीजिरेटर में एक FAX मशीन है जिसका नंबर स्टील के पास है और हमारी प्यारी सोनिका को कैसे बुलवाया आपने...उससे मिलने तो अब सूरज भी नहीं जाता...इस स्टील पर अब शक होने लगा है! :P

2-    राजनगर जाने इतना बड़ा मेट्रोपोलिटन कब से बन गया है कि “विश्व बचाओ समिति” की बैठकें यहाँ होनी शुरू हो गई हैं...जबकि ऐसी बैठकें दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों में होनी चाहिए जहाँ उच्च-स्तर की सुविधायें मौजूद हैं! खैर लेखक को राजनगर पसंद आया तो उनकी मर्ज़ी!

3-    अब आप एक बात और गौर करिए कि W.A.R जैसी एक बड़ी टीम का गठन करने के लिए जिन सरकारी निर्देशों,शक्तियों और संसाधनों की जरूरत होती है...वो बिना किसी को ठोस जानकारी मुहैया कराये जाने कैसे शुरू भी हो गई और इसमें इंस्पेक्टर स्टील को भी जुड़ा दिखा दिया गया है!
लेखक को यह पता होना चाहिए कि वो केंद्र सरकार के नीचे काम करने वालो के द्वारा ही इतना बड़ा सेटअप दिखा सकते हैं.. वो अधिकारी IAS,PCS,सचिव स्तर के होते हैं...जिन्हें इस कॉमिक्स में काउंसिलर और उसके आजू-बाजू में “लॉ” एंड “आर्डर” नाम के नमूनों की तरह दिखाया गया है..जो चेहरे पर मास्क लगाए सर्कस के जोकर दिख रहे हैं! आप देख सकते हैं कि काउंसिलर बोलता है कि “वो सबके क्राइम रिकॉर्ड मिटा देगा”...मतलब क्या हवा में मिटा देगा?....अपने चेहरे को छुपाकर जाएगा दिल्ली सचिवालय में! कुछ भी ऊल जलूल दिखाने की हद्द ही कर दी गई है! इस पूरी श्रृंखला के शुरू से लेकर अब तक लेखकों को असल रहस्य छुपाने और बेकार के रहस्य बनाने के अलावा कोई दूसरा काम है ही नहीं!
4-    हमें पहले लगा कि जो टास्क दिए जा रहे हैं उनको देखने में आनंद आएगा...पर यह बात भी पहले ही टास्क में धराशाई हो गई...आइये जानते हैं-
बैड्मन को टाडा लगाने के बाद पुलिस नारका जेल में शिफ्ट करती है..उसके पहने हुए सारे कपडे उतारने के बाद जेल की वर्दी भी दे देती है....इसके बावजूद 3-D इमेज प्रोजेक्टर, चीता से बात करने के लिए Ear-plug, नाक में Nose Filter,ध्रुव का एक्शन फिगर,चीज़ें खींचने के लिए काँटा..इतनी सारी चीज़ें लेकर वो अपना मिशन पूरा कर लेता है! लेकिन क्या लेखक यह कहना चाहते हैं कि पुलिस वाले उसकी कोई तलाशी लिए बिना ही उसको वहां पटक गए थे और नारका जेल का जेलर बैड्मन का ससुर लगता है?
लेखक एक बार दिल्ली की तिहाड़ जेल की सैर करके आयें..उन्हें पता चल जाएगा कि high सिक्यूरिटी जोन क्या होता है!
5-    अगर आगे की कॉमिक्स में प्रोफेसर सूरी ही प्रिंसिपल दिखाया जाने वाला है तो यह बात सभी जानते हैं कि प्रिंसिपल और काल पहेलिया के बीच 36 का आंकड़ा है..और यह आंकड़ा इसलिए बना है...क्यूंकि प्रिंसिपल ने 2 बार कालू को धोखा दिया था...कॉमिक्स का नाम पाकिस्तान जिंदाबाद और डील! जिसकी वज़ह से कालू को जेल की हवा खानी पड़ी थी! लेकिन विस्तार में यह दोनों एक बार फिर से साथ हैं? कालू अपने दोस्त और दुश्मन चुनने में इतना कच्चा नहीं है! और अगर इन दोनों को साथ आना था तो उसकी ठोस वज़ह लेखक को दिखानी चाहिए थी..जो कि दिखाई नहीं!
6-    रोबो के पास 10,000 करोड़ रुपये....हाहाहाहा..बस लेखक साहब हंसाने की भी एक सीमा है! :v
कहानी में एक मात्र अच्छा विषय था अश्वराज द्वारा लड़ा गया एक छोटा सा युद्ध! बेचारे के कुदुम्छुम्बी अगवा हो गई...ऐसा खनकदार नाम जिसकी भार्या का हो..वो चैन से बैठ ही नहीं सकता...अश्वराज ने अदभुत पराक्रम दिखाया है...जो पाठकों की शिराओ में बहते खून को और तेज़ प्रवाह दे देता है!
इसको छोड़कर बाकी यह पूरी कहानी लगता है..पाठको से मौज मारने के लिए लिख दी गई थी! बैड्मन तो “दिल के मोड़ पर..शर्म छोड़कर..लिमिट तोड़कर..आ जाना”...Mode पर इंडिया में कदम रखे हुए है...वापस अमेरिका जाने तक 2-4 मामले सेट करके ही जाएगा! :v
लेखकों को विस्तार के लेखन में अभी भी बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है! कम से कम पुरानी कॉमिक्स से जो पात्र उठा रहे हैं..उनके बारे में एक बार पूरी तरह से मालूमात भी कर लें कि आखिरी बार कहाँ देखे गए थे! एक और अच्छी बात दिखाई गई कि नारका जेल समुद्र के बीच में है...पता नहीं क्यूँ CWAH में वो राजनगर के बीच आ गई थी...ओह्ह शायद CWAH parallel सीरीज है इसलिए ऐसा हुआ होगा! ;)
“लेखक की बात का कभी भरोसा ना करना डोगे..लेखक का तो काम ही आँखों में धूल झोंकना होता है!”
सर्वनायक से लेकर उसके विस्तार के आने तक यही एक डायलॉग ऐसा मिला है..जो इस पूरी सीरीज का आईना है! काफी सारे पाठक इस धूल में अपने मस्त-मस्त 2 नैन गँवा चुके हैं..कॉमिक-देवता कॉमदेवस्तु के आशीर्वाद से हमारी आँखें इस अंधड़ में अभी सलामत हैं! :P
चित्रांकन- हेमंत जी के पास यहाँ करने के लिए काफी कुछ था..क्यूंकि उन्हें पहली बार कई नए किरदार बनाने का मौका मिला है...अश्वराज वाले पन्ने काफी अच्छे बने हैं...ध्रुव और डोगा वाले पन्ने भी शानदार एक्शन समेटे हुए हैं! लेकिन उन्होंने सूरज और चीता के चेहरे बढ़िया नहीं बनाए हैं! शीना बेकार बनी है..स्टील भी अजीब सा दिख रहा है....ध्रुव vs बैड्मन वाले पन्ने बहुत खराब थे...और अंत में आते आते आर्टवर्क लुटा पिटा हो चुका था! एक और चीज़ हमने नोटिस करी कि इन पन्नो में ध्रुव 20 साल पुरानी मोपेड चलाता हुआ नज़र आ रहा है...जबकि शुरू में कैंसर के साथ काफी हैवी बाइक चला रहा था...अरे बस उसके पहिये का रबर ही तो निकला था...नयी टायर लगवा लेता....ध्रुव की इतनी बेईज्ज़ती करने की क्या जरूरत थी..कि उसको टुर्री पर सवारी करवा दी! :P
ओवरआल हेमंत जी ने अपने सामर्थ्य के मुताबिक़ काम नहीं दिया है!
कलरिंग- भक्त रंजन और मोहन प्रभु के द्वारा करी गई रंग सज्जा साधारण रही है...इसमें बहुत ज्यादा इफेक्ट्स नज़र नहीं आते... शब्दांकन हमेशा की तरह ही है!
इस कॉमिक्स के डायलॉग्स भी काफी सतही ढंग से लिखे गए हैं! अनुराग जी का बांकेलाल पर अब तक किया गया जो पिछला काम है..उसकी छाप इस गंभीर कॉमिक्स में दिखने लगती है जब जगह-जगह पर वो हास्य ठूँसने की कोशिश करते नज़र आते हैं! मतलब आप जबरदस्ती पाठको को हँसाना चाहते हैं! हास्य पर इतनी अतिरिक्त मेहनत ना करिए...आपने अब तक जो कहानी लिखी है..उसको याद करके ही बहुत जोर से हंसी छूट जाती है! :v
ओवरआल यह कॉमिक्स ज्यादा प्रासंगिक नहीं है...इसमें किरदारों के बीच छिटपुट आपसी नोंकझोक के अलावा ज्यादा कुछ नज़र नहीं आता है...फिलहाल यह ना तो सर्वनायक को कोई फायदा देती नज़र आ रही है.. जो कुछ इसमें दिखाया गया है..उसका कोई तर्कसंगत तर्क मौजूद नहीं है! लेखकों को नए सिरे से इस विस्तार को पटरी पर लाने की जरूरत है..नहीं तो विस्तार की दिशाहीनता पर ग्रैंड-विस्तार लिखने की नौबत आ जायेगी!
Ratings :
Story...★★★★☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★☆☆☆☆☆
Entertainment……★★★★☆☆☆☆☆☆
#Rajcomics,#Dhruva,#Nitinmishra,#Anuragkumar,#Hemantkumar,#MautkaMairathan

FLASHBACK (2015)

Review- फ्लैशबैक (2015)
Genre-Drama,Action,Mystery
Main character(s)- ध्रुव,ब्लैक कैट,नताशा,जैकब,गिलिगिली,किंग,राधा!
बालचरित सीरीज के 25% हिस्से हन्टर्स को पढने के बाद अब आपके सामने है बालचरित का दूसरा भाग “फ्लैशबैक”! फ्लैशबैक का मतलब है कि पुरानी गुजर चुकी बातें एक बार फिर से आपके सामने आ जाती हैं! ज्यादातर मायनों में वो भूली यादें आपको अच्छी लगती हैं! अगर उन भूली यादों की वज़ह से वर्तमान में आपकी जान भी बच जाए तो इससे बढ़कर ख़ुशी आपको क्या होगी! ध्रुव के साथ यही हो रहा है!
कहानी की शुरुआत गिलिगिली के साथ ध्रुव के एक काफी लम्बे चले  “जादू-युद्ध” से होती है! गिलिगिली को कंटेनर का नंबर चाहिए जिसके लिए वो घुस जाता है ध्रुव के दिमाग की गहराई में! यह अलग बात है कि यह छोटी सी बात वो नहीं समझ पाया कि कंटेनर का नंबर गहराई में नहीं बल्कि ध्रुव के दिमाग की नई मेमोरी में होना चाहिए! फिर भी लेखक का  उद्द्देश्य यहाँ पर पाठकों को फ्लैशबैक द्वारा सम्मोहित करके रखना था इसलिए इस छोटी सी त्रुटी को नज़रंदाज़ कर देना बेहतर है!
तो दिखते हैं...जादू ही जादू,ऐसा जादू वैसा जादू,पानी वाला जादू, कार्टंस वाला जादू,आग वाला जादू,बिजली वाला जादू,बर्फ वाला जादू,धुंए वाला जादू करके अपने खलनायकी जीवन को पूरा निचोड़कर भी गिलिगिली जब ध्रुव को हरा नहीं पाता तो सदमे में खटिया पकड़ लेता है!
यहाँ पर पाठक भ्रमित ना होइए कि ध्रुव को भी जादू आता है...असल में जादू नाम की कोई चीज़ नहीं होती है...वो सिर्फ मतिभ्रम का दूसरा नाम है! पाशा गुरु के नाम से गिलिगिली भी चौंक जाता है...इसलिए ध्रुव ने अगर अपने बचाव में 2-4 ट्रिक्स चल भी दी तो यह बड़ा मुद्दा नहीं है! उसको भी पहली दफा ही अपनी जादूगरी  पता चली है और शायद ही वो आगे ऐसा दोबारा करेगा!
जैकब अंकल अभी भी बेहोश हैं...पर कहानी में उनकी बीवी-बच्चे मौजूद होने का हिंट दिया गया है! यह आगे के भागों में खुलेगा कि मामला क्या है!
ध्रुव- हमारे कैप्टेन के पास इस कॉमिक्स में करने के लिए सिर्फ एक्शन था...इसके अलावा वो नए-नए रहस्यों के खुलने पर आँखें फाड़कर पोज़ देते नज़र आते हैं! उनके बाल रूप के कुछ अच्छे पन्ने भी मौजूद हैं,जहाँ वो सर्कस के समय क्या-क्या  सीखा यह दिखाते हैं! बाकी कहानी में इधर से भागे तो उधर से बुलावा आ गया..कभी शिपयार्ड,कभी अस्पताल,कभी जंगल और फिलहाल समुद्र में डॉल्फिन्स पर खड़े हैं! उन्हें कहीं रोक कर खाना खिलाये जाने की सख्त जरूरत है कहीं थकान से ही ना लुढ़क जाएँ!
ब्लैक कैट- रिचा के रोल में इस भाग में काफी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है...उसने ब्लैक कैट के रूप में राधा से एक उम्दा फाइट भी करी और अब ध्रुव का इस मिशन में अहम् साथ भी दे रही है! आगे भी उसको अच्छा रोल मिलने की उम्मीद है!
नताशा- कहानी पर एक मात्र बोझ यह लड़की है! ध्रुव के सामने होती है तो झूठ बोलती है कि रोबो को छोड़ चुकी है..अब उससे कोई रिश्ता नहीं रखती..लेकिन पीठ पीछे हन्टर्स को रोबो आर्मी का प्रतिद्वंदी मानकर गुप्त रूप से ट्विस्टी जैसी अपनी कुछ जुर्म की सहेलियों को काम पर लगा देती है ताकि रोबो का धंदा चमकता रहे! रही सही कसर ध्रुव को बीच मंझदार में छोड़कर भाग खड़ी होकर दिखाती है! जो लोग कहते हैं कि वो सुधर चुकी है..वो चुल्लू भर पानी लेकर उसमे डूब जाएँ! नाकाबिले बर्दाश्त!
किंग- गोर्रिल्ले का रोल अच्छा है..वो हमेशा ही जैकब की रक्षा करता रहा है! 
राधा- गजब का मेन्टेन किया हुआ है राधा जी ने खुद को! इतने सालो तक याददाश्त गायब रहने के बाद और भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित रहकर भी कोई नहीं कह पायेगा कि उनकी उम्र 40+ हो चुकी है! ब्लैक कैट की धुलाई करने के बाद बुरी तरह  घायल होकर एक और एक्सीडेंट झेलकर गायब हो जाना दुनिया में सिर्फ ध्रुव की मम्मी ही कर सकती थी! दिल आनंदविभोर हो जाता है उन्हें वापस जिंदा देखकर! अब बस उनके इतने साल गायब रहने की वज़ह पढने की उत्सुकता बढती जा रही है!
अनुपम जी के लेखन में जो सबसे बड़ी खूबी है वो यह है कि वो हर भाग के साथ कुछ ना कुछ रहस्य पाठको पर जाहिर कर देते हैं...जिससे कहानी में पाठको को रूचि भी बनी रहती है और आगे पढने की इच्छा भी! वो उन लेखकों में से नहीं हैं....जो सिर्फ रहस्य बनाए रखकर ही अपनी कहानी को घसीटना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं!
1-फ्लैशबैक में आपको इतना पता चल जाता है कि हन्टर्स कौन हैं और उनका मुखिया कैसा है! यह एक काफी बड़ी बात है!
2-राधा की DNA रिपोर्ट भी इसी भाग में आ जाती है!
3- चंडिका कौन है? यह सवाल भी कम से कम ध्रुव के दिमाग से हटा दिया गया है!
दो  भाग आने तक इतने सवाल उजागर कर दिया जाना एक अच्छा कदम है!
चलिए अच्छी बातें काफी हो गयी अब कहानी में मौजूद कुछ दूसरे अच्छे विषय भी लिए जाएँ!
@जैसा कि हम सभी जानते हैं की श्वेता अस्पताल में पड़ी है...और ध्रुव का घर खाली है...ऐसे में ट्विस्टी कहती है..कि वो घर में घुसकर चंडिका की ड्रेस पहन कर आ गई...यह बहुत मुश्किल से हज़म होने वाला सवाल था..कि पुलिस कमिश्नर के घर (सील बंद ही सही) में कोई भी आसानी से घुस कर निकल जाता है...वो भी कैमरे लगे होने के बाद भी! घर सील है..पर करोडो का सामान अलीगढ के ताले के भरोसे शायद ही कोई छोड़ेगा.. ध्रुव भी इतना बेवकूफ है कि चंडिका की ड्रेस जैसी चीज़ को ऐसे ही खुले में रखकर जाए कि वो आसानी से किसी के हाथ लग जाती है! क्या ध्रुव इसी तरह से सोच रहा था कि श्वेता का रहस्य खोजेगा?
कभी कभी लगता है कि ध्रुव जानबूझकर नहीं चाहता है कि श्वेता का रहस्य खुले...क्यूंकि अगर उसको यह पता करना होता तो ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ अपने किसी कुत्ते से चंडिका की ड्रेस की महक को श्वेता की महक से match करवा लेता...कुत्ता 1 मिनट में सब बता देगा...या चंडिका की ड्रेस पर मौजूद खून का सैंपल ही लेकर श्वेता के खून से match करवा लेता...पर यहाँ पर आकर उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है!
एक और ख़ास बात देखिये गिलिगिली के पीछे चिड़ियों को भेज देता है..पर चंडिका के पीछे आज तक किसी को नहीं भेजा!
इतनी बातें देख ली तो एक और बात देखिये....मान लीजिये 5 ft 2 इंच की  श्वेता की कद-काठी 36" 24" 36"  है.... चंडिका की भी इतनी ही है....लेकिन जब नताशा आती है तो ध्रुव को समझ जाना चाहिए कि यह वाली चंडिका 5 ft 8 इंच की  36”29”38” की है! मतलब झोल है...और नहीं तो ट्विस्टी जिसकी height साफ़ साफ़ नताशा से कम है.. 32-26-34 के साइज़ में कहाँ से चंडिका लगेगी! हमें तो लगने लगा है कि रजनी आंटी भी चंडिका की ड्रेस पहन कर आ जाएँ तो ध्रुव मान लेगा कि वही असली चंडिका है!

उपरोक्त सभी बातों से एक ही तथ्य निकलता है.....ध्रुव का दिमाग घास चरने गया है!

@ गिलिगिली कहता है कि “सलग्राही वट” अत्यंत दुर्लभ है..और वहीँ ट्विस्टी उसी वट को जाने कैसे रिकॉर्ड टाइम में राजनगर में ही खोज निकालती है! आजकल दुर्लभ का अर्थ कुछ बदल गया है!
@ब्रुसेल्स जो की बेल्जियम की राजधानी है...वहां से भारत में आने के लिए जो सबसे तेज़ हवाई सेवा है...उसको भी 8 घंटे लगते हैं! लेकिन गिलिगिली और ध्रुव की लड़ाई कितनी देर चली होगी...ज्यादा से ज्यादा 1 घंटा..या मान लीजिये 2 घंटे! लेकिन इस लड़ाई के दौरान ही जैकब के अपहरणकर्ता ब्रुसेल्स में जैकब के परिवार को खोजकर एक लड़के को इंडिया भेजकर यहाँ की अदालत में केस दायर करके...ध्रुव की सारी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का कोर्ट आर्डर लेकर शिपयार्ड पर ध्रुव के मुहं पर मारकर चले जाते हैं! मतलब जिस काम को होने में कम से कम 1 दिन लगना ही चाहिए था वो सिर्फ 1-2 घंटे में करवा दिया जाता है! अब इसको कैसे हज़म किया जाएगा?
संवाद- पिछले भाग के  डायलॉग्स काफी इमोशनल करने वाले थे...इस भाग में क्यूंकि एक्शन ज्यादा है इसलिए डायलॉग्स भी उसी मुताबिक़ एक दूसरे पर जोर आजमाइश वाले मिलते हैं! भाषा आसान और सिचुएशन के हिसाब से है...जैसी पुरानी कॉमिक्स में मिलती थी...यहाँ अनुपम जी ने पिछली कहानियों नैनो और अलादीन  की तुलना में काफी सुधार किया है...उन्होंने यथासंभव सरल शब्द लिखे हैं...story narration भी मौजूद है और ऐसी ही कहानी पढने में आनंद आता है!
आर्टवर्क- अनुपम-विनोद जी की जोड़ी है और शानदार काम देखने को मिलता है! कवर आर्ट अत्यंत  आकर्षक है...सिवाय चेहरों के...क्यूंकि उसपर ईश्वर आर्ट्स द्वारा इंकिंग करी गई है! RC जब पूरी कॉमिक्स विनोद जी से इंक करवा सकती है तो सिर्फ कवर पर कंजूसी क्यूँ दिखाई जाती है?
ध्रुव अपने पुराने अंदाज़ में मिलता है...रिचा/ब्लैककैट का आर्टवर्क तो क़यामत ढा रहा है! मन करता है नज़र ही ना हटे! राधा जी अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जवां नज़र आती हैं...वहीँ रजनी जी जिस उम्र की हैं..उसी उम्र को दर्शाती हैं! किंग को भी काफी उम्दा बनाया गया है...खूनी खानदान के समय से अब वो काफी बदला हुआ है...जो अच्छा लग रहा है! कई एक्शन सीन्स में कैमरा एंगल जबरदस्त बनाया गया है! बैकग्राउंड work पर बहुत मेहनत हुई है...कुल मिलाकर उम्दा काम है!
सिर्फ एक त्रुटी जैकब अंकल के आर्ट में लगती है जिसमे उनके सिर के आधे हिस्से पर बाल नज़र आ रहे हैं...जबकि पहले उनके बाल नहीं थे...वैसे भी आधे जले सिर पर बाल ना होने की सूरत में आधे सिर पर कोई वैसे भी बाल नहीं रखता है..और ऐसे बालों का उगना भी मुश्किल होता है!
रंगसंयोजन पिछली हन्टर्स की तरह ही 60-65% तक की quality का है...बहुत ज्यादा इफेक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है...सिंपल कलर scheme में पूरी कॉमिक्स बनाई गई है!
इसमें भी एक त्रुटी पेज 11 पर जैकब अंकल के साथ करी गई है...जहाँ उनके कपड़ो का रंग नारंगी कर दिया गया है..जबकि बाकी कॉमिक्स में वो नीले रंग के कपडे पहने हैं! editing में यह चूक आसानी से पकड़ आ जानी चाहिए थी! आगे ध्यान दें!
शब्दांकन में इस बार ज्यादा प्रयोग नहीं दिखाई देते...सिंपल काम है! कवर पर टाइटल जरूर अच्छा बनाया गया है!
टिप्पणी- हन्टर्स की तुलना में इसमें एक्शन सीन काफी लम्बे होने की वज़ह से आसानी से आपको ज्यादा दिमाग भगाना नहीं पड़ेगा! आप एक समय पर एक घटना से आसानी से खुद को जोड़ लेंगे! कहानी अब आधे रास्ते पर पहुँचने के कारण रोचक हो चुकी है...शर्तिया आप अब आगे क्या होने वाला है..यह जानने के लिए उत्सुक होते जा रहे हैं...जैसे-जैसे ध्रुव की ज़िन्दगी के पिछले खो चुके और अब नए-नए किरदार आते जा रहे हैं...वैसे वैसे कहानी की स्पीड और इसकी गहराई भी बढती जा रही है...जिसके फलस्वरूप ध्रुव का जीवन भी बदलने के कगार पर पहुँच चुका है! बस वक़्त का इंतज़ार करिए जब “नो मैन्स लैंड” आपके हाथो में होगी..तब तक फ्लैशबैक का आनंद लें!
Ratings :
Story...★★★★★★★★☆☆
Art......★★★★★★★★★☆
Entertainment……★★★★★★★★☆☆
#Rajcomics,#SCD,#Anupamsinha,#Flashback

ANOKHA CHOR (2015)



Review-अनोखा चोर  (2015)

Genre-Senseless Comedy

Main character(s)- बांकेलाल,विक्रम सिंह,घासुमल घसियार!

समीक्षा में समझ नहीं आ रहा क्या बताएं...कहानी को लिखें या अपना अनुभव! इस कहानी को शुरू करते ही 5 पन्नो पर ही सिर में दर्द शुरू हो जाता है! कहानी हद से ज्यादा फ़ालतू और predictable बनाई गई है! इसमें एक चोर है जिसको चोट्टादेव से वरदान मिला है कि वो 24 घंटे के लिए कोई भी चीज़ चुरा सकता है..और उसके बाद वो चीज़ वापस अपनी सही जगह पहुँच जायेगी! बांकेलाल यह सुन लेता है और चोर के साथ मिलकर विक्रम के खिलाफ एक महाघिसेला उबाऊ षड़यंत्र 1018वी बार बनाता है! वही होता है इधर षड़यंत्र उधर उसका तोड़! अरे यह तो किसी पागल ऋषि के दिए शाप का काट था...बहुहुहुह मेरी मौत तो ऐसे ही होनी थी..नींद में बांके को शिक्षा शास्त्री दिखता है भाई....हद्द दर्जे की बकवास इस कॉमिक्स में कूट-कूट कर परोसी गई है! डायलॉग्स इतने बेकार और बचकाने हैं कि पढना मुश्किल हो जाता है! फ़िल्मी गानों की पैरोडी मारना, और कई पुरानी कॉमिक्स से उठाये गए हिस्से को दोबारा दिखा देना अब बांकेलाल का ज्यादा समय तक भला नहीं किया जा सकता है! अच्छा होगा...विशाल राव मैसूर जी को कहा जाये कि वो कॉमिक्स ग्रुप्स में आयें...लोगों से जानें कि उन्हें क्या पढना है..कहाँ कमियां हैं...वरना बांकेलाल को इस तरह से बर्बाद करने से अच्छा है..उसको सही कहानियां आने तक विराम दिया जाए! इस कॉमिक्स को छापकर RC ने कागज़ की जो बर्बादी करी है..दुखद है! आप लोग अपने पैसे इसपर बर्बाद ना करें! और RC भी इसको दोबारा रीप्रिंट ना करे!

चित्रांकन में कुछ नया बताने को यहाँ नहीं है...जैसा पिछले कॉमिक्स में बनता आया है..वैसा ही है!

कुल मिलाकर अनोखा चोर को पब्लिश करना RC की एक बहुत भयंकर भूल है...उसकी भूल की सजा पाठक अपनी जेब और दिमाग को ना ही दें तो बेहतर होगा..बाकी जनता की इच्छा!

Ratings :

Story...★☆☆☆☆☆☆☆☆☆

Art......★★★★☆☆☆☆☆☆

Entertainment……★☆☆☆☆☆☆☆☆☆

#Rajcomics,#Bankelal,#Sushantpanda,#Anokhachor