Review- फ्लैशबैक (2015)
Genre-Drama,Action,Mystery
Main character(s)- ध्रुव,ब्लैक कैट,नताशा,जैकब,गिलिगिली,किंग,राधा!
बालचरित सीरीज के 25% हिस्से हन्टर्स को पढने के बाद अब आपके सामने है बालचरित का दूसरा भाग “फ्लैशबैक”! फ्लैशबैक का मतलब है कि पुरानी गुजर चुकी बातें एक बार फिर से आपके सामने आ जाती हैं! ज्यादातर मायनों में वो भूली यादें आपको अच्छी लगती हैं! अगर उन भूली यादों की वज़ह से वर्तमान में आपकी जान भी बच जाए तो इससे बढ़कर ख़ुशी आपको क्या होगी! ध्रुव के साथ यही हो रहा है!
कहानी की शुरुआत गिलिगिली के साथ ध्रुव के एक काफी लम्बे चले “जादू-युद्ध” से होती है! गिलिगिली को कंटेनर का नंबर चाहिए जिसके लिए वो घुस जाता है ध्रुव के दिमाग की गहराई में! यह अलग बात है कि यह छोटी सी बात वो नहीं समझ पाया कि कंटेनर का नंबर गहराई में नहीं बल्कि ध्रुव के दिमाग की नई मेमोरी में होना चाहिए! फिर भी लेखक का उद्द्देश्य यहाँ पर पाठकों को फ्लैशबैक द्वारा सम्मोहित करके रखना था इसलिए इस छोटी सी त्रुटी को नज़रंदाज़ कर देना बेहतर है!
तो दिखते हैं...जादू ही जादू,ऐसा जादू वैसा जादू,पानी वाला जादू, कार्टंस वाला जादू,आग वाला जादू,बिजली वाला जादू,बर्फ वाला जादू,धुंए वाला जादू करके अपने खलनायकी जीवन को पूरा निचोड़कर भी गिलिगिली जब ध्रुव को हरा नहीं पाता तो सदमे में खटिया पकड़ लेता है!
यहाँ पर पाठक भ्रमित ना होइए कि ध्रुव को भी जादू आता है...असल में जादू नाम की कोई चीज़ नहीं होती है...वो सिर्फ मतिभ्रम का दूसरा नाम है! पाशा गुरु के नाम से गिलिगिली भी चौंक जाता है...इसलिए ध्रुव ने अगर अपने बचाव में 2-4 ट्रिक्स चल भी दी तो यह बड़ा मुद्दा नहीं है! उसको भी पहली दफा ही अपनी जादूगरी पता चली है और शायद ही वो आगे ऐसा दोबारा करेगा!
जैकब अंकल अभी भी बेहोश हैं...पर कहानी में उनकी बीवी-बच्चे मौजूद होने का हिंट दिया गया है! यह आगे के भागों में खुलेगा कि मामला क्या है!
ध्रुव- हमारे कैप्टेन के पास इस कॉमिक्स में करने के लिए सिर्फ एक्शन था...इसके अलावा वो नए-नए रहस्यों के खुलने पर आँखें फाड़कर पोज़ देते नज़र आते हैं! उनके बाल रूप के कुछ अच्छे पन्ने भी मौजूद हैं,जहाँ वो सर्कस के समय क्या-क्या सीखा यह दिखाते हैं! बाकी कहानी में इधर से भागे तो उधर से बुलावा आ गया..कभी शिपयार्ड,कभी अस्पताल,कभी जंगल और फिलहाल समुद्र में डॉल्फिन्स पर खड़े हैं! उन्हें कहीं रोक कर खाना खिलाये जाने की सख्त जरूरत है कहीं थकान से ही ना लुढ़क जाएँ!
ब्लैक कैट- रिचा के रोल में इस भाग में काफी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है...उसने ब्लैक कैट के रूप में राधा से एक उम्दा फाइट भी करी और अब ध्रुव का इस मिशन में अहम् साथ भी दे रही है! आगे भी उसको अच्छा रोल मिलने की उम्मीद है!
नताशा- कहानी पर एक मात्र बोझ यह लड़की है! ध्रुव के सामने होती है तो झूठ बोलती है कि रोबो को छोड़ चुकी है..अब उससे कोई रिश्ता नहीं रखती..लेकिन पीठ पीछे हन्टर्स को रोबो आर्मी का प्रतिद्वंदी मानकर गुप्त रूप से ट्विस्टी जैसी अपनी कुछ जुर्म की सहेलियों को काम पर लगा देती है ताकि रोबो का धंदा चमकता रहे! रही सही कसर ध्रुव को बीच मंझदार में छोड़कर भाग खड़ी होकर दिखाती है! जो लोग कहते हैं कि वो सुधर चुकी है..वो चुल्लू भर पानी लेकर उसमे डूब जाएँ! नाकाबिले बर्दाश्त!
किंग- गोर्रिल्ले का रोल अच्छा है..वो हमेशा ही जैकब की रक्षा करता रहा है!
राधा- गजब का मेन्टेन किया हुआ है राधा जी ने खुद को! इतने सालो तक याददाश्त गायब रहने के बाद और भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित रहकर भी कोई नहीं कह पायेगा कि उनकी उम्र 40+ हो चुकी है! ब्लैक कैट की धुलाई करने के बाद बुरी तरह घायल होकर एक और एक्सीडेंट झेलकर गायब हो जाना दुनिया में सिर्फ ध्रुव की मम्मी ही कर सकती थी! दिल आनंदविभोर हो जाता है उन्हें वापस जिंदा देखकर! अब बस उनके इतने साल गायब रहने की वज़ह पढने की उत्सुकता बढती जा रही है!
अनुपम जी के लेखन में जो सबसे बड़ी खूबी है वो यह है कि वो हर भाग के साथ कुछ ना कुछ रहस्य पाठको पर जाहिर कर देते हैं...जिससे कहानी में पाठको को रूचि भी बनी रहती है और आगे पढने की इच्छा भी! वो उन लेखकों में से नहीं हैं....जो सिर्फ रहस्य बनाए रखकर ही अपनी कहानी को घसीटना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं!
1-फ्लैशबैक में आपको इतना पता चल जाता है कि हन्टर्स कौन हैं और उनका मुखिया कैसा है! यह एक काफी बड़ी बात है!
2-राधा की DNA रिपोर्ट भी इसी भाग में आ जाती है!
3- चंडिका कौन है? यह सवाल भी कम से कम ध्रुव के दिमाग से हटा दिया गया है!
दो भाग आने तक इतने सवाल उजागर कर दिया जाना एक अच्छा कदम है!
चलिए अच्छी बातें काफी हो गयी अब कहानी में मौजूद कुछ दूसरे अच्छे विषय भी लिए जाएँ!
@जैसा कि हम सभी जानते हैं की श्वेता अस्पताल में पड़ी है...और ध्रुव का घर खाली है...ऐसे में ट्विस्टी कहती है..कि वो घर में घुसकर चंडिका की ड्रेस पहन कर आ गई...यह बहुत मुश्किल से हज़म होने वाला सवाल था..कि पुलिस कमिश्नर के घर (सील बंद ही सही) में कोई भी आसानी से घुस कर निकल जाता है...वो भी कैमरे लगे होने के बाद भी! घर सील है..पर करोडो का सामान अलीगढ के ताले के भरोसे शायद ही कोई छोड़ेगा.. ध्रुव भी इतना बेवकूफ है कि चंडिका की ड्रेस जैसी चीज़ को ऐसे ही खुले में रखकर जाए कि वो आसानी से किसी के हाथ लग जाती है! क्या ध्रुव इसी तरह से सोच रहा था कि श्वेता का रहस्य खोजेगा?
कभी कभी लगता है कि ध्रुव जानबूझकर नहीं चाहता है कि श्वेता का रहस्य खुले...क्यूंकि अगर उसको यह पता करना होता तो ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ अपने किसी कुत्ते से चंडिका की ड्रेस की महक को श्वेता की महक से match करवा लेता...कुत्ता 1 मिनट में सब बता देगा...या चंडिका की ड्रेस पर मौजूद खून का सैंपल ही लेकर श्वेता के खून से match करवा लेता...पर यहाँ पर आकर उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है!
एक और ख़ास बात देखिये गिलिगिली के पीछे चिड़ियों को भेज देता है..पर चंडिका के पीछे आज तक किसी को नहीं भेजा!
इतनी बातें देख ली तो एक और बात देखिये....मान लीजिये 5 ft 2 इंच की श्वेता की कद-काठी 36" 24" 36" है.... चंडिका की भी इतनी ही है....लेकिन जब नताशा आती है तो ध्रुव को समझ जाना चाहिए कि यह वाली चंडिका 5 ft 8 इंच की 36”29”38” की है! मतलब झोल है...और नहीं तो ट्विस्टी जिसकी height साफ़ साफ़ नताशा से कम है.. 32-26-34 के साइज़ में कहाँ से चंडिका लगेगी! हमें तो लगने लगा है कि रजनी आंटी भी चंडिका की ड्रेस पहन कर आ जाएँ तो ध्रुव मान लेगा कि वही असली चंडिका है!
उपरोक्त सभी बातों से एक ही तथ्य निकलता है.....ध्रुव का दिमाग घास चरने गया है!
@ गिलिगिली कहता है कि “सलग्राही वट” अत्यंत दुर्लभ है..और वहीँ ट्विस्टी उसी वट को जाने कैसे रिकॉर्ड टाइम में राजनगर में ही खोज निकालती है! आजकल दुर्लभ का अर्थ कुछ बदल गया है!
@ब्रुसेल्स जो की बेल्जियम की राजधानी है...वहां से भारत में आने के लिए जो सबसे तेज़ हवाई सेवा है...उसको भी 8 घंटे लगते हैं! लेकिन गिलिगिली और ध्रुव की लड़ाई कितनी देर चली होगी...ज्यादा से ज्यादा 1 घंटा..या मान लीजिये 2 घंटे! लेकिन इस लड़ाई के दौरान ही जैकब के अपहरणकर्ता ब्रुसेल्स में जैकब के परिवार को खोजकर एक लड़के को इंडिया भेजकर यहाँ की अदालत में केस दायर करके...ध्रुव की सारी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का कोर्ट आर्डर लेकर शिपयार्ड पर ध्रुव के मुहं पर मारकर चले जाते हैं! मतलब जिस काम को होने में कम से कम 1 दिन लगना ही चाहिए था वो सिर्फ 1-2 घंटे में करवा दिया जाता है! अब इसको कैसे हज़म किया जाएगा?
संवाद- पिछले भाग के डायलॉग्स काफी इमोशनल करने वाले थे...इस भाग में क्यूंकि एक्शन ज्यादा है इसलिए डायलॉग्स भी उसी मुताबिक़ एक दूसरे पर जोर आजमाइश वाले मिलते हैं! भाषा आसान और सिचुएशन के हिसाब से है...जैसी पुरानी कॉमिक्स में मिलती थी...यहाँ अनुपम जी ने पिछली कहानियों नैनो और अलादीन की तुलना में काफी सुधार किया है...उन्होंने यथासंभव सरल शब्द लिखे हैं...story narration भी मौजूद है और ऐसी ही कहानी पढने में आनंद आता है!
आर्टवर्क- अनुपम-विनोद जी की जोड़ी है और शानदार काम देखने को मिलता है! कवर आर्ट अत्यंत आकर्षक है...सिवाय चेहरों के...क्यूंकि उसपर ईश्वर आर्ट्स द्वारा इंकिंग करी गई है! RC जब पूरी कॉमिक्स विनोद जी से इंक करवा सकती है तो सिर्फ कवर पर कंजूसी क्यूँ दिखाई जाती है?
ध्रुव अपने पुराने अंदाज़ में मिलता है...रिचा/ब्लैककैट का आर्टवर्क तो क़यामत ढा रहा है! मन करता है नज़र ही ना हटे! राधा जी अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जवां नज़र आती हैं...वहीँ रजनी जी जिस उम्र की हैं..उसी उम्र को दर्शाती हैं! किंग को भी काफी उम्दा बनाया गया है...खूनी खानदान के समय से अब वो काफी बदला हुआ है...जो अच्छा लग रहा है! कई एक्शन सीन्स में कैमरा एंगल जबरदस्त बनाया गया है! बैकग्राउंड work पर बहुत मेहनत हुई है...कुल मिलाकर उम्दा काम है!
सिर्फ एक त्रुटी जैकब अंकल के आर्ट में लगती है जिसमे उनके सिर के आधे हिस्से पर बाल नज़र आ रहे हैं...जबकि पहले उनके बाल नहीं थे...वैसे भी आधे जले सिर पर बाल ना होने की सूरत में आधे सिर पर कोई वैसे भी बाल नहीं रखता है..और ऐसे बालों का उगना भी मुश्किल होता है!
रंगसंयोजन पिछली हन्टर्स की तरह ही 60-65% तक की quality का है...बहुत ज्यादा इफेक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है...सिंपल कलर scheme में पूरी कॉमिक्स बनाई गई है!
इसमें भी एक त्रुटी पेज 11 पर जैकब अंकल के साथ करी गई है...जहाँ उनके कपड़ो का रंग नारंगी कर दिया गया है..जबकि बाकी कॉमिक्स में वो नीले रंग के कपडे पहने हैं! editing में यह चूक आसानी से पकड़ आ जानी चाहिए थी! आगे ध्यान दें!
शब्दांकन में इस बार ज्यादा प्रयोग नहीं दिखाई देते...सिंपल काम है! कवर पर टाइटल जरूर अच्छा बनाया गया है!
टिप्पणी- हन्टर्स की तुलना में इसमें एक्शन सीन काफी लम्बे होने की वज़ह से आसानी से आपको ज्यादा दिमाग भगाना नहीं पड़ेगा! आप एक समय पर एक घटना से आसानी से खुद को जोड़ लेंगे! कहानी अब आधे रास्ते पर पहुँचने के कारण रोचक हो चुकी है...शर्तिया आप अब आगे क्या होने वाला है..यह जानने के लिए उत्सुक होते जा रहे हैं...जैसे-जैसे ध्रुव की ज़िन्दगी के पिछले खो चुके और अब नए-नए किरदार आते जा रहे हैं...वैसे वैसे कहानी की स्पीड और इसकी गहराई भी बढती जा रही है...जिसके फलस्वरूप ध्रुव का जीवन भी बदलने के कगार पर पहुँच चुका है! बस वक़्त का इंतज़ार करिए जब “नो मैन्स लैंड” आपके हाथो में होगी..तब तक फ्लैशबैक का आनंद लें!
Ratings :
Story...★★★★★★★★☆☆
Art......★★★★★★★★★☆
Entertainment……★★★★★★★★☆☆
#Rajcomics,#SCD,#Anupamsinha,#Flashback
Genre-Drama,Action,Mystery
Main character(s)- ध्रुव,ब्लैक कैट,नताशा,जैकब,गिलिगिली,किंग,राधा!
बालचरित सीरीज के 25% हिस्से हन्टर्स को पढने के बाद अब आपके सामने है बालचरित का दूसरा भाग “फ्लैशबैक”! फ्लैशबैक का मतलब है कि पुरानी गुजर चुकी बातें एक बार फिर से आपके सामने आ जाती हैं! ज्यादातर मायनों में वो भूली यादें आपको अच्छी लगती हैं! अगर उन भूली यादों की वज़ह से वर्तमान में आपकी जान भी बच जाए तो इससे बढ़कर ख़ुशी आपको क्या होगी! ध्रुव के साथ यही हो रहा है!
कहानी की शुरुआत गिलिगिली के साथ ध्रुव के एक काफी लम्बे चले “जादू-युद्ध” से होती है! गिलिगिली को कंटेनर का नंबर चाहिए जिसके लिए वो घुस जाता है ध्रुव के दिमाग की गहराई में! यह अलग बात है कि यह छोटी सी बात वो नहीं समझ पाया कि कंटेनर का नंबर गहराई में नहीं बल्कि ध्रुव के दिमाग की नई मेमोरी में होना चाहिए! फिर भी लेखक का उद्द्देश्य यहाँ पर पाठकों को फ्लैशबैक द्वारा सम्मोहित करके रखना था इसलिए इस छोटी सी त्रुटी को नज़रंदाज़ कर देना बेहतर है!
तो दिखते हैं...जादू ही जादू,ऐसा जादू वैसा जादू,पानी वाला जादू, कार्टंस वाला जादू,आग वाला जादू,बिजली वाला जादू,बर्फ वाला जादू,धुंए वाला जादू करके अपने खलनायकी जीवन को पूरा निचोड़कर भी गिलिगिली जब ध्रुव को हरा नहीं पाता तो सदमे में खटिया पकड़ लेता है!
यहाँ पर पाठक भ्रमित ना होइए कि ध्रुव को भी जादू आता है...असल में जादू नाम की कोई चीज़ नहीं होती है...वो सिर्फ मतिभ्रम का दूसरा नाम है! पाशा गुरु के नाम से गिलिगिली भी चौंक जाता है...इसलिए ध्रुव ने अगर अपने बचाव में 2-4 ट्रिक्स चल भी दी तो यह बड़ा मुद्दा नहीं है! उसको भी पहली दफा ही अपनी जादूगरी पता चली है और शायद ही वो आगे ऐसा दोबारा करेगा!
जैकब अंकल अभी भी बेहोश हैं...पर कहानी में उनकी बीवी-बच्चे मौजूद होने का हिंट दिया गया है! यह आगे के भागों में खुलेगा कि मामला क्या है!
ध्रुव- हमारे कैप्टेन के पास इस कॉमिक्स में करने के लिए सिर्फ एक्शन था...इसके अलावा वो नए-नए रहस्यों के खुलने पर आँखें फाड़कर पोज़ देते नज़र आते हैं! उनके बाल रूप के कुछ अच्छे पन्ने भी मौजूद हैं,जहाँ वो सर्कस के समय क्या-क्या सीखा यह दिखाते हैं! बाकी कहानी में इधर से भागे तो उधर से बुलावा आ गया..कभी शिपयार्ड,कभी अस्पताल,कभी जंगल और फिलहाल समुद्र में डॉल्फिन्स पर खड़े हैं! उन्हें कहीं रोक कर खाना खिलाये जाने की सख्त जरूरत है कहीं थकान से ही ना लुढ़क जाएँ!
ब्लैक कैट- रिचा के रोल में इस भाग में काफी उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है...उसने ब्लैक कैट के रूप में राधा से एक उम्दा फाइट भी करी और अब ध्रुव का इस मिशन में अहम् साथ भी दे रही है! आगे भी उसको अच्छा रोल मिलने की उम्मीद है!
नताशा- कहानी पर एक मात्र बोझ यह लड़की है! ध्रुव के सामने होती है तो झूठ बोलती है कि रोबो को छोड़ चुकी है..अब उससे कोई रिश्ता नहीं रखती..लेकिन पीठ पीछे हन्टर्स को रोबो आर्मी का प्रतिद्वंदी मानकर गुप्त रूप से ट्विस्टी जैसी अपनी कुछ जुर्म की सहेलियों को काम पर लगा देती है ताकि रोबो का धंदा चमकता रहे! रही सही कसर ध्रुव को बीच मंझदार में छोड़कर भाग खड़ी होकर दिखाती है! जो लोग कहते हैं कि वो सुधर चुकी है..वो चुल्लू भर पानी लेकर उसमे डूब जाएँ! नाकाबिले बर्दाश्त!
किंग- गोर्रिल्ले का रोल अच्छा है..वो हमेशा ही जैकब की रक्षा करता रहा है!
राधा- गजब का मेन्टेन किया हुआ है राधा जी ने खुद को! इतने सालो तक याददाश्त गायब रहने के बाद और भौतिक सुख सुविधाओं से वंचित रहकर भी कोई नहीं कह पायेगा कि उनकी उम्र 40+ हो चुकी है! ब्लैक कैट की धुलाई करने के बाद बुरी तरह घायल होकर एक और एक्सीडेंट झेलकर गायब हो जाना दुनिया में सिर्फ ध्रुव की मम्मी ही कर सकती थी! दिल आनंदविभोर हो जाता है उन्हें वापस जिंदा देखकर! अब बस उनके इतने साल गायब रहने की वज़ह पढने की उत्सुकता बढती जा रही है!
अनुपम जी के लेखन में जो सबसे बड़ी खूबी है वो यह है कि वो हर भाग के साथ कुछ ना कुछ रहस्य पाठको पर जाहिर कर देते हैं...जिससे कहानी में पाठको को रूचि भी बनी रहती है और आगे पढने की इच्छा भी! वो उन लेखकों में से नहीं हैं....जो सिर्फ रहस्य बनाए रखकर ही अपनी कहानी को घसीटना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानते हैं!
1-फ्लैशबैक में आपको इतना पता चल जाता है कि हन्टर्स कौन हैं और उनका मुखिया कैसा है! यह एक काफी बड़ी बात है!
2-राधा की DNA रिपोर्ट भी इसी भाग में आ जाती है!
3- चंडिका कौन है? यह सवाल भी कम से कम ध्रुव के दिमाग से हटा दिया गया है!
दो भाग आने तक इतने सवाल उजागर कर दिया जाना एक अच्छा कदम है!
चलिए अच्छी बातें काफी हो गयी अब कहानी में मौजूद कुछ दूसरे अच्छे विषय भी लिए जाएँ!
@जैसा कि हम सभी जानते हैं की श्वेता अस्पताल में पड़ी है...और ध्रुव का घर खाली है...ऐसे में ट्विस्टी कहती है..कि वो घर में घुसकर चंडिका की ड्रेस पहन कर आ गई...यह बहुत मुश्किल से हज़म होने वाला सवाल था..कि पुलिस कमिश्नर के घर (सील बंद ही सही) में कोई भी आसानी से घुस कर निकल जाता है...वो भी कैमरे लगे होने के बाद भी! घर सील है..पर करोडो का सामान अलीगढ के ताले के भरोसे शायद ही कोई छोड़ेगा.. ध्रुव भी इतना बेवकूफ है कि चंडिका की ड्रेस जैसी चीज़ को ऐसे ही खुले में रखकर जाए कि वो आसानी से किसी के हाथ लग जाती है! क्या ध्रुव इसी तरह से सोच रहा था कि श्वेता का रहस्य खोजेगा?
कभी कभी लगता है कि ध्रुव जानबूझकर नहीं चाहता है कि श्वेता का रहस्य खुले...क्यूंकि अगर उसको यह पता करना होता तो ज्यादा कुछ नहीं सिर्फ अपने किसी कुत्ते से चंडिका की ड्रेस की महक को श्वेता की महक से match करवा लेता...कुत्ता 1 मिनट में सब बता देगा...या चंडिका की ड्रेस पर मौजूद खून का सैंपल ही लेकर श्वेता के खून से match करवा लेता...पर यहाँ पर आकर उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है!
एक और ख़ास बात देखिये गिलिगिली के पीछे चिड़ियों को भेज देता है..पर चंडिका के पीछे आज तक किसी को नहीं भेजा!
इतनी बातें देख ली तो एक और बात देखिये....मान लीजिये 5 ft 2 इंच की श्वेता की कद-काठी 36" 24" 36" है.... चंडिका की भी इतनी ही है....लेकिन जब नताशा आती है तो ध्रुव को समझ जाना चाहिए कि यह वाली चंडिका 5 ft 8 इंच की 36”29”38” की है! मतलब झोल है...और नहीं तो ट्विस्टी जिसकी height साफ़ साफ़ नताशा से कम है.. 32-26-34 के साइज़ में कहाँ से चंडिका लगेगी! हमें तो लगने लगा है कि रजनी आंटी भी चंडिका की ड्रेस पहन कर आ जाएँ तो ध्रुव मान लेगा कि वही असली चंडिका है!
उपरोक्त सभी बातों से एक ही तथ्य निकलता है.....ध्रुव का दिमाग घास चरने गया है!
@ गिलिगिली कहता है कि “सलग्राही वट” अत्यंत दुर्लभ है..और वहीँ ट्विस्टी उसी वट को जाने कैसे रिकॉर्ड टाइम में राजनगर में ही खोज निकालती है! आजकल दुर्लभ का अर्थ कुछ बदल गया है!
@ब्रुसेल्स जो की बेल्जियम की राजधानी है...वहां से भारत में आने के लिए जो सबसे तेज़ हवाई सेवा है...उसको भी 8 घंटे लगते हैं! लेकिन गिलिगिली और ध्रुव की लड़ाई कितनी देर चली होगी...ज्यादा से ज्यादा 1 घंटा..या मान लीजिये 2 घंटे! लेकिन इस लड़ाई के दौरान ही जैकब के अपहरणकर्ता ब्रुसेल्स में जैकब के परिवार को खोजकर एक लड़के को इंडिया भेजकर यहाँ की अदालत में केस दायर करके...ध्रुव की सारी संपत्ति पर कब्ज़ा करने का कोर्ट आर्डर लेकर शिपयार्ड पर ध्रुव के मुहं पर मारकर चले जाते हैं! मतलब जिस काम को होने में कम से कम 1 दिन लगना ही चाहिए था वो सिर्फ 1-2 घंटे में करवा दिया जाता है! अब इसको कैसे हज़म किया जाएगा?
संवाद- पिछले भाग के डायलॉग्स काफी इमोशनल करने वाले थे...इस भाग में क्यूंकि एक्शन ज्यादा है इसलिए डायलॉग्स भी उसी मुताबिक़ एक दूसरे पर जोर आजमाइश वाले मिलते हैं! भाषा आसान और सिचुएशन के हिसाब से है...जैसी पुरानी कॉमिक्स में मिलती थी...यहाँ अनुपम जी ने पिछली कहानियों नैनो और अलादीन की तुलना में काफी सुधार किया है...उन्होंने यथासंभव सरल शब्द लिखे हैं...story narration भी मौजूद है और ऐसी ही कहानी पढने में आनंद आता है!
आर्टवर्क- अनुपम-विनोद जी की जोड़ी है और शानदार काम देखने को मिलता है! कवर आर्ट अत्यंत आकर्षक है...सिवाय चेहरों के...क्यूंकि उसपर ईश्वर आर्ट्स द्वारा इंकिंग करी गई है! RC जब पूरी कॉमिक्स विनोद जी से इंक करवा सकती है तो सिर्फ कवर पर कंजूसी क्यूँ दिखाई जाती है?
ध्रुव अपने पुराने अंदाज़ में मिलता है...रिचा/ब्लैककैट का आर्टवर्क तो क़यामत ढा रहा है! मन करता है नज़र ही ना हटे! राधा जी अपनी उम्र से कहीं ज्यादा जवां नज़र आती हैं...वहीँ रजनी जी जिस उम्र की हैं..उसी उम्र को दर्शाती हैं! किंग को भी काफी उम्दा बनाया गया है...खूनी खानदान के समय से अब वो काफी बदला हुआ है...जो अच्छा लग रहा है! कई एक्शन सीन्स में कैमरा एंगल जबरदस्त बनाया गया है! बैकग्राउंड work पर बहुत मेहनत हुई है...कुल मिलाकर उम्दा काम है!
सिर्फ एक त्रुटी जैकब अंकल के आर्ट में लगती है जिसमे उनके सिर के आधे हिस्से पर बाल नज़र आ रहे हैं...जबकि पहले उनके बाल नहीं थे...वैसे भी आधे जले सिर पर बाल ना होने की सूरत में आधे सिर पर कोई वैसे भी बाल नहीं रखता है..और ऐसे बालों का उगना भी मुश्किल होता है!
रंगसंयोजन पिछली हन्टर्स की तरह ही 60-65% तक की quality का है...बहुत ज्यादा इफेक्ट्स का इस्तेमाल नहीं किया गया है...सिंपल कलर scheme में पूरी कॉमिक्स बनाई गई है!
इसमें भी एक त्रुटी पेज 11 पर जैकब अंकल के साथ करी गई है...जहाँ उनके कपड़ो का रंग नारंगी कर दिया गया है..जबकि बाकी कॉमिक्स में वो नीले रंग के कपडे पहने हैं! editing में यह चूक आसानी से पकड़ आ जानी चाहिए थी! आगे ध्यान दें!
शब्दांकन में इस बार ज्यादा प्रयोग नहीं दिखाई देते...सिंपल काम है! कवर पर टाइटल जरूर अच्छा बनाया गया है!
टिप्पणी- हन्टर्स की तुलना में इसमें एक्शन सीन काफी लम्बे होने की वज़ह से आसानी से आपको ज्यादा दिमाग भगाना नहीं पड़ेगा! आप एक समय पर एक घटना से आसानी से खुद को जोड़ लेंगे! कहानी अब आधे रास्ते पर पहुँचने के कारण रोचक हो चुकी है...शर्तिया आप अब आगे क्या होने वाला है..यह जानने के लिए उत्सुक होते जा रहे हैं...जैसे-जैसे ध्रुव की ज़िन्दगी के पिछले खो चुके और अब नए-नए किरदार आते जा रहे हैं...वैसे वैसे कहानी की स्पीड और इसकी गहराई भी बढती जा रही है...जिसके फलस्वरूप ध्रुव का जीवन भी बदलने के कगार पर पहुँच चुका है! बस वक़्त का इंतज़ार करिए जब “नो मैन्स लैंड” आपके हाथो में होगी..तब तक फ्लैशबैक का आनंद लें!
Ratings :
Story...★★★★★★★★☆☆
Art......★★★★★★★★★☆
Entertainment……★★★★★★★★☆☆
#Rajcomics,#SCD,#Anupamsinha,#Flashback
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