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Thursday 25 July 2013

Review-"Bonsai कथाएँ"



Review-"Bonsai कथाएँ"
"Bonsai कथाएँ" एक टैलेंटेड उभरते हुए भारतीय लेखक श्री मोहित शर्मा जी की रचना है...इसमें कई सारी छोटी छोटी कहानियां संग्रहित रूप में एक किताब की शक्ल में हैं!

Bonsai Kathayen (collection of 17 tales on life) by Mohit Sharma (Trendy Baba) now available on Instamojo, Pothi, Smashwords, Create Space, Dorrance Publication for just Rupees 29. Paperback version coming soon! 


आप लोग यह किताब निम्न लिंक पर जाकर प्राप्त कर सकते हैं >>>
https://www.instamojo.com/Mohit_Sharma/bonsai/

Review
"Bonsai कथाए" संग्रह पर एक नज़र
लेखक “मोहित शर्मा” जी की लिखी यह कथाएँ जब हमने पहली बार में एक दृष्टि ऊपर से नीचे डाली तो 38 पन्ने नज़र आये...और हमारे अन्दर कौतुहल और जिज्ञासा आ गयी कि...यह कौन सी रचनाएँ हो सकती हैं...क्यूंकि किताब का शीर्षक थोडा botanical नाम का है...तो दिमाग पहले एक इमेज बना लेता है...की शायद फलां कुछ होगा अन्दर...खैर यह कहानियां पढने से पहले का द्वन्द होता है पाठक के मन के अन्दर...आइये नज़र डालते हैं...की "Bonsai कथाए" आखिर क्या है!
इसके अन्दर 17 रचनायों को एक किताब में पिरोया गया है....यह किसी ख़ास पक्ष के साथ जुडी हुई ना होकर....अलग स्वाद की छोटी छोटी झलक हैं...

1-मासूम ममता-(5/5)
यह एक छोटी सी मर्मस्पर्शी कथा है! एक मोहल्ले में रहने वाले कुछ सम्भ्रांत लोगो की नज़र में एक जीव को देखने की...क्या इंसान के सभी रिश्ते इंसानों के लिए ही अहमियत रखते हैं?...या दिल में प्यार और अपनापन होना एक समान प्रजाति के लिए ही है ?...संदेशप्रद यह लघु कथा शुरू में ही बहुत अच्छा असर छोड़ जाती है पाठक के मन में और वो भारी मन से आगे बढ़ता है.

2. Bhojpuri Entertainment Syndrome (4/5)
यह कथा उन भाइयो के ऊपर रौशनी डालती है जो अपनी जड़ो को छोड़कर कुछ अच्छे पैसे कमाने के लिए बाहर निकलते हैं...रिक्शे खींचते,पत्थर तोड़ते या मजदूरी करते हैं...मुख्यतः अकेले ज़िन्दगी खींचते इनकी जो अपनी सपनो की निराली दुनिया होती है..वो क्या है? इसपर लेखक ने एक सरसरी नज़र डाली है..जो कठिन भी है..पर इसे वही जी सकता है जो जीवन का मोल जानता है...और छोटी छोटी खुशियाँ जिसके लिए कुछ मायने रखती हैं!

3-अहमियत (5/5)
यह कविता है एक छोटे से मुस्लिम बच्चे के बारे में जो रोजो और पवित्र महीने में अपने धर्म को करीब से जान और मान रहा है...अपने पिता के गुमशुदा होने के बाद इसका निश्चल प्रेम अपने पिता के लिए कविता का मुख्य अलंकार है...एक सुंदर कविता!

4-मदद (3/5 )
यह छोटी सी कविता कम शब्दों में बहुत कुछ कह जाती है...यह आज के समाज में एक व्यक्ति के दूसरे अनजान व्यक्ति के बुरे हालत को देखकर भी उससे दूर होते जाने पर नज़र डालती है...जिसका परिणाम है की समाज लगातार मर रहा है.

5-युद्धवीर (4/5)
शेक्सपियर वैसे तो कह कर स्वर्ग सिधार गए कि “नाम में क्या रखा है”....लेकिन उन्हें आज की गूगल की दुनिया का तब पता नहीं था....अगर होता तो शायद ऐसा ना कहते....वैसे तो दुनिया में अलग नाम होना बहुत बड़ी बात है...और यह शीर्षक का नाम भी अपवाद नहीं है...लेखक इसमें एक आम बालक के बारे में बता रहे हैं....जो मानता है कि काम जितने में बन जाए उतना काफी.... बाकी दिमाग और दूसरे जबरदस्ती के लोड लेना बेकार है...हाँ नहीं तो!..यह बालक अलग है...अगर देखा जाए तो अलग अलग दृष्टिकोणों में कई तरह के विचार इसके बारे में आयेंगे...जिनको सही या गलत बताना भी टेढ़ी खीर है....आप पाठक ही निर्णय करें तो बेहतर!

6- ध से धानी (3/5)
यह एक छोटी सी हास्य रस की कथा है....एक ट्रेन में एक सज्जन और एक भिखारन के मध्य बहस और संग्राम की...घबराइये मत रोजमर्रा की बात है....हाँ तो लेखक ने इसमें हास्य का पुट देते हुए दोनों के अंतर्मन को सामने लाने की कोशिश करी है...और कुछ अच्छे और खराब सत्यो को सामने लाये हैं....मज़ा लीजिए

7. क्लेवर्ता (cleverta) मतलब चालाकी (4/5)
यह एक आम बालक की अपनी जुबानी अपनी कहानी है...यह बालक अपने बचपन की छोटी छोटी हरकतों में अपने द्वारा दिखाई दिमागी कलाकारी का वर्णन कर रहा है...
यह सभी पाठको को पसंद आएगी..क्यूंकि यह सभी के बचपन के किस्से रहे हैं...और क्यूंकि यह बिना ज्यादा तामझाम वाले होते हैं इसलिए लेखक की शैली भी सहज है.

8. पान की पीक को खून मत समझो!! Madam!!(4/5)
यह बाज़ार में सड़क किनारे छोटी सी हस्तशिल्प खिलौने बेच रहे बालक की रोजमर्रा की जिंदगी के एक छोटे लेकिन महत्वपूर्ण हिस्से को रेखांकित करती है...यह हिस्सा इसलिए महत्व रखता है क्यूंकि यह उसकी ज़िन्दगी को मजबूत और बालक को निर्भीक बनाता है..बालक छोटी सी उम्र में ही समाज में रहने वालो के व्यवहार का मर्म समझ चुका है...और वो आसानी से किसी की चालाकी में नहीं आता और ना किसी की बात को दिल से लगाकर बैठ जाने में विश्वास करता है....अगर देखा जाए तो यह उसके कामयाब भविष्य की ओर संकेत है!

9-दहेज़ deal(4/5)
यह कटाक्ष करती है...उन लडको और माता पिता पर जो जरा सी सफलता को पचा नहीं पाने की बीमारी से ग्रसित होकर शादी के बाज़ार में अपनी बोली लगाने में जरा भी नहीं हिचकते...ऐसे ही लडकी के पिता से इनकी क्या फरमाइशे हैं..यह आप पढ़िए
लड़की के पिता अगर इसी तरह पहले से थोड़े दिमाग से फैसले लें तो कई लड़कियां शादी के बाद बर्बाद होने से शायद बच जाएँ!

10 -स्वयंसेवी श्रीमती IAS(5/5)
इस देश में वैसे तो किसी को देश से ज्यादा अपनी फिक्र में मरे जाने से फुर्सत होती नहीं....और उसपर अगर घरवाली भी सिर पर चढ़कर तांडव करना शुरू कर दे...तो आदमी का भगवान् ही मालिक है...ऐसे ही एक IAS और उनकी पत्नी की छोटी की कहानी है ये
अपनी मैडम की एक फरमाइश को पूरा करने में तत्पर एक अफसर पति..उनकी सेवा में लगा हुआ एक पूरा सरकारी महकमा....अपनी बारी के इंतज़ार में चप्पल घिसते आम आदमी के अनुतरित सवाल और भारत देश का सच बताते सरकारी क्लर्क की बेशर्म जुबान...सिर झुका देती है..लेकिन असली ज़िन्दगी का सच यही है....आप भी गौर करें!
लेख के अंत में लेखक द्वारा दी गयी जानकारी भी ज्ञानवर्धक है!

11- तोडू न्यूज़ (3/5)
यह एक राजनीतिक पार्टी के एक एक समारोह में अचानक उसके एक कद्दावर नेता एक निजी कार्य के लिए अनुपस्थित हो जाने का मीडिया में अलग अलग नज़रो और दृष्टियों से देखे जाने का हास्य व्यंग है..
सही मायनों में मीडिया आजकल इसी राह पर चल पड़ी है...उसे हर सेकंड बिना जानकारी की सत्यता को जाने बस ब्रेकिंग न्यूज़ का इंतज़ार रहता है...खबर चाहे खुद ही क्यूँ ना बनाई जाने लगे...उसको सरोकार सिर्फ TRP से रह गया है

12 –युग परिवर्तन (3/5)
यह लेखक ने एक कटाक्ष और भविष्य की एक काल्पनिक तस्वीर दिखाई है लेखको के लिए...कि अपने विचार क्यूँ कई बार लोगों तक पहुंचाए नहीं जा पाते और भविष्य में क्या क्या हो सकता है...इन चीजों को सुलझाने के लिए.

13.Procrastination vs. Bhole Shankar (3/5)
यह एक बालक की एग्जाम देने से एक दिन पहले की दिनचर्या का वर्णन है...किस तरह जरूरी काम टालते जाते हुए अंतिम वक्त तक के लिए बालक के पास बहुत समय होने का एक उत्तर मौजूद रहता है...लेकिन समय गुजर जाता है और बालक के पास आखिरी पल में सिवाय भगवान् के नाम के और कोई रास्ता नहीं बचता....जो थोडा हास्य लगकर भी कुटिल सत्य है!

14. करण उस्ताद (4/5)
लेखक ने इसमें एक किशोरवय लड़के की आप बीती सुनाई है...जो बड़े शेहरो में एक गरीबी से ढकी लेकिन अपनी खुद की बनाई ज़िन्दगी जीते हैं!
इस लड़के की ज़िन्दगी दूसरो के लिए मनोरंजन या दुत्कार देने का एक और आसान साधन हो सकती है...बहरहाल हर किसी के पीछे एक सच होता है...जिस पर ध्यान देना जरूरी है...पर आजकी भागती ज़िन्दगी अपने लिए ही समय नहीं दे पाती...एक गरीब लड़के पर कौन देगा....लड़के का interview आप भी पढ़िए

15-आप और खाप(3/5)
दो लड़कियों के आपसी बातचीत के माध्यम से लेखक ने खापो के ऊपर एक छोटा सा नजरिया रखा है... कि प्राचीन समय से किस तरह इन् खापो की सरंचना ,काम करने के तरीको में विभिन्नताएं मिलती हैं...और एक तरफ से सभी को कटघरे में खड़ा नहीं किया जा सकता!

16-भूखा अन्नदाता (4/5)
यह कविता एक किसान की व्यथा को रेखांकित करती है... कि किस तरह सरकारी कलाबाजियो से भी निराश होकर किसान हताश होकर जीवन ख़त्म कर लेते हैं

17. मुझे घर जाने से लगता डर! (4/5)
यह कविता बढती बेरोजगारी और लगातार मिलती असफलता से दुखी एक युवक के अंतर्मन के भावो को व्यक्त करती है.
इस तरह यह किताब समाप्त होती है.

एक नज़र में देखा जाए यह बहुत अलग अलग तरह की कथाएँ हैं...कहीं हास्य है..तो कहीं दर्द है...कहीं जीवन पर कटाक्ष हैं..तो कहीं जीवन का मूल्य बताया गया है...मुख्यतः लेखक का फोकस समाज के निचले तबके की बात आप सभी तक पहुँचाने का है...जिसपर समाज का ऊंचा तबका अपनी एक अलग राय रखता है जो सच से दूर ही प्रतीत होती है!
किताब का बैलेंस बहुत ठीक है...इसको पढ़ते हुए मनोरंजन के साथ कई सन्देश भी प्राप्त होते हैं!..कई लेखो के साथ उनसे जुडी तस्वीरो को लगाने का निर्णय सराहनीय है...इससे लेख की सुन्दरता भी बढ़ी है.
लेखक को किताब की सफलता के लिए शुभकामनायें!!!

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