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Thursday 15 October 2015

VISHPUTRON KA AAGMAN

Review- विषपुत्रों का आगमन  (2015)
Containing Spoilers (जिनको रिव्यु देखना नहीं पसंद हैं..वो कृपया अपना समय इसको पढ़कर नष्ट ना करें!)
61 Pages/224 Panels (Approx. 3 ½  Panels per page).
Genre-Action
Main character(s)-अश्वराज,नागरानी,नागमणि,नागदंत!

>Short Synopsis –

पिछले भाग में आपने पढ़ा कि यह सर्वनायक के टूटे हुए हिस्सों को जोड़ने के लिए बनाई गई सीरीज है....तो उसमे जो “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता शुरू हुई थी..इसमें आगे बढती है और जैसा कि पूर्वानुमान था..चारों टीम अपना-अपना टास्क पूरा करके विजयी होती हैं! इधर नागदंत और नागमणि दूसरे आयाम पर कब्ज़ा करने की मंशा में है..जो कहलाता है नागरानी का आयाम! अश्वराज को कुदुम की खोज में गोजो का साथ मिलता है..जिसकी बिजलिका भी अपह्रत हो गई है! और अंत में “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता के बाद “नाग निरंजनी” बचाओ प्रतियोगिता का शुभारम्भ हो चुका है!

>किरदारों पर नज़र- “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता से जुड़े सभी किरदार यहाँ थोड़ी-थोड़ी जगह भरते हैं! वो सभी विलेन भी नज़र आते हैं..जिनका शिकार चारों टीम को करना है!
अश्वराज-गोजो- दोनों सिर्फ एक्शन तक सीमित रहे हैं!
नागराज-ध्रुव का छोटा सा रोल इस भाग में है!
नागदंत और नागमणि के साथ नागरानी ज्यादा रोल में है!
और बहुत सारे छोटे-बड़े लोग इसमें नज़र आते हैं...कहा जा सकता है कि बहुत भारी-भरकम किरदारों की फ़ौज इस कहानी में दिखाई गई है!

>“मौत का मैराथन” के टास्कों पर नज़र-
A-अदृश्य मानव और मैडम एक्स का टास्क 100% परफेक्ट है! उसमे कोई लॉजिकल त्रुटी नहीं है! मैडम एक्स के अतीत से जुड़ा एक पुराना घटनाक्रम भी दिखाया जाता है!

B-शीना और काली विधवा ने टास्क को 100% परफेक्शन के साथ पूरा किया! बेहतरीन तरह से लिखा और अंत किया गया! काली और शीना के बीच नोंक-झोंक अच्छी थी! वहीँ चुम्बा आज भी बेवकूफ ही रहा..हंसी आ गई! शीना-काली-चुम्बा वाला टास्क सम्पूर्ण मनोरंजन करता है!

C- लेकिन लोमड़ी और कीर्तिमान का टास्क जबरदस्ती पूरा दिखाया गया है! एक तो यह भी नहीं दिखाया कि दोनों ने हैमर का अड्डा कैसे खोजा...दूसरे सिर्फ 3 पेज में जल्दी-जल्दी से इस टास्क को पूरा करवा दिया गया! ना तो हैमर समझ पाया कि 5 मिनट की लड़ाई में आखिर हुआ क्या..ना हम समझ पाए कि यह था क्या? सिर्फ जितवाना था इसलिए जितवा दिया! दोनों के बीच अगर ज्यादा अच्छी तरह से टास्क पूरा करने की प्लानिंग दिखाई जाती..जैसी बाकी के साथ करी थी..तो बहुत अच्छा होता! (निराशाजनक)

नागदंत और नागरानी वाले पेज अच्छे लिखे गए हैं...दोनों के बीच काफी बढ़िया लड़ाई हुई! नागमणि का रोल बढ़िया था...उसके संवाद चुटीले भी थे..और हिंसक भी!

लेकिन हमारा सबसे पर्सनल फेवरेट भाग है...नताशा-रोबो वाला! लेखक को हम बधाई देते हैं कि उन्होंने नताशा को पूर्ण खलनायिका के खांचे में फिट कर दिया है! उसका बाद में सभी विलेन्स के साथ आना..और हारकर दुम दबाकर भाग जाने वाले सीन देखकर दिल खुश हो गया! 10,000 करोड़ रुपये चुराने वाली गंभीर अपराधिनी मिस “नताशा रोबर्ट शीन” को देखकर बहुत मज़ा आया! उन लोगों के मुहं पर करार तमाचा लगा है जो उसको एक हीरोइन की तरह मानते थे! ऐसी अपराधिनी की असल जगह जेल की काली कोठरी होनी चाहिए!

लेखक द्वारा दिए गए स्पष्टीकरणों पर नज़र-
1-रोबो और नताशा ने 10,000 करोड़ रुपये रिज़र्व बैंक से चुराए थे!
रिज़र्व बैंक की ट्रेज़री राजनगर में नहीं है और जहाँ है वहां सेंधमारी करना असंभव है..वो गली कूचे की बैंक शाखा नहीं है! पूरे देश के बैकिंग सिस्टम का संचालनालय है!  10,000 करोड़ रुपये कैश में चुराना और उसको राजनगर लाना और जिस लूट को होते तक दिखाया नहीं गया...सिर्फ कहने से उसपर विश्वास कर लेना असंभव है! रिज़र्व बैंक की कुछ चुनिन्दा शाखायें होती हैं...जहाँ 200-300 करोड़ मुश्किल से ही होता है! इसमें भी ज्यादातर Cash+Gold रखा जाता है! यानी अगर ऐसा कुछ होना भी है..तो रोबो को कम से कम 50 रिज़र्व बैंक treasuries एक साथ लूटनी पड़ेंगी! RBT में रोबो आर्मी द्वारा 10,000 करोड़ की लूट होने का मतलब है...नेशनल सिक्यूरिटी threat! सेंसेक्स का एकदम से धडाम हो जाना...अर्थव्यवस्था का चरमरा जाना...इतने पैसे को वापस पाने के लिए पुलिस/आर्मी और इंटेलिजेंस तुरंत हाई अलर्ट पर हो जाती है! वहीँ दिखाया गया है कि रोबो ने इतना कैश अपने एक छोटे से hideout  में भरकर रखा है..जिसकी दीवारें टूटी हुई हैं.....पलस्तर उखड़ा हुआ है......जिस पैसे को कोई नहीं खोज पा रहा था..उसकी रिकवरी का ज़िम्मा राजनगर के प्रशासन को दिया गया है! यह पूरा मामला कहीं से नहीं सुलझ पाया! आपका कथन कुछ ऐसा है कि RBI और कानून के दूसरे आला अधिकारियों को पता है कि उनकी अरबों की रकम राजनगर में है...लेकिन वो अपने तरीकों से रकम वापस लाने की जगह ध्रुव की आयोजित “मौत का मैराथन” प्रतियोगिता का इंतज़ार ज्यादा जरूरी समझते हैं! यानी 10000 करोड़ की सरकारी संपत्ति की वापसी जिसपर सरकार/मीडिया/जनता/विपक्ष सबने हल्ला मचाया होगा..वो एक खेल को पूरा करने का जरिया मात्र है!

2-लेखक का यह स्पष्टीकरण था कि गुप्त आइडेंटिटी वाले सभी किरदारों का पता CNN ने लगाया है! इसको गहराई से समझने के लिए तिरंगा सीरीज की CNN और बेनकाब पढ़िए! CNN उर्फ़ लेखराज भंडारी जो तिरंगा का राज़ जानता था...लेकिन जेल पहुंचा दिया गया! ऐसा विलेन सबसे पहले तिरंगा का राज़ फ्री में खोल देता..पर क्यूंकि अभय खुद भारत बन गया था..इसलिए CNN ऐसा कर नहीं पाया! खैर, वो पहले दिल्ली का गवर्नर हुआ करता था..इसलिए उसके पास दिल्ली के ऊँचे ओहदे पर रहकर सबकी जानकारी लेने लायक ताकत और पैसा मौजूद था! लेकिन जेल जाने,वहां सजा पूरी किये बिना और अपना राज़ खुलने के बाद CNN को आज जो दुनिया भर के गुप्त किरदारों के राज़ जानने वाला सबका बाप दिखाया जा रहा है..वो असंभव चीज़ है! मतलब CNN  जैसा अपराधी जेल से बाहर कब और कैसे निकला? जो आज वो वापस बिना पैसे और समय के अपना सेटअप बना चुका है! CNN का दिल्ली का पूरा नेटवर्क,उन लोगों पर निर्भर था जो उसके लिए फील्ड वर्क करते थे! यानी उसके अलावा कम से कम सैकड़ों और भी ऐसे लोग मौजूद हैं..जो इन सबकी किरदारों के राज़ जानते हैं..जो एक बार दिखाई दिए...रात की रानी एक ही बार आई और सोनिका भी कोई रोज काली काली विधवा नहीं बनती है! चलिए एक बार मान लिया कि CNN का नेटवर्क पूरी दुनिया के हर कोने में हो सकता है..लेकिन CNN इतना भी बड़ा तुर्रम खान नहीं है कि 100% लोगों का पता ठिकाना जान ले! पाठकों को याद होगा सर्वदमन कॉमिक्स का पेज-44....जिसमे CNN कहता है कि उसका सम्पर्क सूत्र सिर्फ कुछ चुनिन्दा अपराधियों को ही पता है...और प्रोबोट को कैसे उसका पता मालुम...यह बात उसवक्त से आज तक लेखक बता नहीं सके और यहाँ यह और जोड़ दिया कि इंस्पेक्टर स्टील और ध्रुव ने CNN से संपर्क बना लिया...लेखको की खराब याददाश्त का यह एक जीता जागता सुबूत है!
अगर CNN को सबका राज़ पता करना होगा..तो वो डोगा का पता सबसे पहले लगाकर अंडरवर्ल्ड में फैला देगा! और अगर वो डोगा का राज़ पता करवाएगा...तो इसके लिए सैकड़ों आदमी लगाएगा...इसलिए CNN को एक पैनल में दिखाकर उससे जुड़े सारे सवालों का कोई जवाब नहीं दिया जा सकता! बहरहाल CNN को तो लेखक इतना समय भी नहीं दे पाए कि वो इतने बड़े स्तर पर जांच पड़ताल करवा पाता! सर्वसंधि के अनुसार नास्त्रेदमस को क्षुद्र ग्रहों के आने और उसके बाद ध्रुव को खबर करने में बहुत कम समय मिला था...उतने में ध्रुव ने WAR के लिए सबको इकठ्ठा भी कर दिया...फिर सभी हीरो आये..उन्होंने WAR के लिए लोगों के नाम चुने..इसमें CNN को कब और किसने सन्देश भेजा...अनुत्तरित ही है!

2-लेखक दिखाते हैं कि लॉ एंड आर्डर असल में ध्रुव और नक्षत्र है! जानकार बहुत ख़ुशी हुई....पर “काउंसिलर” क्यूँ अचानक से उस कमरे से गायब हो जाता है..वो क्यूँ नहीं सामने आया? आखिर ध्रुव के ऊपर ऐसा कौन सा आदमी है..जिसकी पूरे विश्व तक पहुँच है और ध्रुव उसको इतने बड़े सेटअप का incharge बना देता है! उसको भी उजागर कर दिया जाता तो ज्यादा बेहतर लगता!

>लेखक द्वारा जो स्पष्टीकरण नहीं दिए गए उनपर नज़र-

1-हमने मौत का मैराथन में पूछा था कि Badman तमाम गैजेट्स लेकर नारका में कैसे दाखिल हुआ....उसका लेखक ने कोई जवाब नहीं दिया! बजाय नए नाटक दिखाने के कि टास्क पूरे होने के बाद सिर्फ कुछ घंटे के समय में बौना वामन ने नारका जेल ब्रेक करी, जो चुम्बा ध्रुव ने नारका जेल पहुँचाया था...उसको भी अपने साथ छुड़ा लाया! वहां से सभी ने नताशा और हैमर को अपने साथ लिया....और आ गए लड़ने! लेखक एक तरफ लिखते हैं कि नारका जेल सबसे सुरक्षित और उन्नत जेल है..दूसरी तरफ आपके दूसरे लेखक मंदार गंगेले जी थे...एक पूरी सीरीज उस सुरक्षित और उन्नत जेल को तोड़ने पर लिख चुके हैं....और आज आप बिना ब्रेकआउट का एक भी सीन लिखे...पाठको को नारका में से 2 बड़े अपराधियों के भागने  की खबर दे रहे हैं? टास्क पूरे होने के बाद आपने जो यह सभी विलेन्स के साथ WAR वालों की लड़ाई पेल दी..उसकी कोई जरूरत नहीं थी...सिवाय पेज खींचे जाने के! वो सब लोग बर्बाद हो चुके थे..और उन्हें इतनी हिम्मत नहीं हो सकती थी..कि सीधे पुलिस-प्रशासन पर ही हमला करने चले आते! वो भी तब जब नारका वाले पीछे पड़े हो.....आज से पहले भी कई विलेनों को हीरो ने तबाह किया..वो अंडरग्राउंड होना ज्यादा बेहतर समझते थे...और चुम्बा डरपोक जाने कब से इतना दिलेर हो गया..कि खाली हाथ लड़ने चला आया! Total waste बिना किसी लॉजिक की fight!

2-तिल्सिम आयाम..क्या कमाल की बात है..कि जिस तिलिस्म में 3 लोग थे...इस कॉमिक्स में बस 2 लोग दिखाए गए हैं..लेखक तीसरे जमूरे “किंग” को गायब कर दिए! असल में राज कॉमिक्स के पाठक हमेशा मान लेने पर ज्यादा विश्वास करते हैं..मान लो ऐसा हो गया..वैसा हो गया..इसलिए लेखक भी ऐसा हो गया..जिससे वैसा हो गया करके कुछ भी लिखकर दिखा देते हैं...इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो accurate कितना है! यहाँ पर परेशानी तब हो जाती है कि जब पहले किसी और लेखक ने कुछ लिखा था...अब नए लेखक कुछ लिख देते हैं! किंग के साथ क्या हुआ..यह तो बताया नहीं...पर यह बता दिया कि नागदंत के अन्दर सारा विष खत्म हो चुका है! अगर विष खत्म हो गया है..तो उसकी नाग शक्तियां भी तो खत्म हो गई हैं! विष नहीं = नागशक्तियां नहीं! सिंपल सी बात है! अगर नागदंत में वापस नागशक्तियाँ पनपनी होंगी..तो सिर्फ उसके अपने विष में पनपेंगी..यह नहीं गली-कूचे का सांप पकड़कर उसका ज़हर पी लिया..और बन गए शक्तिमान! लेकिन RC के पाठक दिमाग कम लगाते हैं..उन्हें याद दिलाना पड़ता है..तभी मानते हैं...तो ऐसा एक बार हुआ था “कलियुग” कॉमिक्स में जब...नागराज को ऐसे ही नागमणि ने एंटीडोट दे दिया था...उसका ज़हर ख़त्म हो रहा था..तब उसने उन्ही फलों का सेवन किया..जिसमे देव कालजयी का विष था...किसी कोबरा को नहीं चबा लिया था! यहाँ नागमणि उस उजाड़ तिलिस्म में बिना किसी प्रयोगशाला के खड़े-खड़े यह सब कारनामे अंजाम दे रहा है, जिसके सिर-पैर गायब है! विषहीन नागदंत के अन्दर नागमणि अपने शरीर से एक इंजेक्शन में लेकर विष डाल देता है! नागमणि के अन्दर जो विष था..वो “नागार्जुन” का विष है..और उसमे एंटीडोट भी मिली हुई है..वरना नागमणि जिंदा नहीं बचता! अब गौर यह किया जा सकता है कि नागार्जुन जैसे एक आम इच्छाधारी सर्प के “पनियल-विष” से नागदंत को असीमित शक्तियां कैसे प्राप्त हो सकती हैं? सिर्फ प्राप्त ही नहीं हो रही..बल्कि नागदंत की विषफुंकार भी ज्यादा मारक हो गई है..इतनी ज्यादा कि नागरानी भी नहीं टिक पाई! वो नागरानी जिसकी शक्तियां नागराज तक को पानी पिलाने की कुव्वत रखती हैं!

Equation यह दिखाया गया कि नागार्जुन = नागरानी??? सच में? हज़म हुआ किसी को?

दूसरी चीज़ कि वो तिलिस्म महान तिलिस्म ज्ञाता वेदाचार्य की पोती भारती का बनाया हुआ था! जिसमे इतनी ताकत थी कि किंग क्लैन वालो को रोक सके....अगर वो इतना ही कमजोर होता कि नागदंत की नागार्जुन वाली पनियल विषफुंकार से खुल जाए..तो भारती के ज्ञान पर कलंक लगा दिया गया है! बहुत ही हल्कापन था इस आईडिया में कि तिलिस्म इतनी आसानी से खुल गया! "अंतर्द्वंद" कॉमिक्स के पेज-14 के अनुसार भी तिलिस्म हमेशा कई चरणों में बनाया जाता है..जिसमे हर एक चरण पिछले से अधिक जटिल होता है!" यहाँ कोई चरण था ही नहीं!
अनुपम जी इस प्रसंग को ज्यादा बेहतर तरीके से जरूर दिखाते! लेकिन आज की डेट में जो दिखाया गया है बस यही सत्य बन गया है...लेकिन हकीकत में बेहद कमजोर सीन लिखा गया है यह!

3-तिलिस्म तो असल पृथ्वी पर बना हुआ था...जाने क्यूँ लेखक ने यहाँ पर तिलिस्म को आयाम का नाम दे दिया है...बाद में पता चला यह गोरखधंदा इसलिए किया गया ताकि तिलिस्म को नागरानी के आयाम से जुड़ा दिखा दिया जाए! आज से पहले भी नागराज की कहानियों में कई तिलिस्म दिखाए गए थे...लेकिन वो कोई आयाम नहीं होते थे...उदाहरण अग्रज सीरीज पढ़िए...कहीं भी आयाम शब्द का जिक्र नहीं हुआ है! ना तो भारती में कोई नया आयाम खड़ा करने की शक्ति है...फिर लेखक यहाँ कैसे आयाम लिख रहे हैं..भगवान् जाने! अनुपम जी को अगर आयाम बनवाना होता तो वेनोम में वो सीधे लिखते कि आयाम में भेजा है..तिलिस्म में क्यूँ लिखते??

4-यह नागदंड वाला नाटक तो हमेशा हमारे आयाम की विसर्पी किया करती थी..लेखक ने एक दंड अब नागरानी को भी थमा दिया और exact वही काम कर दिया कि नागरानी को वैसे ही उठाकर नागराज के पास ले आये जैसे विसर्पी आ जाती है! कमाल की नई सोच है! मतलब अब जब भी नागरानी या नागीश पर कोई संकट parallel earth पर आएगा...नागदंड के पास एक ही उपाय होगा..आयाम खोला और नागरानी को स्नेक आईज के दफ्तर में पटक दिया! याद रखियेगा सभी पाठक! यह एक महत्वपूर्ण सूचना है! अगर सिर्फ नागदंडों से आयाम खुल जाया करते..तो नागराज....फुंकार,अवशेष,नागायण सब जगह बस दंड पकड़ा घूम आता! अभी जो लेखक नितिन मिश्रा आखिरी सीरीज में सबको आयाम-छायाम की छैयां-छैयां करवा रहे हैं...उसमे कहीं ना कहीं नागरानी और विसर्पी होंगी...दोनों से कहिये...दंड घुमाए..और सबको अपने अपने आयाम में भेज दें!

5-टिक-टोक..टिक-टोक..टिक-टोक..करणवशी त्रिनाग पठार पर मोर्निंग वाक पर निकलता है....चलता-चलता पहुँच जाता है एक भवन के अन्दर संदूक में रखी “नागनिरंजनी” को खोल देता है! अच्छा...हमें लगा था शायद यह होगी कुछ 20-22 लाख की कोई सोने की मूर्ती! उजाड़ वन में भिखारी के हाथ लग गई होगी! थोड़ी देर में पता चला कि अरे यह  “नागनिरंजनी” तो बड़ी शक्तिशाली बला है...इसके चोरी के बारे में नागराज को बता कौन रहे हैं...सुदूर कहीं ब्रह्माण्ड में विचरण करने वाले विष-अमृत नाम के खेलकूद प्रेमियों का मानस रूप! (वहां पर 50 साल की जगह 95-98 साल के बीच का अंक होता)! अब चोरी होते देखने की इस हरकत को इतने करोडो प्रकाश वर्ष वाली दूरी को इनके मानस रूप ने कौन से टेलिस्कोप से पार किया..लेखक जानें! लेकिन “नागनिरंजनी” पर संकट के बारे में अगर सबसे पहली सूचना ब्रह्माण्ड में किसी को होनी चाहिए थी..तो वो महात्मा कालदूत को होनी चाहिए थी! आखिर वही नागद्वीप को संचालित करते हैं..जहाँ सभी नागों का बसेरा है! दूसरी बात “नागनिरंजनी” जैसी अतिमहत्वपूर्ण चीज़ की सुरक्षा का कोई प्रबंध ही नहीं दिखाई दिया..कि करणवशी कितनी आसानी से उस तक पहुँच गया और खोल डाला!

कहानी अभी किस दिशा में जा रही है..स्पष्ट नहीं हुआ! कुछ कहानी पूर्वकाल में चल रही है..कुछ आधुनिक काल में..कुछ दूसरे आयाम में! 60 पेजों के हिसाब से इसकी स्पीड काफी अच्छी थी...बहुत सारी बातें इसमें डाली गई हैं...जिनको बेवज़ह खींचा नहीं गया! इस हिसाब से नितिन मिश्रा जी की तुलना में अनुराग जी कहानी बेहतर हैंडल करते महसूस हो रहे हैं! लेकिन एक बड़ी कमी उनके लेखन में यह नज़र आ रही है कि वो नई कहानी को ठीक से पुरानी कहानी के साथ जुड़ाव नहीं कर पा रहे...यह कमी... मौत का मैराथन में भी थी..लेकिन विषपुत्रों का आगमन में खुलकर सतह पर आ गई है!

आर्टवर्क-

हेमंत कुमार जी का आर्टवर्क ठीक ठाक है! हेमंत जी को सब जानते हैं..कैसे बनाते हैं! कोई ख़ास बदलाव नहीं हुआ है! जैसी मौत का मैराथन का था..वहीँ रुके हुए हैं! आधे पेजों में बैकग्राउंड गायब है..और आधे में जो बनाया है..वो खानापूर्ति है! एक बात साबित हो गई है कि RC में बैकग्राउंड पर मेहनत ना करने   के मामले में हेमंत जी सबसे अव्वल हैं!

विनोद जी और ईश्वर आर्ट्स की इंकिंग है! एवरेज! विनोद जी का नाम हर कॉमिक्स में लिखा होता है लेकिन पेज उन्हें बहुत कम दिए जाते हैं!

कलरिंग- सुनील दस्तूरिया और मोहन प्रभु के द्वारा करी गई रंग सज्जा साधारण है... बहुत ज्यादा इफेक्ट्स नज़र नहीं आते...शब्दांकन MKM की तरह ही है!

टिप्पणी-

अगर आप सतही तौर पर कहानी पढने के शौक़ीन हैं...जहाँ आपको हाथ में रखी कॉमिक्स में जो दिखाया जा रहा है..सिर्फ उससे मतलब रहता है..तो यह एक शानदार,जबरदस्त,जिंदाबाद कॉमिक्स है!
लेकिन अगर आप नई कॉमिक्स को पुरानी कॉमिक्स से लिंक करके पढने वाले पाठकों में से हैं..तो इसमें काफी कमियां मौजूद हैं! जो आपके स्वाद को कसैला बना देती हैं!

इसलिए आप अपने-अपने हिसाब से तय कर सकते हैं..कि यह कॉमिक आपकी कसौटी पर खरी उतरी या नहीं!

निष्कर्ष-

राज कॉमिक्स ने बताया था कि विस्तार सीरीज का असल मकसद सर्वनायक के अनसुलझे पहलुओं को सुलझाना है! WAR में कौन-कौन लोग शामिल होंगे..उनके टास्क पहले भी महत्वपूर्ण नहीं थे...लेकिन दिखाए गए...और अब अधूरी तरह से पटाक्षेप कर दिए गए हैं! और इसमें अब तक ऐसा कुछ भी महत्वपूर्ण प्रसंग नज़र नहीं आया..जो असल सर्वनायक को संभाल सके...उलटे कई नए प्रश्न पैदा होने और शुरू हो गए! अब यह “नागनिरंजनी” की चोरी रोकना कहीं से भी सर्वनायक में mention नहीं था...यह एक अलग ही कहानी लिखी जाती प्रतीत हो रही है! और यह निराशाजनक है कि पाठको को धोखे में रखकर एक नई अलहदा सीरीज शुरू कर दी गई है! इस सीरीज के भविष्य के बारे पाठक अपनी बुद्धि से सोचकर फैसला लें!

पाठकों से अनुरोध- अगला भाग विषक्षेत्र संरक्षणम भारी संख्या में खरीदें, RC  और रचनाकारों  को मालामाल बनाएं!

Ratings :
Story...★★★★☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★★★☆☆☆
Entertainment……★★★★★★☆☆☆☆

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