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Monday, 30 December 2013

CHANDULAL


 Review-"चंदूलाल
"
चंदूलाल है एक ऐसी हास्य कथा जिसका केंद्र बिंदु है करवा-चौथ व्रत!
बांकेलाल सीरीज़ में करवा चौथ पर आधारित कई चित्रकथाएं लिखी जा चुकी हैं..जिनकी यही थीम मिलती है! यानी महारानी के व्रत भंग से महाराज की मृत्यु देखने का बांकेलाल का सपना सफल हो जाए!
थीम को अलग रखकर देखें तो प्रस्तुतीकरण नया है! कथा का नाम चंदूलाल पर जरूर है..लेकिन उसका किरदार अंत के कुछ पन्नों पर ही आता है! मुख्यतः कहानी, महल के अन्दर बांकेलाल द्वारा महारानी का व्रत तुडवाने की कोशिशों तथा विक्रम द्वारा व्रत को बचाने की चेष्टाओं के इर्द गिर्द चक्कर काटती रहती है!
40 पन्नों की इस कॉमिक्स की सबसे बड़ी मजबूती इसके संवादों में छिपी है! कम पन्नों में बहुत सरलता से एक बड़ी कहानी को पिरोया गया है! बांकेलाल की पिछली कुछ कॉमिक्स सबसे बड़ा सबक उन् लेखकों को दे रही हैं..जो कि 2-4 लाइन्स की थीम पर कई-कई पार्ट्स पाठको को जबरदस्ती थमाने के लिए लालायित नज़र आते हैं!
तरुण कुमार वाही–अनुराग जी चंदूलाल में 15 सालो पहले वाला स्वाद भरने में सफल नज़र आते हैं! इतनी कसी हुई,तेज़ गति से चलती कहानी पढ़कर हास्य प्रेमियों का मन गदगद कर उठता है...आप इस चीज़ को जरूर ध्यान में रखें, कि संवाद अधिक होने के बावजूद भी कहानी रफ़्तार से चलती है..यही लेखकों की विजय है!
यह कहानी विशेषकर उन् पाठको को पसंद आएगी...जो पत्नी व्रता हैं...या उन कुंवारों को जो शादी करने की अभिलाषा रखते हैं!
कहानी के कुछ बिंदु जो आकर्षक है...जैसे- दरबारियों का नृत्य प्रेम,मरखप-बांके संवाद,कुटनी के कुटिल वचनों की बरसात,शान्ति भवन प्रसंग तथा अजीबोगरीब देव व ऋषि!

कहानी-4.5/5
चित्रांकन-4.5/5

कहानी के मूड को भांपता गुदगुदाता चित्रांकन सुशांत पंडा जी का है..हास्य कॉमिक्स में सबसे बड़ी विशेषता लगनी चाहिए कि किरदारों के संवाद पर उनके चेहरे की भाव भंगिमाएं सटीक बैठें...इस कसौटी पर आर्टवर्क खरा उतरा है..उम्मीद है सभी को पसंद आएगा!
बसंत जी के इफेक्ट्स एवं फ्रेंको की इंकिंग है!

आखिर में चंदूलाल में जो स्तरीय काम राज कॉमिक्स ने दिया है..वही आगे जारी रखे...चंदूलाल का मनोरंजनात्मक पक्ष काफी मजबूत है! निसंदेह मनोरंजन की दृष्टि से यह अपने सेट में सबसे बेहतर साबित हुई है!

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