Review- हाइबरनेशन
(2015)
62 Pages/209 Panels (Avg. 3 ½ Panels per page).
Genre-Action,
Sci-Fi,Suspence-Thriller
Main character(s)- इंस्पेक्टर स्टील,श्वेता,अनीस,नताशा,रोबो,ध्रुव,ब्लैक कैट!
Short Synopsis-
राजनगर रक्षक का आनंद
ले चुके पाठको को अब उसका दूसरा भाग हाइबरनेशन मिल गया है! "राजनगर
रक्षक" एक ऐसी कहानी थी जिसमे क्या हो रहा है..कौन क्या कर रहा है..इसका
अंदाजा लगना नामुमकिन हो गया था! इसलिए हमें उम्मीद थी कि शायद दूसरे भाग में कम
से कम हाइबरनेशन के बारे में लेखिका कुछ अहम् खुलासे कर सकती हैं! (आखिर नाम
हाइबरनेशन जो रखा हुआ है!) परन्तु इस भाग में भी कहानी ज्यादा कुछ खुलती प्रतीत
नहीं होती है! यानी हम पाठको से यही कह सकते हैं कि भाइयों अभी दिल्ली दूर है!
अगला पड़ाव राजनगर
रीबूट नाम से आने वाला है...और हमारी यही उम्मीद है कि उसके बाद भी पार्ट्स हो
सकते हैं! मतलब कहानी अभी काफी सफ़र तय करने वाली है...जो अगले साल के उत्तरार्ध तक
चलने की पूरी सम्भावना है!
अब तक 120 पेज की
कहानी हो चुकी है! और इतने पेजों में मुख्य बातें जो खुली हैं वो इस प्रकार हैं-
@राजनगर तबाह होकर
हाइबरनेशन बन गया है! (क्यूँ,कैसें,कब,कहाँ जैसे सवाल अनुत्तरित ही हैं!)
@स्टील हीरो से
विलेन बन गया है और ध्रुव उसके चंगुल में आ गया है!
@रोबो और दूसरे
विलेन अपनी-अपनी महत्वकांशाओ में डूबे हुए हैं!
बाकी जो बातें
हैं..वो साइड-स्टोरी की तरह चल रही हैं! उनमे कुछ खोला या जोड़ा नहीं जा रहा!
कहानी वहीँ से शुरू
होती है जहाँ रुकी थी...मैकेनिक और स्टील के बीच द्वन्द पूरा होता है! फिर ध्रुव
और श्वेता पर एक हमला...फिर कहानी कुछ नए और काफी सारे पुराने अलग-अलग किस्सों को
दिखाते हुए आगे बढती जाती है...कभी आप Past
में होते हैं कभी Present में...एक-एक बात को
तो यहाँ पर नहीं बताया जा सकता...मोटे तौर पर यह कह सकते हैं कि कहानी का सारा
सस्पेंस “अमर जवान ज्योति” की तरह शान
से धधक रहा है!
किरदारों पर नज़र-
ध्रुव- हाइबरनेशन में
ध्रुव का रोल बहुत कम है...10-12 पेजों में वो नज़र आता है! यहाँ भी वो एक्शन और confusion से भरा हुआ दिख रहा है!
अनीस रजा- अनीस का
रोल अहम् है..लेकिन उतना ही है जितना कहानी में जरूरतों को पूरा कर सके! मैकेनिक
को हराने के अलावा वो फिलहाल अपहृत हो चुका है!
श्वेता/चंडिका-
श्वेता का रोल अनीस रजा के बराबर ही है...बाकी अंत में चंडिका के रूप में थोड़ी
कूदफांद कर लेती है!
रोबो- कुर्सी पर बैठे
रोबो का रोल इतना है कि वो इशारों में बता जाते हैं कि भाइयों मुझसे लेखको को अति
प्रेम है..मेरे बिना कोई कहानी बन ही नहीं सकती! बोलो जय माता दी! मतलब आपको पिछली
कई सीरीज की तरह से इस सीरीज में भी रोबो को देखना ही पड़ेगा!
नताशा- लेखिका ने
गदगद कर दिया हमें...जब हम नताशा को इस कॉमिक्स में देखते हैं! शानदार और जबरदस्त
रोल है नताशा का! मैं तेरी दुश्मन..दुश्मन तू मेरा..मैं नागिन तू सपेरा! हम आगे भी
नताशा को ऐसे ही देखने के बड़े उत्सुक हैं! (y)
सलमा खान- सलमा का
रोल फिलहाल मुहं दिखाई तक ही रहा है...ज्यादा नहीं है..पर उसको वापस देखना अच्छा
लगता है!
स्टील- हाइबरनेशन
पूरी तरह से स्टील के कंधो पर टिकी हुई है...और हमें लगता है कि उसके कंधे काफी
मजबूत हैं..जो इस कहानी को उठा सकने में सक्षम हैं! स्टील एक्शन,इमोशन,नेगेटिव,पॉजिटिव, फ़र्ज़ की मशीन,कानून
का दुश्मन हर तरह के सतरंगी रंग दिखा रहा है! उसको देखना अद्भुत लग रहा है!
कहानी के मजबूत पक्ष-
शुरुआत के 35 पेज भूल
जाइए....36 नंबर के पेज से कहानी असल मुद्दे पर वापस आती है... वही से कहानी को
मजबूती मिलनी शुरू होती है! इंस्पेक्टर स्टील यहाँ पर 2 शख्सियत से जूझ रहा है!
कभी वो शांत नज़र आता है..कभी उग्र हो जाता है! यहाँ पर रोबो और वंडर वुमन के बीच अच्छे
पन्ने हैं..और अंत में octopussy vs Steel के बीच जो दिखाया जाता है..वो शानदार मनोरंजन करता है! यह सिर्फ स्टील के fans
को महसूस होने वाली बातें हैं! जो पाठक स्टील को नहीं जानते उनके
बारे में हम यही कहेंगे कि स्टील को भी जानने की कोशिश करें..तभी इस कहानी का आनंद
मिल पायेगा!
हाइबरनेशन में वो सब
है जो राजनगर रक्षक में नहीं था...साथ ही इसमें वो सब नहीं भी है..जो राजनगर रक्षक
में था! जैसे वो परग्रही एलियन इस भाग में गायब है! ऐसे में कहा जा सकता है कि आगे
का इंतज़ार करने के लिए कहानी का एक विस्तृत आधार बन चुका है!
कॉमिक्स क्यूँ पढ़ें-
1-स्टील और मैकेनिक
सालों बाद नज़र आते हैं...हाँ उनके बीच की लड़ाई वैसी नहीं हो पाई जैसी उम्मीद करी
जाती है..पर ठीक ठाक थी!
2- श्वेता का ध्रुव
से बहस करना और उसके लिए अपना प्रेम दिखाना द्रवित कर देता है! भाई-बहन के बीच ऐसे
पल आते रहने चाहिए जहाँ वो अपने दिल की बातें जुबान पर ले आते हैं!
3- लेखिका बधाई की
पात्र हैं कि उन्होंने पाठकों को नताशा और ध्रुव के बीच जो असल सच्चाई है..उसको
दिखाने का साहस किया है! अनुपम जी ऐसी बातों को हमेशा टालते रहे हैं..लेकिन नए
लेखक इसपर विचार देते जा रहे हैं! पेज-21 इस कॉमिक्स में एक नगीने की तरह चमक लाया
है! जिससे कई अपराधी प्रवृति के व्यक्तियों के समर्थक पाठको को निराशा होने वाली
है!
4- पेज-26 से लेकर 33
तक काफी अच्छे और उत्साहित करने वाले पन्ने हैं...नताशा को एक बार फिर से उसके
असली रूप से लेखिका ने परिचित करवाया है! जो उसकी पहचान और किस्मत है! इन पन्नो से
अति आनंद मिलता है!
1- पेज 36-41 पहली बार स्टील के अन्दर छुपे
जज्बातों को बाहर लाने का काम करते हैं! ऐसी नयी बातें दिखाई जाती रहे तो कहानी
अच्छी लगती है!
2- अंत के पन्ने एक्शन और इमोशन के बीच लिखे गए
हैं! इसलिए उनका काफी महत्व रहता है!
तो आपके पास यह 7
वजहें हैं जो हाइबरनेशन को अच्छा बनाती हैं!
कहानी के कमजोर पक्ष-
कहानी वैसे उस स्टेज
में नहीं है कि बहुत ज्यादा तार्किक और अतार्किक देखा जा सके! कुछ छोटी बातें जरूर
नज़र आती हैं..जिन्हें दूर किया जाता तो कहानी बेहतर हो जाती! यह 2 भाग का आधार 120
पन्नो की जगह कुछ कांट-छांट करके कम भी किया जा सकता था...यहाँ पर एडिटिंग का पक्ष
कॉमिक्स की एक बड़ी टेक्निकल रूप से कमजोर कड़ी है!
1- पेज 3 पर मैकेनिक स्टील के ऊपर कुछ डिवाइस
फेंकता है..जिनको स्टील अपने शरीर में प्रवाहित होते 440V के करंट से नष्ट कर देता है...लेकिन तुरंत
ही मैकेनिक अपना दूसरा Accelerator Device उसी 440V
current के होते हुए स्टील के बाजू पर चिपका देता है..जिसको स्टील
हटा नहीं पाता!
यहाँ पर 2 बातें आती
हैं- पहली - Accelerator Device करंट द्वारा नष्ट हो जाना चाहिए था क्यूंकि मैकेनिक को पहले से नहीं पता
था कि स्टील की बॉडी में ऐसा 440V का कोई फंक्शन है..जिसको
ध्यान में रखकर वो अपने device को इतना हाई वोल्टेज झेलने
लायक बनाकर आता!
पर चलिए हो सकता है
संयोग से उसका Device करंट झेल
गया...लेकिन जो Accelerator Device निर्जीव ट्रक और कार को
अनियंत्रित कर देता है..क्यूंकि इन सबके अन्दर मैकेनिकल/इलेक्टिकल पॉवर होती
हैं....वही चीज़ स्टील के सभी अंगों को कैसे अनियंत्रित कर गई...जबकि स्टील का हर
बॉडी पार्ट कंप्यूटराइज्ड है..उसमे दिमाग द्वारा कमांड्स और इंस्ट्रक्शन देने पर
ही वो चलते हैं! कुछ ही देर बाद अनीस रजा स्टील के ऊपर ड्रोन द्वारा ड्रिलिंग करके
उसके कंप्यूटराइज्ड सिस्टम को रिबूट कर देता है! अगर आप यह दिखाते कि किसी नए Device
के कारण स्टील का दिमाग अनियंत्रित हो गया..जिसकी वज़ह से उसके
हाथ-पैरों पर से कण्ट्रोल हट गया..वो ज्यादा सहमती लायक होता..बजाय यह दिखाने के
कि दिमाग नियंत्रित है...लेकिन शरीर नहीं! अनीस रजा ने जहाँ तक हमारी जानकारी
है....स्टील को इस तरह से बनाया था कि अमर का दिमाग स्टील का हर बॉडी पार्ट को
कण्ट्रोल करता है! राजनगर रक्षक में भी आपने दिखाया था कि स्टील अपना एक हाथ शरीर
से अलग करके गुंडों पर गोलीबारी करता है! यानी कमांड देना दिमाग से जुडी चीज़ है!
अगर मैकेनिक एक डिवाइस से स्टील के पूरे शरीर को नचा सकता तो यह काम वो पहले
सदियों पहले कर चुका होता या तब जब उसको स्टील के अन्दर के पूरे कंप्यूटराइज्ड
सिस्टम के कोड्स का पता होता जो नामुमकिन है!
एक्शन सीन में
जीत-हार दिखाने वाले पहलु पर थोडा और अधिक ध्यान दें!
2- यह पॉइंट सुशांत जी के लिए है! पेज 5 पर रजनी
मेहरा को अत्यधिक दुबली-पतली बनाया गया है! यह कहानी क्यूंकि 5 साल आगे की
है..इसलिए रजनी मेहरा बालचरित से भी ज्यादा बुढिया हो जायेंगी..पर आप उन्हें बढती
उम्र के साथ जवान करते जा रहे हैं! कृपया उन्हें उसी तरह बनाएं..जैसी अनुपम जी ने
उन्हें बनाया है! चेहरे पर झुर्रियां और बालों में कुछ सफेदी दिखने से रजनी मेहरा
आपके ऊपर केस नहीं ठोक देंगी!
3- पेज 6 पर कमिश्नर राजन मेहरा जो पुलिस के
उच्च अधिकारी है...उनके घर में मेटालिका द्वारा भयंकर उत्पात,तोड़-फोड़ करने के बाद भी वहां पुलिस का एक
हवलदार तक नहीं दिखाया गया...यह तो बहुत ही संगीन त्रुटी है! बालचरित में जहाँ
अनुपम जी दिखाते हैं कि कमिश्नर राजन मेहरा का करोडो का बंगला किसी अभेद्य दुर्ग
जैसा है...5 साल आगे की कहानी में आप दिखाते हैं कि नहीं...वो बंगला तो सुनसान जगह
पर मौजूद है...विलेन आराम से घुस जाता है! आधे घंटे लड़ाई चलती है..पर बाहरी दुनिया
से कोई तांकझाक प्रेमी पडोसी तक अपना सुपर
हीरो जिंदा है कि लुढ़क गया..देखने तक नहीं आता! अब इसको क्या कहें?
4- बहुत दुखद था यह देखना कि Women Empowerment के नाम पर आपने महान
खलनायक फरसा को नताशा जैसी एक लड़की के हाथो सिर्फ 3-4 लातें खाकर बेहोश दिखा दिया!
लातें तो उसको स्टील ने भी किसी ज़माने में 50 भारी-भरकम मारी थी..मगर वो तब तो
बेहोश नहीं हुआ? हमें यह बात समझ नहीं आती कि 2 लोगों के
लड़ने के बीच हार-जीत आप किस तरह से दिखाना चाहते हैं! इसी पेज पर हैमर भी आता
है..और अपने बड़े हथौड़े से नताशा की पीठ पर इतना जोरदार वार करता है कि उसकी पीठ की
पसलियाँ और रीढ़ की हड्डी में दरार आ जानी चाहिए थी...मगर वो लगभग तुरंत ही अपने
पैरो पर खड़ी दिखाई दे जाती है!
मतलब ???
फरसा इतना कमजोर है
कि नताशा के 4 वार में ज़मीन सूंघ जाए और नताशा इतनी हट्टी-कट्टी है कि हैमर को झेल
जाए!
आपको यह बात सोचनी
चाहिए कि आपके दिखाए जा रहे एक्शन सीन बहुत ज्यादा कमजोर हैं और इन बातों पर ध्यान
देना लेखिका के साथ संपादको का भी दायित्व है!
5- पेज 57 में आपने एक बड़ी गलत चीज़ दिखाई है कि
ब्लैक कैट को टॉप मोस्ट क्रिमिनल्स में से एक बताया है! अब आप अनुपम सिन्हा जी की
कॉमिक्स के तथ्य बदलना शुरू कर रहे हैं! “हत्यारा कौन” कॉमिक्स के अन्दर साफ़-साफ़ बताया गया है
कि अपने पुराने गुनाहों के लिए ब्लैक कैट को जेल भेजा जा चुका था...और उसके बाद वो
सर्कस कॉमिक्स में वापस आकर एक नई जिंदगी शुरू कर चुकी है! आपने इस कॉमिक्स में भी
साफ़-साफ़ बताया है कि सभी ड्रोन अगर
क्रिमिनल पर अटैक करते हैं...वो उसके DNA को मैच करते
हैं...ऐसे में अगर ब्लैक कैट का DNA उनके पास है..तो वो
आसानी से उसके तार ऋचा से जोड़ सकते हैं! यानी ऋचा की identity को खतरा उत्पन्न हो जाता है! कुल मिलाकर आपने अपनी ही बातों को काट दिया
है...अगर आप यह दिखा रहा हैं कि ब्लैक कैट क्रिमिनल है..तो आपको यह दिखाना चाहिए
कि ऋचा का ब्लैक कैट वाला राज़ भी सबके ऊपर खुला हुआ है! असल में आपने ब्लैक कैट को
क्रिमिनल लिस्ट में बताकर ही गलती कर दी है! इसको अगर हो सके तो किसी तरह अगले
भागो में सुधारने की कोशिश करें! कोई ऐसा justification देकर
जो अनुपम जी की कॉमिक्स से मिलता हुआ लगे! अपनी theories को
पुरानी कहानियों पर मत लादिये!
संवाद-
कॉमिक्स डायलॉग्स के
मामले में बहुत उन्नत है! भर-भर के पेनल्स में संवाद डाले गए हैं...पढने में मज़ा आ
जाता है जब इतना सारा material मिलता है! स्टील के लड़ाई वाले भागों में कुछ भारी-भरकम एक्शन दृश्य लिखे
गए हैं...लेकिन बाकी कहानी सपाट और संतुलित नज़र आती है! संवादों की कुशलता इस
कॉमिक्स का एक उल्लेखनीय पहलु है!
कॉमिक्स का एक अन्य
कमजोर पक्ष भी है तो वो इसका आर्टवर्क है! राजनगर रक्षक में जहाँ सुशांत जी का
अकेला चित्रांकन था...इसमें रवि आनंद के अलावा कई inkers को जोड़ा गया है..परिणाम यह निकला कि कुछ पन्ने अच्छे बन
गए...और ज्यादातर पन्ने औसत से भी निम्न दर्जे के नज़र आते हैं!
पेज 1-4 ठीक ठाक!
पेज 5-8 अति निम्न!
पेज 9-13 औसत!
पेज 14-30 अति निम्न!
पेज 31 ठीक ठाक!
पेज 32-34 औसत!
पेज 35-41 ठीक ठाक!
पेज 42-46 अति निम्न!
पेज 47-53 ठीक ठाक!
पेज 54-62 अति निम्न!
हमें नहीं पता कि कौन
से पेज में किस इंकर ने अपनी प्रतिभा का जलवा बिखेरा है! सिर्फ विनोद कुमार जी की
इंकिंग हम पहचान सकते हैं...और ठीक ठाक लगने वाला आर्टवर्क उन्ही में है! बाकी inkers को तो बहुत ज्यादा मेहनत करने की
जरूरत है...क्यूंकि अगर सुपर कमांडो ध्रुव की सीरीज में इतना खराब आर्टवर्क वो बना
रहे हैं..तो हम यही कहेंगे कि राज कॉमिक्स में काम का स्तर दिनों दिन गिरता जा रहा
है!
रंग संयोजन का पक्ष
भी औसत दर्जे का है! कोई कमाल का इफ़ेक्ट या रंगों रोंगन नज़र नहीं आता...जिसको यहाँ
लिखा जा सके!
हाइबरनेशन निसंदेह इस
सेट की सबसे अग्रणी कॉमिक्स है! लेकिन इसमें भी पूर्ण मनोरंजन मिल नहीं पाता!
कहानी में सबकुछ अबूझ पहेली बना हुआ है..और आर्टवर्क माशाअल्लाह है! हमारा यही
कहना है कि सीरीज का एक पार्ट होने के अलावा फिलहाल यह ज्यादा प्रासंगिक नहीं
दिखती! बेशक आपको यह लेनी चाहिए क्यूंकि स्टील की कॉमिक्स सालों में एक बार नसीब
होती है! बाकी बातें अगले भाग में!
Ratings :
Story...★★★★★★☆☆☆☆
Art......★★★★☆☆☆☆☆☆
Entertainment……★★★★★☆☆☆☆☆
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