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Thursday, 27 November 2014

Review : Happy New Year (2014)

warriorsstrike.blogspot.in/2014/11/review-happy-new-year-2014.html
हैप्पी न्यू ईयर देखी!
कहानी सबको पता है! उसको बताने का तुक नहीं बनता! हम यह बताते हैं कि हमें कैसा फील हो रहा था!
2 महीने पहले Ocean's Trilogy के बारे में यहाँ लिखा था..और यह आधी से ज्यादा फिल्म उसके थीम पर ही बनाई गई है! अब कहने वाले कह सकते हैं..कि दोनों में कोई जुड़ाव नहीं है..पर यह सिर्फ दिल को तसल्ली देने वाली बात है! अगर आपने "हैप्पी एंडिंग" फिल्म में गोविंदा के रोल को देखा है..तो आप आसानी से समझ जायेंगे कि बॉलीवुड में कॉपी कैसे करी जाती है..और किस दर्शको के लिए वो कॉपी भी अपनाने लायक बनाई जाती है!
वैसे हमें inspiration लेने से कभी आपत्ति नहीं होती...पर अगर ली है तो मान भी लेना चाहिए! अब सारी दुनिया जानती है कि कॉपी है..और नक़ल करने वाला चिल्लाता रहे कि original आईडिया है..तो यह बेवकूफाना हरकत कही जायेगी!

खैर हैप्पी न्यू ईयर को सिर्फ भारतीय रंग देने के लिए नाच गाना...और बाप की मौत का बदला जैसी 2 ऐसी पुरानी बातें जोड़ दी गई..जो बॉलीवुड फिल्म की पहचान होती हैं!
अब बात आती है Entertainment की...तो इतनी भव्य फिल्म बनाना और उसमे आधे से ज्यादा डायलॉग्स पुरानी फिल्मो से उठाकर रख देना...बहुत घटिया हरकत थी!
भाई आप कहानी चुरा रहे हैं...तो कम से कम संवादों पर तो original काम होना चाहिए था! वो भी चलताऊ समझ कर किया गया! निर्देशिका को यह लगा होगा कि लोगों को बहुत हंसी आएगी...पर सिर् दर्द कर दिया संवादों ने!
2 ही गाने याद रहे...एक "लवली" दूसरा "हम इंडिया वाले"

अभिषेक बच्चन के किरदार में हमें कोई ख़ास बात नहीं लगी..फिल्म में जगह जगह उल्टी करना,अजीब से हाथ पैर चलने वाले डांस और नाटक को जाने क्यूँ लोग इतना बढ़ा चढ़ाकर बताते जा रहे थे..जैसे कि यह अभिषेक का बेस्ट रोल हो!
उससे बेहतर तो सोनू सूद लगे..जो कम से कम अपने किरदार के मुताबिक रहे!
बोमन ईरानी average थे..और दीपिका पादुकोण ने खुद को रिपीट ही किया है...अपनी पिछली फिल्मो की तरह!

असल में दोष फराह खान जैसो का नहीं है...यह लोग सिनेमा को सिर्फ पैसा कमाने की चीज़ मानकर फिल्म बनाते हैं! लेकिन शाहरुख़ खान जैसे बड़े अभिनेताओं को अपनी तरफ से ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए..क्यूंकि यह गलत चीज़ों को सही करवा सकते हैं!
अगर फिल्म पर मेहनत करी जाती तो सच में चाहे यह inspired होती...इसकी तारीफ होती!

जया बच्चन जी ने जो इस फिल्म के बारे में कहा था..वही सही बात है! और इस फिल्म पर उनसे ज्यादा सटीक टिप्पणी और कोई नहीं कर सकता!

फिल्म बनाने वाले तब तक अपनी अक्ल लगाकर काम नहीं करेंगे जब तक जनता ऐसी फिल्मो के जाल से बाहर नहीं आएगी! हाँ एक बात सही है कि लोग 3 घंटे मनोरंजन करने के लिए सिनेमा हाल में जाते हैं...पर यह बात किसी भी बुरे सिनेमा को अच्छा साबित नहीं कर सकती! हाँ यह कहा जा सकता है कि 3 घंटे और 300 रुपये में आप किसी चिड़ियाघर में जानवरों को देखते बिताते हुए  उनको खाना खिला देते..उसमे भी आपका 100% मनोरंजन हो जाता! कम से कम वहां से बाहर आकर आपको नकली ख़ुशी,तारीफ और झूठ बोलने की जरूरत नहीं पड़ती! क्यूंकि इस फिल्म ने भी करोडो कमाए हैं तो इसकी ख़ुशी में फराह खान आगे भी ऐसी फिल्में बनाती रहेगी जिनका इंतज़ार नहीं रहेगा!

My Ratings : ★★★☆☆☆☆☆☆☆

Friday, 21 November 2014

6-5=2 (2014) Hindi Review

6-5=2 (2014) Hindi Review

Genre- (Found Footage) Supernatural Horror
My Ratings - ★★★★★★★☆☆☆
Link-http://63download.blogspot.in/2014/11/download-6-52-hindi-bollywood-movies.html
Plot-
23 अक्टूबर 2010 को
4 लड़के हैं- सिद्धार्थ ,हर्ष लुल्ला,भानु जयराज,राजा
2 लड़कियां सुहाना और प्रिया  ट्रैकिंग के लिए ------ के जंगलों में जाते हैं! लेकिन वापस सिर्फ राजा आ पाया!
इसके 9 दिनों के बाद रेस्क्यू टीम को सिद्धार्थ का HD कैमरा जंगल में मिलता है! जिसको फिल्म की तरह दिखाया गया है!
जंगल में शुरूआती 2 दिनों के वक़्त में इनके बीच आम दोस्तों की तरह की अच्छे खासे हंसी मजाक से भरे पल दर्शाए गए हैं..जिनमे सभी ने प्रकृति के मनोरम दृश्यों का मज़ा लिया है! हर्ष लुल्ला इनमे सबसे ज्यादा बातूनी बंदा है..जो शरीर से भारी भरकम भी है! उसकी वज़ह से सभी का मन लगा रहता है! सभी अपने बारे में  बातें करते हुए चलते जाते हैं... इस ट्रैकिंग जर्नी में ऐसा तय होता है कि एक पहाड़ी के टॉप पर पहुंचकर वापस स्टार्टिंग पॉइंट पर आ जायेंगे!
तीसरा दिन - दिन भर के थके सफ़र के बाद रात में जब यह लोग एक जगह रुकना तय करते हैं..तब कुछ अजीब सी चीज़ें होती हैं..आवाजें और एक पेड़ पर टंगी हुई अनगिनत कंकाल खोपड़ियाँ और वू डू गुड़ियाँ!
चौथा दिन- राजा को बुखार होता है..तो बाकी 5 लोग आगे का सफ़र उसके बिना करने का तय करते हैं! राजा वहीँ पर रुक जाता है! आखिरकार पहाड़ी के टॉप पर यह लोग पहुँच जाते हैं..लेकिन वहां अचानक से सिद्धार्थ के बैग में लगी आग की वज़ह से इनका सारा खाना जल जाता है! कई अजीबोगरीब बातें होती हैं! जिनकी वज़ह से यह लोग डर भी जाते हैं..और वापसी का रास्ता भी भटक जाते हैं!
पांचवा और अंतिम दिन- दिन भर चक्कर काटने पर भी इन्हें सही रास्ते का कुछ पता नहीं चलता! और रात होते ही सबका काम तमाम!
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इस फिल्म को क्यूंकि हैण्ड कैमरा से शूट किया गया है..इसलिए हर वक़्त इमेज इधर हिली..उधर हिली..कहीं से भी सीन शुरू कहीं पर ही ख़त्म वाला मामला है! पर अच्छी एडिटिंग की वज़ह से यह अंत में perfect देखने लायक material कही जा सकती है!
जैसा कि इसमें पेड़ पर लटकी मुण्डियाँ और डॉल्स हैं..यह फिल्म "ब्लेयर विच प्रोजेक्ट" से inspired जरूर है! जैसा कि इसके निर्देशक भी मानते हैं! इसलिए यह मुद्दा ख़त्म है!
हम यह जरूर कहेंगे..क्यूंकि इस फिल्म में होने वाले हादसों और घटनाओं का कोई पुराना explanation देना जरूरी नहीं था..इसलिए कंकाल टांगने वाले पेड़ के दृश्य  अगर ना होते..या कुछ और आईडिया डाला जाता तो यह फिल्म उनके लिए ज्यादा बेहतर कही जाती जिन्होंने "ब्लेयर विच प्रोजेक्ट" देखी हुई है!
बहरहाल अपनी Unique Genre में यह इंडियन फीलिंग के हिसाब से एक बढ़िया फिल्म बनाई गई है! 6 दोस्तों के बीच जिस तरह से शुरू में ख़ुशी और अंत में खौफ का वातावरण बन जाता है...वो युवाओं को बहुत पसंद आएगा!
ऐसी फिल्में बहुत जरूरी सन्देश भी देती हैं..कि किस तरह दुनिया भर में लोग सैर सपाटे के जरूरी नियम और कायदे के साथ सावधानी बरतें..तो उनके साथ हादसे ना हो!
सभी एक्टर्स में नेचुरल एक्टिंग करी है! खासकर हर्ष लुल्ला का किरदार आपको हमेशा याद रहेगा!
भारत में हॉरर movies बहुत कम बनती हैं! इस फिल्म ने बहुत कम समय में काफी नाम कमाया है! और काफी हद्द तक यह उस नाम के लायक है!
अंत में 6-5=2 documentry की तरह ना देखें!
फिल्म को आप अगर ऐसे देखें जैसे खुद उसके अन्दर शामिल हो..तो आपको देखने में बहुत आनंद मिलेगा!

Thursday, 20 November 2014

Kill Dill (2014) Review

Kill Dill (2014) Review
Genre- Romance/ Crime Thriller
Cast- Ranveer Singh,Ali Zafar,Parineeti Chopra & Govinda
My Ratings - ★★★★★★☆☆☆☆
Plot- कहानी 2 अनाथ लडको की है- देव (रनवीर) और  टुट्टू (अली) जिन्हें एक गैंगस्टर भैयाजी (गोविंदा) ने पाला है! अब यह दोनों उसके हेड शूटर्स हैं..यानी सुपारी किलर्स! एक दिन देव को मिलती है दिशा(परिणीती) जिसके प्यार में वो भैयाजी को छोड़ने का मन बना लेता है! भैयाजी नहीं मानते और कहते हैं..या तो मेरे साथ दारु ले  या भगवान् के साथ गंगाजल! देव अधर में लटक जाता है! तब टुट्टू देव से कहता है कि वो दिशा के साथ भी अपनी ज़िन्दगी जीता रहे..और भैयाजी के साथ भी रहने का नाटक करता चले! देव एक बीमा एजेंट की नौकरी करते हुए सब सही रखने में लगा है! लेकिन कब तक?
भैयाजी को एक दिन पता चल जाता है..वो देव को वापस लाने के चक्कर में कुछ ऐसी गलती कर देते हैं..कि अंत में खुद ही अपने दुश्मनों के हाथो टपका दिए जाते हैं!
देव के रास्ते का काँटा जब हट चुका है..तो टुट्टू भी बीमा एजेंट बनकर सच्चाई के रास्ते पर चल पड़ते हैं!
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कहानी में नया कुछ नहीं है! एक गैंगस्टर जिसने 2 बच्चे पाले...बड़े होकर वो उसके दायें-बायें हाथ बनते हैं..फिर उनको प्यार होता है..जिससे उन्हें अच्छाई का कीड़ा काट लेता है! यह कहानियां तो अमिताभ बच्चन के जमाने से हर दूसरी अंडरवर्ल्ड मूवी में होती है! यहाँ भी वही है!
कहानी पर पहला आधा भाग बहुत धीमा और उबाऊ है! वज़ह- यह हज़ारो फिल्मो में देखा जा चुका है! कॉमेडी के लिए यह फिल्म नहीं बनाई गई है..जैसा लग रहा था!
कहानी में थोडा मज़ा दूसरे भाग से आता है..जब देव नौकरी की तलाश में निकलता है!
फिल्म में देखने लायक सिर्फ देव और टुट्टू की दोस्ती है! और इनके किरदारों को समझने में मिलने वाली प्रेरणा है!
देव मासूम है..पर काम का पक्का है..क़त्ल करते हुए एकदम ठंडा रहता है!..पर उसके दिल में गरीबो के लिए प्यार है! जब उसको मौका मिलता है कि बुराई छोड़ सके तो वो पूरी कोशिश करता है! उसकी वज़ह से ही टुट्टू भी सही रास्ते पर आ जाता है! रनवीर हमेशा की तरह इस बार भी नेचुरल एक्ट करने में सफल रहे! खासकर उनका क्लीन शेव लुक काफी हटकर नज़र आता है!
टुट्टू थोडा कठोर है...पर 2 की जोड़ी में हमेशा एक बंदा ऐसा ही मिलता है! अली ज़फर ने उम्दा काम किया है! असल में जब अली के पास ना कोई हीरोइन ना कोई Solo गाने थे..वो तब भी कहानी में अपनी छाप छोड़ जाते है!
परिणीती का कहानी में ख़ास हिस्सा नहीं है..जगह भरने तक सीमित किरदार में वो अपने पुराने चुलबुल रूप में ही इसमें नज़र आएँगी!
गोविंदा... सच कहा जाए तो उन्हें अपराधी के रूप में देखना वो भी अंत में मारे जाने वाले अपराधी की तरह तो शिकारी जैसी फिल्म में पहले भी अच्छे नहीं लगते थे..आज भी नहीं लगते! फिर या तो पूरी तरह से उन्हें गंभीर किरदार में रखा जाए..अब वो हंस भी रहे हैं..नाच भी रहे हैं..गाने भी गाते हैं..लेकिन प्यार के सख्त खिलाफ हैं...अब बताइए...देव और टुट्टू द्वारा उनका काम भी ईमानदारीपूर्वक हो रहा है..फिर भी इन्हें बैठे हुए चुलबाजी मचती है कि आखिर देव को प्यार हुआ कैसे?
भैयाजी के रूप में गोविंदा को देखना उतना सुखद हमें नहीं लगा...वज़ह यह कि यशराज वालो ने कुछ साल पहले टशन फिल्म में अनिल कपूर को बिलकुल ऐसा ही रोल पकडाया था! उनकी लुटिया डूब गयी थी! जबकि वो एक्शन हीरो रहे हैं! यहाँ तो अपने चीची भैया थे..जिनकी इमेज हंसाने वाली रही है..ना कि खून खराबा करने की!अब अगर कोई कहे कि वो करियर के इस मोड़ पर कुछ हटके करने के चक्कर में ऐसे रोल कर रहे हैं तो भगवान् जानता है..उन्हें बेस्ट विलेन का अवार्ड मिलने से रहा!
फिल्म में उनका रोल मुश्किल से 20-22 मिनट का होगा! बेचारे अंत में मरने से पहले एक्शन तक नहीं कर सके!
डायरेक्टर फिल्म को शुरू में काट छांटकर करके कुछ छोटा रखते...और गोविंदा का रोल बढ़ाकर  अंत में उन्हें भी सही रास्ते पर ले आने का ट्रैक डालते तो शायद कहानी कुछ अच्छी लगती! कहानी का अंत कुछ ऐसा लगता है जैसे भैयाजी की लाश पर देव और टुट्टू अपनी ज़िन्दगी सुधारते हैं! क्यूंकि भैयाजी जब मरने वाले होते हैं तो उन्हें देव और टुट्टू की सहायता भी नसीब नहीं होती! जबकि मुसीबत उन्ही दोनों की वज़ह से आई थी!
संगीत में अपने Title Track KKK किल दिल के अलावा सभी अजीबोगरीब Lyrics वाले चलताऊ गाने हैं!
खैर फिल्म जैसी है आपके सामने है! हमारे विचार में इसको 1 time watch की संज्ञा दी जा सकती है!

Wednesday, 19 November 2014

Jack the Giant Slayer(2013) Review

Jack the Giant Slayer(2013)
My Ratings : ★★★★★★☆☆☆☆
Star- Nicholas Hoult
Genre- Adventure,Fantasy
Link : http://filmwapi.in/video/list/281657?hollywood-hindi-dubbed-movie-Jack%20the%20Giant%20Slayer%20%282013%29%20Hindi%20[BRRip]
Plot- राजा-महाराजो के कालखंड की यह फिल्म English fairy tales "Jack the Giant Killer" का फ़िल्मी रूपांतरण है! जिसके अनुसार प्राचीन काल में राजा Erik ने धरती और स्वर्ग के बीच रहने वाले ऐसे महाकाय 50 फुट ऊंचे राक्षसों को एक ताज की वज़ह से हरा दिया था..जो ज़मीन पर कुछ special बीजो से उगे एक महावृक्ष से धरती पर आ गए थे!
Cloister साम्राज्य में यह कहानी फिल्म के हीरो Jack और फ़िल्म की हीरोइन राजकुमारी isabelle बचपन से सुनते आ रहे हैं! सही है या गलत उन्हें भी नहीं मालूम!
10 साल के बाद जवान हो चुका Jack एक दिन शहर में अपने घोडा बेचकर कुछ पैसे कमाने निकलता है! इधर एक पादरी उन्ही special बीजो को महल से चुराकर Jack को देकर उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुँचाने के लिए कहता है! परिस्थितीवश कुछ ऐसा होता है कि उन बीजो से एक महावृक्ष बनता है जिसमे राजकुमारी isabelle ऊपर राक्षसों के साम्राज्य में पहुँच बंधक जाती है! उसकी खोज में फिर राजा Brahmwell अपने विश्वासपात्र मंत्री Roderick कुछ सिपाही और Jack को ऊपर भेजता है!
Roderick एक धूर्त है..वो अपने साथियों को धोखा देकर राक्षसों की सेना के साथ पृथ्वी पर हुकूमत करने का सपना पाले हुए है! लेकिन सेनापति Elmont उसके प्लान की धज्जियाँ उड़ा देता है..और राजकुमारी को Jack के साथ सकुशल नीचे ले आता है तथा महावृक्ष को काट दिया जाता है!
लेकिन बदकिस्मती से राक्षसों के हाथ Roderick की लाश से उन्ही special बीजो की पोटली लग जाती है...वो महावृक्ष के निर्माण करके नीचे धरती पर उतरकर उत्पात मचाते हैं! अंत में Jack अपनी  कुशलता और चालाकी से  राक्षसों को हराकर वापस भेजता है! राजा Brahmwell उसकी बहादुरी का ईनाम राजकुमारी का हाथ उसको सौंपकर देते हैं!
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Jack के किरदार में Nicholas Hoult हैं...जिन्हें X-Men: First Class में सभी ने Hank McCoy के रोल में पसंद किया था! उनका काम अच्छा है!
कहानी तो वैसे औसत ही कही जायेगी...ज्यादा घुमावदार plot नहीं मिलेगा...जिसमे हीरो का हीरोइन को बचाने का एक छोटा सा मिशन है! पर अपने स्पेशल इफेक्ट्स के कारण यह फिल्म देखने योग्य लगती है! भीमकाय राक्षसों को देखकर रोमांच होता है! अगर आप प्राचीन वेशभूषा और कहानियों के प्रेमी हैं तो इसको मज़ा ले सकते हैं!

Tuesday, 18 November 2014

WARM BODIES (2013) Review

Warm Bodies (2013)(English) based on Isaac Marion's novel of the same name.
Genre- Zombie,Romance
Ratings : ★★★★★★★★☆☆
Link : http://mp4mobilemovies.net/showmovie.php?id=3035
Plot- Plague Apocalypse के गुजरने के कई सालो के बाद दुनिया  Zombies और Humans में बंट चुकी है! ऐसे बंटे हुए माहौल में एक airport को दिखाया जाता है..जहाँ पर Zombies रहते हैं! इनमे एक युवा zombie है "R" जो कुछ हद तक इंसानों के words बोल लेता है और अति हिंसक नहीं है!
एक दिन R अपने साथियों के साथ इंसानी आबादी में चला जाता है..जहां इनके शिकार कुछ युवा हो  जाते हैं..लेकिन R का दिल Julie नाम की एक लड़की पर तब आ आता है..जब वो Julie के बॉयफ्रेंड Perry का दिमाग खा लेता है! जिसकी वज़ह से Perry की सभी संवेदनाएं R के अन्दर आ जाती है! R julie को अपने साथ Airport ले आता है! कुछ दिन साथ रहते हुए इनके बीच दोस्ती का रिश्ता पनपता है! जो बाद में प्यार में बदल जाता है!
लेकिन R के यह बताने पर की उसी ने Perry को मारा था...Julie वापस इंसानों के बीच चली जाती है!
इधर Zombies के अन्दर परिवर्तन शुरू हो जाते हैं..जिसकी वज़ह से उनमे Emotion,Dreaming और वापस इंसानी लक्षण पैदा होने लगते हैं! मगर यह बदलाव उन Skeleton Zombies को मंजूर नहीं जो बिना हाड-मांस वाले corpse हैं! और अब तक इनके साथ ही रहते आये हैं!
R Zombies में हुए बदलावों को इंसानों को बताने का निश्चय करता है..ताकि उन्हें ठीक किया जा सके! और इसके लिए वो Julie के पास जाता है! शुरू में इंसानों को भरोसा नहीं होता..पर जब  Skeleton Zombies इंसानों पर हमला करते हैं..और R के साथी इंसानों की तरफ से मदद करते हैं तो चीज़ें सही होने लगती हैं!
Ending में दिखाया जाता है..कि Zombies अब इंसानों के साथ ही रहते हैं.. इंसान उनको वापस ठीक करने में हर तरह की मदद कर रहे हैं..जिसके सकारात्मक नतीजे आ रहे हैं! R लगभग पूरी तरह से ठीक हो चुका है!
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यह अपनी तरह की एक अलग कहानी है! Zombies को वापस ठीक किया जा सकता है..ऐसा कांसेप्ट अलग रहा था अब तक इस Genre में! कहानी मुख्यतः R के perspective से दिखाई जाती है..कि वो Zombies और इंसानों के बीच क्या links सोचता है वहीँ कहानी में Julie के साथ उसको रिलेशनशिप main Focus है! यहाँ Zombies भी Fast moving इस्तेमाल किये गए हैं!..जिससे terror ज्यादा बढ़ जाता है! इस Genre को explore करने में यह फिल्म काफी सहायक रहेगी! और Nicholas Hoult के R के किरदार में शानदार अभिनय  के लिए भी इसको जरूर देखिये!

Monday, 17 November 2014

Review : The Shaukeens (2014)

Review- The Shaukeens (2014)
Genre- Comedy Drama
Cast- Akshay Kumar,Lisa Hayden,Anupam Kher,Anu Kapoor,Piyush Mishra
Ratings : ★★★★☆☆☆☆☆☆

दिल्ली के 3 बुड्ढे अपने ठरकी शौक पूरे करने के लिए मॉरिशस आते हैं! यहाँ इन्हें मिलती है..एक लड़की जो सुंदर कम पगली ज्यादा है! यह लड़की अक्षय कुमार की फैन है और इसको पटाने के लिए तीन बुढ्ढे अक्षय से इसको 3 बार मिलवाते हैं! थोड़ी नाटक नौटंकी के बाद फिर अक्षय अपने रास्ते और यह अपने.....अंत में कहानी हैप्पी एंडिंग!

दी शौकीन्स को देखते हुए हमें एक बात कहनी पड़ रही है कि इसको देखने से अच्छा था कि ओरिजिनल मूवी दोबारा देख लेते!
अक्षय की मूवी तो यह है नहीं..इसलिए उसकी तरफ से कोई कमी नहीं दिखती..बल्कि जितनी देर वो रहा..मूवी में intrest बना रहा!
इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसके डायलाग राइटर "तिग्मांशु धूलिया" निकले! 
तिग्मांशु को जहाँ तक सभी जानते हैं शायद कॉमेडी फिल्म ना खुद बनाते हैं..और ना उसमे काम करने का कोई ख़ास तजुर्बा है इन्हें! फिर भी ना जाने किसने इन्हें फिल्म के संवाद लिखने का काम सौंप दिया! बहुत निराश किया इन्होने! ऐसा एक भी चुटीला संवाद नहीं सुनाई दिए..जिसको याद रखा जा सके!
हमारे तीन बुढ्डे अपनी तरफ से कोशिश करते दिखे जरूर पर निकल के वो बात आई नहीं..जिसकी उम्मीदें थी!
अनुपम खेर सपाट अभिनय कर रहे थे! जोश और फिल्म करने की कोई ख़ुशी नज़र नहीं आई!
ऐसा लगा जैसे यह फिल्म वो टाइमपास के लिए कर बैठे!
पियूष मिश्रा थोड़ी सम्भावना लायक लगे..पर इन्हें क्यूंकि तीसरे दर्जे पर रखा गया था..तो यह सिर्फ सहायक बनकर रह गए! फिल्म के आखिर में इन्हें जो 10 मिनट मिले! वही कुछ ठीक थे!
अनु कपूर के ऊपर यह फिल्म बाकी समय काफी हद तक टिकाई गयी है! और हमारे हिसाब से इन्हें जो रोल दिया गया..वो इन्होने जितना हो सकता था..अच्छे से करने की कोशिश करी! लेकिन इनके आड़े आ गयी..इनकी कम फिल्में करने की आदत..जिसने इनको उभरने से रोक रखा है!
इस फिल्म को सही लोगों के साथ बनाया नहीं गया है! शायद बोमन ईरानी अगर इसमें होते तो कुछ फर्क आ सकता था! या सबसे अच्छा होता कि इसमें थोड़े बड़े नाम लिए जाते...जैसे नसीरुद्द्दीन शाह या पंकज कपूर..जो अपनी दमदार एक्टिंग से स्क्रिप्ट की कमियों को काफी हद तक ढँक देते हैं!

आजकल जिस तरह से लाउड कॉमेडी लोग पसंद करते हैं..यह फिल्म बहुत ज्यादा dull लगती है!..कोई ख़ास चमक दमक नहीं...ना कोई ख़ास सिचुएशन बनाई गयी! जिससे कहानी को मदद मिले!
लिसा हैडेन को देखना सिरदर्द से कम नहीं था..इतनी ओवर एक्टिंग और घटिया डायलाग डिलीवरी काफी समय बाद देखने को मिली है!

फिल्म दर्शको को पसंद आ रही है...ऐसा सुना..अब इसमें क्या कहा जा सकता है! लोगों की पसंद और नापसंद कब क्या गुल खिला देती है!
डायरेक्टर अभिषेक शर्मा "तेरे बिन लादेन" का आधा काम भी इसमें नहीं दिखा पाए! स्क्रिप्ट का महत्व क्या होता है...ऐसी फिल्मो से पता चलता है! भगवान् जाने अगर अक्षय कुमार का नाम फिल्म से ना जुड़ा रहता तो इसका क्या हाल होता!
अपने करियर में पहली बार अक्षय कुमार अपने ऊपर ही दर्शको को हंसाते हुए देखे गए! ओह माय गॉड! के बाद से वो अब ऐसी कई फिल्में करते जा रहे हैं..जिनमे उनका रोल बहुत कम होता है! यह एक खतरनाक बात है..कहीं उनके fans उन फिल्मो को भी देखना कम ना कर दें..जिनमे उनका पूरा रोल होता है! यह फिल्म अक्षय को नहीं करनी चाहिए थी! "इश्क कुत्ता है और अल्कोहोलिक 2 गाने फिल्म में रखे गए हैं..जो नयी पीढ़ी के लिए हैं.. सुनने में कर्कश!
कोई अक्षय कुमार वाला वही स्पेशल नारियल पानी हमें दे दो! हम तो शायद ही इसको कभी दोबारा देखें! :v

Saturday, 15 November 2014

FRIGHT NIGHT (2011) & FRIGHT NIGHT 2 : NEW BLOOD (2013) Review

Fright Night (2011)
Genre- Vampire Horror
Ratings : ★★★★★★★☆☆☆
Plot- Charley नाम का एक कॉलेज स्टूडेंट लॉस  वेगास में अपनी माँ के साथ रहता है! इनके पड़ोस में एक आदमी Jerry रहने आता है!Charley का दोस्त Edward जिसको वैम्पायर सब्जेक्ट पर काफी रूचि है..वो Jerry के वैम्पायर होने की बात Charley को कहता है..जो वो नहीं मानता! अचानक  एक दिन  Edward गायब हो जाता है..जिसको Jerry ने मारा है!
Charley अब Jerry के ऊपर नज़र रखने लगता है..और उसकी गैरमौजूदगी में उसके घर में घुसता है! उसको सीक्रेट रूम में एक लड़की मिलती है..जिसको Jerry अपनी खून की प्यास बुझाने के लिए बंधक बनाये हुए है! Charley लड़की को छुड़ा तो लेता है..पर सूरज के रौशनी में आते ही लड़की विस्फोट से उड़ जाती है!
Jerry को अब समझ आ जाता है कि खुद को Charley से छुपाने का कोई फायदा नहीं है..वो रात में Charley के घर को आग लगाकर उड़ा देता है!Charley अपनी माँ और प्रेमिका Amy के साथ भागता है..पर Jerry उनका पीछा करके  Charley की प्रेमिका Amy को भी काटकर वैम्पायर बना देता है!
Charley अब एक वैम्पायर शो के पागल होस्ट Peter Vincent से मदद लेना चाहता है जो  पहले मना कर देता है..बाद में काफी मुश्किल से राज़ी होता है! क्यूंकि फिल्म में यही मान्यता बताई गयी है कि एक निश्चित समय सीमा में अगर वैम्पायर मार डाला जाए तो उसके शिकार ठीक हो जाते हैं! दोनों के संयुक्त प्रयास से Jerry का अंत होता है..और उसके बनाये सभी शिकार वापस ठीक हो जाते हैं!
यह फिल्म जबरदस्त है....1985 में बनी फिल्म का यह रीमेक आज के समय में भी उतना ही डरावना लगता है! Jerry का रोल जब भी नज़र आता है... सिहरन पैदा कर देता है!
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Fright Night 2 : New Blood (2013)
Ratings : ★★★★★☆☆☆☆☆
Genre- Vampire Horror
Plot- यह कहने को तो sequel है...पर कहानी और सिचुएशन्स बिलकुल अलग है...किरदारों के नाम जरूर पहली फिल्म जैसे  ही है..Charley..अपने दोस्त Edward और प्रेमिका Amy के साथ रोमानिया में वहां की प्राचीन आर्ट और संस्कृति के बारे में एक कॉलेज टूर पर आया है! इनकी जो लोकल प्रोफेसर है Gerri Dandridge..यह  प्राचीन समय से अब तक इंसानी खून पर जिंदा दिखने में जवान लेकिन असल में बुड्ढी वैम्पायर है! यह बात उसके घर में घुसने पर Charley को पता चलती है..जो उसको एक लाश ठिकाने लगते देख लेता है!
Charley यह बात Edward को बताता है..वो इसके लिए दोबारा से वैम्पायर टीवी शो के होस्ट Peter Vincent से मदद मांगते हैं..जो पैसो के लिए राज़ी भी हो जाता है! लेकिन जब एक ट्रेन में अचानक से इनका सामना Gerri Dandridge से हो जाता है..तब Peter Vincent भाग जाता है! Edward शिकार होकर वैम्पायर बन जाता है! और Amy को Gerri Dandridge अपने साथ ले जाकर बाद में वैम्पायर बना देती है!
अंत में Charley और Peter Vincent एक बार फिर से Gerri Dandridge के अड्डे पर जाकर उसका अंत करते हैं!
पहली फिल्म की तरह इसकी storyline लगभग same है..सिवाय इसके कि वैम्पायर औरत है! फिल्म थोड़ी छोटी होती तो ज्यादा मज़ा आता..क्यूंकि जगह जगह पर लम्बे डायलॉग्स फिल्म की रफ़्तार धीमी कर देते हैं!
दोनों फिल्में ठीक ठाक हैं...पहली को बार बार देखा जा सकता है.. दूसरी average है!

Wednesday, 12 November 2014

NARAK DANSH


Review :  नरक दंश (2014)
Genre : Action-Adventure
लेखक : नितिन मिश्रा
आर्टवर्क : हेमंत कुमार
इंकिंग: विनोद कुमार,ईश्वर आर्ट्स
रंग: शादाब,अभिषेक,बसंत
शब्दांकन: मंदार गंगेले
मुख्य पात्र : नरक नाशक नागराज,नागमणि,शीतिका,तक्षिका,अग्निका,शंकर शहंशाह!

NNN की उत्पत्ति श्रृंखला अपने तीसरे पड़ाव पर आ चुकी है!
कथावस्तु 2 समय कालो में चलने के कारण अपूर्ण है! इसलिए अभी उसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है! सारांश में यह ऐसी नज़र आती है-

भूतकाल परिदृश्य : किशोरावस्था का नरक नाशक नागराज इसमें शीतिका,तक्षिका,अग्निका को हराकर सर्पट के साथ इन्हें अपनी नागसेना में शामिल कर चुका है! लेकिन कुछ ऐसा अज्ञात अंश उसके साथ घटित हुआ है जिसकी वज़ह से फिलहाल वो नागमणि का गुलाम बनकर सिल्विया के साथ किसी बड़े अपराध को करने के लिए निकल चुका है!(नागराज के विश्व भ्रमण की खोज के लड़कियों के साथ वाले गिने सुने अफ़साने)

वर्तमान परिदृश्य : यहाँ असली mature नागराज कालदूत को परास्त करने के बाद किसी शिव मंदिर की खोज में निकला है..जो उसके अस्तित्व का पता बताएगा!(खजाना द्वितीय उड़ान के लिए तैयार है..सभी यात्रीगण अपने दिमाग की पेटियां बाँध लें!)
कहानी में इतना सबकुछ देखकर यह तो हर कोई जानता है कि लेखक ने सिर्फ आतंक हर्ता और विश्व रक्षक की कहानियों से प्लॉट्स लेकर यह उत्पत्ति श्रृंखला बनाई है! इसपर सबके अपने विचार हो सकते हैं..कि सही-गलत क्या है!(हवाई यात्राओं के कई बूढ़े हो चुके यात्रीगण इसमें अपनी जवानी का पुराना स्वाद ले रहे हैं...इसलिए उनके आनंद में खलल डालना उचित नहीं है) :v
लेकिन हमें इसमें काफी ऐसे तथ्य भी मिले जो नए जोड़े गए हैं...जैसे शंकर शहंशाह के बारे में नयी तरह से लिखा गया है..पहले जहाँ उसका किरदार आया-गया था...इसमें महत्वपूर्ण है! शीतिका,तक्षिका,अग्निका के साथ जो लड़ाई हुई..वो भी नया पक्ष था! हाँ उसमे Action sequence जरूर लेखक ने रिपीट टेलीकास्ट किये हैं! जिनमे नया कुछ नहीं था!(अंतर्द्वंद के समय भी कहा था कि तांडव सीरीज से एक्शन उठाकर यह लिखी है..आगे कुछ नया करियेगा..पर आज यह कॉमिक्स पढ़कर यही पता चला कि ढाक के तीन पात)
शंकर शहंशाह का नागमणि द्वीप से भागने वाला पूरा कांसेप्ट पूरा का पूरा पुरानी कहानी से उठाया गया है!अलग के नाम पर  विषप्रिय को जिंदा रखा गया है!
तक्षक कॉमिक्स में जो गुत्थी अधूरी छोड़कर एक गलती करी गयी थी..वो नागरत्न वाली कहानी इसमें दिखाकर लेखक ने भरपाई करी है!(पुराने लूप्स सुलझाने का स्वागत है)
लेकिन जब नागराज अंत में नागमणि का गुलाम बन ही चुका था..तब उसको जंजीरों में बांधकर नीलामी में लाना एक ओवर एक्टिंग का उदाहरण ज्यादा रहा..जैसे कि चश्मा लगाकर वो सोचता है कि कोई उसको पहचानता नहीं है! यह कहानी में कुछ मूल कमियां रही हैं!(मानता कोई है नहीं)
पंच नागों वाला हिस्सा कहानी के अंत में दिखाया है..वो बेहतर  है और कहानी में कुछ अच्छे पन्ने दे गया है! लेकिन फिर अचानक से भारती का प्रकट होकर उनसे मेल मिलाप दोबारा से कहानी को अँधेरे में धकेल देता है!(यहाँ जाने क्यूँ फ्यूल याद आ रही है)
कुल मिलाकर यही सामने आया है कि नरकदंश सिर्फ ज्ञान वर्धन की कॉमिक्स है...ना की मनोरंजन के लिए!(श्याम बेनेगल की याद आ गयी) अगर आप नरक नाशक को पढ़ते हैं तो यह सीरीज लेनी ही पड़ेगी! 50-50 के हिसाब से नया-पुराना सब जोड़कर लिखा जा रहा है!(नए लोग भी खुश और पुराने भी)

#मनोरंजनात्मक_पक्ष : मनोरंजन के लिए पंच नागों के कुछ चुटीले संवाद आखिर में है! वही कुछ ठीक लगे! बाकी कहानी तो सिर्फ overused एक्शन देखकर पुरानी यादें ताज़ा करने के नाम रही!

#आर्टवर्क: हेमंत जी का आर्टवर्क है! और पिछले भाग की तुलना में कमतर लगता है! एक बात और फिर से रेखांकित करेंगे कि 6-7 सालो के काम के बाद भी लड़कियों के facecuts अभी भी वो एक ही तरह से बनाते हैं..कोई अलग नजरिया विकसित नहीं हुआ है! हर लड़की एक जैसी दिखती है..सिवाय लिबास के! इस कमी को दूर करिए! विविधता लाइए! सुशांत जी से कुछ टिप्स लीजिये! पर भगवान् के लिए कुछ बदलाव करिए!
रंग संयोजन की वज़ह से ग्लॉसी पेजेज में आर्टवर्क काफी उम्दा दिखाई दे रहा है...अभिषेक जी ने काफी बढ़िया काम किया है! खासकर तीनो देवियों के साथ हुई भिडंत के पन्नो में!

#शब्दांकन: नए नए स्टाइल में ballons देखना हमेशा की तरह अच्छा लगा! मंदार जी के पास आइडियाज की कमी नहीं है..पापध्य्क्ष को भी नया speech bubble दिया गया है!
फिलहाल यह भाग अपूर्ण है...क्या कहा जाए क्या ना कहा जाए...समझ से बाहर! अंतिम भाग के बाद यह उत्पत्ति अपने सही रंग दिखायेगी! फिलहाल अगर आप नरक दंश का आनंद ले सकते हैं तो जरूर लें!

Ratings :
Story...★★★★★★☆☆☆☆
Art......★★★★★★★☆☆☆

#Rajcomics,#Nagraj,#Nitinmishra,Hemantkumar

MAHAMELA




Review : महामेला (2014)
Genre : Not Found
लेखक : तरुण कुमार वाही,विशाल राव मैसूर
आर्टवर्क : सुशांत पंडा
इंकिंग: दीपक कुमार
रंग: बसंत पंडा
शब्दांकन: मंदार गंगेले
मुख्य पात्र : बांकेलाल,विक्रम सिंह और विभिन्न नए  किरदार

बांकेलाल के प्यारे पाठको..समीक्षा पढने से पहले सभी एक बार कहिये.... हीहीही
महामेला की कहानी का सार कुछ यह है कि एक डाकू "झमेलासिंह" को मेलों से नफरत है...उसकी लूटपाट से विशालगढ़ त्रस्त है..बांकेलाल हमेशा की तरह उसको पकड़ने रवाना किया जाता है! उसको पकड़ने में नाकाम होने के बाद बांके को मिलता है उस डाकू का एक हमशक्ल! हीहीही... अब आगे कहानी बताने की जरूरत नहीं पड़ेगी!

‪#‎हास्य_पक्ष: यह एक बिना स्क्रिप्ट की  बोरियत से भरपूर ऐसी कहानी है...जिसमे हास्य नाम की कोई चिड़िया दूरबीन लेकर खोजने से भी नहीं मिलेगी! बांकेलाल में अब शायद राज कॉमिक्स के पास कुछ नया करने को बचा नहीं है इसलिए वही ऋषि,डाकू,हमशक्ल,देवता डालकर सिर्फ सेट में बांकेलाल को पेश करने का काम किया जा रहा है! वैसे जिनको यह मुफ्त में मिल गयी थी...वो खुद को सौभाग्यशाली समझें..और जिनको पैसे देकर लेनी पड़ी..वो हीहीही का उल्टा करें!(नहीं समझे... बुहूहुहू)
राज कॉमिक्स से हम अब यह कहना छोड़ रहे हैं कि क्या और कैसी कहानियां लिखिए!(क्यूंकि यह करते करते सालों बीत गए पर हाथ में ऐसा मेला रुपी पका हुआ केला ही आता है...महीनो के इंतज़ार के बाद सेट में एक तो सिर्फ 2 कॉमिक्स और उसमे में एक ऐसी)

‪#‎आर्टवर्क‬ -
सुशांत जी का आर्ट है...और लगभग औसत दर्जे का है! वैसे भी सर्वनायक पर उनके जाने के बाद बांकेलाल से ज्यादा की उम्मीद नहीं है! इस बार तो कहानी में क्षमा भी नहीं थी...जिसको देखकर क्षमा दी जा सके!
बाकी सभी विभाग काम चलाऊ हैं! मतलब काम पूरा हुआ है!आपके पैसे का पूरा उपयोग है..कॉमिक्स रंगीन है(ब्लैक & वाइट नहीं है)..bubbles में डायलॉग्स भी हैं(हाँ भाई.पढने के लिए ही लिखे गए हैं)
पाठको.. हमने तो इस मेले की सैर कर ली..और हमें ज्यादा मिर्च मसाला पसंद नहीं था(जिसकी वज़ह इसके पहले पन्ने पर है) हमने सिर्फ फलों का आनंद लिया(मतलब आर्ट के चुनिंदा पन्नो का)...आप जरूर इस मेले में सावधानी से कदम रखते हुए ही आगे बढिए.....फिसलने का डर है!

Ratings :
Story.....★★☆☆☆☆☆☆☆☆
Art........★★★★★☆☆☆☆☆

#Rajcomics,#Bankelal

Tuesday, 11 November 2014

Die Hard Series/Franchise




Die Hard फिल्म फ्रैंचाइज़ी Bruce willis की सबसे कामयाब फिल्म कड़ी है! इसमें अब तक 5 फिल्में आ चुकी हैं!
यह एक ऐसे पुलिस ऑफिसर "जॉन मैक्लेन" के जीवन की कहानी है जिसमे वो हमेशा ऐसे समय पर किसी ना किसी आपराधिक वारदात को रोकने की मुहीम में तब फंस जाता है, जब वो ड्यूटी से अपनी छुट्टी पर होता है! साफ़ है कि अगर वो चाहे तो उस वारदात से पल्ला झाड ले..पर क्यूंकि वो बहुत ईमानदार पुलिस वाला है..इसलिए अपने नसीब और फूटी किस्मत को कोसते हुए भी..सभी वारदातों को रोकने में लग जाता है!
सबसे बड़ी ध्यान देनी वाली चीज़ है कि हमेशा उसका सामना किसी बड़े गैंग से ही होता है..जिसके पास अत्याधुनिक हथियारों और गैजेट्स की भारी मात्रा होती है! वहीँ  जॉन मैक्लेन हमेशा या तो खाली हाथ रहता है...सिर्फ अपनी पुलिस रिवाल्वर के भरोसे! फिर भी अपनी जांबाजी और जुझारूपन से हमेशा सभी पर भारी पड़ता है!
Die Hard (1988)
यह  फिल्म इस फ्रैंचाइज़ी की सबसे पहली आधारशिला है! "जॉन मैक्लेन" जो कि NYPD में Detective Lieutenant  है अपनी...पत्नी Holly के पास LA आता है! Holly जहाँ काम करती है वो है Nakatomi Plaza नाम की एक बहुत बड़ी बिल्डिंग! संयोग ने क्रिसमस की शाम ऑफिस में पार्टी चल रही है...जब एक हथियारों से सुसज्जित 12-13 लोगों का आतंकवादी दल सभी को बंधक बना लेता है!..जिसके सरगना का नाम है Hans Gruber!
इनका उद्देश्य है बिल्डिंग में मौजूद एक सेफ्टी वॉल्ट को तोडना जिसके अन्दर करोडो के bearer bonds रखे हैं!  क्यूंकि बिल्डिंग की सिक्यूरिटी के कुछ लोग भी इस प्लान में शामिल हैं..ऐसे में बाहर से पुलिस की मदद आती जरूर है..लेकिन कुछ ख़ास कर नहीं पाती!
संयोग से जॉन मैक्लेन इनके हाथो बंधक बनने से बच जाता है! अब अकेला वो यह बीड़ा उठाता है कि आतंकवादियों के मसूबे ध्वस्त करके अपनी बीवी और बाकी बंधको की जान बचाई जा सके! इसलिए यह मूवी एक One Man Show है! जो काफी बढ़िया लगता है!
यह शानदार फिल्म है...एक पूरी हथियारबंद गैंग को अकेले तबाह कर देना रोमांचित कर देता है!
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Die Hard 2 (1990)
पहली फिल्म के ठीक एक साल बाद एक और क्रिसमस की शाम आती है! "जॉन मैक्लेन" हवाई अड्डे  पर अपनी बीवी Holly को लेने आया हुआ है,जो कि कैलिफ़ोर्निया से आ रही है!
इधर  U.S. Army Special Forces में भूतपूर्व कर्नल Stuart और उसके साथी हवाई अड्डे के सभी Air Traffic Control systems को अपने अधिकार में ले चुके हैं! जिसकी वज़ह से अब बाहर से आने वाला हर हवाई जहाज़ इनके इशारों पर उड़ रहा है!  इनका उद्देश्य अपने एक बॉस डिक्टेटर और ड्रग किंग General Ramon Esperanza को छुड़ाना है! जिसको उसी हवाई अड्डे से ले जाया जा रहा है! क्यूंकि एअरपोर्ट पुलिस उसको बाहरी मानकर उसका साथ देने से मना कर देती है..क्यूंकि उसका चीफ ऑफिसर सनकी है!  आतंकवादियों की वज़ह से एक प्लेन क्रेश हो जाता है जिससे 200 से ऊपर यात्री मारे जाते हैं! जॉन मैक्लेन अब तय करता है कि वो इस सारे फसाद को अकेले रोकेगा और अपनी बीवी के साथ दूसरे यात्रियों को बचाएगा!
अपनी पहली कड़ी को टक्कर देती यह फिल्म भी बहुत बढ़िया लगती है!
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Die Hard with a Vengeance (1995)
इस सीरीज की तीसरी फिल्म केन्द्रित है..पहली फिल्म में आये विलेन Hans Gruber के भाई Simon के बदले की भावना की जिसमे वो पहले न्यू यॉर्क में एक बम फोड़ता है..और फिर दूसरे बम फोड़ने की धमकी देकर पुलिस से सस्पेंडेड "जॉन मैक्लेन" को एक ऐसे इलाके में अपने सीने पर "I hate nigers" की तख्ती लिखकर खड़ा कर देता है,जहाँ काले रंग के समुदाय की बहुतायत में आबादी है! साफ़ इरादा है..कि जॉन मैक्लेन को वहां के लोग रंगभेद के नाम पर मार डालें! ऐसा हो भी जाता लेकिन एक काला दुकानदार Zeus Carver(Samuel L. Jackson) उसको बचाता है!
Simon इसके बाद जॉन मैक्लेन और Zeus Carver के साथ खेल खेलना शुरू कर देता है..जिसमे वो शहर में जगह-जगह बम रखता है..और इन दोनों को पहेलियाँ देकर बम फटने से रोकने के काम पर भगाता रहता है! Simon और उसकी टीम का असली मकसद है...इन सभी को पुलिस के साथ बम खोजने में लगाये रखकर  Federal Reserve Bank of New York से करोडो के सोने की सिल्लियों को चुरा लेना और एक subway के रास्ते भाग जाना!
जॉन मैक्लेन कैसे इनके मंसूने एक बार फिर से बर्बाद करता है..यह आगे की कहानी है!
इस बार क्यूंकि bruce के साथ फिल्म में Samuel भी आ जाता है..इसलिए कहानी में कॉमेडी भी काफी इस्तेमाल हुयी है और जो ह्यूमर की कमी पहली 2 फिल्मो में महसूस होती है..वो दूर हो जाती है!
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Live Free or Die Hard (Die Hard 4.0) (2007)
FBI की इन्टरनेट यूनिट को पता चलता है कि कोई ऐसा ग्रुप है जो सभी टॉप के कंप्यूटर हैकर्स को मारता जा रहा है! FBI  NYPD के detective जॉन मैक्लेन को आदेश देती है कि वो Matthew "Matt" Farrell नाम के एक कंप्यूटर हैकर लड़के को उसके पास सुरक्षित पहुंचाए! ताकि उससे पता लगाया जा सके कि इन सभी खूनो के पीछे क्या वज़ह है!
जॉन मैक्लेन के Farrell के पास पहुँचने पर एक जानलेवा हमला होता है..जिससे बचने के बाद दोनों भागते हैं FBI के headquarters की तरफ!
इधर Thomas Gabriel और उसकी टीम जो इस फिल्म की विलेन है.."fire sale" नाम का एक इन्टरनेट सिक्यूरिटी अटैक कर देती है! जिससे इन्टरनेट से जुड़े हुए सभी मूलभूत संचार सेवाएं,बिजली,पानी,गैस,अर्थव्य्वस्था,बैंकिंग सेवाएं,ट्रांसपोर्टेशन  मतलब हर जरूरी सेवा उनके इशारों पर चलने लगती है! और एक तरह से पूरे देश को बंधक बना लेते है!
एक बार फिर से जॉन मैक्लेन और  Farrell मिलकर  Thomas Gabriel को पटकनी देते हैं!
यह फिल्म असल जॉन  मैक्लेन के लिए नहीं लगती...इसमें वो ज्यादातर समय अपने साथी Farrell के ऊपर निर्भर लगता है! हाँ एक्शन उसके हिस्से में ही आया है! फिर भी क्यूंकि सारा अपराध इन्टरनेट का है..ऐसे में अपनी बेटी के साथ उसके रिश्ते वाले एंगल पर ज्यादा फोकस करने का मौका कहानी ने दी दिया है!
 लेकिन ओवरआल यह भी एक ठीक ठाक मूवी बनी है!
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A Good Day to Die Hard  (2013)
यह पिछले साल ही आई थी! इसमें  जॉन मैक्लेन के बेटे Jack को दिखाया गया है..जो मास्को में CIA का अंडरकवर ऑफिसर है! और वहां  एक राजनैतिक कैदी और करोडपति  Yuri Komarov को उसके दुश्मन Viktor Chagarin से बचा रहा है..वो समझता है कि Yuri के पास कोई ऐसी फाइल है..जो उसको तबाह कर सकती है! CIA Yuri को इस बात पर मना लेती है कि वो Viktor के खिलाफ वो फाइल उसको सौंप दे..और Yuri को उसकी बेटी Irina के साथ मास्को से सुरक्षित बाहर ले जाया जायेगा! सबकुछ सही चल रहा है..लेकिन Irina दुश्मन से मिल जाती है और Yuri को गुंडे ले जाते हैं!
जॉन और जैक दोनों अब  Ukraine जाकर उस फाइल को हासिल करने की कोशिश करते हैं! जहाँ उन्हें पता चलता है कि इस सारे खेल के पीछे असली दिमाग Yuri का ही है..जो यूरेनियम की चोरी करके बेचना चाहता है!
जैसा की होना है जॉन और जैक उसके इरादे पूरे नहीं होने देते हैं!
इस सीरीज की सबसे फ़ालतू और बोरियत से भरी फिल्म यही है! इसको ना ही देखें तो बेहतर होगा!
अब इस फ्रैंचाइज़ी को बंद कर देना ही सही होगा..क्यूंकि Bruce Willis अब बूढा हो चुका है..और अब अकेले उसके बूते पर कहानी चल नहीं पा रही हैं...जैसे कि 4th फिल्म में कंप्यूटर हैकर और 5th में उसके बेटे का सहारा लेकर कहानी चलाने की कोशिश हुयी!

Sunday, 9 November 2014

Tears Of The Sun (2003)

Tears Of The Sun (2003)
Genre- War Action
Cast- Bruce Willis,Monica Bellucci
Link - http://moviesmaza.in/movie.php?id=2498
Plot-  यह कहानी है..A.K. Waters और उसकी टीम की जांबाजी की..जिसमे कई सैनिको ने इंसानियत के लिए अपनी जानें भी कुर्बान कर दी! (y)
नाइजीरिया(अफ्रीका) में तख्तापलट हो चुका है! वहां के अन्दुरुनी हालात इतने ख़राब हैं..कि Guerrilla Forces धर्मान्धता के नशे में चूर होकर ईसाईयों और दूसरी लोकल कम्युनिटीज़ का कत्लेआम कर रही हैं!
इस सबके बीच U.S. Navy SEAL में लेफ्टिनेंट A.K. Waters (Bruce Willis) को अपनी टीम के साथ आदेश मिलता है..कि वो नाइजीरिया में तैनात Dr. Lena Fiore Kendricks (Monica Bellucci), जो एक अमरीकी नागरिक है और कुछ एक पादरी और नन  को सुरक्षित ठिकाने तक पहुचने का!
Dr. Lena जाने से इसलिए इनकार कर देती है..कि वो अकेली जाए और उसके सभी नाइज़िरिआइ आदिवासी मरने के लिए वहां अकेले छोड़ दिए जाएँ!
A.K. Waters पहले सभी आदिवासियों को लेकर चलने के लिए राज़ी होता है..लेकिन एन वक़्त पर हेलीकाप्टर आने पर सबको ले जाने के वादे से मुकर जाता है! और जबरदस्ती Dr. Lena को लेकर उड़ जाता है! रास्ते में अचानक से उसको नीचे हो रहे खून खराबे को देखकर आत्मग्लानि होती है! अपने आला अधिकारियों के आदेश को ना मानकर वो वापस जाता है और अपनी टीम के साथ मिलकर यह तय करता है कि सभी आदिवासियों Cameroon बॉर्डर तक सुरक्षित ले जाया जाएगा!
आगे कहानी में गृहयुद्ध के घातक परिणामो को दिखाया गया है..जहाँ एक कबीले में हैवानियत के मर्मान्तक दृश्य विचलित कर देते हैं! :'(
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Bruce Willis की जितनी फिल्में देखी हैं...उसकी छवि एक ऐसे एक्टर की बन गई है..जिसको असंभव को संभव करके दिखाने में मज़ा आता है! जब भी वो यह कहता है कि वो यह काम 100 % करके दिखायेगा...दर्शको में रोमांच उठ जाता है..कि अब कोई ताकत उसको रोक नहीं सकती! पूरी फिल्म में वही छाया हुआ है!..Monica Bellucci सिर्फ जगह भरने लायक रही! जंगल के बीच की लड़ाई ज्यादा इफेक्टिव नहीं ban पाई है..क्यूंकि उसमे धुंआ और पेड़ इतने ज्यादा थे..कि असल हाथापाई हो ही नहीं पाई! यह एक कमजोर पहलु माना जा सकता है कि फिल्म अपने इमोशनल एंगल्स पर ज्यादा केन्द्रित रहती है! फिर भी यह देखने लायक है!

Thursday, 6 November 2014

Aftab Shivdasani : A View



आफताब शिवदासानी के बारे में जब लिखने का मन हुआ..तो दिमाग में समय काफी पीछे चला गया! 1999 में रामगोपाल वर्मा एक बड़ा नाम हुआ करता था! रामू की फिल्म Mast में एक लड़का बॉलीवुड में कदम रखता है! फिल्म कामयाब थी..और "हुई हुई मैं मस्त" गाने में अपने से ज्यादा उम्र की उर्मिला के साथ नाचता आफताब कूल लगा!
आफताब नज़रो में चढ़ा अपनी दूसरी फिल्म Kasoor से...जो भट्ट कैंप की थी! उस वक़्त लिसा रे के साथ आफताब के हॉट सींस को फिल्म में काफी प्रचारित किया जाता था! वैसे फिल्म अपने कथानक पर अच्छी थी! आफताब ने बहुत अच्छा  काम किया था! पूरी फिल्म में जिस मासूमियत के साथ उसने खूनी होने का अपना राज़ बचाए रखा! और अंत में जो नेगेटिव परफॉरमेंस दी! शानदार थी!
2002 में एक ऐसी फिल्म है जिसको याद रखा जा सकता है Kya Yehi Pyaar Hai जिसमे अमीषा पटेल के साथ आफताब की लव स्टोरी थी...बड़े भाई जैकी श्राफ.. जहाँ आफताब को करियर के लिए ध्यान देने की बात करते थे..उसमे आफताब ने सिर्फ प्यार में पड़े युवा का रोल निभाया था! फिल्म अच्छी थी! और positive सन्देश देती है!
इसके बाद आफताब काफी कम फिल्मो में नज़र आया! जिसमे से Love Ke Liye Kuchh Bhi Karega,Awara Paagal Deewana,Darna Mana Hai, Hungama और Masti ऐसी गिनी चुनी फिल्में हैं..जिनमे उसका काम बढ़िया लगता है! यह 2005 का समय था! और आफताब ज्यादातर multistarer करने लगा था!
आफताब के साथ एक और परेशानी रही..कि उसने रामगोपाल वर्मा के साथ थोड़ी ज्यादा निर्भरता दिखाई! जिसकी वज़ह से फैक्ट्री के बंद होने का असर उसके करियर पर भी पड़ा!  
2006 में आई Mr Ya Miss एक बड़ा हादसा साबित हुई...रितेश और आफ़ताब दोनों के लिए! अंतरा माली तो इस फिल्म के बाद बॉलीवुड से गायब ही हो गई!
आफताब के लिए यहाँ से वक़्त खराब चल पड़ा...फिल्में या तो मिल नहीं रही थी.या जो मिली..उसमे रोल किसी काम का नहीं था...जैसे Shaadi Se Pehle!
ऐसी नाटकबाजी वाली कई घटिया फिल्में करने के बाद आफताब की एक फिल्म हमें बहुत पसंद आई थी...2008 में De Taali
फिल्म कॉमेडी थी...और रितेश देशमुख के साथ आफताब की जोड़ी अच्छी लगती है! लेकिन अफ़सोस ...रिमी सेन और आयशा टाकिया के होने के बावजूद फिल्म बॉक्स ऑफिस पर लुढ़क गई! 2009 में Kambakkht Ishq करके आफताब ने बहुत बड़ी गलती करी..क्यूंकि अक्षय कुमार के साथ यह फिल्म आफताब के साथ अक्षय के लिए भी घातक रही! :v   
2012 में आई विक्रम भट्ट की 1920 - Evil Returns एक ख़ास दर्शक वर्ग के लिए थी! आफताब का यह सीरियस रोल average रहा! फिल्म की हीरोइन आफताब से ज्यादा काबिल निकली!   
2013 में आई     Grand Masti आफताब को घर बैठे मिल गई..फिल्म में उसकी परफॉरमेंस पर टिप्पणी करना उचित नहीं है!..क्यूंकि यह फिल्म एक्टिंग के लिए थी ही नहीं!  फिल्म देखकर हमें आफताब से निराशा नहीं हुई!
आफताब शिवदासानी में काबिलियत काफी थी...लेकिन उसकी फिल्मो को चुनने की गलतियाँ उसपर भारी पड़ी!
उसने अच्छी फिल्मो से ज्यादा बुरी फिल्में करी है! जिनका कोई नाम भी याद नहीं करना  चाहेगा! ऐसा ज्यादातर हीरोज के साथ होता रहा है! आफताब अब तक बॉलीवुड में टिका है,यह किस्मत की ही बात है!
2012 में उसने Nin Dusanj नाम की लड़की से शादी करी है! ज़िन्दगी में आया यह बदलाव उसकी किस्मत चमका दे, इसके लिए दुआ करी जा सकती है!