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Monday 17 November 2014

Review : The Shaukeens (2014)

Review- The Shaukeens (2014)
Genre- Comedy Drama
Cast- Akshay Kumar,Lisa Hayden,Anupam Kher,Anu Kapoor,Piyush Mishra
Ratings : ★★★★☆☆☆☆☆☆

दिल्ली के 3 बुड्ढे अपने ठरकी शौक पूरे करने के लिए मॉरिशस आते हैं! यहाँ इन्हें मिलती है..एक लड़की जो सुंदर कम पगली ज्यादा है! यह लड़की अक्षय कुमार की फैन है और इसको पटाने के लिए तीन बुढ्ढे अक्षय से इसको 3 बार मिलवाते हैं! थोड़ी नाटक नौटंकी के बाद फिर अक्षय अपने रास्ते और यह अपने.....अंत में कहानी हैप्पी एंडिंग!

दी शौकीन्स को देखते हुए हमें एक बात कहनी पड़ रही है कि इसको देखने से अच्छा था कि ओरिजिनल मूवी दोबारा देख लेते!
अक्षय की मूवी तो यह है नहीं..इसलिए उसकी तरफ से कोई कमी नहीं दिखती..बल्कि जितनी देर वो रहा..मूवी में intrest बना रहा!
इस फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसके डायलाग राइटर "तिग्मांशु धूलिया" निकले! 
तिग्मांशु को जहाँ तक सभी जानते हैं शायद कॉमेडी फिल्म ना खुद बनाते हैं..और ना उसमे काम करने का कोई ख़ास तजुर्बा है इन्हें! फिर भी ना जाने किसने इन्हें फिल्म के संवाद लिखने का काम सौंप दिया! बहुत निराश किया इन्होने! ऐसा एक भी चुटीला संवाद नहीं सुनाई दिए..जिसको याद रखा जा सके!
हमारे तीन बुढ्डे अपनी तरफ से कोशिश करते दिखे जरूर पर निकल के वो बात आई नहीं..जिसकी उम्मीदें थी!
अनुपम खेर सपाट अभिनय कर रहे थे! जोश और फिल्म करने की कोई ख़ुशी नज़र नहीं आई!
ऐसा लगा जैसे यह फिल्म वो टाइमपास के लिए कर बैठे!
पियूष मिश्रा थोड़ी सम्भावना लायक लगे..पर इन्हें क्यूंकि तीसरे दर्जे पर रखा गया था..तो यह सिर्फ सहायक बनकर रह गए! फिल्म के आखिर में इन्हें जो 10 मिनट मिले! वही कुछ ठीक थे!
अनु कपूर के ऊपर यह फिल्म बाकी समय काफी हद तक टिकाई गयी है! और हमारे हिसाब से इन्हें जो रोल दिया गया..वो इन्होने जितना हो सकता था..अच्छे से करने की कोशिश करी! लेकिन इनके आड़े आ गयी..इनकी कम फिल्में करने की आदत..जिसने इनको उभरने से रोक रखा है!
इस फिल्म को सही लोगों के साथ बनाया नहीं गया है! शायद बोमन ईरानी अगर इसमें होते तो कुछ फर्क आ सकता था! या सबसे अच्छा होता कि इसमें थोड़े बड़े नाम लिए जाते...जैसे नसीरुद्द्दीन शाह या पंकज कपूर..जो अपनी दमदार एक्टिंग से स्क्रिप्ट की कमियों को काफी हद तक ढँक देते हैं!

आजकल जिस तरह से लाउड कॉमेडी लोग पसंद करते हैं..यह फिल्म बहुत ज्यादा dull लगती है!..कोई ख़ास चमक दमक नहीं...ना कोई ख़ास सिचुएशन बनाई गयी! जिससे कहानी को मदद मिले!
लिसा हैडेन को देखना सिरदर्द से कम नहीं था..इतनी ओवर एक्टिंग और घटिया डायलाग डिलीवरी काफी समय बाद देखने को मिली है!

फिल्म दर्शको को पसंद आ रही है...ऐसा सुना..अब इसमें क्या कहा जा सकता है! लोगों की पसंद और नापसंद कब क्या गुल खिला देती है!
डायरेक्टर अभिषेक शर्मा "तेरे बिन लादेन" का आधा काम भी इसमें नहीं दिखा पाए! स्क्रिप्ट का महत्व क्या होता है...ऐसी फिल्मो से पता चलता है! भगवान् जाने अगर अक्षय कुमार का नाम फिल्म से ना जुड़ा रहता तो इसका क्या हाल होता!
अपने करियर में पहली बार अक्षय कुमार अपने ऊपर ही दर्शको को हंसाते हुए देखे गए! ओह माय गॉड! के बाद से वो अब ऐसी कई फिल्में करते जा रहे हैं..जिनमे उनका रोल बहुत कम होता है! यह एक खतरनाक बात है..कहीं उनके fans उन फिल्मो को भी देखना कम ना कर दें..जिनमे उनका पूरा रोल होता है! यह फिल्म अक्षय को नहीं करनी चाहिए थी! "इश्क कुत्ता है और अल्कोहोलिक 2 गाने फिल्म में रखे गए हैं..जो नयी पीढ़ी के लिए हैं.. सुनने में कर्कश!
कोई अक्षय कुमार वाला वही स्पेशल नारियल पानी हमें दे दो! हम तो शायद ही इसको कभी दोबारा देखें! :v

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