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Thursday 15 October 2015

BRAHMAND YODDHA

Review- ब्रहमांड योद्धा (2015)
Containing Spoilers (जिनको रिव्यु देखना नहीं पसंद हैं..वो कृपया अपना समय इसको पढ़कर नष्ट ना करें!)
24 Pages/70 Panels (Avg.  3  Panels per page).
Genre-Action-Adventure,Sci-Fi
Main character(s)- ध्रुव,परमाणु,कारा!

Short Synopsis -

आखिरी सीरीज का तीसरा भाग आपके हाथो में है! कहानी का सार यह है कि पहले ही पेज में पूर्वसार ठोका गया है! (जैसे पिछले 2 पार्ट्स में 10 बातें दिखाई थी..कि पाठक भूल गए) इसके बाद कॉमिक्स के 23 में से 17 पेज परमाणु,ध्रुव,कारा दिखाए गए हैं! जो यहाँ से वहां भटक रहे हैं....अटैक होता है..एक्शन होता है..फिर अटैक होता है..फिर एक्शन होता है...फिर अटैक होता है..फिर नागराज की सर्प रस्सी आ जाती है! बच्चों,बजाओ तालियाँ! बाकी पेजों में कुछ खास नहीं है..डोगा-स्टील-गगन-तिरंगा-विनाशदूत शक्ल दिखाकर कल्टी मार गए!

कहानी कैसी है?
पहले ध्यान दीजिए कि अब हो गए हैं कहानी के 72 पेज! और अब तक पाठको की झोली में सिर्फ एक चीज़ गिरी है....जिसका नाम है-
कॉस्मिक इम्बैलेंस
कॉस्मिक इम्बैलेंस
कॉस्मिक इम्बैलेंस
आदरणीय लेखक साहब पहले पार्ट में ही आपके तुच्छ पाठकों को पता चल गया...कि आपके द्वारा रचित महान खोज “कॉस्मिक इम्बैलेंस” की वज़ह से सारे ग्रहों के वासी यहाँ से वहां हो रहे हैं....अब कितनी बार इस शब्द को दोहराते रहेंगे सर ???... हर दूसरे पन्ने पर यही शब्द वापस याद दिलाया जाता है...लेकिन आप आगे की बात लिखते ही नहीं...बस कॉस्मिक इम्बैलेंस  हो जाता है...और परमाणु कहीं दूसरे शहर पहुंचा दिया जाता है..वहां नई जाति के परग्रही दिखाकर फिर से कॉस्मिक इम्बैलेंस हो जाता है...फिर परमाणु नई जगह पहुँच जाता है! अरे आगे भी तो बढिए ना सर...एक छोटा सा..बस थोडा सा….हाँ!
एक परग्रही अहिंसावादी है...दूसरा हिंसक है...किसी के मियां-बीवी हैं..किसी का पूरा गाँव बाराती बना हुआ है...हमें इन सबका बायोडाटा क्यूँ रटवा रहे हैं सर...हम क्या इनके राशन कार्ड बनायेंगे यह सब जानकार! हमें पुराने लेखक यह सब सालों पहले बता चुके कि हर ग्रह पर अलग अलग तरह के जीव रहते हैं! उनकी भाषा :+रुB;’;=-=,झ/रु+--= आपको तक समझ आ नहीं रही...पर हमें समझाने में लगे हुए हैं! रुक जाइये सर...पाठक मर जायेंगे..इतनी हाई लेवल लैंग्वेज पढ़कर!

आदरणीय लेखक जी ने एक ही सिंगल लाइन हर हीरो पर फिट करी जा रही है..गगन तिरंगा और विनाशदूत कहानी में हैं..पर वही सब कर रहे हैं..जो डोगा-स्टील और भेड़िया-शक्ति ने किया था! देख मेरे भाई.... मैंने वार किया...पर असर नहीं हुआ..हाँ यार दूसरा वार कर..तीसरा कर..चौथा कर! असर होने तक करता रह! एक्शन की भी ओवरडोज़ कर दी...इन हीरोज़ का पिछली 2 कॉमिक्स में एक्शन झाड़कर मन नहीं भरा तो इस तीसरे में भी वही सब दिखा दिया!

आदरणीय लेखक जी की चमत्कारिक लेखनी देखिये...परमाणु और ध्रुव पहली कॉमिक्स में SATI पर ही होश आये....तब दोनों ने सबकुछ देखा..पर नहीं दिखा...तब परमाणु को महसूस नहीं हुआ..कि उसके अन्दर की ऊर्जा वहीँ आस-पास है...यह तो आप सब जानते ही हैं कि परमाणु की सभी शक्तियां हज़ार गुणा amplify कर गई हैं...तो जो ऊर्जा पहले उसके अन्दर थी..उसका आभास वहीँ मौजूद मशीन से चल जाना चाहिए थे..हमें तो यही लगा था कि SATI में कुछ मिला ही नहीं..पहले शायद लेखक यह कह सकते थे..कि वो मशीन कहीं अन्दर जाकर छुपी होगी..जो नज़र नहीं आई...लेकिन पेज-22 पर साफ़ दिख रहा है कि वो मशीन बिल्डिंग के बाहरी हिस्से में बिलकुल साफ़-साफ़ खुली पड़ी है! लेखक परमाणु से  पूरी दुनिया का चक्कर कटवाकर पाठको की जेब से पैसे निकाल चुके...तो अब U-Turn मारकर वापस दोनों को SATI ले आये...कि भैया असल रसगुल्ला तो यहीं छुपा था..आओ चाशनी समेत गप्प कर लो! परमाणु अन्दर घुसा पर लेखक सोचे अरे, पाठकों को इतना घुमाया है तो इतनी जल्दी कैसे सब सही कर दूँ...वो हरी मौत को भी कहानी में ठूंस देता हूँ..2-3 पार्ट्स और खींच लूँगा! जो सीरीज परमाणु-ध्रुव की 2 इन 1 बोलकर शुरू करी थी..उसको बदलकर मिनी सर्वनायक जैसी ही बना दी है!
ध्रुव के एक्शन सीन में दिखाई गई गप्प पढ़कर पाठक अपना माथा पीट सकते हैं!  मैक्ट्रायम ग्रह के जो मैक्ट्रीयम्स कोम्बटर्स परमाणु को मारने आते हैं...उनके अन्दर उड़ने की शक्ति भी मौजूद थी...इसके लिए पेज 8-12 को देखा जा सकता है..जिसमे कई मैक्ट्रीयम्स उड़ते हुए नज़र आयेंगे...लेकिन ध्रुव उन्हें एक संकरी सी पहाड़ के बीच इसलिए फंसा देता है..क्यूंकि उन्होंने बजाय उड़कर पीछा करने के ज़मीन पर कदम रखे थे! पहले तो यही बचकाना लगता है कि जिन मशीनों के अन्दर यह कमांड है कि वो किसी भी हाल में उत्तरजीवी को खत्म करें..वो अपना मशीनी दिमाग लगाकर एक दूसरे निहत्थे आम आदमी के पीछे क्यूँ भागेंगे..और ऐसा करेंगे भी तो सिर्फ एक-दो... ना कि पूरी फ़ौज! एक चींटी जैसा ध्रुव भीमकाय मैक्ट्रीयम्स का ध्यान अपनी तरफ कैसे लाया...यह दिखाया भी नहीं गया...वो सपाट पहाड़ियों के बीच में अपनी स्टार लाइन कितनी दूरी तक फंसा सकता था...और कहाँ पर..यह भी नहीं दिखाया गया! सिर्फ बाद में नौटंकी झाडी गई..कि वाह ध्रुव क्या दिमाग पाया है! अरे कारा ....ख़ाक दिमाग पाया है....ध्रुव को बर्बाद कर दिया इस सीरीज में! सिर्फ कह दिया..कि ऐसा ऐसा हो गया है! घोर निराशाजनक!
आदरणीय लेखक जी आज के समय में उच्च कोटि के व्यापारिक लेखक हैं...नए लेखकों को इनसे सीखना चाहिए कि कैसे 1 लाइन के प्लाट पर 10 पार्ट्स की सीरीज ठोकी जा सकती है! पुराने लेखकों ने गलती कर दी...90-120 पेज में पूरी मल्टीस्टारर कहानी लिख डालते थे...अगर आपकी तरह उनके अन्दर व्यापारिक सोच होती तो वो भी एक लाइन पर सीरीज लिखकर काफी पैसा उगाह सकते थे, पर उनके अन्दर आपकी तरह दूरदर्शिता नहीं थी!  पहले यही कहानी जहाँ 40 रुपये देकर 120 पेज में पूरी हो जाती...आज 240 पेज, डेढ़ साल का इन्तेज़ार और 400 रूपए देने के बाद भी गारंटी नहीं देती..कि आखिर में समाप्त लिखा दिख ही जाए! सर आपको साहित्य अवार्ड दिया जाना चाहिए! (जिसको वापस कर देना बाद में)!

आर्टवर्क- टोटल पिछले 2 भाग जैसा! नाम हमेशा की तरह धीरज जी का है..लेकिन काम किसका है..यह बस भगवान् जाने! इतने अलग-अलग चेहरे ध्रुव के बनाए हुए हैं..कि कोई नहीं कहेगा कि यह इतने अनुभवी आर्टिस्ट का काम है!

टिप्पणी-
ब्रह्माण्ड योद्धा में कहानी रत्ती भर भी आगे नहीं बढ़ी है..कहानी खींचकर बस और एक पार्ट बढ़ा दिया है!
रिव्यु जारी रहेगा विश्व रक्षक में...
पाठकों से अनुरोध - अगला भाग “विश्व रक्षक” भारी संख्या में खरीदें, RC और रचनाकारों  को मालामाल बनाएं!

Ratings :
Story...★★☆☆☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★☆☆☆☆☆☆
Entertainment……★★☆☆☆☆☆☆☆☆

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