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Thursday 25 April 2013

JAL JEEVANI


Overall rating 
 
3.5
story 
 
3.5
artwork 
 
3.5



नए लेखक "अनुराग कुमार सिंह" की लिखी जलजीवनी काफी लम्बे समय के बाद भेड़िया की किसी पुरानी general कॉमिक्स का स्वाद देती महसूस होती है! कीर्तिस्तंभ की तुलना में जलजीवनी को उम्दा तरीके से लिखा और प्रस्तुत किया गया है!
किसी भी कहानी की सफलता में यह चीज़ मुख्य होती है की उसमे कौन सी और कितनी विशेषताएं ऐसी हैं जो की पाठक को आकर्षित कर सकती हैं! जलजीवनी 2 कारणों से पढने लायक है-
पहला-नए character "सागरपुत्र " के लिए और दूसरा-उस व्यक्ति के बारे में जानने के लिए जिसने फूजो के आश्रम में मौजूद जंगल का सारा इतिहास लिपिबद्ध किया है!
कहानी ज्यादा घुमावदार नहीं है! जंगल के कबीलों में आमतौर पर दिखाई देते रहे षड्यंत्रों में से ही एक और कबीले के षड़यंत्र पर केन्द्रित है! पुराना भेड़िया अपने चिर-परिचित तेवरों के साथ मौजूद है! सागरपुत्र कहानी की जान और केंद्रबिंदु है! उसको आगे और कहानियो में देखने की इच्छा रहेगी!
लेखक को एक चीज़ में सुधार करना चाहिए...की जिस जलजीवनी को लेकर कहानी लिखी गयी है...उसी के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी गयी है...कि अति दुर्लभ होने के कारण वो असम में कहाँ और कैसे मिलती है? और साल में एक बार उत्पन्न होने के बाद भी उसे फूजो के अलावा कोई और क्यूँ नहीं प्राप्त कर सकता है! आगे किसी कहानी में यह प्रकरण खोला जाना चाहिए!

अमर-प्रेम के बाद पहली बार धीरज वर्मा जी ने इस कॉमिक्स में pencilling करी है..और गिरावट में जाते भेड़िया के artwork को थोड़ी मजबूती मिली है! लेकिन उनकी मेहनत का सिर्फ आधा स्वाद ही पाठक ले पायेंगे क्यूंकि अज्ञात कारणवश कॉमिक्स में इंकिंग नहीं करवाई गयी है!जिसकी वज़ह से पेंसिल में रहने वाले stokes जिन्हें नहीं होना चाहिए था...वो मौजूद रह गए हैं...Digital coloring और glossy pages से इस कमी को छुपाने कि कोशिश पूरी तरह सफल नहीं हो पायी है...पेज-22 frame -1 और पेज-24 frame -1 उदहारण के तौर पर देखे जा सकते हैं! लेकिन पूरी कॉमिक्स में ही इस अधूरेपन का एहसास होता है !

राज कॉमिक्स से निवेदन है कि अंतर्द्वंद(भोकाल) कि तरह भेड़िया को बिना इंकिंग के artworks ना दें! Artworks कि सुन्दरता के साथ समझौता ना किया जाए!
कुछ कमियों के बावजूद भी जलजीवनी एक अच्छी पढने लायक मनोरंजक कॉमिक्स है!


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