Overall rating | 2.5 | |
story | 2.5 | |
artwork | 2.5 |
तो आखिरकार लम्बे इंतज़ार के बाद तक्षक हाथो में आ ही गयी!मकबरा पढने के बाद
से ही इसका बहुत इंतज़ार किया जा रहा था! मकबरा ने जो समां बाँधा था,उसकी
समाप्ति कैसे होगी,इसको जानने की बड़ी उत्सुक्ता मन में थी!
>कहानी>
तक्षक के अन्दर इतने अनुत्तरित सवाल हैं,जिनकी वज़ह से कहानी पूरी तरह से स्पष्ट ही नहीं हो पाई है! इसका पहला भाग मकबरा निसंदेह बहुत अच्छी तरह से लिखा गया था,लेकिन यह भाग अनावश्यक रूप से भूतकाल और भविष्यकाल के बीच की 3 लड़ाइयाँ दिखाने में खींचा गया!अगर लड़ाइयों की जगह कहानी को साफ़ करने पर ध्यान दिया जाता तो कॉमिक्स दिमाग का मनोरंजन करने के लायक बन जाती !
>पहली बात की इस कहानी मुख्य सूत्रधार विषंधर है,लेकिन वो किसी आम सैनिक की तरह थोड़े समय लड़ने के अलावा कुछ कर ही नहीं पाया!वो सिर्फ एक आशावादी कायर की तरह लगा जो समय के साथ चल रहा है!
>तुतन खामन कहानी में खलनायक जरूर नज़र आता है,लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसके लिए सहानुभूति की एक भावना जन्म लेती है!
>गगन और विनाशदूत के हिस्से में सहायको वाले काम ही आये हैं,जिनका उल्लेख जरूरी नहीं !
>मोंटी और ताहिरा "तक्षक " में ना भी होते तो कहानी की सेहत पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता,क्यूंकि भूतकाल-भविष्यकाल के बीच के गडबडाए संतुलन का सीक्वेंस इतना मजबूत नहीं था कि कहानी पर प्रभाव डाल सके!
अनुत्तरित सवाल:-
1-मकबरा के पेज 70 फ्रेम-3 में उल्लेख करी गयी "मृत्यु पुस्तिका" के बारे में आगे कोई बात ही नहीं हुई कि तुतन को उसकी क्या जरूरत थी ?
2-जब वर्तमान का तुतन खामन भूतकाल में चला गया था,तो भूतकाल का असली तुतन कहाँ गया,उसे क्यूँ नहीं दिखाया गया,जबकि वर्तमान और भूतकाल के 2 विषंधर मौजूद थे ?
3-विषंधर ने मकबरा में नेताज़र की ममी को कैसे जिंदा कर लिया ?
4-तुतन को तक्षक होने की प्रतीक शक्ति "नागरत्न" की प्राप्ति कैसी हुयी,इसकी कहानी तो दिखाई ही नहीं गयी!इसे अगर नज़रंदाज़ भी कर दिया जाए तो वर्तमान में नागराज के पास नागरत्न कैसे आया ,यह पूरा मामला ही गोल कर दिया गया!जबकि नागराज खुद शुरू से यह कहता रहा था की उसे खुद नहीं मालूम की वो तक्षक क्यूँ है या है भी या नहीं ?
5-तुतन की शक्ति का एक बड़ा प्रतीक उसकी सवारी "एपेप",जो की खुद सूर्य देवता रॉ को निगलने की शक्ति रखता था और निगल भी जाता,उसे सिर्फ 5 सेकंड पहले तक लडखडाता,कांपता हुआ नागराज अचानक से सिर्फ सर्प रस्सी से नीचे लाकर कमजोरी की हालत में भी सिर्फ 1 बार में चीर कर फाड़ देता है!इससे बड़ी overhype और क्या हो सकती है! 1 सेकंड को यह नरक नाशक नागराज नहीं बल्कि अनुपम जी का महानगर वाला नागराज लगने लगा था!यह नागराज को जिताने के लिए दिखाया गया कमजोर एक्शन सीन था जो बिलकुल भी हज़म नहीं होता!(पेज-57,58)
6-अब देखिये तुतन का इच्छाधारी रूप,जिसके अन्दर समस्त पृथ्वी के सभी 100% इच्छाधारी सर्पो की शक्ति थी,वो ऐसे इच्छाधारी नागराज से लड़ रहा था,जिसके अन्दर सिर्फ उसके अपने शरीर के कुछ हज़ारो की संख्या वाले इच्छाधारी सर्पो की सीमित शक्ति थी!यह एक बेमेल लड़ाई थी,जिसमे साफ़ दिख रहा है की तुतन का पलड़ा भारी है!अगर यह लड़ाई लम्बी खीची जाती और धीरे धीरे तुतन की हार होती तो समझ आता लेकिन सिर्फ 2 फ्रेम यानी 1 मिनट से भी छोटी लड़ाई में तुतन को लेखक ने हारा हुआ घोषित कर दिया!वो क्यूँ हारा ?इसका कोई जवाब नहीं दिया गया!(पेज-61,62)
7-अगर विषंधर के पास हमेशा से एमेन्टा दंड था जो कि " प्राण ले भी सकता है और दे भी सकता है",तो वो खुद ही तुतन को जिंदा कर सकता था!उसने ऐसा क्यूँ नहीं किया?
8- एमेन्टा दंड विषंधर की शक्ति थी!उसे तभी गायब हो जाना चाहिए था जब भूतकाल में विषंधर समय द्वार में समा गया था,अंत में ऐसा चित्रों में कहीं नहीं दिखाया गया,कि एमेन्टा दंड भी सबके साथ ही वर्तमान में वापस आ गया हो ,लेकिन अंत में अचानक से एमेन्टा दंड को नगीना ने तुतन के खात्मे के लिए कहाँ से निकाल लिया,इसका भी कोई जवाब नहीं है!इसके बाद तुतन के मरते ही खुद ही एमेन्टा दंड और देश्रेट अचानक क्यूँ गायब हो गए,यह भी पता नहीं चला!(पेज-66,72)
आर्टवर्क>
जैसी कहानी है वैसा ही आर्टवर्क भी है!जिस बात का डर था वही हो रहा है!काम का अत्यधिक बोझ कह लीजिये या समर्पण में कमी,जो भी वज़ह रही हो,हेमंत और जगदीश जी पर कुछ असर दिखने लगा है!
मकबरा से तक्षक के आर्टवर्क की तुलना करी जाए तो बहुत ज्यादा गिरावट साफ़ देखी जा सकती है!नागराज की कॉमिक्स के आर्टवर्क का जो स्तर होना चाहिए,वो तक्षक में नज़र नहीं आता!बैक ग्राउंड्स पर ध्यान नहीं दिया गया है!मकबरा में जिस तरह का प्रभाव था तक्षक में ऐसा बिलकुल नहीं दिखता!इसे सिर्फ कामचलाऊ की संज्ञा दी जा सकती है!
रंगों में सिर्फ फ्लैट कलर्स हुए हैं,क्यूंकि आर्टवर्क में ही कमियां हैं,इसलिए कलरिंग पर प्रतिक्रिया देने का कोई लाभ नहीं है!
कॉमिक्स में परेशानी यह है की लम्बे एक्शन सीन्स के नीचे कहानी की कमियों को छुपाने की कोशिश करी गयी लगती है!कहानी का अंत बड़ी जल्दबाजी में हुआ है!
यह एक अच्छी 2 पार्ट सीरिज़ बन सकती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया,जो की दुःख और चिंता की बात है!राज कॉमिक्स का अंतिम भाग में जल्दबाज़ी करना यहाँ भी जारी रहा!
नरक नाशक नागराज की अगली टक्कर कौटिल्य नागमणि से है,यह टक्कर यादगार रहेगी या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है,इन गलतियों से सीख लेकर आगे का लम्बा समय अभी भी बाकी है!ताकि पाठको को कालजयी कहानियां मिल सकें!
शुभम
>कहानी>
तक्षक के अन्दर इतने अनुत्तरित सवाल हैं,जिनकी वज़ह से कहानी पूरी तरह से स्पष्ट ही नहीं हो पाई है! इसका पहला भाग मकबरा निसंदेह बहुत अच्छी तरह से लिखा गया था,लेकिन यह भाग अनावश्यक रूप से भूतकाल और भविष्यकाल के बीच की 3 लड़ाइयाँ दिखाने में खींचा गया!अगर लड़ाइयों की जगह कहानी को साफ़ करने पर ध्यान दिया जाता तो कॉमिक्स दिमाग का मनोरंजन करने के लायक बन जाती !
>पहली बात की इस कहानी मुख्य सूत्रधार विषंधर है,लेकिन वो किसी आम सैनिक की तरह थोड़े समय लड़ने के अलावा कुछ कर ही नहीं पाया!वो सिर्फ एक आशावादी कायर की तरह लगा जो समय के साथ चल रहा है!
>तुतन खामन कहानी में खलनायक जरूर नज़र आता है,लेकिन आश्चर्यजनक रूप से उसके लिए सहानुभूति की एक भावना जन्म लेती है!
>गगन और विनाशदूत के हिस्से में सहायको वाले काम ही आये हैं,जिनका उल्लेख जरूरी नहीं !
>मोंटी और ताहिरा "तक्षक " में ना भी होते तो कहानी की सेहत पर कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता,क्यूंकि भूतकाल-भविष्यकाल के बीच के गडबडाए संतुलन का सीक्वेंस इतना मजबूत नहीं था कि कहानी पर प्रभाव डाल सके!
अनुत्तरित सवाल:-
1-मकबरा के पेज 70 फ्रेम-3 में उल्लेख करी गयी "मृत्यु पुस्तिका" के बारे में आगे कोई बात ही नहीं हुई कि तुतन को उसकी क्या जरूरत थी ?
2-जब वर्तमान का तुतन खामन भूतकाल में चला गया था,तो भूतकाल का असली तुतन कहाँ गया,उसे क्यूँ नहीं दिखाया गया,जबकि वर्तमान और भूतकाल के 2 विषंधर मौजूद थे ?
3-विषंधर ने मकबरा में नेताज़र की ममी को कैसे जिंदा कर लिया ?
4-तुतन को तक्षक होने की प्रतीक शक्ति "नागरत्न" की प्राप्ति कैसी हुयी,इसकी कहानी तो दिखाई ही नहीं गयी!इसे अगर नज़रंदाज़ भी कर दिया जाए तो वर्तमान में नागराज के पास नागरत्न कैसे आया ,यह पूरा मामला ही गोल कर दिया गया!जबकि नागराज खुद शुरू से यह कहता रहा था की उसे खुद नहीं मालूम की वो तक्षक क्यूँ है या है भी या नहीं ?
5-तुतन की शक्ति का एक बड़ा प्रतीक उसकी सवारी "एपेप",जो की खुद सूर्य देवता रॉ को निगलने की शक्ति रखता था और निगल भी जाता,उसे सिर्फ 5 सेकंड पहले तक लडखडाता,कांपता हुआ नागराज अचानक से सिर्फ सर्प रस्सी से नीचे लाकर कमजोरी की हालत में भी सिर्फ 1 बार में चीर कर फाड़ देता है!इससे बड़ी overhype और क्या हो सकती है! 1 सेकंड को यह नरक नाशक नागराज नहीं बल्कि अनुपम जी का महानगर वाला नागराज लगने लगा था!यह नागराज को जिताने के लिए दिखाया गया कमजोर एक्शन सीन था जो बिलकुल भी हज़म नहीं होता!(पेज-57,58)
6-अब देखिये तुतन का इच्छाधारी रूप,जिसके अन्दर समस्त पृथ्वी के सभी 100% इच्छाधारी सर्पो की शक्ति थी,वो ऐसे इच्छाधारी नागराज से लड़ रहा था,जिसके अन्दर सिर्फ उसके अपने शरीर के कुछ हज़ारो की संख्या वाले इच्छाधारी सर्पो की सीमित शक्ति थी!यह एक बेमेल लड़ाई थी,जिसमे साफ़ दिख रहा है की तुतन का पलड़ा भारी है!अगर यह लड़ाई लम्बी खीची जाती और धीरे धीरे तुतन की हार होती तो समझ आता लेकिन सिर्फ 2 फ्रेम यानी 1 मिनट से भी छोटी लड़ाई में तुतन को लेखक ने हारा हुआ घोषित कर दिया!वो क्यूँ हारा ?इसका कोई जवाब नहीं दिया गया!(पेज-61,62)
7-अगर विषंधर के पास हमेशा से एमेन्टा दंड था जो कि " प्राण ले भी सकता है और दे भी सकता है",तो वो खुद ही तुतन को जिंदा कर सकता था!उसने ऐसा क्यूँ नहीं किया?
8- एमेन्टा दंड विषंधर की शक्ति थी!उसे तभी गायब हो जाना चाहिए था जब भूतकाल में विषंधर समय द्वार में समा गया था,अंत में ऐसा चित्रों में कहीं नहीं दिखाया गया,कि एमेन्टा दंड भी सबके साथ ही वर्तमान में वापस आ गया हो ,लेकिन अंत में अचानक से एमेन्टा दंड को नगीना ने तुतन के खात्मे के लिए कहाँ से निकाल लिया,इसका भी कोई जवाब नहीं है!इसके बाद तुतन के मरते ही खुद ही एमेन्टा दंड और देश्रेट अचानक क्यूँ गायब हो गए,यह भी पता नहीं चला!(पेज-66,72)
आर्टवर्क>
जैसी कहानी है वैसा ही आर्टवर्क भी है!जिस बात का डर था वही हो रहा है!काम का अत्यधिक बोझ कह लीजिये या समर्पण में कमी,जो भी वज़ह रही हो,हेमंत और जगदीश जी पर कुछ असर दिखने लगा है!
मकबरा से तक्षक के आर्टवर्क की तुलना करी जाए तो बहुत ज्यादा गिरावट साफ़ देखी जा सकती है!नागराज की कॉमिक्स के आर्टवर्क का जो स्तर होना चाहिए,वो तक्षक में नज़र नहीं आता!बैक ग्राउंड्स पर ध्यान नहीं दिया गया है!मकबरा में जिस तरह का प्रभाव था तक्षक में ऐसा बिलकुल नहीं दिखता!इसे सिर्फ कामचलाऊ की संज्ञा दी जा सकती है!
रंगों में सिर्फ फ्लैट कलर्स हुए हैं,क्यूंकि आर्टवर्क में ही कमियां हैं,इसलिए कलरिंग पर प्रतिक्रिया देने का कोई लाभ नहीं है!
कॉमिक्स में परेशानी यह है की लम्बे एक्शन सीन्स के नीचे कहानी की कमियों को छुपाने की कोशिश करी गयी लगती है!कहानी का अंत बड़ी जल्दबाजी में हुआ है!
यह एक अच्छी 2 पार्ट सीरिज़ बन सकती थी लेकिन ऐसा हो नहीं पाया,जो की दुःख और चिंता की बात है!राज कॉमिक्स का अंतिम भाग में जल्दबाज़ी करना यहाँ भी जारी रहा!
नरक नाशक नागराज की अगली टक्कर कौटिल्य नागमणि से है,यह टक्कर यादगार रहेगी या नहीं यह भविष्य के गर्भ में है,इन गलतियों से सीख लेकर आगे का लम्बा समय अभी भी बाकी है!ताकि पाठको को कालजयी कहानियां मिल सकें!
शुभम
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