Review : नरक दंश (2014)
Genre : Action-Adventureलेखक : नितिन मिश्रा
आर्टवर्क : हेमंत कुमार
इंकिंग: विनोद कुमार,ईश्वर आर्ट्स
रंग: शादाब,अभिषेक,बसंत
शब्दांकन: मंदार गंगेले
मुख्य पात्र : नरक नाशक नागराज,नागमणि,शीतिका,तक्षिका,अग्निका,शंकर शहंशाह!
कथावस्तु 2 समय कालो में चलने के कारण अपूर्ण है! इसलिए अभी उसपर टिप्पणी करना उचित नहीं है! सारांश में यह ऐसी नज़र आती है-
कहानी में इतना सबकुछ देखकर यह तो हर कोई जानता है कि लेखक ने सिर्फ आतंक हर्ता और विश्व रक्षक की कहानियों से प्लॉट्स लेकर यह उत्पत्ति श्रृंखला बनाई है! इसपर सबके अपने विचार हो सकते हैं..कि सही-गलत क्या है!(हवाई यात्राओं के कई बूढ़े हो चुके यात्रीगण इसमें अपनी जवानी का पुराना स्वाद ले रहे हैं...इसलिए उनके आनंद में खलल डालना उचित नहीं है) :v
लेकिन हमें इसमें काफी ऐसे तथ्य भी मिले जो नए जोड़े गए हैं...जैसे शंकर शहंशाह के बारे में नयी तरह से लिखा गया है..पहले जहाँ उसका किरदार आया-गया था...इसमें महत्वपूर्ण है! शीतिका,तक्षिका,अग्निका के साथ जो लड़ाई हुई..वो भी नया पक्ष था! हाँ उसमे Action sequence जरूर लेखक ने रिपीट टेलीकास्ट किये हैं! जिनमे नया कुछ नहीं था!(अंतर्द्वंद के समय भी कहा था कि तांडव सीरीज से एक्शन उठाकर यह लिखी है..आगे कुछ नया करियेगा..पर आज यह कॉमिक्स पढ़कर यही पता चला कि ढाक के तीन पात)
शंकर शहंशाह का नागमणि द्वीप से भागने वाला पूरा कांसेप्ट पूरा का पूरा पुरानी कहानी से उठाया गया है!अलग के नाम पर विषप्रिय को जिंदा रखा गया है!
तक्षक कॉमिक्स में जो गुत्थी अधूरी छोड़कर एक गलती करी गयी थी..वो नागरत्न वाली कहानी इसमें दिखाकर लेखक ने भरपाई करी है!(पुराने लूप्स सुलझाने का स्वागत है)
लेकिन जब नागराज अंत में नागमणि का गुलाम बन ही चुका था..तब उसको जंजीरों में बांधकर नीलामी में लाना एक ओवर एक्टिंग का उदाहरण ज्यादा रहा..जैसे कि चश्मा लगाकर वो सोचता है कि कोई उसको पहचानता नहीं है! यह कहानी में कुछ मूल कमियां रही हैं!(मानता कोई है नहीं)
पंच नागों वाला हिस्सा कहानी के अंत में दिखाया है..वो बेहतर है और कहानी में कुछ अच्छे पन्ने दे गया है! लेकिन फिर अचानक से भारती का प्रकट होकर उनसे मेल मिलाप दोबारा से कहानी को अँधेरे में धकेल देता है!(यहाँ जाने क्यूँ फ्यूल याद आ रही है)
कुल मिलाकर यही सामने आया है कि नरकदंश सिर्फ ज्ञान वर्धन की कॉमिक्स है...ना की मनोरंजन के लिए!(श्याम बेनेगल की याद आ गयी) अगर आप नरक नाशक को पढ़ते हैं तो यह सीरीज लेनी ही पड़ेगी! 50-50 के हिसाब से नया-पुराना सब जोड़कर लिखा जा रहा है!(नए लोग भी खुश और पुराने भी)
रंग संयोजन की वज़ह से ग्लॉसी पेजेज में आर्टवर्क काफी उम्दा दिखाई दे रहा है...अभिषेक जी ने काफी बढ़िया काम किया है! खासकर तीनो देवियों के साथ हुई भिडंत के पन्नो में!
फिलहाल यह भाग अपूर्ण है...क्या कहा जाए क्या ना कहा जाए...समझ से बाहर! अंतिम भाग के बाद यह उत्पत्ति अपने सही रंग दिखायेगी! फिलहाल अगर आप नरक दंश का आनंद ले सकते हैं तो जरूर लें!
Story...★★★★★★☆☆☆☆
Art......★★★★★★★☆☆☆
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