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Thursday 25 April 2013

WORLD WAR


Overall rating 
 
3.5
story 
 
4.0
artwork 
 
3.0



नितिन मिश्रा कृत आर्डर ऑफ़ बेबल (आतंकहर्ता नागराज सीरीज) का तीसरा भाग “वर्ल्ड वार” आपके सामने है! जैसा कि नाम से ज़ाहिर होता है,इस कहानी के सभी पन्ने.. बम के धमाको ,गोलियों की आवाजों और खूनी संघर्षो से ही भरे हुए हैं! हर कोई सिर्फ मार काट में लगा हुआ है !नागराज भी पूरी तरह से रौद्र रूप धारण कर विश्व शान्ति के लिए कृतसंकल्प हो चुका है!
कहानी -

“वर्ल्ड वार” की कहानी अब बहुत तेज़ और रोमांचक मोड़ पर जा पहुंची है यानी बहुत सारे सवालों के चौंकाने वाले जवाब मिलने की उम्मीदें हैं !नागराज के सिर के ऊपर कोई अदृश्य मौत लटक रही है जिसका उसे आभास भी नहीं है! इस विश्व युद्ध को रोकने के लिए कई देशो में भटकता हुआ नागराज आगे पूरे नागद्वीप से भी टकराने की राह पर चल चुका है जिसका अंत अंतिम भाग वीरगति में पता चलेगा!
न्यू वर्ल्ड आर्डर पढ़ चुके पाठक जान चुके हैं की नागराज “आर्डर” खोज चुका है..और अब वो जूझ रहा है..आर्डर खोज लिए जाने के बाद बदल चुके घटनाचक्र को विश्व शान्ति की तरफ मोड़ देने के लिए..लेकिन अब यह सवाल सिर्फ मानवो की रक्षा तक सीमित नहीं है..बल्कि इसके कुछ धागे जुड़े हैं...नागजाति से भी..नागराज का फ़र्ज़ उसे दोराहे पर लाकर खड़ा कर चुका है!
पाठको के लिए सुखद आश्चर्य है शांगो जैसे नागराज के परम मित्र को 20 साल बाद दुबारा देखना! दुबई में रुएबा खातून को भी हरम में जाने से नागराज को बचाना है..जी हाँ वो भी सालो बाद नज़र आई है....इसके अलावा एक पुराने खलनायक विलियम को भी अहम् रोल मिला है..नागद्वीप,पंचनाग ,विसर्पी और नागराज के शरीर में वास करने वाले सभी नाग..सौडांगी,शीतनागकुमार,नागू आदि महत्त्वपूर्ण पात्र भी कहानी में नज़र आते हैं...जो वीरगति में जारी रहेगा!

अभी तक 3 भागो में कहानी किसी रैपिड फायर राउंड की तरह से सिर्फ सवाल पर सवाल छोड़े जा रही है...जिसके जवाब देने के लिए लेखक को कोई जल्दी हो, ऐसा अभी तक नज़र नहीं आता...बहरहाल उम्मीद यही है की अंतिम भाग जवाबों का बही खाता ना बना दिया जाए...क्यूंकि कहानी में जब अधिक सवाल होते हैं तो कुछ के जवाब छूट जाने का खतरा बन जाता है!
लेखक की शैली कहानी को लगातार सवालों के घेरे में जकड़े रखने की है...इन् सवालों से घिरे हुए कहानी के सभी पात्र जिस दिशा में लड़ते जा रहे हैं...उन्हें पूरी तरह से जानने वाले लोग कहानी में ही छुपे हुए हैं जो नज़र आते हुए भी लुप्त हैं...यह देखकर अच्छा लग रहा है की शक के घेरे से कोई भी पात्र अभी तक बाहर नहीं है.

कहानी से जुड़े कई अहम् सवाल जो महत्व रखते हैं और अभी तक अबूझ पहेली बने हुए हैं...राज कॉमिक्स उनपर ध्यान रखे और कहानी की जटिलताएं अंतिम भाग में पूरी तरह से खत्म करे!

आर्टवर्क –

पेंसिल –हेमंत कुमार जी ने वर्ल्ड वार में सचमुच जर्मनी में लड़ी जा रही लड़ाई और असली युद्ध भूमि का एहसास कराया है! एक्शन सीन कमाल के बने हैं! लेकिन कई जगहों पर नागराज को ज्यादा लम्बा दिखाने के चक्कर में साइड इफ़ेक्ट ऐसा हुआ है की नागराज बांस जैसा सीकड़ी नज़र आ रहा है! हेमंत जी से गुजारिश है कि नागराज को पहले आई हुयी कॉमिक्स जैसा हृष्ट-पुष्ट बनाएं..तेज़ हवा में इधर से उधर उड़ते किसी हरे पत्ते जैसा नहीं!

इंकिंग – इसमें ईश्वर आर्ट्स द्वारा राज कॉमिक्स में करी गयी पहली इंकिंग है और आर्टवर्क की पहली कमजोर कड़ी भी! जगदीश जी की तरह वो हेमंत जी की नागराज सीरीज़ के अपने इस पहले काम पर निखार नहीं ला सके! पहले 2 पार्ट्स की तुलना में इंकिंग का स्तर नीचा रह गया है...फिर भी पहले काम की वज़ह से उम्मीद है ईश्वर जी आगे उल्लेखनीय सुधार करेंगे!

रंग- राज कॉमिक्स के कथ्य अनुसार वर्ल्ड वार में हुए रंगों को फ्लैट कलरिंग की उपाधि दी गयी है...जिससे हम व्यक्तिगत रूप से सहमत नहीं हैं! पहले तो तक्षक के बाद भी लगातार दूसरी कॉमिक्स में इस तरह के स्तरहीन रंगों का उपयोग किया जाना बेहद दुखद है..राज कॉमिक्स का कहना है की यह पाठको की मांग पर किया गया फैसला है....हो सकता है यह कुछ लोगों की राय हो..लेकिन राज कॉमिक्स को अपने बाज़ार में बने हुए नाम और स्तर के मुताबिक़ सोचना चाहिए की आज 2013 में प्रतिस्पर्धा के माहौल में जब कई दूसरे पब्लिकेशन डिजिटल कलरिंग में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं...वहां बैकगियर में राज कॉमिक्स 1990 में क्यूँ जा रही है??
वर्ल्ड वार में युद्ध के माहौल में जब जानदार इफेक्ट्स की जरूरत थी वहां निस्तेज से रंगों का उपयोग गया है..अगर पुरानी कॉमिक्स से तुलना करें तो फ्लैट्स में भी हार्ड कलर किया जाता है...जहाँ रंग में शेड्स की जरूरत होती है वहां उपयोग करके वातावरण के हिसाब से आर्टवर्क बनाया जाता है...लेकिन पहले आई तक्षक और अब वर्ल्ड वार में ऐसा कुछ नहीं है...हल्के रंगों का उपयोग और वातावरण का ध्यान ना रखते हुए सिर्फ सफ़ेद पन्नो को रंग दिया गया है!
1990 की बात और थी तब सुविधा नहीं थी...लेकिन आज राज कॉमिक्स जैसी भारत की अग्रणी कॉमिक्स कंपनी अपनी मार्केट वैल्यू को ध्यान में रखते हुए इतने घातक समझौते ना करे और कॉमिक्स में डिजिटल इफेक्ट्स को दोबारा शुरू करवाएं!

इस सीरीज के पहले 2 भाग ”आर्डर ऑफ़ बेबल” और “न्यू वर्ल्ड आर्डर” अपने आप में पूर्ण थे!”वर्ल्ड वार” कहानी के लिहाज़ से अच्छी जा रही है...लेकिन आर्टवर्क डिपार्टमेंट में अलग अलग हिस्सों की कमियां इसे पहले के दोनों भागो से कमतर बना देती है!उम्मीद है राज कॉमिक्स कमियों पर ध्यान देगी! राज कॉमिक्स के भविष्य के प्रति आशावान रहते हुए वर्ल्ड वार पढ़िए और वीरगति का इंतज़ार कीजिये!

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