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Friday, 3 July 2015

SARVMANTHAN



Review- सर्व मंथन (2015)
94 Pages/260 Panels (Avg. 3 Panels per page).
Genre-Comedy,Ac
tion
Main character(s)- कालदूत,महारावण,शुक्राल,तिरंगा,अडिग,युगम!
सर्व मंथन इस सर्वनायक श्रृंखला का पांचवा खंड और इस पूरी विस्तृत श्रृंखला का सांतवा पड़ाव है!

Short Synopsis-

>प्रस्तावना भाग 1- प्रकृति की पुत्री (पेज 3-11)
धनञ्जय और प्रलयंका एक खोज पर निकले हैं!

>प्रस्तावना भाग 2- अधर्म के देवता (पेज 12-14)
एक गुफा जिसमे एक देवी और कोट वाले 3 देवता..मसीहा जी को Green Hulk बना दिए हैं!

>प्रस्तावना 3 -स्तंभित काल (पेज 15-23)
सभी आयामों के केंद्र में एक आयाम है..जहाँ महारावण और कालदूत की भिडंत हो रही है!

>प्रथम अध्याय आरम्भ- प्रलय से पूर्व भाग 2 (पेज 24-31)
यहाँ नागपाशा और गैंग के साथ नागराज और ध्रुव बुगाकू से भिड़े हुए हैं!

>द्वितीय अध्याय आरम्भ-शुक्रहारा का अंतिम वंशज (पेज 32-43)
इस भाग में शुक्राल के खानदान को दिखाया गया है!

>तृतीय अध्याय आरम्भ-प्रथम विजय (पेज 44-50)
महारावण भागकर एक नए आयाम में पहुँच जाता है...जहाँ योध्दा उसको पकड़ लेता है! दूसरी तरफ महात्मा कालदूत कॉमिक इतिहास की अपनी इस प्रथम विजय पर प्रफुल्लित हैं..और इसकी ख़ुशी में सागर-मंथन करने की घोषणा कर देते हैं!

>चतुर्थ अध्याय आरम्भ- पुराने जख्म (पेज 51-63)
इस भाग में तिरंगा की उम्र के 16-18 साल के बीच के 2 सालो को दिखाया गया है...कि उसने तिरंगा बनने से पहले तब क्या-क्या गुले-गुलशन किये थे!

>पंचम अध्याय आरम्भ- रक्त स्नान (पेज 64-70)
बोर्डेलो और एंथोनी भिड़े हुए हैं...ड्राकुला ने बेबी को वैम्पायर बना दिया है..अध्याय खत्म!

>षष्ठम अध्याय आरम्भ- समुद्र मंथन (पेज 71-79)
इस भाग में सभी विलेन और विस्तृत ब्रह्माण्ड रक्षक मंथन शुरू कर चुके हैं!

>सप्तम अध्याय आरम्भ- शत्रु शक्ति (पेज 80-95)
युगम क्षेत्र में आखिरकार मिथ्याकार वाला हिस्सा खत्म होता है!

>परिशिष्ट (पेज 96)
मिथ्याकार जो कि ***** का शिल्पी था..उसकी मौत से ***** की इमारतों को पोलियो हो चुका है...खड्खडाती हुईं अगले भाग में गिर जायेंगी!

पंचम खंड समाप्त

Positive Facts-

1- RC ने पेज-4 पर बताया है कि "Nature's Daughter" को परमाणु ने रक्तबीज में खोजा था! यानी यह सीरीज वर्तमान पृथ्वी/आयाम की ही है! फलस्वरूप parallel सीरीज का झगडा ही ख़त्म हो गया! यह बहुत बड़ी राहत की बात है!

2-आप अगर कालदूत से महारावण को आपस में हँसते हंसाते मजाकिया लहजे में लड़ते देखना पसंद है..तो आपको निराशा नहीं होगी! बहुत ही हल्की –फुल्की तरह से बिना किसी “बड़े” खून-खराबे के एक उत्तम लड़ाई दिखाई गई है...छोटे-छोटे बच्चों को कॉमिक्स पढ़ते हुए जो अति हिंसात्मक चित्र देखकर डर लग जाता था और वो अपनी माओं के आँचल में छुप जाते थे...इस अध्याय में ऐसी कोई शिकायत नहीं दिखती! फिर भी इसको हमेशा कालदूत और महारावण के बीच का खूनी महासंग्राम कहकर प्रचारित किया जाता रहेगा! यही अच्छे लेखन की खास पहचान है!

3-कुछ पुराने चावलों -बुगाकू,फुन्कारु,जगोता को दोबारा से ध्रुव और नागराज से भिड़ते देखकर आनंद लें! यह पूछना व्यर्थ है कि हारे हुए खिलाड़ी पर दांव लगाना कितनी अक्लमंदी है! मनोरंजक पल हैं यह!

4-आपको ऐसी लम्बी-लम्बी लड़ाइयाँ पसंद हो जिनका कोई फैसला ही नहीं होता...या तो खिलाड़ी फैसला होने से पहले ही मैदान छोड़ देते हैं...या हाथ उठाकर खड़े हो जाते हैं..तो यह सीरीज आपके जैसे हिंसा विरोधी और फिक्सिंग समर्थक पाठकों के लिए ही लिखी जा रही है! इस सीरीज को अवश्य खरीदें!

5-यदि आप तिरंगा प्रेमी हैं और उसजैसे देशभक्त हीरो का खूनी रूप देखना पसंद है.. तो यह कॉमिक्स आपको खुश कर देगी! पूरी तरह से डोगा स्टाइल का अध्याय नए तिरंगा प्रेमियों को पसंद आ भी सकता है और हार्डकोर पुराने पाठको को नहीं भी! Your Choice! जो आदमी खून और हिंसा से परहेज़ करता दिखाया गया हो..वही कसाई के रूप में दिख जाए...मज़ा आ जाता है! इस भाग को हमेशा याद किया जाएगा!

6-वैदिक काल के गुरुकुलो में पढ़े भारतीय राजाओं को अरबी/फ़ारसी बोलते देखना चाहें तो इससे बढ़कर भाषाई आविष्कार दुनिया में किसी और जगह नहीं मिलेगा! ऐसी क्रान्ति इसी सीरीज में देखी जा सकती है! RC को बधाई!

7-आयामों को कैसे चुटकी बजाकर खोला जाता है..यह सीखना चाहें तो इस कॉमिक्स को जरूर पढ़ें,शायद RC के पाठकों में से कोई आगे चलकर महान वैज्ञानिक बन सके!

इस जबरदस्त कॉमिक्स को हमारी तरफ से 100/10...आनंद की बात है कि कहानी में एक भी त्रुटी खोजने से नहीं मिली....आर्टवर्क की सुन्दरता को देखकर तो DC /Marvel वाले भी दोयम दर्जे के लगने लगे हैं! हमारा मन बहुत प्रफुल्लित है! कुल मिलाकर सर्व मंथन बहुत ही जबरदस्त कॉमिक्स है! ऐसी कॉमिक्स कालजयी रचना से कम नहीं है! इसको ना खरीदा तो आपने कॉमिक जीवन में बहुत बड़ी चूक कर दी! आपने हाथ जोड़कर विनती है कि इस कॉमिक्स को RC Online Store से बिना discount लिए खरीदें और आनंद के सागर में मनोरंजन का मंथन करें!

END OF PART-1
विशेष-जो पाठक हमेशा छोटे-छोटे Positive Review की डिमांड करते हैं...उनके लिए हमारी समीक्षा यहीं पर समाप्त होती है! पढने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया! अब आप यह पोस्ट पढना समाप्त करके किसी अन्य Positive पोस्ट पर प्रस्थान करिए!
सर्वनायक श्रृंखला के लिए हमने रिव्यु को 2 भागों में बाँट दिया है! ऊपर का भाग उन पाठको के लिए था जो 100% Positive और छोटे रिव्यु पसंद करते हैं और अब आगे इस पोस्ट को नहीं पढेंगे! wink emoticon आगे का भाग उन पाठको के लिए जो 50-50 Positive/Negative और बिना लम्बाई की चिंता के समीक्षा पढ़ते हैं!
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PART 2 STARTS-

दोस्तों,कॉमिक्स में हमें हर कोने के बारे में जो कहना होता है वो कहना जरूरी है....सबको कहानी को देखने/सोचने/परखने का अलग तरीका होता है....ऊपर तक पढ़कर आप लोगों ने सर्व मंथन की एक हल्की सी रूपरेखा समझ ली है! आगे रिव्यु अपनी ज़िम्मेदारी पर तभी पढ़ें जब आपको SPOILERS के साथ-साथ Length से परेशानी ना हो!

Suitable Suspect Facts-
1-कहानी को शुरू हुए 5 पार्ट्स बीत चुके हैं...कई लम्बी लड़ाइयाँ लड़ी जा चुकी हैं...लेकिन Probot अभी तक यही गा रहा है कि गर्भ गृह सिर्फ 2 दिन यानी 48 घंटे तक ही विश्व आबादी को संभाल सकता है! भाई..पृथ्वी के ऊपर तो समय अपनी नार्मल स्पीड से ही चल रहा है.....48 घंटे तो तब थे जब पाषाण राक्षस धरती पर पहली बार गिरे थे...उससे पहले का एक दिन सभी को गर्भ ग्रह में डालने में लग गया था.....अब तक इतने में आधा समय बीत जाना चाहिए था! मगर Probot शायद कहानी के अंत तक 2 दिन/48 घंटे ही बताता रहेगा! Numeric Table में 48 से पहले भी संख्याएँ होती हैं! कहानी को उल्टी गिनती पर कब लाया जाएगा?

B- पिछले भाग सर्व संग्राम के पेज 45 पर मैडम फॉक्स के बारे में बताया गया था कि उसने "कुछ महीने" पहले मुंबई पर अटैक किया था (अंगारे)....लेकिन इस भाग में प्रोबोट कहता है कि परमाणु को कुछ वर्षो पहले Nature's Daughter का पता चला था जब रक्तबीज कॉमिक्स के बाद वो वापस लौट रहा था! लेखक जी पहले बता चुके हैं कि रक्तबीज और अंगारे "Back to Back " stories थी...एक के बाद दूसरी तुरंत घटित हुई थी...तो फिर आप एक ही कहानी में महीनों और सालों का अलग-अलग Time Difference क्यूँ दिखा रहे हैं??

2- मसीहा इस कहानी में क्यूँ है अभी तक नहीं पता चला! उसके पुरानी कहानियों के अनुसार वो पागलखाने में था....तो अब उसके पास दंड से लेकर परग्रहियों तक से डील बनाने के बीच का हिस्सा क्यूँ गायब है? RC मसीहा पर ज्यादा ध्यान दे और कृपया जिन जगहों पर लोगों को भेजते हैं...उस जगह का नाम भी लिख दिया करें! अगर सर्वशक्तिमान वाले डोरिस,चीफ दिखाने ही थे तो बता भी दिया होता कि यह कौन सी कॉमिक्स में पहले आये हैं...और अभी कहाँ बैठे हैं!

3- पेज-15 पर कालदूत का पहला संवाद देखिये...कि कालदूत के तीनो रूपों का जो फेविकोल का मजबूत जोड़ है..उसको कोई पाप शक्ति अलग नहीं कर सकती! RC और बुढ्ढा दोनों भूल गए कि प्रलय में उसकी धुनाई करते हुए विषाला ने उसके तीनो बंजारे शरीरो को अलग कर दिया था....तब क्या विषाला पाप शक्ति नहीं थी?

4- RC ने अब तक यह भी नहीं दिखाया गया कि इतिहास ने कलंका के सभी मरे हुए लोगों को आखिर जिंदा करके क्या कहा.. और कैसे उनको आयामों में भेज दिया?....आपने कलंका में इतिहास को घुसते हुए दिखाया था..लेकिन उसको अधूरा छोड़ कर आगे बढ़ गए.........RC इसको विस्तार से आगे वर्णन करना चाहें तो कृपया जरूर करें!

5-शुक्रहारा जाति का अस्तित्व जिस समय काल में दिखाया गया है वो युगों पुराना है....लेकिन उसमे मौजूद राजा-महाराजों की भाषा पर गौर करें तो वो सभी अरबी/फ़ारसी इस्तेमाल कर रहे हैं...जिसका उस वक़्त नामो-निशान भी मौजूद नहीं था! शुक्रसाल वाले पन्नो में देखिये शैतान,निस्तानाबूद,यलगार,बददुआएं,औलाद,मुकद्दर,कमबख्त जैसे शब्द इस्तेमाल किया जाना भारी चूक को दर्शाता है! आधुनिक युग के हीरो पौराणिक संवाद बोल रहे हैं...और पुराने ज़माने वाले आधुनिक बन गए हैं...सब गड़बड़झाला मचा हुआ है! RC इस त्रुटी पर आगे ध्यान दे,क्यूंकि यह point कई कॉमिक fans द्वारा पहले भी उठाया जा चुका है! आपके लिए भाषाई विविधता का महत्व होना जरूरी है!

6-पाषण राक्षसों ने हर युग में आक्रमण किया था...लेकिन अब तक 450 पन्नो के बाद भी तीनो युगों में किस प्रजाति को कितना नुक्सान पहुंचा है...एक जगह भी नहीं दिखाया गया! वर्तमान,भूत और भविष्य में क्या हो रहा है...कुछ नहीं पता चल पा रहा! कहानी का बैलेंस तीनो कालों में बनाइये!

7-RC के हिसाब से सतयुग के देवताओं और दानवो के साथ कलयुग के मानवो की तुलना करने में कोई अंतर है या नहीं? हास्य स्तिथि में समुद्र मंथन देखिये कैसे हो रहा है....50 फुट के अडिग पर कालदूत ने कुंडली मार दी है...और दोनों तरफ से 8-10 सूरमा (महिलाओं सहित) समुद्र को बिलो रहे हैं! इन्हें कौन बताएगा कि असल समुद्र मंथन में "मद्राचल पर्वत" के नीचे आधार बनकर स्वयं विष्णु जी 1 लाख योजन चौड़ी पीठ वाले कच्छप के रूप में आये थे.......कोई भी मंथनी बिना किसी आधार के मंथन करे ऐसा मुमकिन नहीं है....50 फुट के अडिग में से सिर्फ उसकी 25 फुट की टांगें ही पानी की सतह पर चक्करघिन्नी बनी रहेंगी...ऐसे मंथन पानी में जाल डालकर दुनिया भर के मछुआरे रोज करते हैं और इससे कोई महाशक्ति तो क्या...व्हेल मछली और ऑक्टोपस भी ऊपर नहीं आने वाला था...लेकिन क्यूंकि यह महारचना बन रही है इसलिए...कुछ बड़ा वाला मालपानी ऊपर आते दिखाया जरूर जाएगा जबकि कॉमिक्स में अडिग के नीचे भी किसी आधार का होना जरूरी है! लेकिन ऐसा नहीं हुआ जो भारी चूक है! यह बात तो बांकेलाल की बेसिर पैर कॉमेडी कॉमिक्स जैसी लग रही है!
पाठको को एक और चीज़ याद दिला दें....शेषनाग नाम की एक कॉमिक्स आई थी जिसमे शेषनाग का कालदूत से अच्छा याराना दिखाया गया था....लेकिन जब समुद्र मंथन करने की बात आई तो कालदूत शेषनाग को बुलाने की जगह खुद ही रस्सी बन जाते हैं....RC जब हर किसी को ठूंस ही रही है...तो शेषनाग के साथ यह परायापन क्यूँ? और कमाल की बात यह है कि पृथ्वी का संतुलन बनाए रखने वाले हमारे शेषनाग इस पूरी कहानी में कहीं भी नज़र नहीं आ रहे हैं...जबकि गर्भ गृह बिना उनकी जानकारी में आये बन ही नहीं सकता था!

8-दूसरी तरफ इतने सारे गैर-पराशक्ति युक्त मानव हिन्द महासागर के बीच गहरे पानी में सतह के 3 फीट पर कैसे संतुलन बनाकर मंथन कर रहे हैं...इसको कैसे क्रियान्वित किया गया? जिस प्रसंग पर कहानी को विस्तार की जरूरत पड़ती है..वहां जल्दबाजी में निपटा दिया गया है!

9- सर्वनायक की अब तक आ चुकी कॉमिक्स में एकमात्र चीज़ जो दिखाई दे रही है वो यह है कि कहानी अपनी जगह से आगे बढ़ना ही नहीं चाहती! आपने अब तक एक भी पूरा अध्याय नहीं देखा है! हर छोटी-छोटी लड़ाई में सिर्फ एक्शन scene थोड़े और आगे बढ़ा दिए जाते हैं...लेकिन असल कहानी आगे नहीं जाती...Example लीजिये...इरी की गुफा में चल रही लड़ाई का...जो सिर्फ चल रही है...कभी कोई कभी कोई आ रहा है...लेकिन उसका समय और महत्व बताया ही नहीं जा रहा! 4 लात-घूंसे आपने पहले खंड में देखे...4 इस खंड में और 4 आगे देख लेंगे....लेकिन कहानी वहीँ पर रुकी है! ऐसे ही ध्रुव-नागराज वाला देखिये..मसीहा वाला देखिये! पिछले भागो वाला भविष्य का हिस्सा देखिये...और वो हिस्से भी देखिये जो अब याद भी नहीं आ रहे!

10-मौत का मैराथन इसलिए बरबाद रही..क्यूंकि उसमे सर्वनायक के इन छूटे हुए हिस्सों को कवर करना था..मगर वहां तो एक नई कहानी चल पड़ी है...कि WAR formation के लिए 40-50 साल के बुड्ढे भागा- दौड़ी करके खुद को काबिल छांटने में लगे हैं!

11-आयामों का प्रसंग-
आयामों के बारे में हम लोग फुंकार,हेड्रोन और नागायण में इतना पढ़ चुके हैं..कि अब यह कांसेप्ट बेगाना नहीं लगता है....लेकिन सर्व नायक में यह कांसेप्ट भी अजीबोगरीब तरह से चल रहा है! अनुपम जी ने आज तक आयाम के बारे में यही दिखाया है कि कोई भी आयाम खोलना बड़ी जटिल समस्या होती है...उसके लिए सही और योजनाबद्ध तरीको की जरूरत पड़ती है! हर आयाम ऐसा नहीं है कि जहाँ मर्ज़ी चाहे वहीँ से खुल जाता है...ऐसा तो है नहीं...कोई आदमी अपनी खटिया पर लेटा हो..और उसके नीचे आयाम द्वार खोल डालें...उसके कुछ स्पेशल पॉइंट्स होते हैं..जिन्हें पहले पता किया जाता है! नागायण देखिये...कैसे ध्रुव और नागराज को एक-एक आयाम पार करने में कितनी मशक्क़त करनी पड़ी थी....हेड्रोन देखिये...Collider जैसी महा शक्तिशाली मशीन लगी थी! कोई भी आयाम द्वार हमेशा खुला नहीं रहता है...जब तक उसको खोलने वाली शक्ति बनी रहती है..द्वार नज़र आता है..वरना बंद!
अब सर्वनायक देखिये..."आयाम द्वार" कैसे खुल रहे हैं...
@द्वापर युग के महारावण को आयामों की जानकारी का होना ही पहले आश्चर्यचकित कर देता है... मरने के बाद जिंदा होने तक उसके पास इतनी शक्तियां हैं...कि वो आयामों की ख़ाक ऐसे छान रहा है...जैसे अपने महलों में एक कमरे से दूजे कमरे में भाग रहा हो!
ऐसा आयाम जो सभी कालों और आयामों का केंद्र है....एक बात बताइये...जब ऐसी कोई स्तंभित जगह होगी भी...तो वहां तो लाखो-करोडो आयाम/समय द्वार जुड़े हुए दिखने चाहिए....यह बात तो सामरी ही कहता हुआ दिखाया गया है....लेकिन आर्टवर्क में RC ने सिर्फ 2 ही आयाम द्वार दिखाए है...बाकी क्यूँ नहीं? क्यूंकि कलियुग में सिर्फ एक आयाम नहीं हो सकता..कलियुग एक पूरा काल है...और इस काल के अनगिनत आयाम हैं! जैसा की हम लोगों ने HEDRON सीरीज में देखा भी था....ऐसे अनगिनत आयामों में अनगिनत ऐसे आयाम भी होंगे जो बिल्कुल निर्जन होते हैं...महारावण को योध्दा वाले आयाम में 1 सेकंड में फेंक देना एक loophole है! लिखा गया है कि उसको भेजा आयाम में है...लेकिन दिख वो किसी अन्य समयधारा में रहा है जहाँ योध्दा मौजूद है! या तो RC को आयामद्वार की जगह उसी काल का अलग “समयद्वार” लिखना चाहिए था...आप लोग आयामद्वार,समय द्वार के साथ कालद्वार भी सब एक ही नाम से पुकार रहे हैं! इसको सही करने की जरूरत है!
@आयामों के द्वार भी हमेशा खुले दिखाए जा रहे हैं..जिनका Diameter कुछ 2-3 meter की खिड़की जैसा होता है...उनके सामने कालदूत किसी फुटबॉल पोस्ट के गोलची की तरह खड़ा है! इसके बाद गौर फरमाइए.... महारावण की हालत इतनी खराब है कि वो लड़ाई तक लड़ने लायक नहीं है...लेकिन इस खस्ता हालत में भी एक नया आयाम खोलकर उसके पार ऐसे भाग जाता है कि मिल्खा सिंह भी शरमा जाये!! क्या बात है!
दूसरी तरफ गुरुदेव भी ऐसा ही कुछ काम कर रहे हैं...2 सुपर हीरो और 10 विलेन की लड़ाई से उत्पन्न उस ऊर्जा को बीकर में भरकर अपने अड्डे पर ही आयाम खोलकर दिखा देते हैं! और आयाम के दूसरी तरफ क्या है? त्रिफना...Wow...गुरुदेव को पहले से पता था...कि यहाँ पर आयाम द्वारा खोलूँगा...तो इसके 4 हाथ पार त्रिफना उडती मिलेगी....कमाल तो इससे भी आगे है कि त्रिफना तो नागराज या फिर कालदूत में से किसी एक के पास थी...वो भी इसी असली आयाम में...तो आखिर अपने ही आयाम में जाने के लिए गुरुदेव आयामद्वार कैसे बना रहा है?....यह कहानी तो इसी पृथ्वी की है ना....और वो भी सिर्फ इतनी ऊर्जा से जिससे किसी शहर की एक दिन की बिजली भी ना जल पाए! यह तालियाँ बजाने लायक काम था...नोबेल प्राइज पर गुरुदेव का दावा पक्का है!
सर्वमंथन पढने के बाद ही पाठको को पता चलता है कि इस दुनिया ने सबसे आसान काम अगर कोई है तो वो "आयाम" खोलना ही होता है!

12- यह देखना बिल्कुल अच्छा नहीं लगा कि तिलिस्म्देव के बाद एकाएक तिरंगा भी अधूरी लड़ाई छोड़ गया है....और आगे शायद सर्व संधि में देवता और असुर दोस्ती करने वाले हैं....यह पूरी प्रतियोगिता ही एकाएक गप्प सी बनती जा रही है....आप पहले 5 Steps की लड़ाई रखते हैं और आधे में ही एक को Quit करवा देते हैं....RC ने पहले इतनी बड़ी Hype बनाई गई कि Hero vs Hero होगा...लोगों को शानदार कुश्ती देखने को मिलेगी...जिसमे कोई एक जीतेगा और दूसरा हारेगा....लेकिन अब सभी पीठ दिखाकर भाग रहे हैं! क्या हीरो और क्या Side Characters....अब तक एक परमाणु और प्रचंडा के अलावा कोई लड़ाई तठस्त रूप से नहीं दिखाई गई है! क्या यह पलटी मारना नहीं कहलायेगा? आगे डोगा vs योध्दा में भी कोई जीतेगा या यही Quit दिखने वाला है?

13-मानवीय पहलुओं को मज़रंदाज़ करना-
हर कहानी के पीछे एक वज़ह होती है...लेकिन सर्वनायक जिस वज़ह से लड़ी जा रही है...उसके पीछे वर्तमान, भूतकाल और भविष्य काल के कम से कम 10-15 अरब लोगों के कष्टों को भी दर्शाना चाहिए था...पूरी कॉमिक्स सिर्फ लम्बी लड़ाइयाँ दिखाने तक सीमित है....गर्भ गृह में संसार भर के अलग संस्कृति के लोग आपस में कैसे जूझ रहे हैं,डर और अवसाद के माहौल में बूढ़े बच्चे और महिलाएं कैसे गुजर रहे हैं...क्या यह सब दिखाना जरूरी नहीं हैं? लेकिन कहानी का मानवीय पक्ष गायब है! किसी श्रृंखला को चाहे जितना विस्तृत बना लीजिये....अगर उनके content में पूर्णता नहीं लायेंगे तो उसका कुछ नहीं हो सकता! हम लोग अनेको ऐसे विषय पढ़ते/देखते आ रहे हैं जिनमे विश्व सभ्यता पर खतरा आता है...लेकिन उन सभी में एक बात common होती है.- ज़िन्दगी के बचने के आशा...आम लोगों की कहानी में मौजूदगी...जो सर्वनायक में तीन काल और 4 युगों तक कहानी फैलाने के बाद भी पूरी तरह से नदारद है!

14- प्रलय से पूर्व वाले भाग में जितने 15-20 विलेन हैं...सबके सब कहीं ना कहीं या तो बंद थे...या धरती से ही गायब हो चुके थे...आपने उन सभी को बिना किसी बैकग्राउंड story के एक साथ लाकर खड़ा कर दिया है....सबसे बड़ा loophole पूरी कहानी में यही है....शाकूरा,विषंधर,वामन,ध्वनिराज,चुम्बा वगैरह सभी अलग timelines पर 2-3 जगह दिख रहे हैं.....यह कहानी तो आपने इतनी लम्बी खींच दी है कि इस ट्रैक की वापसी में ही 2 ग्रन्थ दिखाने जरूरी हैं!
आपने बताया था कि विसर्पी इसलिए भाग रही थी..क्यूंकि नागद्वीप पर कोई मुसीबत आई थी...लेकिन आपने वो मुसीबत नहीं दिखाई...आपने सर्व संग्राम में "सपेरा" को दिखाया था...मगर क्या सिर्फ बीन बजाने तक ही सीमित था वो?...इस भाग में तो विसर्पी और सपेरा किसी काम के थे नहीं! और एक बड़ा loophole यह है कि इस भाग में सपेरा बीन भी बजाता रहा...और नागराज उसकी बीन पर नाचता हुआ भी सबसे खूब अच्छी तरह से लड़ता रहा! RC वालों ने इस पूरी कॉमिक्स को सिर्फ COMEDY बनाकर रख दिया है! Action सीन में भी पाठक ठहाके लगाते नज़र आयेंगे! यह थी इस कहानी की मजबूतियों की असलियत को बयान करती हकीकत!

संवाद- जिस किरदार को देखें...उसकी कोई पुरानी कॉमिक्स उठाइए...आधे से ज्यादा संवाद कहीं ना कहीं से मिलते-जुलते होंगे...क्यूंकि सारे एक्शन सीन repeated हैं....जो कुछ नया लिखा गया है...सभी में हंसी-मजाक चलता है! आपको पता नहीं चलेगा कि सीरियस कहानी चल रही है या हास्य! आपके दिमाग का एक हिस्सा कहेगा...यार तीन काल और 4 युग वाली कहानी में कोई कैसे हँस सकता है पर.....

आर्टवर्क-
सुशांत पंडा जी का काम ठीक ठाक है.. लेकिन इस भाग में आर्ट सर्व संग्राम और सर्व संहार जैसा नज़र नहीं आ रहा है...और ना कलर! सर्व मंथन में आपको आर्ट में कहीं भी एकरूपता नहीं दिखेगी..इसकी वज़ह 4 अलग inkers का होना लगता है....विनोद कुमार और ईश्वर आर्ट्स का काम बेहतर है...जितने पन्ने अच्छे बने हैं उन्ही दोनों के हैं....लेकिन नए Inkers को सर्वनायक पर काम दिया जाना बहुत गलत फैसला साबित हुआ है..जो आर्टवर्क बर्बाद कर देता है!
पेज 3-14 अच्छे हैं! महारावण और कालदूत वाले पन्ने average हैं! पेज 25-33 तक पेज बहुत खराब इंकिंग हुई है...झेलने पड़े! 34-36 ठीक ठाक हैं! 37-43 तो वीभत्स आर्ट हैं...बच्चे जैसा काम! पेज 45 ठीक है...लेकिन 46 -58 तक सिर्फ खानापूर्ति हुई है....59-60 ठीक है...लेकिन 61-67 तक वापस इंकिंग का बंटाधार है! 68-69 ठीक है...70 बेकार....71 ठीक है...लेकिन 72 -90 वापस भयानक इंकिंग हुई है! 91-96 तक वापस आर्ट डूब जाता है!

RC अगर सुन रही है..तो कृपया 90 वाली कॉमिक को 100-110 रुपये कर दीजिये....लेकिन पूरी कॉमिक्स में विनोद कुमार जी से इंकिंग कराइए! नए आर्टिस्ट्स से सुशांत जी की आर्ट का भाजी-पाला मत करवाएं! उन आर्टिस्ट को विनोद जी से tution लेने भेज दीजिये! और इस सीरीज के 2 साल बाद आने वाले हिस्सों पर try करिए!
1- सर्वदमन में प्रलयंका ने जो पोशाक पहनी थी और धनंजय के साथ चली गई थी...इस कॉमिक्स में उसकी पोशाक को बदल डाला गया है....सुशांत जी आपने ऐसा क्यूँ किया?...धीरज जी ने प्रलयंका का जो makeover किया था...आपको उसी को आगे बढ़ाना चाहिए...आप तो 1990 वाली पुरानी प्रलयंका बना दिए....RC आगे से कृपया उसकी पोशाक को बदल कर धीरज जी वाले स्टाइल में बनाइये!
2-नागाधीश कॉमिक्स के हिसाब से नागराज के शरीर पर जो हरे रंग की सर्पो वाली खाल है...वो भी उसकी सर्पशक्ति का ही एक हिस्सा है...लेकिन सर्व मंथन में जब भोकाल प्रतिरूप के साथ नागराज प्रतिरूप की सभी शक्तियां आपस में बदल जाती हैं...तब होना यह चाहिए था कि नागराज की हरे रंग की खाल भी भोकाल के पास पहुँच जाती! और नागराज खुद साधारण इंसानी खाल वाले रूप में आ जाता! हमें यह एक वाजिब चीज़ नहीं लगी!

colorists का काम average है...बहुत ज्यादा effects नहीं मिलेंगे! अन्य आर्टिस्ट्स द्वारा बीच-बीच में जो पेज बनाये गए हैं...वही कुछ आँखों को ठंडक दे पाए हैं! सौंदर्य प्रेमी पाठको के लिए सुशांत जी ने प्रथम अध्याय में कुछ देखने लायक पन्ने बनाये हैं!
पूरी कॉमिक्स में एक ही दर्शनीय scene है....योध्दा द्वारा महारावण को Headlock देना! जिसको हेमंत कुमार जी ने बनाया है!

टिप्पणी-
करीब डेढ़-2 साल का लम्बा वक़्त और सीरीज कटी पतंग की तरह हो चुकी है! हमारे यही विचार थे कि सर्वनायक चाहे जैसी भी चल रही हो...लेकिन इसको कम से कम "मौत का मैराथन" के आने तक का मौका मिलना चाहिए...क्यूंकि RC ऐसा ही मानती है कि खुद की सोच और कहानी को समझाने के लिए उनके पास मौके बेहिसाब होने चाहिए! बेहिसाब मौके, बेहिसाब ग्रंथो के बेहिसाब पन्नो के साथ मुद्रा भी लाते हैं! इस चीज़ पर सोचना बेफिजूल है कि 2 लातें बारह घूंसों की लड़ाई 4 पन्नो में देखना सही है...या 40 पन्नो में! आप एक ही single आईडिया पर 5 साल काम करते जाएँ...लोग चाहें पसंद करें या ना करें...बेशक करिए लेकिन इस आईडिया को कम से कम मजबूती से पेश करें...ना कि सिर्फ इसलिए क्यूंकि आपके अनुसार महा सीरीज सिर्फ तभी बन सकती हैं जब उनमे कुम्भ के मेले जैसी भीड़ जुटाई जायेगी! अब यह आपको सोचना है कि करीने से सजे फूलों के बाग़ को देखने में अधिक आनंद है...या कैक्टस के काँटों के जंगल को! (RC यह कैक्टस सिर्फ उदाहरण था...कहीं इसकी आड़ में परमाणु के दुश्मन कैक्टस को भी मत घुसा देना कहानी में..कहानी वैसे ही कम कांटेदार नहीं है) wink emoticon
“हमेशा अच्छा ही होगा” वाली सोच में डूबे रहने वाले पाठक अपनी विचारधारा रचनात्मक और जिज्ञासु बनाइये! यह हिन्दुस्तान है जनाब....यहाँ विचारों को रखने पर Censorship नहीं होती है!
RC से एक बात हम कहना चाहेंगे कि आपका अति विश्वास कहानी के लिए घातक बनता जा रहा है...अब भी समय है ....सर्वनायक पर अन्य सीनियर writers का भी सहयोग लिया जाए....जैसा कि युगांधर में तरुण कुमार वाही जी थे...और वो अब तक इस सीरीज का सबसे मजबूत आधार था......क्यूंकि इस अजीबोगारीब सी कथा के अंत में अगर किसी जगह पर एक भी किस्सा गायब रहा...तो ऐसा अधूरा खेल दोबारा शायद ही कोई खेलना चाहे!

अल्लाह हाफ़िज़!!!

Ratings :
Story...★★★☆☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★★☆☆☆☆
Entertainment……★★★★☆☆☆☆☆☆

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