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Saturday 20 July 2013

RAAT KA BHAKSHAK






कथावस्तु-4.5/5
कला क्षेत्र –4.5/5


डोगा अपने शुरूआती समय में रात के रक्षक के नाम से ज्यादा जाना जाता था! बाद में "मुंबई का बाप" उसके नाम से ऐसा जुड़ा, कि पाठक रात में किसी अँधेरे कोने से निकलने वाली आकृति की जगह धूम-धडाम करने वाले हीरो के आदी बन गए!

कवर पर डोगा के साथ डंडा पकडे हुए एक अधनंगा इंसान नज़र आ रहा है...इसी इंसान के ऊपर लिखी गयी है..यह कहानी....रात का भक्षक!

कहानी के लेखक है तरुण कुमार वाही और अनुराग कुमार सिंह !

वर्तमान में एक प्रेमी-युगल पर हुए जानलेवा हमले के 2 पन्नो के बाद ही कहानी चली जाती है...2 साल पहले शुरू हुए घटनाचक्र में..जहाँ से सब शुरू हुआ था! कहानी के केंद्र पर लायन ओकल्ट है..यानी हल्दी चाचा (कराटे किंग)!

यहाँ पर एक बात रेखांकित करने योग्य है कि यह कहानी डोगा की नहीं है...कहानी है सूरज की!
डोगा वहीँ आता है जहाँ कहानी को हिंसात्मक मोड़ चाहिए! बाकी पूरी कहानी में लेखको ने तथ्यों और घटनाओं पर ज्यादा बल दिया है! हम इस चीज़ का स्वागत करते हैं! यही वो चीज़ है जो इस कहानी को 15 साल पहले वाला रूप दे रही थी! क्यूंकि कहानी का हर पात्र अपनी जगह महत्व रखता है! यहाँ डोगा के होने का विशेष आभामंडल नहीं बनाया गया..ना उसके नाम पर कहानी खींची गई ,जैसा पिछली कुछ कहानियां कर रही थी!

परन्तु डोगा पर कहानी के निर्भर ना होने का मतलब यह नहीं है की कहानी में अपराधी और अपराध का अभाव है..इसमें भी एक पूरा अपराधी गिरोह है...खून होते हैं..हिंसा है!
कहानी में हल्दी चाचा हैं..यानी उनके शिष्य भी हैं..शिष्य हैं..तो शिक्षा है...शिक्षा है तो प्रतियोगिता है.. प्रतियोगिता है तो टकराव हैं..और टकराव हैं तो डोगा है!

इस परिपाटी पर बहुत सी कहानियां लिखी गई हैं..मगर रात का भक्षक बहुत अलग है..यहाँ एक सामाजिक असमानता के नीचे सिसकियाँ लेती 2 इंसानी जिंदगियो को प्रकाश में लाया गया है! कैसे यह समाज भेदभाव से उपजी परिस्थितियां पैदा करता है! एक “विशेष” माँ की जिजीविषा है..जो अपने बच्चे को मजबूत बनाने का स्वप्न देखती है...एक समाज से दुत्कारा हुआ युवक है! यह कहानी उस तराजू पर रखी हुई है..जिसकी एक तरफ इंसान अपने लिए जिंदा है...वहीँ दूसरी तरफ परायो के लिए! और किसका पलड़ा भारी है..यही सीख इस कहानी में मिलती है! सीख- यह वो चीज़ है जो आजकल की कहानियों में मनोरंजन के नीचे कहीं छुप सी जाती है..पर डोगा की यह कहानी सुखद बदलाव की तरह लगती है!

चीता को डोगालिसिस विंग में देखकर अच्छा लगता है...लेकिन हल्दी को छोड़कर बाकी चाचाओ के हिस्से कुछ नहीं आया!

नज़र डाली जाए कहानी की रफ़्तार पर-जिसकी शुरुआत होती है..एक ट्रेन में हुए हमले से..जो फिर स्थिर गति से भूतकाल में गोता लगा देती है...पाठक आनंदित होकर इसको पढ़ते जाते हैं..पेज -50 पर कहानी फिर से वर्तमान में वापसी करती है! यहाँ पर एकबारगी लगता जरूर है, कि कहानी का अंत पाठक को पता है..मगर यहाँ पर लेखक कहानी को एक रोचक सुखद अंत देकर पटाक्षेप कर देते हैं!

यहाँ पर हमें पता चलता है कि लेखको ने Calculated Risk लिया है! कहानी के अंत की 2 अलग-अलग राहें बनी थी..एक जानी पहचानी और एक नई! लेखकों ने इस बार नई राह चुनी है! हमें आशा है..सभी को पसंद आएगी! कहानी का बेसिक प्लाट सिंपल है..लेकिन Execution उम्दा रहा!

कॉमिक्स के आर्टिस्ट हैं नित्यांशु शर्मा! जिनके बने आर्टवर्क कुछ डोगा-डायरीज में सभी ने देखे हैं..उन्हें पहली बार एक पूरी कॉमिक्स मिली है...पेंसिल और इंकिंग दोनों उनके हाथ की है!
नए आर्टिस्ट यानी पहले बड़े काम की धुकधुकी..हजारों पाठको की उम्मीदें और सरसरी नज़रें! पहली चीज़ पाठको को यह कॉमिक्स यह मन बनाकर देखनी चाहिए..कि नए काम को पुराने से तुलना ना करें! क्यूंकि नया देखने की इच्छा मन में पहले से नहीं होगी तो हमेशा नकारात्मक सोच ही बनी रहेगी.जिसका कोई अंत नहीं है!..आजकल महीनो पहले से पाठको को पता चल जाता है, कि कौन सी कॉमिक्स किस आर्टिस्ट के द्वारा बनवाई जा रही है...ऐसे में दिमाग को पहले से बदलाव देखने के लिए ट्यून अप करके रखा जाना चाहिए!

हम किसी भी आर्टिस्ट के ओवरआल काम को देखते हैं! आधी अच्छी-आधी बुरी का हमारे लिए भी कोई मतलब नहीं होता! यहाँ हम बार-बार देखते हैं..कि आर्टिस्ट ने किस तरह कहानी को पहले समझा और फिर पेंसिल उठाई है...उनका अपना एक अलग तरीका है चित्रों को बनाने का! इस कॉमिक्स में उन्होंने भारतीय और जापानी मंगा का एक फ्यूज़न दिया है...इसको आप लोग आसानी से जांच सकते हैं..सभी characters के बालों पर नज़र डालकर जो स्पाइन शेप यानी नुकीले हैं! इसके अलावा आप जब भी फ्रंट यानी सामने से देखते हैं..तो सभी नार्मल लगते हैं...लेकिन साइड व्यू पर बदलाव आ जाता है! हमें उनका यह नया आर्ट स्टाइल अच्छा लगा!
दूसरी चीज़ हमने देखी...आर्टिस्ट ने बैकग्राउंड पर बहुत मेहनत करी है..जो उनकी काबिलियत सिद्ध करती है!

इस कॉमिक्स में एक गैंग है, जिसकी costume बहुत उम्दा बनी है! फिर गौर किया, कहानी के साथ बदलती सभी पात्रों की भाव-भंगिमाओ पर! यहाँ भी आर्टिस्ट कहानी के साथ न्याय करने में सफल रहे!
लेकिन कवर आर्ट हेमंत कुमार जी ने बनाया है..वैसे हमें लगता है कि अन्दर के उम्दा काम को देखते हुए कवर भी नित्यांशु जी को सौंपा जाना चाहिए था!

बात इंकिंग की!
किसी भी कॉमिक्स का आर्ट उसकी इंकिंग की क्वालिटी पर टिका होता है! यहाँ नित्यांशु की ने काबिलेतारीफ काम दिया है!यह देखकर आश्चर्य होता है कि अपनी पहली बड़ी कॉमिक्स पर उन्होंने इतनी प्रवीणता दिखाई है!
ओवरआल आर्टवर्क में हमें कोई कमी नहीं दिखी और काम को बेहतर बनाते जाना एक जीवन पर्यंत चलने वाली प्रक्रिया है!

रंग सज्जा शादाब सिद्दीकी जी की है! जिनके काम के बारे में सभी जानते ही हैं! हार्ड कलरिंग हुई है! हम इस कॉमिक्स को ग्रीन इफेक्ट्स के लिए याद करेंगे..क्यूंकि हरे रंग का प्रचुरता से इस्तेमाल हुआ है!

शब्दांकन नीरू जी का है!

रात का भक्षक परिवर्तनकारी कॉमिक्स है..डोगा की पिछली कई कॉमिक्स से ज्यादा बेहतर! एक सिंगल शॉट कॉमिक्स में जो होना चाहिए वो सब है! उम्मीद है पाठको का मनोरंजन करेगी!

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