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Tuesday, 2 June 2015

MAUT KA MAIRATHAN (2015)

Review-मौत का मैराथन (2015)
Genre-Comedy,Action,Period,War-Drama
Main character(s)- अश्वराज,ध्रुव,डोगा,इंस्पेक्टर स्टील,चीता,काल पहेलिया और अन्य
सर्वनायक विस्तार श्रृंखला का प्रथम भाग “मौत का मैराथन” नाम से शुरू हुआ है! इस मैराथन में दौड़ लगाने के लिए एक लम्बी चौड़ी किरदारों की टीम assemble करी जा चुकी हैं!
पहला धावक अश्वराज घोड़ो वाली जुड़वाँ टांगो के साथ अपनी भार्या कुदुम्छुम्बी की खोज पर भाग रहा है जिसका अपहरण कर लिया गया है!
दूसरा धावक सुपर कमांडो ध्रुव है...जो अपने बिजी schedule में भी ना जाने क्यूँ कैंसर के साथ एक बाइक रेस लगा रहा है! लेखक इस भाग में बताना ही भूल गए! (जबरदस्ती का सस्पेंस)
तीसरा धावक है डोगा...जो कालू से लड़ने के बाद अब तूतन खामन से मिलने भाग चला है!
लेकिन यह कॉमिक्स है ओलंपिक्स दिखाने के लिए नहीं लिखी गई है....यह तो है सर्वनायक सीरीज में दिखाए गए W.A.R की शुरुआत दिखाने के लिए...जिसमे 8 लोगों का चयन किया गया है... जो इस वक़्त खुद को इस लायक साबित करने की मुहीम पर जुटे हैं..कि वो सच में एक टीम बनाकर दुनिया की रक्षा करने लायक हैं!
अपने आकाओ के ऑर्डर्स पर इंस्पेक्टर स्टील के निर्देशन में 2-2 के group में 4 टीम बनाई गई हैं!
बैड्मन-चीता,शीना-काली विधवा,प्रोफेसर श्रीकांत-मैडम x और अंत में कीर्तिमान-लोमड़ी!
कहानी- कहानी का सार यह है कि यह पाठको को एक बार फिर से सिर्फ इतना सा clue देती है..कि “युगम धरित्री अस्य:” वाली सर्वनायक की मुख्य श्रृंखला  में जो कुछ अव्यवस्थाओं का मकडजाल नितिन मिश्रा जी द्वारा फैलाया गया है...उसकी उत्पत्ति का कारण अनुराग सिंह जी हैं! पाषाण राक्षसों के हर युग में धरती पर आगमन से पूर्व ही यह सब शुरू हो चुका था! Anyhow लेखक कहानी में क्या बताना चाहते हैं यह तो वो समझा नहीं सके..सिर्फ इतना पता चलता है कि यह एक मिनी सर्वनायक बनने जा रही है!
कहानी में ऊपर मौजूद टीम्स को एक-एक मुश्किल टास्क दिया गया है..जो इन्हें 1 दिन में पूरा करना है!
सबसे पहले आइये देखते हैं चुनाव के मुद्दे-
1-    कहानी में दिखाया गया है कि इंस्पेक्टर स्टील चीता,शीना, प्रोफेसर श्रीकांत जैसे ऐसे लोगों को FAX करके बुलाता है..जो समाज में खुलेआम अपना पता छोड़कर रहते हैं! लेकिन अनुराग जी यह बात सिरे से गोल कर गए कि काली विधवा, कीर्तिमान,लोमड़ी,रात की रानी जैसे लोगों को स्टील ने कैसे बुलाया...जिनका पता-ठिकाना कोई जानता ही नहीं.....इन्हें कहाँ खोजकर FAX किया,चिठ्ठी भेजी,ईमेल किया,भोंपू बजाया,दुदुम्भी बजवाई..क्या किया?
कीर्तिमान तो अपने सूरज का रसोइया मोहर सिंह है जो लायन जिम की किचन में सोता  है...भगवान् के लिए कोई यह मत कह देना कि उसके पास रेफ्रीजिरेटर में एक FAX मशीन है जिसका नंबर स्टील के पास है और हमारी प्यारी सोनिका को कैसे बुलवाया आपने...उससे मिलने तो अब सूरज भी नहीं जाता...इस स्टील पर अब शक होने लगा है! :P

2-    राजनगर जाने इतना बड़ा मेट्रोपोलिटन कब से बन गया है कि “विश्व बचाओ समिति” की बैठकें यहाँ होनी शुरू हो गई हैं...जबकि ऐसी बैठकें दिल्ली या मुंबई जैसे शहरों में होनी चाहिए जहाँ उच्च-स्तर की सुविधायें मौजूद हैं! खैर लेखक को राजनगर पसंद आया तो उनकी मर्ज़ी!

3-    अब आप एक बात और गौर करिए कि W.A.R जैसी एक बड़ी टीम का गठन करने के लिए जिन सरकारी निर्देशों,शक्तियों और संसाधनों की जरूरत होती है...वो बिना किसी को ठोस जानकारी मुहैया कराये जाने कैसे शुरू भी हो गई और इसमें इंस्पेक्टर स्टील को भी जुड़ा दिखा दिया गया है!
लेखक को यह पता होना चाहिए कि वो केंद्र सरकार के नीचे काम करने वालो के द्वारा ही इतना बड़ा सेटअप दिखा सकते हैं.. वो अधिकारी IAS,PCS,सचिव स्तर के होते हैं...जिन्हें इस कॉमिक्स में काउंसिलर और उसके आजू-बाजू में “लॉ” एंड “आर्डर” नाम के नमूनों की तरह दिखाया गया है..जो चेहरे पर मास्क लगाए सर्कस के जोकर दिख रहे हैं! आप देख सकते हैं कि काउंसिलर बोलता है कि “वो सबके क्राइम रिकॉर्ड मिटा देगा”...मतलब क्या हवा में मिटा देगा?....अपने चेहरे को छुपाकर जाएगा दिल्ली सचिवालय में! कुछ भी ऊल जलूल दिखाने की हद्द ही कर दी गई है! इस पूरी श्रृंखला के शुरू से लेकर अब तक लेखकों को असल रहस्य छुपाने और बेकार के रहस्य बनाने के अलावा कोई दूसरा काम है ही नहीं!
4-    हमें पहले लगा कि जो टास्क दिए जा रहे हैं उनको देखने में आनंद आएगा...पर यह बात भी पहले ही टास्क में धराशाई हो गई...आइये जानते हैं-
बैड्मन को टाडा लगाने के बाद पुलिस नारका जेल में शिफ्ट करती है..उसके पहने हुए सारे कपडे उतारने के बाद जेल की वर्दी भी दे देती है....इसके बावजूद 3-D इमेज प्रोजेक्टर, चीता से बात करने के लिए Ear-plug, नाक में Nose Filter,ध्रुव का एक्शन फिगर,चीज़ें खींचने के लिए काँटा..इतनी सारी चीज़ें लेकर वो अपना मिशन पूरा कर लेता है! लेकिन क्या लेखक यह कहना चाहते हैं कि पुलिस वाले उसकी कोई तलाशी लिए बिना ही उसको वहां पटक गए थे और नारका जेल का जेलर बैड्मन का ससुर लगता है?
लेखक एक बार दिल्ली की तिहाड़ जेल की सैर करके आयें..उन्हें पता चल जाएगा कि high सिक्यूरिटी जोन क्या होता है!
5-    अगर आगे की कॉमिक्स में प्रोफेसर सूरी ही प्रिंसिपल दिखाया जाने वाला है तो यह बात सभी जानते हैं कि प्रिंसिपल और काल पहेलिया के बीच 36 का आंकड़ा है..और यह आंकड़ा इसलिए बना है...क्यूंकि प्रिंसिपल ने 2 बार कालू को धोखा दिया था...कॉमिक्स का नाम पाकिस्तान जिंदाबाद और डील! जिसकी वज़ह से कालू को जेल की हवा खानी पड़ी थी! लेकिन विस्तार में यह दोनों एक बार फिर से साथ हैं? कालू अपने दोस्त और दुश्मन चुनने में इतना कच्चा नहीं है! और अगर इन दोनों को साथ आना था तो उसकी ठोस वज़ह लेखक को दिखानी चाहिए थी..जो कि दिखाई नहीं!
6-    रोबो के पास 10,000 करोड़ रुपये....हाहाहाहा..बस लेखक साहब हंसाने की भी एक सीमा है! :v
कहानी में एक मात्र अच्छा विषय था अश्वराज द्वारा लड़ा गया एक छोटा सा युद्ध! बेचारे के कुदुम्छुम्बी अगवा हो गई...ऐसा खनकदार नाम जिसकी भार्या का हो..वो चैन से बैठ ही नहीं सकता...अश्वराज ने अदभुत पराक्रम दिखाया है...जो पाठकों की शिराओ में बहते खून को और तेज़ प्रवाह दे देता है!
इसको छोड़कर बाकी यह पूरी कहानी लगता है..पाठको से मौज मारने के लिए लिख दी गई थी! बैड्मन तो “दिल के मोड़ पर..शर्म छोड़कर..लिमिट तोड़कर..आ जाना”...Mode पर इंडिया में कदम रखे हुए है...वापस अमेरिका जाने तक 2-4 मामले सेट करके ही जाएगा! :v
लेखकों को विस्तार के लेखन में अभी भी बहुत ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता है! कम से कम पुरानी कॉमिक्स से जो पात्र उठा रहे हैं..उनके बारे में एक बार पूरी तरह से मालूमात भी कर लें कि आखिरी बार कहाँ देखे गए थे! एक और अच्छी बात दिखाई गई कि नारका जेल समुद्र के बीच में है...पता नहीं क्यूँ CWAH में वो राजनगर के बीच आ गई थी...ओह्ह शायद CWAH parallel सीरीज है इसलिए ऐसा हुआ होगा! ;)
“लेखक की बात का कभी भरोसा ना करना डोगे..लेखक का तो काम ही आँखों में धूल झोंकना होता है!”
सर्वनायक से लेकर उसके विस्तार के आने तक यही एक डायलॉग ऐसा मिला है..जो इस पूरी सीरीज का आईना है! काफी सारे पाठक इस धूल में अपने मस्त-मस्त 2 नैन गँवा चुके हैं..कॉमिक-देवता कॉमदेवस्तु के आशीर्वाद से हमारी आँखें इस अंधड़ में अभी सलामत हैं! :P
चित्रांकन- हेमंत जी के पास यहाँ करने के लिए काफी कुछ था..क्यूंकि उन्हें पहली बार कई नए किरदार बनाने का मौका मिला है...अश्वराज वाले पन्ने काफी अच्छे बने हैं...ध्रुव और डोगा वाले पन्ने भी शानदार एक्शन समेटे हुए हैं! लेकिन उन्होंने सूरज और चीता के चेहरे बढ़िया नहीं बनाए हैं! शीना बेकार बनी है..स्टील भी अजीब सा दिख रहा है....ध्रुव vs बैड्मन वाले पन्ने बहुत खराब थे...और अंत में आते आते आर्टवर्क लुटा पिटा हो चुका था! एक और चीज़ हमने नोटिस करी कि इन पन्नो में ध्रुव 20 साल पुरानी मोपेड चलाता हुआ नज़र आ रहा है...जबकि शुरू में कैंसर के साथ काफी हैवी बाइक चला रहा था...अरे बस उसके पहिये का रबर ही तो निकला था...नयी टायर लगवा लेता....ध्रुव की इतनी बेईज्ज़ती करने की क्या जरूरत थी..कि उसको टुर्री पर सवारी करवा दी! :P
ओवरआल हेमंत जी ने अपने सामर्थ्य के मुताबिक़ काम नहीं दिया है!
कलरिंग- भक्त रंजन और मोहन प्रभु के द्वारा करी गई रंग सज्जा साधारण रही है...इसमें बहुत ज्यादा इफेक्ट्स नज़र नहीं आते... शब्दांकन हमेशा की तरह ही है!
इस कॉमिक्स के डायलॉग्स भी काफी सतही ढंग से लिखे गए हैं! अनुराग जी का बांकेलाल पर अब तक किया गया जो पिछला काम है..उसकी छाप इस गंभीर कॉमिक्स में दिखने लगती है जब जगह-जगह पर वो हास्य ठूँसने की कोशिश करते नज़र आते हैं! मतलब आप जबरदस्ती पाठको को हँसाना चाहते हैं! हास्य पर इतनी अतिरिक्त मेहनत ना करिए...आपने अब तक जो कहानी लिखी है..उसको याद करके ही बहुत जोर से हंसी छूट जाती है! :v
ओवरआल यह कॉमिक्स ज्यादा प्रासंगिक नहीं है...इसमें किरदारों के बीच छिटपुट आपसी नोंकझोक के अलावा ज्यादा कुछ नज़र नहीं आता है...फिलहाल यह ना तो सर्वनायक को कोई फायदा देती नज़र आ रही है.. जो कुछ इसमें दिखाया गया है..उसका कोई तर्कसंगत तर्क मौजूद नहीं है! लेखकों को नए सिरे से इस विस्तार को पटरी पर लाने की जरूरत है..नहीं तो विस्तार की दिशाहीनता पर ग्रैंड-विस्तार लिखने की नौबत आ जायेगी!
Ratings :
Story...★★★★☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★☆☆☆☆☆
Entertainment……★★★★☆☆☆☆☆☆
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