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Wednesday 26 August 2015

PARKAALO KI DHARTI


Review- परकालों की धरती (2015)
25 Pages/65 Panels (Approx. 2 ½ Panels per page).
Genre-Sci-Fi,Action-Adventure
Main character(s)- ध्रुव,परमाणु.भेड़िया,शक्ति,डोगा,इंस्पेक्टर स्टील!

Short Synopsis-
आखिरी सीरीज का दूसरा भाग आपके हाथो में है! कहानी का सार यह है कि किसी अज्ञात घटना की वज़ह से पूरे ब्रह्माण्ड के हर ग्रह से प्राणियों का ट्रान्सफर यहाँ से वहां हो रहा है! अब हमारे जो सुपर हीरो कहीं और पहुँच गए हैं..वो वहां के एलियंस से लड़ रहे हैं और जो एलियंस धरती पर आ गए हैं..उनसे पिछले भाग में ध्रुव और परमाणु लड़ चुके ही हैं! इतनी सी काम की बात अब तक दिखाई गई है! बाकी सिर्फ एक्शन चल रहा है!
कहानी की रफ़्तार बहुत सुस्त है...पहला पेज पूर्वसार लिखने के लिए अर्पित किया गया है! दूसरे पेज से 9वे पेज तक भेड़िया-शक्ति कहीं किसी ग्रह पर एक्शन में लिप्त हैं! उसके बाद परमाणु-ध्रुव यहीं एक्शन से त्रस्त हैं! और अंत के 4 पन्नो में डोगा-स्टील एक्शन में व्यस्त हैं! कहानी में सभी हीरो कहीं न कहीं अस्त-व्यस्त हैं!
1-    आपने अगर पहले कभी भेड़िया को गदा घुमाते ना देखा हो!
2-    अगर आपने पहले कभी परमाणु को उल्कायें गिरने से रोकते ना देखा हो!
3-    आपने पहले स्टील और डोगा को गोलीबारी करते ना देखा हो!
तो यह कॉमिक्स आपके लिए ही बनाई गई है!

कहानी कैसी है?
इसमें कोई कहानी है भी फिलहाल अभी नज़र नहीं आ रहा! अगर एक्शन सीन को कहानी कहते हैं तो हाँ इसमें बहुत सारी कहानी है! एक्शन में कहानी खोजना अभी मुमकिन नहीं दिख रहा! तो लेखक जब कहानी के दर्शन करवाएंगे तो कुछ कहना ठीक होगा! तब तक शुद्ध हिंसा का आनंद प्राप्त करें और दूसरो को भी दें!

हिंसा से अलग वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर एक  अद्भुत नज़ारा इस कॉमिक्स में दिखाया गया है! परमाणु जिसकी सभी शक्तियां amplify हो चुकी हैं! (कितनी?.. यह मत पूछना)  वो उल्काओं को लेकर सूर्य के पास पहुंचकर भी वापस धरती पर बिना तंदूरी चिकन बने लौट आता है....लेकिन बेचारा सिर्फ बेहोश हुआ है! अद्भुत पराक्रम था यह! हमने यही पढ़ा था कि उसकी एस्बेस्टस की पोशाक आम हालातों में लगने वाली आग से उसका बचाव कर सकती है...लेकिन लेखक ने यहाँ एक तरफ लिखा है कि परमाणु को 100 सूर्य के बराबर गर्मी लग रही थी..लेकिन दूसरी तरफ उसकी पोशाक उसको बचाए हुई भी है! अब हम यह प्रश्न करेंगे कि AMPLIFY तो सिर्फ उसकी परमाणु शक्तियां हुई हैं....लेकिन एस्बेस्टस की पोशाक तो उसकी परमाणु शक्ति के अंडर नहीं आती...तो क्या उसकी पोशाक भी 100 सूर्यों की गर्मी झेलने लायक हो गई है? वो पोशाक उसकी आँखें,नाक और मुहं की आम खाल की रक्षा नहीं कर सकती थी...पर उसका तो लगता है एक रोयां तक नहीं उखड़ा! लेखक की कल्पना रुपी कलम से हुई विज्ञान के कागज़ की इस हत्या को सलाम!

आर्टवर्क-

धीरज जी ने जैसा आर्ट पिछले भाग में दिया था..वही यहाँ भी जारी है! फर्क सिर्फ इतना है कि यहाँ उनका पसंदीदा हीरो भेड़िया दिखाया गया है इसलिए उसके जो शुरू के 8 पेज हैं...वो अच्छे बने हैं! अच्छे से मतलब बहुत अच्छे भी नहीं लेकिन पुराने भेड़िया जैसे बना दिए हैं! इंकिंग नहीं है इसलिए परफेक्ट नहीं हैं! कवर बहुत शानदार बना है! उसपर कलरिंग अच्छी है! भेड़िया का एंट्री वाला फुल पेज बढ़िया है! शक्ति जब Backpose में एंट्री करती है...वो पेज भी अच्छा है! पेज 10 से वापस परमाणु-ध्रुव आ जाते हैं तो काम ढुलक जाता है! मतलब आप परमाणु की पीली ड्रेस पर देखिये...कितने काले रंग से पेंसिल मार्क्स मारे गए हैं..कि लगता है कि ड्रेस ही चिर्र्र्रर्र्र होकर कटी-फटी है! चलिए भेड़िया तो आधा नंगा घूमता है...और बालों से उसपर फर्क नहीं पड़ता..लेकिन ध्रुव और परमाणु पर ऐसे स्ट्रोक्स बहुत बुरे लगते हैं! अंत में पेज 22-25 के 4 पेज में डोगा(जिसको धीरज जी ने कभी अच्छा नहीं बनाया) और स्टील के चेहरे दिखाकर कहानी अल्पविराम हो जाती है! भक्त रंजन जी ने थोड़ी कोशिश करी है..रंगों से आर्ट में जान डालने की...खासकर सूर्य और उल्काओं वाले सीन! ओवरआल आर्टवर्क एवरेज है!

एक चीज़ और कि इस बार कॉमिक्स में पेनल संख्या और कम हो गई है...पिछले भाग में जहाँ 87 पेनल थे..इस भाग में सिर्फ 65 रह गए हैं! 25 में से 4 फुल पेज और कई 2 पेनल पेज इसका कारण रहे हैं! कुल मिलाकर एक छोटी कहानी जो पढने में 12-15 मिनट लेती है!

टिप्पणी- अब आपके पास इस कहानी के 50 पन्ने हो चुके हैं! कहानी में अभी प्रस्तावना ही चल रही है! इधर के इंसान दूसरे ग्रहों पर और वहां के एलियन धरती पर आ गए हैं! इतनी सी बात बताने के लिए 2 जनरल कॉमिक्स निकाल दी गई! अब वक़्त है कि लेखक कहानी को रफ़्तार दें! आगे के 25 पन्नो का इंतज़ार करिए जिसमे डोगा और स्टील मारधाड़ करते दिखेंगे!

Ratings :
Story...★★★☆☆☆☆☆☆☆
Art......★★★★★☆☆☆☆☆
Entertainment……★★★★☆☆☆☆☆☆

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