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Thursday, 25 April 2013

RAVAN DOGA




Overall rating 
 
1.3
story 
 
1.5
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1.0
 
कवर पर 10 सिर वाला डोगा..कॉमिक का नाम “रावण डोगा”..अगर पाठक यह सोचे की कहानी का लिंक किसी प्राचीन युग में घटी किसी घटना से है..जिसके तार आज डोगा से जुड़ गए हैं..तो यह 100 % गलत निकलेगा..ऐसा कुछ नहीं है!
कहानी का नाम और असली कहानी आपस में कोई मेल नहीं रखते...रावण डोगा का यह निरर्थक और सनसनीखेज नाम पाठको को एक पल के लिए आकर्षित करने की कोशिश के तहत मिला है..और इसकी कुछ वज़हें हैं जो आप आगे जानेंगे कि क्यूँ?

कहानी का केंद्र है...मुंबई...जिसमे छोटे-बड़े स्तर पर चल रहे हैं कई अवैध फाइट क्लब्स, जिनमे होने वाली खूनी जंगें..लड़ाइयाँ..जिनकी वज़ह से युवा वर्ग में अराजकता फैली हुयी है...इसमें डोगा समाज के कुछ बड़े और आदरणीय समाज सेवियों को मारता/अपहरण करता नज़र आता है...जिसकी वज़ह से उसकी कार्यप्रणाली प्रश्नचिन्ह के घेरे में है! इस बीच “लायन डेन” बंद और घनिया चाचा का एक होनहार शिष्य “रॉकी” पागलखाने में जा चुका है..और हर 4 पेज पर एक नयी फाइट शुरू हो जाती है...कहानी क्रमशः

लेखकों में अभी (2013) भी डोगा के लिए ऐसे repeated और घिसे पिटे story plots लिखते रहने की रूचि बाकी है...बहुत आश्चर्य की बात है...गली मोहल्ले में चलते फाइट क्लब्स का आईडिया सालो पहले सुपर कमांडो ध्रुव की “कमांडो फ़ोर्स” के जमाने में आता था..कहानी में थोड़ी सी हेर-फेर करके किसी किसी दूसरे हीरो को रखकर एक नयी कहानी लिख देने की प्रवृति अब लेखकों को छोड़ देनी चाहिए..यह कलाकारी पाठको पर काफी पहले उजागर हो चुकी है!

रावण डोगा में लेखकों को कहानी का सस्पेंस बचाए रखने में भी मशक्क़त करनी पड़ती है...रॉकी का पागल होना और ब्लैक टर्र्रमिनेटर का नज़र आना आपस में जुडी बातें...डोगा के बड़े बड़े शिकार ही बड़े बड़े मगरमच्छ हैं..दूसरी बड़ी बात! दुनिया में समय कितना बदल चुका है ...कहानियां कहाँ से कहाँ पहुँच गयीं...प्रोफेशनल लेखक एक से एक नए आईडिया लिखते हैं....की पढने वाला अपना दिमाग घुमा चुका होता है..वहीँ इस तरह बीच में ऐसे कांसेप्ट मिलना बहुत अखरने वाली चीज़ है!
यानी पाठक को शुभस्य शीघ्रम पढने की क्या वज़ह लेखक देना चाहेंगे?? सिर्फ इतना की कहानी का आधा हिस्सा उसमे है...अफ़सोस!

बहरहाल रावण डोगा की तरह 46-46 पेज की २ कहानियां अलग अलग आती हैं..तो उनकी बर्बादी निश्चित है...अगर यह सिंगल शॉट कॉमिक बनती..और सम्पादन पर थोडा ध्यान दिया जाता..तो कहानी थोडा मनोरंजन दे सकती थी...लेकिन ऐसा हुआ नहीं! कहानी के डायलॉग्स में कोई नयापन नहीं है !अगर 46 पेजेज को पढना भारी लगने लगे..इतना काफी है समझने के लिए कि लेखक को पाठको के मनोभाव परखने में त्रुटि हुई है !


आर्टवर्क-


रावण डोगा का चित्रांकन और भी ज्यादा निराशाजनक है..सिद्धार्थ पंवार(पेंसिल) और संजीव शर्मा (इंकिंग) ने दोयम दर्जे का काम रावण डोगा में किया है...आर्टवर्क की ऐसी मिटटी-पलीत हाल फिलहाल किसी कॉमिक्स में नज़र नहीं आती..वो भी तब जब डोगा एक बड़ा हीरो है.. और एक फिल्म भी उसपर बनने वाली है... उसके साथ ऐसा व्यवहार दर्दनाक है! यदि किसी नए पाठक ने “रावण डोगा” को उठाकर देख लिया तो बड़ा की नकारात्मक असर पड़ेगा..क्यूंकि आज कला के क्षेत्र बहुत विस्तृत है..कामचलाऊ चीज़ें बाज़ार में ज्यादा टिकती नहीं! आर्टवर्क इस तरह समझा जा सकता है..की अगर कॉमिक्स में कलरिंग ना होती..तो कोई भी कॉमिक्स में जान नहीं पायेगा..की कौन सा किरदार किस फ्रेम में खड़ा है!

रंगरेज़ (रंग संयोजन) की हालत वही है..औसत से नीचे बने चित्रांकन पर रूखी-सूखी फ्लैट कलरिंग...वैसे यह ख़ुशी की बात ज्यादा लगी..कि कलरिस्ट ने “रावण डोगा” पर इफेक्ट्स देने में अपना कीमती समय बर्बाद नहीं किया...कहानी और आर्टवर्क की हालत जब दोयम दर्जे की हो..तब रंगों को A+ क्वालिटी का रखना अक्लमंदी थी भी नहीं !
रावण डोगा पढने की कोई एक ठोस वज़ह किसी को मिले तो जरूर बताये!
शुभस्य शीघ्रम

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Overall rating 
 
4.0
story 
 
4.0
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4.0




अनुपम सिन्हा जी की अनुपस्थिति में सुपर कमांडो ध्रुव की एक ऐसी 4 भाग लम्बी कहानी...कॉमिक्स को बनाने से लेकर पाठको के हाथो में देने तक लगने वाली ऊर्जा अपने आप दिखने लगती है !यह भारतीय कॉमिक्स जगत का वो काम है,जिसमे लाख सावधानी रखने के बाद भी हाथ नहीं जलेंगे..इसकी कोई गारंटी नहीं है!..लेखक मंदार गंगेले इस काम में कहाँ तक सफल हो पायेंगे यह अभी बहुत दूर का प्रश्न है..इसलिए जल्दबाजी ना करते हुए इस प्रथम भाग पर प्रकाश डाला जाए!
आजकल सोशल साइट्स की वर्चुअल दुनिया में विज्ञापन देने का जमाना है...कॉमिक्स के आने से काफी समय पहले से previews मिल जाते हैं..और कहानी को लेकर बहुत सारे कयास और पूर्वानुमान भी लगाये जाते हैं..इतना सब होने के बाद कॉमिक्स आने पर छिपाने लायक बहुत कम चीज़ें बचती हैं..जिनमे पाठक यह देख सकता है कि जो सोचा था,देखा था..क्या वैसे ही हुआ या कुछ नया मिल गया !

“कोड नेम कॉमेट” में फिलहाल ऐसा कुछ नज़र नहीं आएगा जिसपर सोचते हुए किसी के दिमाग पर बहुत जोर पड़े! कहानी ऊपर-ऊपर से बहुत सरल और आसानी से किसी निश्चल बच्चे की तरह भागती दिखाई देती है! अगर पहले की आई कहानियों से "कोड नेम कॉमेट" का अंतर खोजा जाए..तो कई धागों के बहुत सारे खुले सिरों को “कोड नेम कॉमेट” में जगह जगह पर लटकाया गया है..यानी पढ़ते हुए और आगे बढ़ते हुए पाठक उस सिरे को पकड़कर आगे चलना शुरू करेगा तो अभी 3 और भाग तक इंतज़ार में समय बिताना कहानी की डिमांड भी है और मजबूरी भी !

बहरहाल “कोड नेम कॉमेट” की शुरुआत वर्तमान से होती है...जो पहले फ्लैशबैक,फिर वर्तमान,फिर फ्लैशबैक और आखिर में फिर से वर्तमान पर आकर स्थिर हो जाती है ! यह चीज़ पाठको के लिए बहुत गौर करने और समझने वाली है...10-15 साल पहले लिखी कहानियां और आज लिखी जा रही कहानियों में यह एक मूलभूत फर्क नज़र आता है..कि आजकल कहानी को बीच में वर्तमान से कहीं किसी हिस्से से शुरू करा जाता है..और उसके बाद कहानी को बार बार आगे-पीछे फेंटा जाता है, जैसे ताश की गड्डी..कभी राजा ऊपर तो कभी जोकर..ऐसे में लेखक की शैली के अनुसार पाठक को अपना मन बदलना आना बहुत बड़ी जरूरत बन चुकी है ! लेखक ने सीन्स को लिखने और सही जगह पर उनका इस्तेमाल करने में मेहनत करी है....डायलॉग्स को भी सिंपल भाषा में रखने की पूरी कोशिश करी है..जिससे कहानी को पढने-समझने में ज्यादा दिमाग घुमाना ना पड़े...हाल प्रकांतर में जैसा कई दूसरी कॉमिक्स में कई बार देखा जा चुका है...कि कहानी को 2 -3 पढना पड़ता है...यह बात “कोड नेम कॉमेट” में नहीं है!

राज कॉमिक्स द्वारा फेसबुक पर लगाये गए 6 -7 प्रीव्यू पेजेस जिनमे ध्रुव मारा गया था..कॉमिक्स में आखिरकार झूठे ही साबित होते हैं...जिसका साफ़ मतलब निकलता है..ध्रुव मरा/गायब तो जरूर हुआ है..लेकिन किसी नयी घटना की वज़ह से! इस नयी घटना के पीछे कौन सा दिमाग काम कर रहा था?
क्या डॉक्टर वायरस? (नहीं..एक ही व्यक्ति 2 बार कैसे)..तो फिर क्या ग्रैंड मास्टर रोबो (जो सबके हिसाब से मरा हुआ ,लेकिन कहानी में जिंदा है)..या फिर नताशा?(जो रहस्यमय ढंग से काफी कुछ छुपाती लगती है)..या मीशा?(जो नहीं चाहती ध्रुव वापस अपनी दुनिया में लौटे)..या कोई नया चेहरा जो छुपा रुस्तम बना हुआ है?
इस सबके बीच “कॉमेट” को अपने परिजनों के सपने दिख रहे हैं...यानी वही ध्रुव है.?(नहीं-नहीं..क्यूंकि अगर ऐसा होता है तो -दुनिया के इतने मशहूर चेहरे,ब्रह्माण्ड रक्षक के अपराध विनाशक की वास्तविक पहचान छुपाना इतना आसान काम है..यानी “नीदर लैंड” से लेकर भारतीय सत्ता प्रतिष्ठानों पर घनघोर प्रश्नचिन्ह लग चुका है !
चलिए इन सवालों को भविष्य पर छोड़ देते हैं ! “कोड नेम कॉमेट” में सबके रोल्स पर आते हैं!

“सुपर कमांडो ध्रुव “–ध्रुव ही कॉमेट है..यह बात किसी से नहीं छुपी है..अगर लेखक का मन कुछ चमत्कार करने की ना सोचे तो! ध्रुव कॉमिक्स में एक नए रूप में सामने है..जिसमे उसकी मशहूर हेयर स्टाइल से लेकर चाल-ढाल,रहन-सहन,वेशभूषा सब कुछ बदल चुका है !
एक सिरे से चलती रही ध्रुव की सीरीज में इस तरह बीच में हो रहे यह experiments तारीफ के काबिल हैं...एक हीरो जिसकी याददाश्त गायब है...वो एक ऐसी जगह रह रहा है..जिसमे उसे सिर्फ अन्धकार नज़र आ रहा है..लेकिन फिर भी वो जुटा हुआ है अपराध उन्मूलन के अपने लक्ष्य को याद रखते हुए आज भी उसी ईमानदारी से पूरा करता हुआ,एक नए नाम,नए रूप में एक नए समाज के लिए! इतना काफी है यह समझाने के लिए कि सुपर कमांडो ध्रुव एक विश्वविख्यात सुपर हीरो क्यूँ है!

“रिचा/ब्लैक कैट” – “कोड नेम कॉमेट” में रिचा को खासतौर से रेखांकित किया जा सकता है ! लेखक ने रिचा की ज़िन्दगी के अनसुलझे हिस्सों को सुलझाने की बेहतरीन कोशिश करी है ! रिचा का ध्रुव से अपने रिश्ते पर बेबाक राय रखना..एक नयी जगह नौकरी के लिए जाना और ब्लैक कैट के रूप में अपराध रोकने की कोशिश उसके characterization के लिए पॉजिटिव signs हैं !जो उसकी अहमियत को ध्रुव सीरीज में एक मुख्य स्तम्भ के रूप में पुनः स्थापित करने में सहायक बनते हैं !

“श्वेता” –भाई न रहे तो उस बहन की हालत क्या होगी समझी जा सकती है! श्वेता के हिस्से में फिलहाल दुःख के बहुत ग़मगीन क्षण आये हैं! वो शोकाकुल है और नयी परिस्थितियों को समझने का प्रयास कर रही है,जिसमे आतंरिक मानसिक द्वन्द बहुत ज्यादा है..हो सकता है आगे वो कोई बड़ा फैसला ले !

“नताशा” – “रिपोर्टर नताशा”...”कमांडर नताशा”...”शाळा” और अब “ऑफिसर नताशा” ऑफ़ कमांडर फ़ोर्स(जो राजनगर में तब अपराध रोकने की कोशिश में लगी है जब ध्रुव के मरने/गायब होने की सुई उसके पिता रोबो की ओर घूमी हुई है!)
नताशा का रोल हर बार की तरह नए रहस्य से भरा लग रहा है..और अगर ध्रुव भी उससे नाराज़ है तो मामला गंभीर होने की पूरी गुंजाइश है..यह कितना घूमा हुआ एंगल है.यह भी आगे पता चलेगा!
मीशा...मास्टर M..."रोनिन" अन्य नए चेहरे हैं..और हाँ एक जल मानव भी..जिसका राज़ अगले भाग में खुलेगा!
नारका जेल पर हुए हमले पर कहानी अप्ल विराम लेती है...आगे की कहानी के लिए "ब्रेकआउट" का इंतज़ार शुरू !

आर्टवर्क –

पेंसिल- हेमंत कुमार जी के बनाये आर्टवर्क की अब आदत हो गयी है..बाकी सीरीज की तरह सुपर कमांडो ध्रुव को भी उन्होंने उम्दा ढंग से संभाला हुआ है... सुपर कमांडो ध्रुव एक नवयुवक का पूरा एहसास कराता है! “कोड नेम कॉमेट” में परिस्थितीवश ध्रुव में कहानी की मांग के हिसाब से काफी परिवर्तन हुए हैं..छोटे छोटे बाल...काम करने का अलग अंदाज़ होने की वज़ह से कॉमेट और सुपर कमांडो ध्रुव में अंतर रखने में हेमंत जी कामयाब रहे हैं! रिचा को बहुत खूबसूरत बनाया है उन्होंने...ब्लैक कैट के रूप में भी..प्लस पॉइंट

हाँ एक बात सच में बहुत गैर जरूरी सी लगती है..कि कॉमिक्स में श्वेता को बहुत Outdated बनाया हुआ है..अगर वो विदेश से पढ़कर आई है तब भी और अगर आज तक आई पुरानी कॉमिक्स में मुख्यतः उसको जैसी बनाया जाता रहा है तब भी कम से कम उसके तेल में डूबे हुए चिपके बाल...पूरी कॉमिक्स में सिर्फ एक पीले रंग की सलवार कमीज़ पहनाये रखने से बचा जा सकता था..दुखी दिखने के लिए देहातन बना देना बहुत पुराना आईडिया है ! हेमंत जी को अगली कॉमिक्स में श्वेता में परिवर्तन लाने चाहिए!
सुशांत जी के बनाये हुए 2 क्लासिक पेज बहुत अच्छे बने हैं !

इंकिंग –ईश्वर जी ने उम्मीद से कहीं बेहतर और “परफेक्ट से कम” काम इंकिंग में किया है! उनके अन्दर विनोद कुमार और जगदीश जी की तरह सफल इंकर आर्टिस्ट बनने की क्षमता है...कुल मिलाकर उनका काम अच्छा है..कुछ पेज में कई जगह पर बॉडी के मूवमेंट्स में गड़बड़ रही है..जैसे शरीर असली ना होकर कोई बेजान तस्वीर चिपकी हो..नए होने की वज़ह से उनमे बहुत Potential है...उन्हें और मौके दिए जाते रहने चाहिए जिससे वो और उम्दा निखार ला सकें !

रंग-संयोजन-शादाब सिद्दीकी जी का रंग है...और सबसे राहत की बात यह है कि कोड नेम कॉमेट में वापस "कलरिंग इफेक्ट्स" भी करे गए हैं..जिनकी वज़ह से कॉमिक्स का पूरा लुत्फ़ मिला है..इफेक्ट्स के बिना कॉमिक्स की कल्पना करना अब नामुमकिन बात है..कृपया पूरी कोड नेम कॉमेट सीरीज को इफेक्ट्स के साथ ही पूरी करें !
शब्दांकन भी लेखक मंदार गंगेले जी का है..इक्का-दुक्का जगह छोटी गलती रह गयीं..लेकिन पूरी कॉमिक्स में मेहनत से दिखाई देता है...खासकर बड़ी आवाजों में...जिसमे फ्रेम्स में सिवाय सीन्स के अलावा और कुछ नहीं होता !कैप्शन बॉक्सेस में हुए प्रयोग उम्दा रहे हैं!

अंत में यह बात जाहिर सी है..कि "कोड नेम कॉमेट" जो 4 भाग लम्बी कहानी का पहला अंश और शुरुआत भर ही है..बहुत से सवाल भी छोड़ती है..उनके जवाब आगे के भागों में मिलने की उम्मीद है...इसलिए तटस्थ रूप में यह पहला भाग पूरी कहानी को एक अच्छी शुरुआत दे चुका है...“कोड नेम कॉमेट” का लुत्फ़ उठाइये!

WORLD WAR


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3.5
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4.0
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3.0



नितिन मिश्रा कृत आर्डर ऑफ़ बेबल (आतंकहर्ता नागराज सीरीज) का तीसरा भाग “वर्ल्ड वार” आपके सामने है! जैसा कि नाम से ज़ाहिर होता है,इस कहानी के सभी पन्ने.. बम के धमाको ,गोलियों की आवाजों और खूनी संघर्षो से ही भरे हुए हैं! हर कोई सिर्फ मार काट में लगा हुआ है !नागराज भी पूरी तरह से रौद्र रूप धारण कर विश्व शान्ति के लिए कृतसंकल्प हो चुका है!
कहानी -

“वर्ल्ड वार” की कहानी अब बहुत तेज़ और रोमांचक मोड़ पर जा पहुंची है यानी बहुत सारे सवालों के चौंकाने वाले जवाब मिलने की उम्मीदें हैं !नागराज के सिर के ऊपर कोई अदृश्य मौत लटक रही है जिसका उसे आभास भी नहीं है! इस विश्व युद्ध को रोकने के लिए कई देशो में भटकता हुआ नागराज आगे पूरे नागद्वीप से भी टकराने की राह पर चल चुका है जिसका अंत अंतिम भाग वीरगति में पता चलेगा!
न्यू वर्ल्ड आर्डर पढ़ चुके पाठक जान चुके हैं की नागराज “आर्डर” खोज चुका है..और अब वो जूझ रहा है..आर्डर खोज लिए जाने के बाद बदल चुके घटनाचक्र को विश्व शान्ति की तरफ मोड़ देने के लिए..लेकिन अब यह सवाल सिर्फ मानवो की रक्षा तक सीमित नहीं है..बल्कि इसके कुछ धागे जुड़े हैं...नागजाति से भी..नागराज का फ़र्ज़ उसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर चुका है!
पाठको के लिए सुखद आश्चर्य है शांगो जैसे नागराज के परम मित्र को 20 साल बाद दुबारा देखना! दुबई में रुएबा खातून को भी हरम में जाने से नागराज को बचाना है..जी हाँ वो भी सालो बाद नज़र आई है....इसके अलावा एक पुराने खलनायक विलियम को भी अहम् रोल मिला है..नागद्वीप,पंचनाग ,विसर्पी और नागराज के शरीर में वास करने वाले सभी नाग..सौडांगी,शीतनागकुमार,नागू आदि महत्त्वपूर्ण पात्र भी कहानी में नज़र आते हैं...जो वीरगति में जारी रहेगा!

अभी तक 3 भागो में कहानी किसी रैपिड फायर राउंड की तरह से सिर्फ सवाल पर सवाल छोड़े जा रही है...जिसके जवाब देने के लिए लेखक को कोई जल्दी हो, ऐसा अभी तक नज़र नहीं आता...बहरहाल उम्मीद यही है की अंतिम भाग जवाबों का बही खाता ना बना दिया जाए...क्यूंकि कहानी में जब अधिक सवाल होते हैं तो कुछ के जवाब छूट जाने का खतरा बन जाता है!
लेखक की शैली कहानी को लगातार सवालों के घेरे में जकड़े रखने की है...इन् सवालों से घिरे हुए कहानी के सभी पात्र जिस दिशा में लड़ते जा रहे हैं...उन्हें पूरी तरह से जानने वाले लोग कहानी में ही छुपे हुए हैं जो नज़र आते हुए भी लुप्त हैं...यह देखकर अच्छा लग रहा है की शक के घेरे से कोई भी पात्र अभी तक बाहर नहीं है.

कहानी से जुड़े कई अहम् सवाल जो महत्व रखते हैं और अभी तक अबूझ पहेली बने हुए हैं...राज कॉमिक्स उनपर ध्यान रखे और कहानी की जटिलताएं अंतिम भाग में पूरी तरह से खत्म करे!

आर्टवर्क –

पेंसिल –हेमंत कुमार जी ने वर्ल्ड वार में सचमुच जर्मनी में लड़ी जा रही लड़ाई और असली युद्ध भूमि का एहसास कराया है! एक्शन सीन कमाल के बने हैं! लेकिन कई जगहों पर नागराज को ज्यादा लम्बा दिखाने के चक्कर में साइड इफ़ेक्ट ऐसा हुआ है की नागराज बांस जैसा सीकड़ी नज़र आ रहा है! हेमंत जी से गुजारिश है कि नागराज को पहले आई हुयी कॉमिक्स जैसा हृष्ट-पुष्ट बनाएं..तेज़ हवा में इधर से उधर उड़ते किसी हरे पत्ते जैसा नहीं!

इंकिंग – इसमें ईश्वर आर्ट्स द्वारा राज कॉमिक्स में करी गयी पहली इंकिंग है और आर्टवर्क की पहली कमजोर कड़ी भी! जगदीश जी की तरह वो हेमंत जी की नागराज सीरीज़ के अपने इस पहले काम पर निखार नहीं ला सके! पहले 2 पार्ट्स की तुलना में इंकिंग का स्तर नीचा रह गया है...फिर भी पहले काम की वज़ह से उम्मीद है ईश्वर जी आगे उल्लेखनीय सुधार करेंगे!

रंग- राज कॉमिक्स के कथ्य अनुसार वर्ल्ड वार में हुए रंगों को फ्लैट कलरिंग की उपाधि दी गयी है...जिससे हम व्यक्तिगत रूप से सहमत नहीं हैं! पहले तो तक्षक के बाद भी लगातार दूसरी कॉमिक्स में इस तरह के स्तरहीन रंगों का उपयोग किया जाना बेहद दुखद है..राज कॉमिक्स का कहना है की यह पाठको की मांग पर किया गया फैसला है....हो सकता है यह कुछ लोगों की राय हो..लेकिन राज कॉमिक्स को अपने बाज़ार में बने हुए नाम और स्तर के मुताबिक़ सोचना चाहिए की आज 2013 में प्रतिस्पर्धा के माहौल में जब कई दूसरे पब्लिकेशन डिजिटल कलरिंग में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं...वहां बैकगियर में राज कॉमिक्स 1990 में क्यूँ जा रही है??
वर्ल्ड वार में युद्ध के माहौल में जब जानदार इफेक्ट्स की जरूरत थी वहां निस्तेज से रंगों का उपयोग गया है..अगर पुरानी कॉमिक्स से तुलना करें तो फ्लैट्स में भी हार्ड कलर किया जाता है...जहाँ रंग में शेड्स की जरूरत होती है वहां उपयोग करके वातावरण के हिसाब से आर्टवर्क बनाया जाता है...लेकिन पहले आई तक्षक और अब वर्ल्ड वार में ऐसा कुछ नहीं है...हल्के रंगों का उपयोग और वातावरण का ध्यान ना रखते हुए सिर्फ सफ़ेद पन्नो को रंग दिया गया है!
1990 की बात और थी तब सुविधा नहीं थी...लेकिन आज राज कॉमिक्स जैसी भारत की अग्रणी कॉमिक्स कंपनी अपनी मार्केट वैल्यू को ध्यान में रखते हुए इतने घातक समझौते ना करे और कॉमिक्स में डिजिटल इफेक्ट्स को दोबारा शुरू करवाएं!

इस सीरीज के पहले 2 भाग ”आर्डर ऑफ़ बेबल” और “न्यू वर्ल्ड आर्डर” अपने आप में पूर्ण थे!”वर्ल्ड वार” कहानी के लिहाज़ से अच्छी जा रही है...लेकिन आर्टवर्क डिपार्टमेंट में अलग अलग हिस्सों की कमियां इसे पहले के दोनों भागो से कमतर बना देती है!उम्मीद है राज कॉमिक्स कमियों पर ध्यान देगी! राज कॉमिक्स के भविष्य के प्रति आशावान रहते हुए वर्ल्ड वार पढ़िए और वीरगति का इंतज़ार कीजिये!

RAKHT BEEJ

Overall rating 
 
4.0
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4.0
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RC ने 3 in 1 multistarrer रक्तबीज बहुत लम्बे समय के बाद रिलीस करी है,इसलिए पाठको की उम्मीदें भी इसके लिए बहुत ऊंची थी !राज कॉमिक्स ने रक्तबीज को डोगा की कॉमिक्स की तरह से प्रचारित किया था,लेकिन यह कॉमिक्स भेड़िया की है!
कवर पर अकेली डोगा की तस्वीर का होना, उसके नाम को पहले लिखा जाना पाठको को भ्रमित कर गया !आश्चर्यजनक रूप से यदि परमाणु का रोल भी देखा जाए तो डोगा से सिर्फ 19-20 का फर्क है !

कहानी को ज्यादा अच्छी तरह से समझने से पहले पाठको को भेड़िया सीरीज की दो पुराणी कॉमिक्स "गजारा " और "मौत मेरे अन्दर " का रसास्वादन करना पड़ेगा!कहानी का मुख्य खलनायक भी भेड़िया सीरीज से ही है ,कहानी का केंद्रबिंदु भी आसाम में रखा गया है!
कहानी पूरी तरह से एक्शन है !परजीवी संक्रमण जो एक के मरने से ख़त्म होने की जगह गुणन करता हुआ अनगिनत समरूप बना लेता है!इसी को रक्तबीज नाम से इंगित किया गया है! इसमें multistarrer कॉमिक्स का पुराना स्वाद मौजूद है!कहानी भी सिंपल भाषा में है,ज्यादा दिमाग नहीं घुमाएगी !

>भेड़िया >कहानी का मुख्य नायक हमारा जंगल का जल्लाद है!भेड़िया अपनी वही बरसो पुरानी खूंखारता और दुश्मन को फाड़ खाने वाले तेवरों के साथ मौजूद है !यह कहानी उसी वक़्त की झलक देती है जो राज कॉमिक्स का स्वर्णिम काल था!
>परमाणु >परमाणु का कहानी में सशक्त और काबिलेतारीफ काम है!उसे कुछ नयी शक्तियां दी गयी हैं जो काफी काम आई हैं!कहानी में उसके होने की वाज़िब वज़हें भी हैं! एक बात जो थोड़ी अटपटी लग सकती है वो है विनय के रूप में 6 उसका गुंडों की जान ले लेना! ऐसे में उस कसम का कोई मोल बाकी नहीं रहा जो उसने इंसानों को ना मारने की ली है!
>डोगा >डोगा अपने उसी पुराने चिरपरिचित जनूनी, थोड़े सनकी से,overact अंदाज़ में नज़र आता है!इस कहानी में काफी हार्ड लैंग्वेज वाले डायलॉग्स का इस्तेमाल किया गया है!जैसे-माँ की,अन्दर घुसेड दूंगा आदि !
यह नया अनुभव रहेगा!
>प्रोबोट >परमाणु जहाँ होता है वहां यह भी होंगे ही! इन्होने भी अपने हिस्से का काम काफी उम्दा किया है !
>प्रलयंका >प्रलयंका का छोटा सा रोल है! अब वो पहले की तरह ढंकी छुपी सी बहन जैसी नहीं लगती!धीरज जी उसका मेकओवर कर दिया है इस कॉमिक्स में!उसकी ड्रेस में उल्लेखनीय बदलाव हुआ है ,जिसने उसे एक हॉट और सेक्सी लुक दे दिया है!राज कॉमिक्स में ऐसा बदलाव जरूरी था !

आर्टवर्क >
पेंसिल >धीरज वर्मा जी के आकर्षक चित्रों से सजी हुयी कॉमिक्स है! उन्होंने पूरी तन्मयता के साथ इसको चित्रित किया है!डोगा और भेड़िया के कई शानदार एक्शन सीन बने हैं,जैसे-पेज-11,12,15,29,65,70 की झलक काफी है!एक ही चीज़ जिसकी कमी है वो है इंकिंग का ना किया जाना !जिसकी वज़ह से कॉमिक्स में अधूरापन रह गया है!
रंग>भक्त रंजन जी ने कॉमिक्स को सुन्दर तरह से रंगा है!उन्होंने कई तरह के नए प्रयोग रंग-संयोजन में किये हैं,जिनका प्रभाव आर्टवर्क में इंकिंग की कमी को काफी हद तक छुपा लेता है!उनका काम सराहनीय है,उन्हें आगे भी मौके दिए जाने चाहिए !
शब्दांकन में नीरू जी द्वारा कई विशिष्ट प्रयोग किये गए हैं जो कॉमिक्स की सुन्दरता को बढ़ाते हैं !

रक्तबीज एक अच्छी मनोरंजक कॉमिक्स है !इसे ऐसा तो नहीं कहा जा सकता है कि इसको पढने के बाद पाठको के दिमाग में कई दिनों तक घूमती रहेगी,लेकिन एक अच्छी 3 इन 1 जॉइंट एडवेंचर को देखने-पढने लायक सबकुछ इसमें मौजूद है!

*प्रश्न >कहानी में गरुडा का भी एक छोटा का रोल है! रक्तबीज में वो अपने पंखो का उपयोग कर रहा है !हुडदंग कॉमिक्स में गरुडा के पंखो के नष्ट होने के बाद यदि किसी कॉमिक्स में उसके पंख पुनः उत्पन्न हो गए हैं तो सही है..लेकिन उस कॉमिक्स का नाम पेज के नीचे इंगित करा जाना चाहिए था,और यदि ऐसा नहीं हुआ है तो इसको स्पष्ट किया जाना चाहिए!

TAKSHAK


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2.5
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2.5
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2.5


तो आखिरकार लम्बे इंतज़ार के बाद तक्षक हाथो में आ ही गयी!मकबरा पढने के बाद से ही इसका बहुत इंतज़ार किया जा रहा था! मकबरा ने जो समां बाँधा था,उसकी समाप्ति कैसे होगी,इसको जानने की बड़ी उत्सुक्ता मन में थी!
>कहानी>
तक्षक के अन्दर इतने अनुत्तरित सवाल हैं,जिनकी वज़ह से कहानी पूरी तरह से स्पष्ट ही नहीं हो पाई है! इसका पहला भाग मकबरा निसंदेह बहुत अच्छी तरह से लिखा गया था,लेकिन यह भाग अनावश्यक रूप से भूतकाल और भविष्यकाल के बीच की 3 लड़ाइयाँ दिखाने में खींचा गया!अगर लड़ाइयों की जगह कहानी को साफ़ करने पर ध्यान दिया जाता तो कॉमिक्स दिमाग का मनोरंजन करने के लायक बन जाती !
>पहली बात की इस कहानी मुख्य सूत्रधार विषंधर है,लेकिन वो किसी आम सैनिक की तरह थोड़े समय लड़ने के अलावा कुछ कर ही नहीं पाया!वो सिर्फ एक आशावादी कायर की तरह लगा जो समय के साथ चल रहा है!
>तुतन खामन कहानी में खलनायक जरूर नज़र आता है,लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसके लिए सहानुभूति की एक भावना जन्म लेती है!
>गगन और विनाशदूत के हिस्से में सहायको वाले काम ही आये हैं,जिनका उल्लेख जरूरी नहीं !
>मोंटी और ताहिरा "तक्षक " में ना भी होते तो कहानी की सेहत पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता,क्यूंकि भूतकाल-भविष्यकाल के बीच के गडबडाए संतुलन का सीक्वेंस इतना मजबूत नहीं था कि कहानी पर प्रभाव डाल सके!
अनुत्तरित सवाल:-
1-मकबरा के पेज 70 फ्रेम-3 में उल्लेख करी गयी "मृत्यु पुस्तिका" के बारे में आगे कोई बात ही नहीं हुई कि तुतन को उसकी क्या जरूरत थी ?
2-जब वर्तमान का तुतन खामन भूतकाल में चला गया था,तो भूतकाल का असली तुतन कहाँ गया,उसे क्यूँ नहीं दिखाया गया,जबकि वर्तमान और भूतकाल के 2 विषंधर मौजूद थे ?
3-विषंधर ने मकबरा में नेताज़र की ममी को कैसे जिंदा कर लिया ?
4-तुतन को तक्षक होने की प्रतीक शक्ति "नागरत्न" की प्राप्ति कैसी हुयी,इसकी कहानी तो दिखाई ही नहीं गयी!इसे अगर नज़रंदाज़ भी कर दिया जाए तो वर्तमान में नागराज के पास नागरत्न कैसे आया ,यह पूरा मामला ही गोल कर दिया गया!जबकि नागराज खुद शुरू से यह कहता रहा था की उसे खुद नहीं मालूम की वो तक्षक क्यूँ है या है भी या नहीं ?
5-तुतन की शक्ति का एक बड़ा प्रतीक उसकी सवारी "एपेप",जो की खुद सूर्य देवता रॉ को निगलने की शक्ति रखता था और निगल भी जाता,उसे सिर्फ 5 सेकंड पहले तक लडखडाता,कांपता हुआ नागराज अचानक से सिर्फ सर्प रस्सी से नीचे लाकर कमजोरी की हालत में भी सिर्फ 1 बार में चीर कर फाड़ देता है!इससे बड़ी overhype और क्या हो सकती है! 1 सेकंड को यह नरक नाशक नागराज नहीं बल्कि अनुपम जी का महानगर वाला नागराज लगने लगा था!यह नागराज को जिताने के लिए दिखाया गया कमजोर एक्शन सीन था जो बिलकुल भी हज़म नहीं होता!(पेज-57,58)
6-अब देखिये तुतन का इच्छाधारी रूप,जिसके अन्दर समस्त पृथ्वी के सभी 100% इच्छाधारी सर्पो की शक्ति थी,वो ऐसे इच्छाधारी नागराज से लड़ रहा था,जिसके अन्दर सिर्फ उसके अपने शरीर के कुछ हज़ारो की संख्या वाले इच्छाधारी सर्पो की सीमित शक्ति थी!यह एक बेमेल लड़ाई थी,जिसमे साफ़ दिख रहा है की तुतन का पलड़ा भारी है!अगर यह लड़ाई लम्बी खीची जाती और धीरे धीरे तुतन की हार होती तो समझ आता लेकिन सिर्फ 2 फ्रेम यानी 1 मिनट से भी छोटी लड़ाई में तुतन को लेखक ने हारा हुआ घोषित कर दिया!वो क्यूँ हारा ?इसका कोई जवाब नहीं दिया गया!(पेज-61,62)
7-अगर विषंधर के पास हमेशा से एमेन्टा दंड था जो कि " प्राण ले भी सकता है और दे भी सकता है",तो वो खुद ही तुतन को जिंदा कर सकता था!उसने ऐसा क्यूँ नहीं किया?
8- एमेन्टा दंड विषंधर की शक्ति थी!उसे तभी गायब हो जाना चाहिए था जब भूतकाल में विषंधर समय द्वार में समा गया था,अंत में ऐसा चित्रों में कहीं नहीं दिखाया गया,कि एमेन्टा दंड भी सबके साथ ही वर्तमान में वापस आ गया हो ,लेकिन अंत में अचानक से एमेन्टा दंड को नगीना ने तुतन के खात्मे के लिए कहाँ से निकाल लिया,इसका भी कोई जवाब नहीं है!इसके बाद तुतन के मरते ही खुद ही एमेन्टा दंड और देश्रेट अचानक क्यूँ गायब हो गए,यह भी पता नहीं चला!(पेज-66,72)

आर्टवर्क>
जैसी कहानी है वैसा ही आर्टवर्क भी है!जिस बात का डर था वही हो रहा है!काम का अत्यधिक बोझ कह लीजिये या समर्पण में कमी,जो भी वज़ह रही हो,हेमंत और जगदीश जी पर कुछ असर दिखने लगा है!
मकबरा से तक्षक के आर्टवर्क की तुलना करी जाए तो बहुत ज्यादा गिरावट साफ़ देखी जा सकती है!नागराज की कॉमिक्स के आर्टवर्क का जो स्तर होना चाहिए,वो तक्षक में नज़र नहीं आता!बैक ग्राउंड्स पर ध्यान नहीं दिया गया है!मकबरा में जिस तरह का प्रभाव था तक्षक में ऐसा बिलकुल नहीं दिखता!इसे सिर्फ कामचलाऊ की संज्ञा दी जा सकती है!
रंगों में सिर्फ फ्लैट कलर्स हुए हैं,क्यूंकि आर्टवर्क में ही कमियां हैं,इसलिए कलरिंग पर प्रतिक्रिया देने का कोई लाभ नहीं है!

कॉमिक्स में परेशानी यह है की लम्बे एक्शन सीन्स के नीचे कहानी की कमियों को छुपाने की कोशिश करी गयी लगती है!कहानी का अंत बड़ी जल्दबाजी में हुआ है!
यह एक अच्छी 2 पार्ट सीरिज़ बन सकती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया,जो की दुःख और चिंता की बात है!राज कॉमिक्स का अंतिम भाग में जल्दबाज़ी करना यहाँ भी जारी रहा!
नरक नाशक नागराज की अगली टक्कर कौटिल्य नागमणि से है,यह टक्कर यादगार रहेगी या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है,इन गलतियों से सीख लेकर आगे का लम्बा समय अभी भी बाकी है!ताकि पाठको को कालजयी कहानियां मिल सकें!
शुभम 


SPECIALS


Overall rating 
 
2.5
story 
 
2.5
artwork 
 
2.5



क्या यह कॉमिक्स सचमुच SPECIAL category में शामिल होने लायक है ?...यह एक बड़ा सवाल है ..जिसका उत्तर पढने वालो को ही खोजना पड़ेगा.

कहानी>>>
अगर कहानी पर ध्यान दिया जाए तो यह राजनगर की रातों में 3 अलग रात में घटी घटनाओं पर घूमती है ..यानी सिर्फ रात है दिन गायब .
कहानी जहाँ से शुरू होती है ...वो बहुत पुराना सा घिसा पिटा sequence है ...जिसकी झलक पहले आई HUM HONGE KAAMYAAB में देखी जा चुकी है .....कहानी का केंद्रबिंदु है ....एक अनाथालय और इस अनाथालय की ख़ास बात यह है ..की इसका सारा खर्चा सालो से ध्रुव उठा रहे हैं ...यहाँ एक सुंदर सी caretaker भी है .."सितारा " जो यह भेद पहली बार खोलती है की ध्रुव "Being Human" भी हैं! .
यहाँ रहने वाला हर बच्चा SPECIAL है..इस स्पेशल होने के पीछे क्या राज़ है..यह कहानी में पढियेगा..... इसके बाद कहानी क्यूंकि सिर्फ 3 रात की है इसलिए घटनाक्रम बहुत तेज़ी से भागना शुरू होता है ....अनाथालय जल्दी ही भूत -प्रेतों का अड्डा बना नज़र आता है ..भूत आ रहे हैं ...जिन्न आ रहे हैं ...ध्रुव यहाँ से वहां भाग रहा है ...यह इतनी भागमभाग क्यूँ हो रही थी ...यह समझाने के लिए लेखक ने Page-48 से Page 56 यानी 8 page बड़े विस्तार और आराम से खर्च किये हैं .....और इसके बाद के आखिरी 5 pages ध्रुव भैया ने हँसते हुए अपनी दिमाग की बत्ती जलाकर "बड़े आराम से " ऐसे ठीक किया है सबकुछ जैसे या तो वो Amul Macho के नए brand Ambassador हो ..या लेखक ने कहानी की एक copy उन्हें पहले ही दे दी हो ..की भैया तुम हीरो हो ..तुम्हे सब पहले से पता होना चाहिए .

अब रोल्स की बात करी जाए
ध्रुव को लेकर इतनी सतही कहानी क्यूँ लिखी और पास करी गयी वो RC जाने ...लेकिन यह कहानी ध्रुव के लायक नहीं थी ...ध्रुव के crime fight की यह शैली नहीं है ...परेशानी भूत प्रेतों और तंत्र के इस्तेमाल से नहीं आई है ...ऐसा पहले हो चुका है कई बार ...परेशानी आई है ..कहानी के कथानक और treatment से ...जो बहुत ज्यादा कमजोर है .

वू-डू के लिए यह कहानी प्राणघातक साबित हुयी है ....उसकी वापसी ऐसी टटपूंजिया तरीके से कराई जायेगी कभी सोचा ना था ..कहानी में उसके होने का कोई मतलब ना था ..और जो मतलब बताया गया है ..उसने दुखी कर दिया ..कहानी खोलना नहीं चाहते ..पर सवाल बहुत सारे हैं .
वू-डू जैसे पुराने शातिर खलनायक का क्रियाकर्म हो गया इस रोल में .

एक और भाईसाहब हैं ..."किशोर" ...यह हर कहानी में एक ही रोल में नज़र आते हैं ....पहली बार इनकी किताब तो ध्रुव ने जलाकर हाथ सेक लिए थे ...अब इन्हें शायद "जल निगम " में नौकरी मिल गयी है ...कुछ नया करते ही नहीं ...और जो करते हैं वो बताने की जरूरत नहीं है .

अनाथालय की caretaker सितारा का काम कहानी में अच्छा है .

हाँ तो अब बात इस भटकी हुई कहानी के भटके हुए मुख्य विलेन की ...जैसा हमने बताया की वू-डू का होना -ना होना एक बराबर था ..तो मुख्य विलेन कोई और है ...जिसकी बड़े ही आराम से Macho Man SCD से हार हो जाती है ....कहानी समाप्त


आर्टवर्क>>

बिलकुल नए आर्टिस्ट सुनील पासवान जी का आर्टवर्क है ....और inking भी मुख्यत: उनकी ही है ..सागर थापा जी ने काफी कम pages को इंक किया है!
आर्टवर्क के मामले में भी यह कॉमिक्स निहायत ही कमजोर साबित हुई है ...जिसे पूरी तरह से खारिज तो नहीं किया जा सकता ...लेकिन इसमें बहुत भारी कमियां हैं ...तो कुछ points पर अच्छाईयां भी हैं .
ध्रुव पूरी कॉमिक्स में खराब बना है ...पत्थर जैसी शक्ल और उसके भाव ,motions...उसके famous Hair style की बहुत भद्द पीटी गयी है ..और बॉडी को कई जगह ऐसा चपटा बनाया गया है ..जैसे कोई road roller ऊपर से गुजर गया हो ..जैसे -page- 12,16,22,36 आदि को देखा जा सकता है ....ध्रुव की ऐसी हालत दिल दुखाने वाली रही ...उसके action scenes..running scenes भी बहुत खराब बने हैं .
ध्रुव के चेहरे पर इतने ज्यादा experiments शायद ही कभी देखने को मिले हैं ....ऐसा लगता है पूरे bollywood aur cricket teams के लोगों के चेहरे हर नए frame में SCD पर आजमाए गए हैं .
Page-48>>Frame-1-Vivek Oberoi
Page-48>>Frame-4-Akshay Kumar
Page-51>>Frame-2-Reitesh Deshmukh
Page-55>>Frame-1-Mahela Jayawardena
भैया और नहीं लिखा जा रहा ...जिसे जो मिल जाए ..खोज लेना .

अब बाकी कॉमिक्स का आर्ट वर्क >>
हैलोविन के बच्चे ,वू-डू ,सितारा और बाकी सभी रोल्स ठीक ठाक बने हैं ..लेकिन वह भी हर पेज में अलग ही नज़र आते हैं ..तारीफ में कसीदे पढने लायक नहीं हैं .

एक और बात .... पूरी कहानी में ऐसा feel नहीं आया की वो राज नगर में सबकुछ हो रहा है ...राज नगर एक समुद्र किनारे बसी city है ....और इसमें Hallowin दिखाने के लिए बड़े बड़े Cross...छोटी पहाड़ियों के बीच wheat farms..और घर रुपी Huts ऐसे लगते हैं ...जैसे Mexico के किसी गाँव में कहानी चल रही है!

रंग(शादाब सिद्दीकी ) और शब्दांकन(मंदार गंगेले) जी का काम है..रंग-सज्जा में कुछ ज्यादा कहने लायक नहीं है..पुराने कामो की तुलना में यहाँ ज्यादा variety नहीं है!


...story+artwork के मामले में यह बहुत सतही ,कमजोर लेखन , बचकानी सी ,और साधारण से भी नीचे कही जा सकने वाली कॉमिक है ..अब क्यूंकि ध्रुव की कॉमिक्स है ...अपना collection 100% रखने के लिए लेनी पड़ेगी ..लेकिन मनोरंजन लायक material इसमें नहीं है ...2 बार पढके तीसरी बार शायद ही कोई पढना चाहे .

अंत में Specials को पढ़कर और आर्ट वर्क का जायका लेकर आप भी आँखें गीली कर सकते हैं ,लेकिन वो आंसू ख़ुशी के होंगे या गम के ..वो आपके ऊपर है .

DOGA DIARIES-3


Overall rating 
 
4.0
story 
 
4.0
artwork 
 
4.0

 

DOGA DIARIES-3

CASE 1-SHIKAAR(story-6/10....Artwork-9/10)
Writer-SUDEEP MENON
Artist-LALIT KUMAR SHARMA...INKING-JAGDISH KUMAR

CASE 2-ANSHAN(story-9/10....Artwork-8/10)
Writer-T.K. WAHI-ANURAG KUMAR SINGH
Artist-SUSHANT PANDA...INKING-SAGAR THAPA

CASE 3-BAAUNTI(story-8/10....Artwork-5/10)
Writer-T.K. WAHI-ANURAG KUMAR SINGH
Artist-HARSHWARDHAN KADAM

CASE 4-TAMANCHA(story-8/10....Artwork-8/10)
Writer-T.K. WAHI-ANURAG KUMAR SINGH
Artist-SUSHANT PANDA

CASE 5-PEHCHAAN(story-7/10....Artwork-9/10)
Writer-SUDEEP MENON
Artist-PRADEEP YADAV...INKING-VINOD KUMAR

CASE 6-EXTREME JUSTICE(story-6/10....Artwork-8/10)
Writer-SUDEEP MENON
Artist-ISHAAN TRIVEDI

CASE 7-HAPPY NEW YEAR(story-9/10....Artwork-10/10)
Writer-SUDEEP MENON
Artist-DILDEEP SINGH...INKING-VINOD KUMAR

CASE 8-AASAAN SHIKAAR(story-9/10....Artwork-7/10)
Writer-ANURAG KUMAR SINGH
Artist-MAYUR SEKIA


Total-
story points- 62/80
Artwork points-64/80

Doga Diaries-1 pichli 2 diaries ki tulna mein normal rahi hai...combined format ki yeh short stories alag alag rate ke layak hain..kyunki kuch stories achchi lagti hain toh kuch nahin!
collection ke hisab se doga premiyo ke paas yeh diaries bhi jaroor honi chahiye!
RC ko aage bhi aisi diaries ko nikaalte rehna chahiye! inhe aur jyada real stories aur artworks dene chahiye..aur risks se gujarna chahiye..chahe story ho ya artwork..samjhaute naa karein.


MAKBARA




Overall rating 
 
4.5
story 
 
4.5
artwork 
 
4.5

मकबरा.......लेखक नितिन मिश्रा द्वारा लिखित यह कहानी का पहला भाग है! नरक नाशक नागराज........ के साथ इसमें विनाशदूत,गगन,ताहिरा और मोंटी जैसे राज कॉमिक्स के आकाश से विलुप्त हो चुके हीरोज को नवजीवन देने की कोशिश की गयी है!
मकबरा जैसे विषय पर सोचते ही दिमाग में अक्स उभरता है,प्राचीन मिस्त्र सभ्यता का..लेकिन फिलहाल मकबरा की कहानी भारत(थार मरुस्थल)में ही बुनी हुई नज़र आ रही है!
पुरातत्व खोजो से जुड़े एक छात्र दल पर हुए पराशक्ति हमले में R.I.P के involvement के बाद नागराज का आगमन कहानी में हो जाता है! एक जांच अभियान कब अचानक से दुनिया को नरक बनने से बचाने की कवायद में तब्दील हो जाता है..वह लेखक की खूबसूरती से बुनी कहानी में पता ही नहीं चलता!

कहानी में roles की बात करी जाए तो नितिन जी ने सभी के साथ पूरा न्याय किया है ..नागराज के आभामंडल में दूसरे हीरोज़ के दब जाने जैसी बात नहीं दिखती ...गगन -विनाशदूत की टीम आज भी उतनी ही परफेक्ट लगी है ..जितनी पहले थी .
ताहिरा को कहानी में cool minded..तेज़ दिमाग दिखाया गया है ...परिस्थिति के हिसाब से सही हथियारों का इस्तेमाल करते देखना रोमांचकारी अनुभव रहा ..अपने हिस्से के portions में उसका involvement front में रहा ...ऐसा कहीं भी नहीं हुआ ...जैसे वो सिर्फ show piece की तरह side में खड़ी दिखी हो ...यह plus point रहा !
मोंटी का role इस तूफानी एक्शन में भी हलकी -फुल्की मुस्कान लाने में सफल रहा है !
कहानी में मुख्य खलनायक कौन होगा ..इसमें अभी संदेह की बहुत सी गुंजाईश हैं ..क्यूंकि तुतन खामन ,अनूबीस के अलावा भी आगे नगीना ,विषंधर से लेकर कालदूत या शायद नागद्वीप का involvement अगले पार्ट में हो सकता है !

Artwork-
हेमंत कुमार जी ने पिछली कई कॉमिक्स की तरह एक बार फिर से अपनी उँगलियों का जादू मकबरा में बिखेरा है ...नरक नाशक नागराज पर उनका काम पहले भी मृत्युजीवी आदि में देखा और बहुत पसंद किया जा चुका है ... गगन -विनाश्दूत आदि को भी उसी सहजता से बनाकर उन्होंने खुद को कॉमिक आर्ट की अग्रीम पंक्ति के आर्टिस्ट्स में शुमार कर लिया है !हर character पर वो एक सामान अधिकार रखते हैं !
जगदीश कुमार जी की इंकिंग के बिना artwork की बात अधूरी रह जायेगी ! किसी भी आर्टिस्ट के मेहनत से बने चित्रों को उसी खूबसूरती से उभारना जगदीश जी की खासियत रही है ! WTS से लेकर अब नरक नाशक नागराज पर भी उन्होंने शानदार काम जारी रखा है !हेमंत जी के साथ भी उनकी जोड़ी ..... कई सफलताएं आगे भी देती रहेगी !

Color Effects-
इसमें कोई शक नहीं है की शादाब सिद्दीकी जी इस वक़्त राज कॉमिक्स में सबसे उम्दा colorist में स्थान रखते हैं ..उनकी खासियत यह है की कहानी के माहौल के हिसाब से वो अपने काम को आसानी से ढाल लेते हैं ..मृत्युजीवी और OOB series का भुलाया ना जा सकने वाला काम मकबरा में भी जारी है ...मकबरा dark tone story होने के बाद भी कहीं ऐसी नहीं लगती ...की उसमे light effects को जरूरत के मुताबिक उपयोग ना हुआ हो ..Effects पर अगर गौर किया जाए तो ..आसमान में बदलते रंग ,मकबरे के अन्दर रौशनी और shadows का तालमेल ,रेट के बवंडरो में आये बदलाव ,RIP के हथियारों को इस्तेमाल करते वक़्त हुए effects देखने लायक रहे हैं ...Good work!

Calligraphy-
याद नहीं आ रहा है ..की राज कॉमिक्स में calligraphy पर इतनी मेहनत कभी हुयी हो ..जितनी मंदर गंगेले जी के काम सँभालने के बाद दिखी है !उन्होंने अपने Ideas से इसे खानापूर्ति की जगह एक आर्ट की तरह इस्तेमाल कर दिया है ! सिर्फ Caption Boxes में dialogues डालने तक यह सीमित नहीं है ..बल्कि चलती गोलियों ,चीखते जीवों ,गिरती चट्टानों आदि जिस भी मौके पर जोरदार आवाज़ की जरूरत हुयी है ..वहां खूबसूरत इस्तेमाल इस तकनीक का हुआ है ! RC में आया यह बदलाव सुखद परिघटना से कम नहीं है !
RC से निवेदन है की कॉमिक covers के अभी आ रहे normal fonts पर भी बदलते वक़्त के हिसाब से changes लाइए !

P.S-इस कहानी को ज्यादा अच्छी तरह से जानने-समझने के लिए राज 20-20 series की सौडांगी और पंचनाग को भी पहले जरूर पढ़ें ..कुछ किरदारों और घटनाओं के बारे में अधिक जानकारी मिल सकेगी !

पाठको को यह series जरूर खरीदनी चाहिए ! 

SHOW STOPPER


Overall rating 
 
4.5
story 
 
4.5
artwork 
 
4.5


शो स्टॉपर सभी ध्रुव प्रेमियों के लिए नितिन मिश्रा जी का उपहार है ..पिछले लम्बे समय से जो खालीपन ध्रुव की कहानियां महसूस करा रही थी ..वो भरने में शो स्टॉपर सफल रही है !
इसमें आपको मिलेगा वही पुराना मासूम सा प्यारा ध्रुव जो कलाबाजियां करता था ...जानवरों से बातें करता था ..भावुक था और उसमे कोई कृत्रिम चीज़ नहीं थी !
सबसे पहले यह साफ़ कर देते हैं की यह कहानी किसी भूत भविष्य ...समय यात्रा या फिर double role जैसी किसी चीज़ से जुडी हुई नहीं है ..यह वास्तविक "present " की कहानी है ...यह घटनाक्रम ध्रुव के 2 पुराने villains के षड़यंत्र की उपज है !
लेकिन किस तरह उनकी इस कारगुजारी ने भी ध्रुव की ज़िन्दगी के एक अनजाने पहलू को सभी के सामने खोलकर रख दिया ..उसे पढ़कर सभी भावुक जरूर हो जायेंगे !
यह कहानी है भावनाओं की ..Emotions...जो किसी भी इंसान की ज़िन्दगी में होने बहुत जरूरी हैं ..चाहे वो superhero ही क्यूँ ना हो ..यही भावनाएं उसे मशीन बनने से बचाए रख सकती हैं !
इस कहानी में कल्पना से अलग यथार्थ के धरातल पर अगर कुछ है तो वो है रिचा यानी blackcat !इस कहानी के बाद उसके fans की संख्या में और बढ़ोतरी जरूर देखी जायेगी ..क्यूंकि उसे और अच्छी तरह से जानने और समझने का मौका यह कहानी देती है !
रिचा के character का इस कहानी से development हुआ है !
Jupiter circus कहानी का केंद्र बिंदु है ..यह ध्रुव की पुरानी simple storyline वाली stories से जुडी हुई कहानी है ...इसमें dramatic conditions काफी हैं जिसमे action भी साथ -साथ parallel चलता जाता है!

Artwork-
Artwork बहुत खूबसूरत बना है ....ध्रुव पर काम करना हेमंत जी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है ...ध्रुव के चेहरे से लेकर हर body angle पर ध्रुव fans की नज़रें रहती हैं ..उनपर यह दबाव भी रहता है ..की अनुपम जी के ध्रुव से उनका ध्रुव 19 ना रह जाए ! 2 artists की बीच की तुलना यह कभी ठीक नहीं होती है...क्यूंकि इसमें दोनों के काम की मौलिकता पर प्रश्नचिन्ह लगने का खतरा हो जाता है ! हेमंत जी का काम ध्रुव पर अभी तक बहुत बढ़िया रहा है ..जो अलग होने के बाद भी स्वीकार्य है !
हेमंत जी को इस बार विनोद जी की इंकिंग का बहुत सकारात्मक साथ मिला है! हेमंत जी की इस कॉमिक में की गयी यादगार मेहनत को निखारकर लाने में विनोद जी जैसे senior artist ने भी कोई कसर बाकी नहीं रखी है!

मोहन प्रभु जी ने कहानी की theme के हिसाब से ideal effects दिए हैं!

मंदार गंगेले जी तो अब calligraphy एक्सपर्ट हो गए हैं...उनका काम भी खूबसूरत है!

शो स्टॉपर जरूर लीजिये...यह किसी तोहफे से कम नहीं है ध्रुव fans के लिए.

JAL JEEVANI


Overall rating 
 
3.5
story 
 
3.5
artwork 
 
3.5



नए लेखक "अनुराग कुमार सिंह" की लिखी जलजीवनी काफी लम्बे समय के बाद भेड़िया की किसी पुरानी general कॉमिक्स का स्वाद देती महसूस होती है! कीर्तिस्तंभ की तुलना में जलजीवनी को उम्दा तरीके से लिखा और प्रस्तुत किया गया है!
किसी भी कहानी की सफलता में यह चीज़ मुख्य होती है की उसमे कौन सी और कितनी विशेषताएं ऐसी हैं जो की पाठक को आकर्षित कर सकती हैं! जलजीवनी 2 कारणों से पढने लायक है-
पहला-नए character "सागरपुत्र " के लिए और दूसरा-उस व्यक्ति के बारे में जानने के लिए जिसने फूजो के आश्रम में मौजूद जंगल का सारा इतिहास लिपिबद्ध किया है!
कहानी ज्यादा घुमावदार नहीं है! जंगल के कबीलों में आमतौर पर दिखाई देते रहे षड्यंत्रों में से ही एक और कबीले के षड़यंत्र पर केन्द्रित है! पुराना भेड़िया अपने चिर-परिचित तेवरों के साथ मौजूद है! सागरपुत्र कहानी की जान और केंद्रबिंदु है! उसको आगे और कहानियो में देखने की इच्छा रहेगी!
लेखक को एक चीज़ में सुधार करना चाहिए...की जिस जलजीवनी को लेकर कहानी लिखी गयी है...उसी के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गयी है...कि अति दुर्लभ होने के कारण वो असम में कहाँ और कैसे मिलती है? और साल में एक बार उत्पन्न होने के बाद भी उसे फूजो के अलावा कोई और क्यूँ नहीं प्राप्त कर सकता है! आगे किसी कहानी में यह प्रकरण खोला जाना चाहिए!

अमर-प्रेम के बाद पहली बार धीरज वर्मा जी ने इस कॉमिक्स में pencilling करी है..और गिरावट में जाते भेड़िया के artwork को थोड़ी मजबूती मिली है! लेकिन उनकी मेहनत का सिर्फ आधा स्वाद ही पाठक ले पायेंगे क्यूंकि अज्ञात कारणवश कॉमिक्स में इंकिंग नहीं करवाई गयी है!जिसकी वज़ह से पेंसिल में रहने वाले stokes जिन्हें नहीं होना चाहिए था...वो मौजूद रह गए हैं...Digital coloring और glossy pages से इस कमी को छुपाने कि कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो पायी है...पेज-22 frame -1 और पेज-24 frame -1 उदहारण के तौर पर देखे जा सकते हैं! लेकिन पूरी कॉमिक्स में ही इस अधूरेपन का एहसास होता है !

राज कॉमिक्स से निवेदन है कि अंतर्द्वंद(भोकाल) कि तरह भेड़िया को बिना इंकिंग के artworks ना दें! Artworks कि सुन्दरता के साथ समझौता ना किया जाए!
कुछ कमियों के बावजूद भी जलजीवनी एक अच्छी पढने लायक मनोरंजक कॉमिक्स है!


KAAL KARAAL


Overall rating 
 
4.0
story 
 
4.0
artwork 
 
4.0



काल कराल का concept भूत- भविष्य- वर्तमान का है! क्यूंकि अब अधिकांश कहानियां इसी कांसेप्ट के इर्द गिर्द घूमती रहती हैं..तो अतिश्योक्ति नहीं होती है!
काल कराल कि कहानी में ज्यादा कुछ नया खोजने से भी नहीं मिलता है..और ना ही यह कहानी वर्तमान महानगर या नागराज की है! यह कहानी है सुदूर भविष्य में हो रहे एक षड़यंत्र की...जिसके साथ जुड़े लोगो में एक है "काल कराल" नामक रहस्यमयी व्यक्ति जो की एक विशेष उद्देश्य से वर्तमान में नागराज से टकरा जाता है और इसके बाद कहानी में आगे अनगिनत घटनाएं होती जाती हैं...जिनकी रणभूमि भूत- भविष्य में रखी गयीं हैं !
नागपाशा और गुरुदेव इस बार कहानी की मुख्यधारा में नहीं दिखाई देते हैं...इन दोनों का role साइड में कूद रहे villains का रहा है..जो सिर्फ किस्मत से मिल रहे मौके का फायदा उठा रहे हैं..ना की खुद मौके बना रहे हैं!
"नागराज के बाद " वाली series के बाद नागराज के roles के लिए अब कहानियो में ज्यादा कुछ कहने-सुनने के लिए बचता नहीं है!जबसे उसे नयी नयी शक्तियां मिली हैं..तबसे हर कॉमिक्स में उनमे कोई ना कोई नया इजाफा कर ही दिया जाता है! जैसे कि इस बार नागराज ने अपने शरीर में एक ऐसी शक्ति को धारण कर लिया है...जो की पूरे 1 लाख वर्षो तक लगातार पूरी पृथ्वी को ऊर्जा दे सकती है! इस बारे में नागराज के पेज-28 ..frame -1 के dialogues जरूर पढियेगा..कि अब वो क्या क्या कर सकता है!
पिछले और इस साल आई कुछ कहानियों की तरह इस बार dialogues भारी भरकम meanings वाले नहीं हैं! 2 बार पढने के बाद कहानी normal लगने लगती है!
कहानी फास्ट ट्रैक है...शुरू से लेकर आखिर तक सिर्फ fighting -fighting है....जिसको ब्रेक कहानी खतम होने पर ही लगते हैं! एक्शन पसंद करने वाले पाठको के लिए पूरी तरह मन माफिक!

अनुपम जी ने पूरी मेहनत से कहानी से न्याय करता हुआ artwork तैयार किया है! काल कराल,धुर्रा,मृत्युदूत पहली बार दिखे हैं और अच्छे बने हैं.. जबरदस्त एक्शन scenes को draw करने में अनुपम जी कि टक्कर आज भी कोई आर्टिस्ट नहीं कर सकता है! नागराज की उड़ने वाली पॉवर के आने के बाद मुख्यतः लड़ाइयाँ आसमान में ही होने लगी हैं...जो कि अलग और अच्छी लगती है!
सागर थापा जी की इंकिंग भी artwork को पूरा supoort दे रही है! कुछ कमियां face looks में कई बार महसूस होती हैं...जैसे की छोटे frame में चेहरे खराब लगते हैं और बड़े frame में ठीक ठाक! इस कमी की तरफ ध्यान देने की जरूरत है!
coloring effects normal रहे हैं !
कुल मिलकर यह कहा जा सकता है की जौली जी -अनुपम जी ने पाठको को एक फास्ट एक्शन स्टोरी दी है इस बार! बिना ज्यादा दिमाग पर जोर डाले मज़ा लीजिये!

SAMUDRI LUTERE


Overall rating 
 
4.0
story 
 
4.0
artwork 
 
4.0


Ek baar phir aa gaye hain Fighter Todes waapas....Nagraj aur SCD ke saath....
kahani hai ek aise safar par FT...SCD aur Nagraj ko bina kisi jaankaari ke villain dwara bheje jaane ki jo ki kisi doosre aayaam mein hai......Iss safar mein bahut si mushqilein bhi unke raste mein aa rahi hain....lekin sabhi bahaduri ke saath sabse ladte jaa rahe hain...
lekin iska matlab yeh nahin hai ki comics mein sirf action hai....kahani full comedy se bharpoor hai....Nitin ji ne aise aise shandaar dilaogues likhe hain...jinhe padhkar hasi se lot pot ho jaayenge sabhi...SCD aur Nagraj ko bhi itne funny aur halke phulke mood mein dekhna kabhi kabhaar achcha lagta hai....aur Fighter Todes toh hain hi sabke baap.

kahani mein SwarnNagri bhi involve hai...Shilpaatri aur Dhananjay ke bhi role hain....aur ek aisa Tota jiske baare mein Aap comics se hi jaane toh jyaada achcha rahega...naam hai "Balma Popat..
Iska Next part "Belmunda ka khajana" hai...

Artwork....
Stuti Mishra ji ne Artwork banaya hai...jo ki Nagraj aur SCD ke hone ki wazah se unke upar kaaphi zimmedaari aa gayi thi...ki woh isse shandaar roop dein...aur isme woh kaaphi hadd tak safal rahi hain....unki mehnat dikhaayi deti hai...ki woh inn sabhi ko achchi tarah se sambhal sakti hain.
Shadab bhai ke color effects bhi achcha mood dete hain artwork ko.

Readers ko yeh comics bhi jaroor padhni chahiye.....behtareen kahani aur comedy ke liye.

NEW WORLD ORDER


Overall rating 
 
4.5
story 
 
4.5
artwork 
 
4.5


Order of Babel se kahani aage badh chuki hai.....Ab isme aur bhi jyada pace aur suspence create ho chuka hai.
Comics ka first half sirf jordaar action scenes mein dooba hua hai....uske baad beech ke pages mein Nagraj ko kuch naye rahasya pata chalte hain.....jinke sahaare aakhir tak aate aate woh ek kila fatah kar chuka hai...lekin kya sachmuch uski yeh choti si fatah maanavta ke liye jaroori hai....ya phir huyi hai kuch galti....yeh next & last part "World War" mein hi pata chalega.
kahani poori tarah se entertaining hai.....har tarah se maza deti huyi....kai tarah ke rahasya aur jaankaariyan bhi deti hai yeh comics....WTS ke sabse achche issues mein se ek.

Artwork-
Hemant kumar ji ki Pencil dino din shandaar ho rahi hai....WTS ke yeh issues unke artwork se hi aur jyaada badhiya ban paa rahe hain.....unhone har tarah ke scenes draw karne mein maharat haasil kar li hai...unke doosre Heroes par works bhi aur jyaada dekhne ki ichcha ab badhti jaa rahi hai....
Jagdish kumar(Inker)....Jagdish ji RC ke naye Inkers mein iss waqt sabse best hain....unhone ab tak jis bhi comics mein apne jauhar dikhaaye hain...sabhi ke artwork ke level mein bahut sudhaar aaya hai.....NWO bhi issi tarah ki comics mein hai....jisme achchi Inking sabse jaroori part hai...aur usme Jagdish ji ne poora dhyaan rakha hai...unka kaam bahut badhiya raha hai.
Shadab Siddiqui(Color Effects)......Iss baar bhi OOB ki tarah hi Shadab ji ne poori mehnat aur shandaar color schemes ka prayog karke NWO ko sunder rang diye hain...Page no.28 toh shaandaar bana hua hai...poori comics chamak gayi hai.
Shadab ji ke kaam ke liye unhe badhaai.


Kul Milaakar NWO bhi gazab comics hai....aur isse jaroor padhiye.

KEERTI STAMBH


Overall rating 
 
2.5
story 
 
2.5
artwork 
 
2.5


Lambe samay baad Bheria ki waapsi huyi hai iss comics se....
Kahani mein Jungle ki ek pratiyogita hai....jisme sabhi kabeelo ko apne apne Keeertistambh par Jungle ki durlabh cheezein lagani hain.....iske baad saari dhamachaukdi aur bhagam bhaag hi hai.Kahani mein 5 purane villains...Tantanna...Elphanto...Kaigula..Daudand aur 5th(yeh secret hai).
toh baat story ki....yeh kahani shuruaat mein bahut achchi lagti hai...jab tak praiyogita shuru nahin hoti....lekin uske baad ek jaisi chalne lagti hai.....Main cheez yahan ek shadyantra hai...Bheria ke khilaaf...lekin jis tezi se woh shadyantra safal hota hai ussi tezi se khatam bhi kar diya jaata hai....aisa lagta hai ki yeh kahani sirf 5 villains ke lambe samay baad darshan karaane ke liye hi likhi gayi thi.....iske alawa iska koi motive poora nahin hua...naa toh yeh Purane Bheria ka charm waapas lauta paayi aur naa hi kuch manoranjan de paayi...

Artwork....
Sushant ji ki pichli Van Rakshak series ke baad aise artwork ki ummeed nahin thi.....Shuaruaat mein jo artwork achcha dikhta hai....woh aage jaakar bahut kharaab ho jaata hai...Page 15 ek example le sakte hain...lekin iske baad har page mein kahin naa kahin kami dikhti hai....Inking bhi proper tareeke se nahin kari gayi hai......RC ke level ka work hi nahin hai....Ek taraf WTS aur Samudri Lutere yahan tak ki Doga Diaries ke artwork hain..aur doosri taraf Keertistambh....yeh set ki sabse low artwork waali comics rahi hai....Sushant ji ko bahut sudhaar karne ki jaroorat hai.

Shadab ji ne acche effects diye hain...lekin kamjor artwork ke neeche unhone bhi dum kho diya..

Keertistambh ek kaam chalaau comics bankar reh gayi hai....Bheria ko isse jyaada achche level ki jaroorat hai.

DOGA DIARIES-2

Overall rating 
 
4.3
story 
 
4.5
artwork 
 
4.0


8 Stories waali DD-2..
Inn stories mein Main Focus raha hai....womens ke against aajkal ho rahe apraadho ki taraf....kis tarah se aaj ke samay mein ek ladki par alag alag tarah se atyachaar hote hain......Doga ne aise cases mein bahut achchi bhoomika nibhaai hai aur samaaj ko bhi sandesh diya hai....raah dikhaayi hain....
2-3 kahaniyan...chote bachcho par julm ki kahani dikha rahi hain....jo ki Dil mein dard paida kar deti hain...ki samaaj
aaj kahan jaa raha hai....kya sachmuch Bina Doga ke yahan koi nahin hai jo isse badal sakta ho...

Doga Diaries Raj comics ki taraf se ek shandaar prayaas hai....jo ki crimes ke against ek karara jawaab hai....DD
ko aur jyaada bade level par publish karwaya jaaye....aur aisi hi achchi stories di jaati rahein...Best Of Luck RC.

Artwork....Yeh stories kyunki 10-10 pages ki hain...isliye RC ki taraf se naye naye talented artists ko inme mauka diya jaa
raha hai....aur sabhi naye artists bhi apni poori koshish kar rahe hain....inhe sunder banane mein....Ek artist ka Kaam hota hai
kahani ke maahaul ke according artwork taiyaar karna....
jaise DEMO aur MIDNIGHT CHILDREN mein Nityanshu Sharma ji ne kahani ke hisaab se hi artwork banaya hai..

Pankaj Naaik aur Mayur Sekia ji ne jo Artworks banaye hain....woh humein bahut pasand aaye.....Unhe aur mauke diye
jaane chahiye.

Lalit Singh aur Lalit Kumar Sharma ji toh kaaphi senior hain....unhone bhi bahut achcha kaam kiya hai..

Doga Diaries-2 unn logon ko kaaphi pasand aayegi jo...Nayi stories aur naye artworks ka welcome karte hain.....Die Hard
kisi writer/artists ka hi kaam pasand karne waalo ko dikkat ho sakti hain.

But RC ka yeh work achcha hai.

DOGA DIARIES 1


Overall rating 
4.3
story 
4.5
artwork 
4.0


Doga ki yeh 8 short kahaniyan kyunki Fb fans ke liye puraani hain isliye...sirf collection ke liye yeh comics khareedi jaa sakti hai...aur jo Fb se jude nahin hain....un sabhi fans ke liye ek surprise ki tarah hogi.
sabhi kahaniyan naye zamaane mein Doga ke saamne aa rahe alag alag crimes ki hain...kyunki sabhi alag alag hain...isliye padhne mein mazaa aata hai..
Artwork bhi kyunki 8 alag alag stories ki tarah hi alag hai..isliye uspar jyaada kuch kaha nahin jaa sakta...kyunki yeh routine stories mein nahin aata..lekin improvement ki kaaphi gunjaaish wahan bhi hai.

ORDER OF BABEL



Overall rating 
4.5
story 
4.5
artwork 
4.5

Lagbhag 2 saal ke baad aayi Aatankharta Nagraj ki Germany series ki shuruaati comics hai yeh...jiske aage kai parts hain...isliye yeh single comics ussi tarah se rate kari jaani chahiye..jo ki jyaada sahi hoga.
Aatankharta Nagraj ki kahaniyan jo suspence aur thrill maangti hain....woh iss comics mein lambe samay baad dikhaai de raha hai...kahani first page se lekar last page tak kahin bhi ruki huyi nahin lagegi...aur reader ko har samay aage padhne ki utsukta jagaati hai.
Germany mein Terrorism ek alag roop mein dikhaya gaya hai...jisme kuch fantasy bhi nazar aa rahi hai...reality se kuch alag...aage ke parts mein kaaphi kuch clear ho jaayega.
Artwork mein ek baar phir se Hemant ji aur jagdish ji ki Jodi ne kamaal kiya hai....Ek real battle field aur germany mein hone ka poora aihsaas artwork kara raha hai..Hemant ji ke banaye huye Action scenes bhi jaandaar hain...Rain scenes mein jagdish ji ka kaam bhi Umda hai.
Hemant ji ko bas ek sujhaav hai...ki alag alag Comics banate huye...jo Female yaani Girls roles hote hain...unme kuch difference rakhiye.....OOB mein dikhi LOLA aur last set mein aayi SCD ki comics AXE mein dikhi Richa mein koi farq nahin dikh raha...face cuts se lekar kapde aur hair style bhi same hain..iss cheez mein sudhaar par dhyaan deejiye.
Iss comics mein ek aur cheez hai...woh hai Shadab Siddiqui ji ke diye huye color effects...jinhone artwork ko aur khoobsoorat banaya hai..unhe aage bhi aisa hi work dete rehna chahiye

Yeh comics bhi har Nagraj fan ko achcha entertain karne mein safal rahegi.

AADAM


Overall rating 
 
3.3
story 
 
3.0
artwork 
 
3.5

Anupam-Jolly ji Likhi Aadam Comics lambe samay baad Kaaldoot...Nageena....Miss Killer ke saath Nagraj ki Waapsi kara rahi hai....Lekin Main Villain hai "Aadam"...Jinke chaaro taraf Action ka Jaal buna gaya hai.
Agar Readers ko kuch naya dekhne ki Ichcha ho toh....Aadam se Nirasha milti hai.....Kahani mein Aisa kuch nahin dikhaayi deta hai jo ki Nagraj Series mein pehle dikhaya naa gaya ho......Praacheen Khudaai se Nikli hui Villain Roopi Musibat....Nagraj-Kaaldoot ki Har Comics ki tarah hone waali Unnecessary Fight.....Miss Killer-Nageena ki Duniya ko Jeetne ki wahi saalo pehle ki Ichcha....Kahani Ek Line se Shuru Hokar ussi Ek Line par khatam bhi ho jaati hai.
Nagraj ke Aise Die-hard Fans jinhe koi bhi Comics sirf achchi hi achchi lagti hai.....Unke liye Aadam ek bahut bada Gift saabit hogi....Kyunki unhe lambe samay baad Apne favourite Side roles dekhne ko mil rahe hain.
Artwork achcha bana hai.....Aakhir Anupam-Vinod ji jo ki RC mein sabse best hai...ka kaam hai....Vinod ji ka iss comics mein Poora kaam Naa hone ke baawjood bhi artwork jyaada Niraash nahin karta....Color effects badhiya lagte hain.

Overall Aadam Simple Timepass Comics hai..

72 GHANTE


Overall rating 
 
3.5
story 
 
4.0
artwork 
 
3.0


Lakshyabhedi Series ki yeh last comic 72 Ghante......Apne pehle ke 2 parts ka achcha End saabit huyi hai.
Poori Comics Ghadi ke Gujarte Ghanto mein Doga ke apne Dushman ko pakadne ke liye kiye jaate prayaaso ke Baare mein hai....Yaani Full Action aur Doga ki Solid Dialogues.
Iss Poori Bhaag-daud ka End kya hota hai....yeh aap comics padhkar jaan leejiyega.
Artwork Manuji ka Banaya hua hai....jo aur achcha ban sakta tha Agar Inking badhiya kari gayi hoti....Inking mein Doga ki Comics maat khaa rahi hain....Iss taraf Sudhaar laane ki jaroorat hai.

Overall har Doga Fan ko 72 Ghante jaroor padhni chahiye....Entertaining comic hai.

ANTARDWAND


Overall rating 
 
3.3
story 
 
3.5
artwork 
 
3.0


Dhikaar ke Iss second Part Antardwand mein kahani Achchi likhi gayi hai....Bhokal ke Janam se judi huyi baaton ko Khola jaa raha hai....jo Aage bhi Aane waali Comics mein Jaari rahega.
Antardwand mainly ek Journey story hai....Bhokal ke Khud ko "Bhokal-Shakti" ke laayak saabit karne ki...Ab woh yeh Saabit kar paaya ya Nahin....yeh toh aap Comics padhkar hi jaan paayenge.
Writers se request hai ki Nayi Stories ko likhte huye Unme Naye Ideas ka Use karein.....Antardwand mein "Tilism"
Sequence Nagraj ki ek Comics se milta-julta likh diya gaya hai....Isse Story par Negative Effect padta hai.
Artwork mein Iss baar Pencil par Seedhe Color kar diya gaya hai....Yaani inking ke bina artwork banaya gaya hai.
Bina Ink ka Artwork Poori tarah se achcha nahin ban paaya hai....Pencil ke Unnecessary Strokes aur aadi-Tirchi lines saaf dekhi jaa sakti hain....RC ko Inking ke saath hi Artwork paas karna chahiye...jabki Glossy paper Use ho raha hai.

Overall Antardwand ek Mushqil Journey ka Happy end hai.

INFECTED-MRITYUJEEVI


Overall rating 
4.3
story 
4.0
artwork 
4.5


Sabse pehle toh yeh batana theek rahega ki yeh comics Nagraj ki THS issue hai....42 pages mein se uska role sirf 1 page mein hai.
iske agle part Mrityujeevi mein Nagraj ka Full role hai.
Kahani mein Nagraj ki ek puraani Villain ko waapas laya gaya hai.
Comic choti hai magar entertaining hai.

Hemant ji ne Horror theme ke according bahut badhiya artwork banaya hai....Jungle aur Rain scenes bahut achche bane hain....aur Gaurav ji ki Inking bhi shaandaar hai.

Overall Ek acchi kahani ka Shuruaati plot mil gaya hai...jaroor padhiye. 


Overall rating 
4.5
story 
4.5
artwork 
4.5


Infected ke Next part Mritujeevi ka swaagat.
Kahani jitna socha tha usse bhi jyaada badhiya likhi gayi hai....Kahani ko past-present ke beech mein jis tarah se balance karke rakha gaya hai...woh apne aapme ek acheivement lagti hai.
Miss Killer ka role bahut jordaar lagta hai...aur Nagraj ke saath saath sabhi side roles bhi achche lagte hain.

Artwork ke baare mein Ek word "Fantastic"

Mritujeevi comics har RC Fan ko leni chahiye..


DHIKKAR


Overall rating 
 
4.5
story 
 
4.5
artwork 
 
4.5


Kaaphi lambe samay baad VikasNagar Bhokal Aapke saamne hai..aur poori majbooti ke saath RC ne Iss baar kahani ko disha di hai....Bhokal ke Bachpan ki Khoj ki taraf...Kaun hai Bhokal ka Janamdaata???
Sawaal Hazaaro khade hain...lekin jawaab ek bhi nahin....Agli comics ka wait karna padega.

Hemant-Amit ji ki Jodi ka bana Artwork bahut Sunder bana hai...Lekin sabse alag lag rahi hai Comics mein Color effects ki Sunderta...Abdul Rasheed ji ka kaam dekhne laayak hai.

Overall Dhikkar Bhokal ki ek badhiya comic hai...Jaroor Padhiye.

I SPY


Overall rating 
4.5
story 
4.5
artwork 
4.5

Story bahut Entertaining hai....Kahani Full pace ke saath aage badhti hai...achchi baat yeh hai...ki Alag Alag Links ko kahani mein rotate karke kahani ko baandhe rakha gaya hai.
Tiranga Comics mein Dumdaar bhoomika mein hai...End mein taaliyan ussi ke hisse mein jaati hain...Comeback role mein woh badhiya laga hai.
Nagraj ka role jyaada Action mein hi chala gaya hai.

Writer ne kahani ke Dialogue bahut Jordaar likhe hain.

Hemant ji Artwork bahut badhiya hai...aur Sagar Thapa ne utni hi badhiya Inking bhi kari hai....Agar woh consistent achcha karte jaayein toh bahut aage jaayenge.

Overall I-Spy ek Thrilling Entertaining comics hai...Must read.