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Monday, 30 December 2013

ANGAARE


 Review-"अंगारे"

"अंगारे" की कलम है...तरुण कुमार वाही-नितिन मिश्रा जी के हाथो में!
3 इन 1 मल्टीस्टारर में इससे पहले आप लोगों ने "रक्तबीज" का सफ़र किया था..जिसमे डोगा,परमाणु के अलावा भेड़िया था! "अंगारे" में भेड़िया की जगह पर “नारी शक्ति” लम्बे समय बाद वापस आई है! इस समानता से आप यह ना समझिये कि "अंगारे" की कहानी रक्तबीज का कोई सीक्वल या प्रीक्वल है! कहानी अलग और सिंगल है!

"अंगारे'' का कथानक चलता है..मुंबई को केंद्र में रखते हुए! मुंबई में बैठे हुए 26/11 के गुनाहगारों से जुड़े हुए कुछ तार शक्ति को विचलित कर देते हैं! जिसके बाद वो कुछ ऐसे कदम उठा लेती है...जिनके रास्ते में उसकी भिडंत परमाणु से हो जाती है!
आतंकवाद एक बार फिर से बायोलॉजिकल वेपन्स को अपना हथियार बनाये हुए है!
मुंबई में हो रही इस जंग में अब एक तरफ शक्ति और डोगा हैं..वहीँ दूसरी ओर परमाणु अकेले इन दोनों के रास्ते में खड़ा है! कहानी का अंत क्या होता है..यह बताने की जरूरत नहीं है! सत्य की जीत..आपको सिर्फ यह जानना रह जाता है कि इस बार जीत में किन नए तरीकों का इस्तेमाल हुआ है!

“शक्ति”- कहानी की मुख्य किरदार लम्बे समय बाद वापसी कर रही “शक्ति” है! अच्छा लगता है कि उसको प्रमुखता दी गई है...इसके पीछे वज़ह उसका बड़ा फैन होने से ज्यादा यह लगता है कि बार-बार वही घिसे-पिटे हीरोज को देखकर हो रही उकताहट में पुरानी चीज़ भी नयी दिखने लगती है!शक्ति के बारे में पाठकों के दिमाग में एक छवि बनी हुई है..कि वो हालात को देखकर नहीं..सिर्फ अपने तर्कों पर फैसले करती है! उसकी इस कट्टर छवि को अंगारे में तोडा गया है! अब वो सही मायने में ज़िम्मेदार सुपर हीरोइन नज़र आ रही है! जिस तरह से वो step by step कहानी में आगे बढती है..वो अभूतपूर्व है! सबसे अच्छी चीज़ उसके संवाद बहुत सही प्रयुक्त हुए हैं! पहले जहाँ उसके अन्दर से हावी होने की कोशिशें नज़र आती थी..वहीँ अब समयानूकूल प्रतीत होते हैं! लेखकों ने शक्ति पर अच्छा नियंत्रण दिखाया है!

परमाणु- अब परमाणु के लिए यह कहना भी बेकार है कि वो बुरे दिनों से गुजर रहा है...बल्कि यह कहना चाहिए कि बुरे सालों से गुजर रहा है...एक महान हीरो होने के बावजूद आज के हालात में परमाणु सिर्फ मल्टीस्टारर में हिस्सा बनने तक सीमित रह गया है! ऐसी हालात में क्यूंकि उसके रोल्स में एक्शन ही प्रमुखता से उभरता है....इसलिए लेखकों ने उसी पर जोर रखा है! "अंगारे'' में परमाणु को एक नई पॉवर से नवाज़ा गया है...जो काफी उपयोगी है! अगर यह पॉवर ना दी जाती..तो शायद कहानी में सत्य की हार हो जाती..अब कहानी में जीतने के लिए नई पावर्स की जरूरत होना..या पहले से ऐसी पावर्स भविष्य के हिसाब से बनाये जाना...बहस का मुद्दा हो सकता है..लेकिन राज कॉमिक्स के इतिहास को देखते हुए यह नई पॉवर जरूर आकर्षित करने लायक है!
कहानी के किरदार के रूप में परमाणु जानकारियों के अभाव में भटका हुआ है..जिससे सही निर्णयों से दूर दिखता है! फिर भी कहानी में अपनी छाप छोड़ने में सफल रहा है!

डोगा- डोगा कहानी में इसलिए है,क्यूंकि कहानी मुंबई में चलती है...यह विचारणीय प्रश्न है कि 26/11 और किसी के लिए फायदेमंद रहा हो या ना रहा हो...डोगा के लिए बहुत रहा है!
एक ऐसी कहानी जहाँ सभी सुपर पावर्स लेकर घूम रहे हैं...उसमे डोगा की मौजूदगी कई दफा हास्यास्पद बन जाती है...इसको बैलेंस करने के लिए...डोगा के गुस्से,उसके जूनून,आक्रोश और लड़ने के जज्बे पर लेखक ध्यान केन्द्रित करते हैं! कहानी के मारधाड़ वाले कई दृश्यों में डोगा कमजोर पड़ता दिखता है..लेकिन ऐन वक़्त पर शक्ति का साथ.. उसको मुसीबतों से निकाल लेता है! अगर देखा जाए कि “एक से भले दो” के फलसफे के साथ डोगा की “स्टार पॉवर” का कहानी में इस्तेमाल हुआ है!
26/11 के आखिरी जिंदा बचे आरोपी(जो कि अब फांसी चढ़ चुका है) को डोगा इससे पहले DOGA DIARIES की एक कहानी में जहन्नुम पहुँचाने के बाद एक बार फिर से मारता दिखा है..उम्मीद है...इस बार उसकी मौत आखिरी दफा हुई है...जिसको RC आगे तीसरी बार नहीं दिखायेगी!

इस कहानी की खलनायिका है..मैडम फॉक्स,जिसको आप 20 वर्ष पहले “हाहाकार”(परमाण
ु सीरीज) में पढ़ चुके हैं! पुराने गुमशुदा खलनायको को राज कॉमिक्स धीरे-धीरे वापस लेकर आ रही है..यह स्वागतयोग्य है!
इससे नए पाठको की रूचि इन् खलनायकों की शुरुआत जानने में बढ़ेगी!

कहानी के तार 26/11 हमले के बाद से जुड़े हैं..जो हमलावरों के मंसूबो को विस्तार देकर बनाये गए हैं...यानी आपको आतंकवाद का वैज्ञानिक रूप रंग देखने को मिलता है!

कहानी-4/5
आर्टवर्क-4.5/5

आखिरकार राज कॉमिक्स ने पाठकों की लम्बे समय से चली आ रही इच्छा को पूरा किया है..सुशांत पंडा जी को मुख्यधारा की एक्शन कॉमिक्स सौंपकर! सुशांत जी ने भी अपनी ओर से सुंदर काम देने में कोर-कसार बाकी नहीं रखी है! शक्ति का नया लुक मन को मोह देने वाला है..वो बहुत सुंदर दिखी है! परमाणु को आप लोग सालों बाद पुराने रूप के करीब देख पायेंगे! पेज-20 पर विनय ऐसा लगता है...जैसा मनु जी अपने समय में बनाते थे! डोगा और मैडम फॉक्स भी उम्दा बने हैं!
अंगारे एक्शन कॉमिक्स है...इसलिए इस तराजू पर भी आर्टवर्क खरा उतरा है...टाइगर हिल्स पर जो एक्शन हुआ..वो लाजवाब बना है!
सुशांत जी की मेहनत को चार-चाँद लगाये हैं...विनोद कुमार जी की इंकिंग ने! जो आर्टवर्क की प्रमुख विशेषताओं में से एक है! बहुत ही साफ़-सुथरा और किसी गैर जरूरी अन्धकार से मुक्त आर्टवर्क करके विनोद जी ने प्रशंषात्मक काम दिया है!

आर्टवर्क की दृष्टि से "अंगारे'' इस सेट में सबसे आगे रही है! सुशांत जी को आगे भी एक्शन कॉमिक्स दी जानी चाहिए!

बसंत जी के इफेक्ट्स और नीरू जी को शब्दांकन के लिए A+

"अंगारे'' 26/11 की घटना का एक काल्पनिक विस्तार है..इसलिए देशप्रेम से शुरू होकर आतंकवाद के मुहं पर तमाचा जड़ते हुए समाप्त होती है! सिंगल पार्ट में होना इसका मजबूत पक्ष है..इससे ज्यादा लम्बी होना नुकसानदेह हो सकता है..खैर ऐसा हुआ नहीं..जो अच्छी बात है!
कॉमिक्स आपको पूरा मनोरंजन देगी..एन्जॉय करें!

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