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Friday 3 July 2015

AAKHIRI RAKSHAK



Review- आखिरी रक्षक (2015)
24 Pages/87 Panels (Avg. 3 ½ Panels per page).
Genre-Sci-Fi,Adventure
Main character(s)- ध्रुव,परमाणु 

Short Synopsis-
पाठको के लिए हाज़िर है परमाणु और सुपर कमांडो ध्रुव की पहली  2 इन 1..कॉमिक्स में कहानी के पेज हैं 24!
कहानी का सार इतना सा है कि पूरी दुनिया चलते-उड़ते-तैरते प्राणियों से खाली हो चुकी है...सिर्फ  जीवन का दूसरा रूप पेड़-पौधे मौजूद हैं! ऐसे उजाड़ हालात में धरती पर सिर्फ 2 ही लोग दिखाई दे रहे हैं...ध्रुव और परमाणु! दोनों की memory गायब है.... दोनों को ही याद नहीं कि इनके साथ क्या हुआ था! दोनों कई शहरों का चक्कर काटने के बाद अमेज़न रेन फारेस्ट में जीवन खोजने जाते हैं...वहां परग्रही भिड जाते हैं...और  पिटकर गायब हो जाते हैं..अब परमाणु और ध्रुव मेक्सिको में खड़े हैं! कहानी क्रमशः 

एक फिल्म याद आती है 2008 में आई थी...Sunday...जिसमे हीरोइन को अपने शनिवार और सोमवार के बीच का जो रविवार का दिन था..उसके बारे में कुछ याद नहीं रहता है! इस कहानी में कुछ वैसा ही है! दोनों हीरोज को सबकुछ याद है..सिवाय इसके कि कुछ घंटो/दिन पहले  इनके और बाकी दुनिया के साथ क्या हुआ? RC को आगे इस छोटे से point को डिटेल में बताना चाहिए कि कारण चरस का नशा था या कुछ और!
परमाणु की सभी मौजूदा शक्तियां Amplify हो गई हैं...उम्मीद है यह सिर्फ temporary हो...इनको नागराज की तरह permanent ना बनाया जाए..एक और भगवान् कॉमिक्स में सिर दर्द बढ़ा देगा!
फिलहाल कहानी दिलचस्प लग रही है...इससे पहले हमने एक ऐसी ही कॉमिक्स और पढ़ी थी...2002 में आई ब्रह्माण्ड रक्षक....उसमे भी पूरी पृथ्वी के सभी लोग गायब हो जाते हैं..सिवाय 6-7 सुपर हीरोज़ के! वहां भी एलियन वाला ही कांसेप्ट था! यहाँ 24 पन्ने के चक्कर में कॉमिक्स मनोरंजन देने में सफल ना हो सकी..सिर्फ रहस्य दिखाए गए  है!

आर्टवर्क- धीरज वर्मा जी ने सर्वयुगम की तरह एक बार फिर से काफी निराश किया है...परमाणु तो किसी तरह से मास्क के नीचे अपना चेहरा छुपाकर बच गया...मगर 40-45 साल के झुर्रियों वाले  "सुपर कमांडो कलुआ" को देखकर दिल तड़प-तड़प के आह निकाल रहा है! ध्रुव के चेहरे की इतनी बुरी दुर्गति सही नहीं जा रही! इससे तो अच्छा था आप लोग ध्रुव को भी धरती से गायब कर देते...पर तब अकेले परमाणु कॉमिक्स को बेचने की गारंटी नहीं दे पाता! पूरी कॉमिक्स में चलताऊ किस्म का आर्टवर्क है...धीरज जी के नाम की छाप कहीं महसूस नहीं होती है....कुछ पन्नो में कलरिंग इफ़ेक्ट ठीक ठाक लगते हैं...लेकिन बिना इंकिंग वाले पेंसिल work पर वो भी कोई ख़ास सुधार नहीं दे पाए! बस उम्मीद करते हैं कि इस सीरीज को भी कोई दूसरा आर्टिस्ट अपने हाथो में ले ले! कहीं ऐसा ना हो कि इस बार कहानी अच्छी निकले और आर्ट धोखा दे जाए!
 
टिप्पणी- आखिरी रक्षक के आर्ट को आँखें मूँद कर देख लीजिये...क्यूंकि RC में  नई पीढ़ी के लेखकों के पास Sci-Fi Genre में ले-देकर 2 ही कांसेप्ट होते हैं..और यह दोनों भी श्री अनुपम सिन्हा जी की बदौलत आये थे..
1-UniverseAlien Invasion (परग्रही आक्रमण)
2-Dimensions (आयाम)
इससे ज्यादा कुछ नया और Unique आगे का आईडिया सोचने की क्षमता अभी तक तो दिखाई नहीं दी! फिलहाल कहानी का परग्रही कांसेप्ट ठीक ठाक लग रहा है...लेकिन RC को जब ऐसे कांसेप्ट पर कम से कम 50-60 पेज देने चाहिए थे...तो उसने कहानी को मनोरंजन के बिना ही रोक दिया! अब आगे के भाग का इंतज़ार करिए जिसमे भेड़िया और शक्ति मारधाड़ करते दिखेंगे!


Ratings :
Story...
★★★★★★☆☆☆☆
Art......
★★★★☆☆☆☆☆☆
Entertainment……
★★★★☆☆☆☆☆☆

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