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Thursday, 27 November 2014

Review : Happy New Year (2014)

warriorsstrike.blogspot.in/2014/11/review-happy-new-year-2014.html
हैप्पी न्यू ईयर देखी!
कहानी सबको पता है! उसको बताने का तुक नहीं बनता! हम यह बताते हैं कि हमें कैसा फील हो रहा था!
2 महीने पहले Ocean's Trilogy के बारे में यहाँ लिखा था..और यह आधी से ज्यादा फिल्म उसके थीम पर ही बनाई गई है! अब कहने वाले कह सकते हैं..कि दोनों में कोई जुड़ाव नहीं है..पर यह सिर्फ दिल को तसल्ली देने वाली बात है! अगर आपने "हैप्पी एंडिंग" फिल्म में गोविंदा के रोल को देखा है..तो आप आसानी से समझ जायेंगे कि बॉलीवुड में कॉपी कैसे करी जाती है..और किस दर्शको के लिए वो कॉपी भी अपनाने लायक बनाई जाती है!
वैसे हमें inspiration लेने से कभी आपत्ति नहीं होती...पर अगर ली है तो मान भी लेना चाहिए! अब सारी दुनिया जानती है कि कॉपी है..और नक़ल करने वाला चिल्लाता रहे कि original आईडिया है..तो यह बेवकूफाना हरकत कही जायेगी!

खैर हैप्पी न्यू ईयर को सिर्फ भारतीय रंग देने के लिए नाच गाना...और बाप की मौत का बदला जैसी 2 ऐसी पुरानी बातें जोड़ दी गई..जो बॉलीवुड फिल्म की पहचान होती हैं!
अब बात आती है Entertainment की...तो इतनी भव्य फिल्म बनाना और उसमे आधे से ज्यादा डायलॉग्स पुरानी फिल्मो से उठाकर रख देना...बहुत घटिया हरकत थी!
भाई आप कहानी चुरा रहे हैं...तो कम से कम संवादों पर तो original काम होना चाहिए था! वो भी चलताऊ समझ कर किया गया! निर्देशिका को यह लगा होगा कि लोगों को बहुत हंसी आएगी...पर सिर् दर्द कर दिया संवादों ने!
2 ही गाने याद रहे...एक "लवली" दूसरा "हम इंडिया वाले"

अभिषेक बच्चन के किरदार में हमें कोई ख़ास बात नहीं लगी..फिल्म में जगह जगह उल्टी करना,अजीब से हाथ पैर चलने वाले डांस और नाटक को जाने क्यूँ लोग इतना बढ़ा चढ़ाकर बताते जा रहे थे..जैसे कि यह अभिषेक का बेस्ट रोल हो!
उससे बेहतर तो सोनू सूद लगे..जो कम से कम अपने किरदार के मुताबिक रहे!
बोमन ईरानी average थे..और दीपिका पादुकोण ने खुद को रिपीट ही किया है...अपनी पिछली फिल्मो की तरह!

असल में दोष फराह खान जैसो का नहीं है...यह लोग सिनेमा को सिर्फ पैसा कमाने की चीज़ मानकर फिल्म बनाते हैं! लेकिन शाहरुख़ खान जैसे बड़े अभिनेताओं को अपनी तरफ से ऐसी बातों का ध्यान रखना चाहिए..क्यूंकि यह गलत चीज़ों को सही करवा सकते हैं!
अगर फिल्म पर मेहनत करी जाती तो सच में चाहे यह inspired होती...इसकी तारीफ होती!

जया बच्चन जी ने जो इस फिल्म के बारे में कहा था..वही सही बात है! और इस फिल्म पर उनसे ज्यादा सटीक टिप्पणी और कोई नहीं कर सकता!

फिल्म बनाने वाले तब तक अपनी अक्ल लगाकर काम नहीं करेंगे जब तक जनता ऐसी फिल्मो के जाल से बाहर नहीं आएगी! हाँ एक बात सही है कि लोग 3 घंटे मनोरंजन करने के लिए सिनेमा हाल में जाते हैं...पर यह बात किसी भी बुरे सिनेमा को अच्छा साबित नहीं कर सकती! हाँ यह कहा जा सकता है कि 3 घंटे और 300 रुपये में आप किसी चिड़ियाघर में जानवरों को देखते बिताते हुए  उनको खाना खिला देते..उसमे भी आपका 100% मनोरंजन हो जाता! कम से कम वहां से बाहर आकर आपको नकली ख़ुशी,तारीफ और झूठ बोलने की जरूरत नहीं पड़ती! क्यूंकि इस फिल्म ने भी करोडो कमाए हैं तो इसकी ख़ुशी में फराह खान आगे भी ऐसी फिल्में बनाती रहेगी जिनका इंतज़ार नहीं रहेगा!

My Ratings : ★★★☆☆☆☆☆☆☆

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